साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 19 , शनिवार , 29/05/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 19

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 19
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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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अंक -  19 - 21


यूट्यूब - आ. रंजना बिनानी जी
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अंक - 17
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अंक - 16
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अंक - 19 से 21 के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

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अंक - 19
29 मई 2021
   शनिवार
ज्येष्ठ कृष्ण 3 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 14 ( आ.  पी के सैनी जी )
कुल पृष्ठ - 15

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 19
Sahitya Ek Nazar
29 May , 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
29 मई 2021 ,  शनिवार

_____________________________
नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

आमंत्रित
रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 19 - 21
अंक - 19 से 21 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

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अंक - 19

अंक - 20

अंक - 21
दिनांक :- 30 मई 2021 , सुबह 11 बजे तक
दिनांक - 29/05/2021 से 31/05/2021 के लिए
दिवस :- शनिवार - सोमवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 19 तो कुछ रचनाएं को अंक 20 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 21 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

अंक - 18

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अंक - 17
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एक रचनाकार एक ही रचना भेजेंगे । एक से अधिक रचना या पहले की अंक में प्रकाशित हुई रचना न भेजें ।


साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 17

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अंक - 16
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🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
    

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ 010 दिनांक -  _  29/05/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _ _   पी के सैनी  _ _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _ _ 1 - 19  _ _  में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।

रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

_____________________________

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

1.

खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

माँ सरस्वती, साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका मंच को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐।

साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका  "पुस्तक समीक्षा स्तम्भ" में चयनित पुस्तकों के लेखकों की सूची जससे साहित्कारों को समीक्षा प्रमाण पत्र दिया जा सके जून 2021 माह के लिए केवल 60 स्थान है ।

1. श्री रामकरण साहू "सजल" बबेरू (बाँदा) उ.प्र.
2. अजीत कुमार कुंभकार
3.राजेन्द्र कुमार टेलर "राही" नीमका , राजस्थान
4.निशांत सक्सेना "आहान" लखनऊ
5. कवि अमूल्य रतन त्रिपाठी
6.डॉ. दीप्ती गौड़ दीप ग्वालियर
7. अर्चना जोशी भोपाल मध्यप्रदेश
8. नीरज सेन (कलम प्रहरी)कुंभराज गुना ( म. प्र.)
9. सुप्रसन्ना झा , जोधपुर
नोट:- कृपया अपना नाम जोड़ने का कष्ट करें कृपया सहयोग राशि 30/- रुपये इसी नम्बर 9753877785 पर फ़ोन पे/पेटीएम/गूगल पे करकें स्क्रीन शॉट भेजने का कष्ट करें।

आपका अपना
किताब भेजने का पता
प्रमोद ठाकुर
महेशपुरा, अजयपुर रोड़
सिकंदर कंपू,लश्कर
ग्वालियर
मध्यप्रदेश - 474001
9753877785
रोशन कुमार झा
2.

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के संयोजिका आदरणीया संगीता मिश्रा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐 🍰🎉🎈🎂🎁🌅

आदरणीय संगीता मिश्रा दीदी जी
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
हमेशा मुस्कुराते हुए इसी तरह साहित्य सेवा
में कदम बढ़ाएं ।
हमारे साहित्य संगम संस्थान आपकी नेतृत्व में
ही 4 जी से 6 में आएं ,
तब क्यों न आज आपकी
वर्षगांठ पर हम भी कुछ गाएं ।।


रोशन कुमार झा
29/05/2021, शनिवार
3.
शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं प्यारे अनुज
आदित्य शुक्ला ।
🙏💐 🍰🎉🎈🎂🎁 🌅

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं बढ़ते
रहना हमारे भाई नित्य ,
तुम ही मेरे भाई शुक्ला जी आदित्य ।।

आशीर्वाद व स्नेह दाता - प्रवीण झा

4.
#साहित्यसंगमसंस्थान
#विषयप्रवर्तन: 29-05-2021
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1391626887875043/?sfnsn=wiwspmo

विषय : साहित्य मणि व उ० प्र० संगम सलिला सम्मान
विधा : समीक्षा

साहित्य मणि लिंक👇👇👇👇

https://drive.google.com/file/d/1ENpwSjRSJcxkrbN3xB00j0iqY3_P3ekR/view?usp=drivesdk

उ० प्र० संगम सलिला लिंक👇👇👇👇

https://drive.google.com/file/d/1aXceMTB0R4-o794-UR2ewHsp92XPKx44/view?usp=drivesdk

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान , नई दिल्ली
दिनांक : - 29/05/2021,  शनिवार
विषय :- साहित्य मणि व उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान , विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कुमार रोहित रोज़ जी
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
           
         मित्रो नमस्कार!

सभी ज्येष्ठ श्रेष्ठ वरिष्ठ कनिष्ठ नवादित रचनाकारों का वंदन अभिनंदन। सर्वप्रथम विषय प्रदाता अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी का इस अनमोल और अनूठे विषय देने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पुनश्च संचालक मंडल का धन्यवाद देता हूं मुझे विषयपर्वरतन का अवसर देने के लिए।
          आज का विषय अब तक का सबसे खूबसूरत विषय है - साहित्य मणि व उ० प्र० संगम सलिला सम्मान की समीक्षा। साहित्य मणि जो पिछले एक महीने से संगम के सभी पदाधिकारियों को रोजाना सूर्य उदय होने से पूर्व ही दे दिया जाता था। जहां एक तरफ कुछ लोग नकारात्मक खबरें फैलाकर दहशत बांट रहे थे। वहीं साहित्य मणि व उ० प्र० संगम सलिला सम्मान नव ऊर्जा व सकारात्मक रहने का दैवीय संदेश दे रहे थे। जिसे देखकर हर कोई साधक उत्साहित हो रहा था। लगभग एक महीने यह सिलसिला अनवरत चला। इसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी बेहद निष्ठावान व ऊर्जा का भंडार संगम की अनन्य साधिका आ. संगीता मिश्रा जी को सौंपी गई जिसे उन्होंने उम्मीद से अधिक बेहतर तरीके से अंजाम दिया। हालांकि इसी दौरान आ. संगीता मिश्रा जी परिवार सहित महामारी का शिकार हुई किंतु उन्होंने इस बात की भनक तक नहीं लगने दी और न ही खुद को पराजित होने दिया। यह खबर मुझे बहुत बाद में आ. अध्यक्ष महोदय द्वारा बताई गई। इस बात का जिक्र मैं इसलिए कर रहा हूं कि जब हम कुछ करने की ठान लेते हैं तो बाधाएं खुद ब खुद हमें रास्ता देने के लिए मजबूर हो जाती हैं।
           आज हम सबको इसी सम्मान की समीक्षा करनी है, जो बेहद सरल है। सम्मान पाकर हमें कैसी अनुभूति हुई बस वही तो लिखना है। लिखना जरूरी इसलिए है कि क्योंकि आपकी समीक्षा से भावी योजना बनाने में मदद मिलेगी। आपके सुझाव कुछ और बेहतर करने का मार्गदर्शन करेंगे। समीक्षा इसलिए भी आवश्यक है कि जिस देवी के भागीरथ परिश्रम से यह योजना अंजाम तक पहुंची उसका आज जन्मदिन है। तो क्या जिसने हम सबको विपरीत परिस्थितियों में भी सम्मानित किया उसको जन्मदिन का उपहार समीक्षा के रूप में देना श्रेयस्कर नहीं होगा! अवश्य ही यह वंदनीय और श्लाघनीय कार्य होगा। आज आपसे समीक्षा करने का विश्वास तो है ही साथ ही कम से कम दस समीक्षाओं को प्रोत्साहित करने की उम्मीद भी है।
           आइये इस विशेष आयोजन को हम सब मिलकर सफल बनायें। आप सबके सहयोग की अपेक्षा है। मुझे आप सबकी समीक्षा का बेसब्री से इंतजार रहेगा।

आपका मुंतजिर
कुमार रोहित रोज जी
कार्यकारी अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान

अंक - 19

5.

आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
वीडियो
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1391683674536031/?sfnsn=wiwspwa

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1235458583555061&id=100012727929862

🙏🌷सादर निवेदन🌷🙏
(संगम सुविचार साहित्य मंच सहित तमाम साहित्यिक मंचों के लिए विशेष आलेख/आज का सुविचार)
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌹👍🙏 *साहित्य संगम संस्थान के सम्मानीय सचिव मंडल और पदाधिकारियों को संबोधन* 🙏👍🌹

एक ऐसी शक्ति पूरा संसार चलाती है जो दिखाई भी नहीं पड़ती। बहुत से लोग तो उसके अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हैं। दुनिया उन्हें वैज्ञानिक या नास्तिक भी कहती है। पर कभी सोचा है कि इतना वृहद ब्रह्माण्ड (अभी तक मानव ने पूरा समझ भी नहीं पाया है कि यह ब्रह्मांड कितना बड़ा है) पूरे नियम से कैसे चलता है? एकदम राइट टाइम सूर्योदय और सूर्यास्त होता है। आपने नियत समय पर सर्दी-गर्मी बरसात और बसंत आता है। इतना ही नहीं, जो ईश्वर को दिल से भजता है वे उस अत्यंत छोटी ब्रह्माण्ड की इकाई को भी देखते और एकदम समय पर बचा लेते हैं? कभी कुछ अनुचित नहीं होने देते। हां जब हम धैर्य, उचित सर्वांगीण विवेचन और अवलोकन नहीं कर पाते तो ही हमें ईश्वर के इस अखंड साम्राज्य में अनियमितताएं नजर आती हैं। संत(सकारात्मक ऊर्जा के केंद्र)  ईश्वर की हर क्रिया और प्रक्रिया को सदैव सटीक और सही ठहराते हैं यह थेथरई से नहीं अपितु प्रमाणों और तर्कों के आधार पर वे सिद्ध करते हैं। पर जो नकारात्मक ऊर्जा और मानसिकता वाले लोग होते हैं वे कभी सही ढंग से सोच ही नहीं पाते और न किसी की बात पर ध्यान दे पाते हैं बताए जाने पर भी। क्योंकि उन्हें तो भोग भोगना है जो उनके पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर इस धरा धाम पर भोगने आए हैं। पर ऐसे बहुत से उदाहरण देखे और पाए गए हैं कि बहुत से निम्न परिवार में जन्म लेकर भी पढ़-लिखकर अपनी सूझबूझ और अदम्य साहस और कर्मठता से महान बन जाते हैं। बहुत से पातकी/पापियों का उद्धार होते देखा गया है। अतः समस्त विकृतियों से यथासंभव खुद को बचाते हुए इस संसार में सदैव कुछ अच्छा और मंगलकारी कार्य करते हुए इस जन्म व जीवन को सफल बनाना चाहिए। ईश्वर के जो ऋत और सत्य नियम/व्यवस्था है वही इस असीम ब्रह्मांड के सारे कार्य संपादित करती है। हम हर जगह उपस्थित होकर पहाड़ नहीं उठा सकते पर यदि ऐसी व्यवस्था और नियम बना दिया कि हमारी अनुपस्थिति में भी काम न रुके तो ही हमारी योग्यता है। हम जितने सुदृढ़ नियम और जितनी व्यापक व्यवस्था बना सकते हैं उतने ही अधिक ईश्वरीय गुणों से युक्त हैं और ऐसे लोगों को नक्कारे परेशान तो करते हैं पर जैसे पतंगा दीपक के पास आकर अपने पर जला लेता है वैसा ही इनका हाल होता है। जिसमें जितनी उच्च कोटि की सूझबूझ और व्यापक ऋत और सत्य नियम गढ़ने और उन पर चलने और चलाने का सामर्थ और योग्यता है वह उतना ही बड़ा काम कर सकता है। कुछ लोगों को गोबर उठाने में भी दिक्कत/असुविधा होती है। एक आम आदमी अपना परिवार चलाने और संवारने में आजीवन अथक श्रम करता है पर कई बार वह असफल हो जाता है वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति उतने ही समय/चौबीस घंटे पाकर पूरे राष्ट्र का संचालन कर लेता है। ज्ञान महान है पर उससे महान और महिमाशाली कृतित्व है। अतः संस्थान के सभी पदाधिकारियों से विनम्र निवेदन है की पहाड़ उठाने की कोशिश से ज्यादा अच्छा होगा कि ऐसी सूझबूझ लगाएं और ऐसी व्यवस्था(स्वचालित) बनाएं कि जब आप आराम करना चाहें तो आपको कोई परेशान न करे। साप्ताहिक विषय चयन गुरुवार को करके शु्क्रवार को अलंकरण टीम के पास पहुंच दें तो शनिवार को सप्ताह भर के पोस्टर  बनकर संचालक मंडल सहित इकाई/मंच में प्रसारित हो जाएं तो सप्ताह भर चैन की नींद ले सकते हैं। फिर विषय प्रवर्तन के लिए रोज़-रोज़ रोना/गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगा। पुनश्च एक सहयोगी याद दिलाने वाला नियत कर लें जो एक दिन पहले ही शाम को विषय प्रवर्तक को याद दिला दे। कुछ स्नेही लोग तो मंच पर पोस्ट किए गए दैनिक कार्यक्रम से पोस्टर लेकर अपना विषय प्रवर्तन फेसबुक पर सैडूल कर सकते/देते  हैं। और जिन्हें कोई सहयोग नहीं करना वे याद दिलाने पर भी कलाकारी बतियाते हैं। ऐसे लोगों से दूरी बनाने की आवश्यकता है। उन्हें हम सुधार नहीं सकते। वे महान होते हैं, उतना महान कार्य करने वाला व्यक्ति कोई हो ही नहीं सकता। वे तो ईश्वर से भी अधिक योग्य होते हैं। भला उनकी बराबरी कोई कर सकता है? ऐसे लोग सारे लाभ आपसे प्राप्त करके आपको ही बुद्धू/दोषी/मूर्ख समझते हैं। पर जिसने इतना बड़ा विशाल संसार बनाया है उसने सारी जगह सीसीटीवी फिट कर रखी है। सबके कार्य और भाव वह देखता है। आप भी सभी सम्मानीय पदाधिकारीगण ईश्वर की स्वचालित व्यवस्था पर अटूट विश्वास कर उसकी भांति संगम को स्वचालित व्यवस्था प्रदान कीजिए। इतना बड़ा संस्थान मैं अकेले नहीं चलाता। बहुत से लोग बहुत सारी शिकायतें मेरे पास लेकर आते हैं और सोचते हैं कि मैं उन्हें महिमा मंडित कर दूंगा। भला कोई किसी को महिमा मंडित कर सका है आज तक? व्यक्ति के कार्य ही उसकी सद्गति और दुर्गति का कारण होते होते हैं। बाह्य शक्तियां उसे उत्साहित और हतोत्साहित तो कर सकती हैं पर महान कतई नहीं बना सकतीं, बदनाम भले कर दें।
साहित्य संगम संस्थान भरोसे और समर्पण की शक्ति से चल रहा है और निरंतर प्रगतिशील है। जो इसे समय और सहयोग नहीं दे सकते वे इसके पदाधिकारी तो क्या सदस्य होने योग्य नहीं हैं। सबका प्रयास, सबका विश्वास और सबका विकास के मूलमंत्र से अभिप्रेत होकर ऐसी व्यवस्था बनाएं जिसमें हिंद का प्रत्येक व्यक्ति जुड़कर अपनी साहित्यिक पिपासा को शांत कर सके और अपने जीवन को सार्थक और सफल बना सके। साथ ही राजरानी-राजमाता- हिंदी को हिंद में ही नहीं अपितु पूरे संसार में उसका उचित अधिकार और मान सम्मान दिला सके। ऐसी आकांक्षाओं और उम्मीदों के साथ-

✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

6.
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान , नई दिल्ली
दिनांक : - 29/05/2021, 
दिवस :- शनिवार
विषय :- साहित्य मणि व उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान ,
विधा :- समीक्षा
विषय प्रदाता :- आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
विषय प्रवर्तक :- आ. कुमार रोहित रोज़ जी

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) को नमन करते हुए आप सभी सम्मानित पदाधिकारियों, साहित्यकारों , गुरुजनों दीदियों , साहित्य मणि व उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आप सभी जानते ही हैं साहित्य संगम संस्थान नित्य कुछ न कुछ बेहतर करते हुए साहित्य की सेवा कर रहें है , जहां नि:शुल्क में वर्षगांठ की भेंट के रूप में साहित्यकारों को उनकी रचनाओं से आहुति व इदन्नमम पुस्तक बनाकर देते है । एक महीने से साहित्य संगम संस्थान संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से सभी इकाइयों के पदाधिकारियों को साहित्य मणि व सक्रिय सदस्यों को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी को एवं समस्त पदाधिकारियों को धन्यवाद सह सादर आभार जिन्होंने मुझे भी साहित्य मणि सम्मान से सम्मानित किए , लगभग 135 पदाधिकारियों साहित्य मणि सम्मान से सम्मानित हुए हैं , एवं 77 सक्रिय सदस्य उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित हुए हैं , इस सम्मान पाकर हम में व साहित्यकारों में बहुत बदलाव आया है जो हमें नित्य संगम सचिव व्हाट्सएप ग्रुप मंच पर भी देखने को मिलता है । सुबह नौ बजे तक समस्त इकाई की विषय प्रवर्तन हो जाती है । अब हम साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की बात करें तो हमें बंगाल इकाई के पदाधिकारियों पर गर्व है जो अपने सहयोग से बंगाल इकाई को आगे बढ़ा रहे है । अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी , उपाध्यक्ष आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , अलंकरण कर्ता - आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया ,आ. अर्चना जायसवाल जी , उपसचिव आ. सुनीता मुखर्जी , आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' का सादर आभार जो हमारे इकाई में सहयोग कर रहे है , हमें अपने उपाध्यक्ष जी पर गर्व है जो सब कुछ कर लेते है , चाहे विषय प्रवर्तन हो चाहे विषय देना हो , चाहे पोस्टर बनाना हो , चाहें पंचपर्मेश्वरी का काम हो सब कर लेते जिसके परिणामस्वरूप हमारे बंगाल इकाई अप-टू-डेट है मतलब आज का आज ।

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान  , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो - 6290640716 , कविता :- 20(11)

7.

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई फिर रचा इतिहास -

साहित्य एक नज़र 🌅 , कोलकाता , 29 मई 2021

साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई शुक्रवार 28 मई 2021 को बेटी विषय पर कविता , गीत , ग़ज़ल विधा में सृजन करने के लिए साहित्यकारों को आमंत्रित किए । जैसा कि आपको विदित है कि नवरात्र में हमने अपना यूट्यूब चैनल आरंभ किया था और सर्वश्रेष्ठ वीडियोस यूट्यूब चैनल पर अपलोड की थी ।उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज बेटी विषय पर आपकी वीडियोस आमंत्रित हैं। आज बेटी विषय  पर ही आप वीडियोस प्रेषित करेंगे। आईए बेटी विषय पर सृजन  कर वीडियोस बनाएँ व यूट्यूब पर अपलोड करवाएँ । इस कार्यक्रम में मुख्य आयोजक अध्यक्ष हरियाणा इकाई आदरणीय विनोद वर्मा दुर्गेश जी आयोजक डॉ दवीना  अमर ठकराल जी , अलंकरण प्रमुख डॉ अनीता राजपाल जी डॉ दवीना अमर ठकराल जी महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी ,  समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों के सहयोग से एक दूसरे की रचनाएं को वीडियो के माध्यम से सुनकर सार्थक टिप्पणी करते हुए लगभग  1800  कॉमेंट्स आएं जो कि संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है ।

हरियाणा इकाई

https://www.facebook.com/groups/690267965033102/permalink/848340842559146/?sfnsn=wiwspmo

8.

-: Brother's Day :-

Oh very beautiful sun ray,
I understand brother's day,
Today.
I no say but the nature say.

So I happy all time grew up
My brother,
Peace house sister father
and mother.
Came by winning soldier,
and love each other,
Do not have go away to
My brother.

Enhanced Name,
Gain fame.
Then celebrate the day same,
Brother's Day is returned came.

*•र® ✍️  Roshan Kumar Jha
          Kolkata
Surendranath Evening College
Kolkata , India
24 th May 2019 Friday 20:45
English Poem:-12(27)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 19
Sahitya Ek Nazar
29 May , 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর , कविता :- 20(11)
29 मई 2021 ,  शनिवार
9.

इतिहास

मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ
कभी माथे पर दर्द और शिकन लिये
कभी दिलों में प्यार भरे कुछ चमन लिये
कभी द्वेष घृणा क्लेश रंज और हनन  लिये
कभी सत्य अहिंसा के पथ का शमन लिये
मैं चित परिचित सा इक आभास हूँ

मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ
कहीं कर रक्त से सुर्ख़ रंग में सजे हुए
कहीं माटी रक्तिम रंग में सने हुए
कहीं राष्ट्र के लिये कोई बलिदान हुआ
कहीं राष्ट्र को बेच कोई धनवान हुआ
मैं आहें भरता हुआ इक साँस हूँ

मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ
किसी की प्रभुता को ललकारा गया
किसी को देशद्रोही कह कर पुकारा गया
किसी के निर्बलता को हुंकारा गया
किसी को मानवता के जंग में पछाड़ा गया
मैं हर पल हर दिन नव रचित रास हूँ

मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ
हर विषय में मुझको ज्ञान मिला
हर लिपि से सजने का सम्मान मिला
हर उदय प्रलय का ज्ञान विज्ञान मिला
हर क्षेत्र के कला संस्कृति का बखान मिला
मैं पत्थरों पर गढ़ा हुआ गद्यांश हूँ

मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ
कुछ बीत चूका फिर भी ज़िंदा है
कुछ काग़ज़ों पर रचा पुलिन्दा है
कुछ ने धर्म के नाम पर कहीं ज्ञान दिए
कुछ सर कफ़न बाँध देश पर जान दिए
मैं कभी भूल ना सको वह एहसास हूँ
हाँ, मैं सशक्त खड़ा इतिहास हूँ

✍️ वीणा सिन्हा
न्यू जर्सी (अमेरिका)
10.
सितारे (रोला)

नभ  में  निकले  आज,
चाँद  के संग  सितारे।
चाँदनी    हुई    रात , 
हो   गए   वारे   न्यारे।।
सिर पर शोभित ताज,
अंबर है वो अवनि का।
भूषण  है  आसीन ,
सितारों   से  जड़ा  हुआ।।
सितारों  भरी    रात ,
चमकते  नभ   है  सारे।
खुशियो  की   बारात ,
टिमटिमाता   है   तारे।।
देख  नक्षत्र  कतार,
मनसीरत  मन  है खिला।
जुड़ते मन के तार,
प्राकृतिक का प्यार मिला।।

✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

___________
11.
मां शारदे को नमन

2122 1122 1122 22 (112)
काफ़िया:आना स्वर, रदीफ़: होगा

गर रुलाया कभी हमको भी मनाना होगा।
जख्म दोगे तो मरहम भी लगाना होगा।।
प्यार दो मीत हमें संग रहो मेरे अब ।
जिंदगी साथ अभी और निराला होगा।।
प्यार है साथ मिले गर अभी तेरा मुझको।
थाम लो हाथ न जीवन अभी प्यारा होगा।।
दर्द ए गम न हमें  दो अभी दो अब उल्फ़त।
जिंदगी संग जीने में ये बहाना होगा।।
बस जरूरत है अभी साथ जिंदगी भर दो।
दर्द ए गम न कभी और हमारा होगा।।
तुम न रूठो कभी भी और मिरे खातिर तो।
प्यार दे तुम अभी परिवार तुम्हारा होगा।।
तुम यूँ मुँह मोड़ के जाओ न कहीं भी हमसे ।
गर किये वादे अगर संग निभाना होगा *।।
अब हमें  भी जरूरत प्यार कि दे उल्फ़त तुम।
गर करो प्यार हमें तो न युँ बिखरा होगा।
गर है उल्फ़त हमीं से जब तो दिखाओ अब तुम।
जब हमें प्यार किये तो ये दिखाना होगा।।
जिंदगी में मिले गर दर्द अजी को  अब तो।
दर्द में हो कमी तो प्यार बहाना होगा।।

✍️ अजीत कुमार कुंभकार
ग्राम +पोस्ट: खरसावां, बाज़ार साई ,
वार्ड न 3, मुख्य मार्ग
खरसावां , शिव मंदिर के बगल में
अनु साड़ी शॉप जिला:
सरायकेला - खरसावां झारखंड 833216

12.
नमन मंच
दिनाकं - २९.०५.२१
दिन- शनिवार
विषय - "साहित्य मणि" तथा "संगम सलिला सम्मान"
विधा - समीक्षा
सर्वप्रथम आ० संगीता मिश्रा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाए मेरे शब्द रूपी पुष्पो द्वारा
               💐🎂💐🎂💐🎂💐
आज अवतरण दिवस संगीता जी
               खिला-खिला समूह दिखता
उषा काल की सूर्य रश्मियाँ
               जीवन के दुख रूपी तम को  हरतीं,
"मंजु"- के मन की यही शुभ कामना
               स्वस्थ सुखी प्रफुल्लित रहकर
छुओ बुलन्दी आसमान की
               पूर्ण हो इच्छा जीवन मे शेष जो रहती
करो यूँ ही समूह को सम्मनित
             फैले चहुँ ओर ख्याति लेखन में
स्वीकार करो मेरे शब्द रूपी उपहार
              ताकि मेरी लेखनी देती रहे उपहार
संगीत जी आपने साहित्य सेवा की ओर इस कोरोना काल मे लेखनी को जारी रखा और मुझ जैसे कलमकार को भी यथास्थान दिया।ये सरहानीय कार्य है और आप इसके लिए प्रशंशा की हकदार भी हैं।
आपकी गहन लेखनी की पकड़ ही आपके व्यक्तित्व को निखारती हैं और हम सब को भी प्रेरित करती हैं।आपका समूह में इतना योगदान व आपकी उपस्थिति समुह में एक नव ऊर्जा का संचार कर रही हैं। मैं आपके समूह परिवार में नवागन्तुक हूँ और देखती हूँ यहां का अनुशासन, सम्मान और क्रियाशीलता सबका  भलि समान सम्मान करना मुझे आनंदित करता है। आपका ये जुझारूपन सुंदर काव्यकृतियों सम्मानपत्रों से तो हर इकाई ही जगमगा उठी है। ओर हम सब को आनंदित कर रही हैं। साहित्य संगम संस्थान एक निष्पक्ष समूह हैं।ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ इसके संवर्धन की उन्नति की ओर आज चल रहे सभी समूह में सपना अस्तित्वमान कायम रखने की। मैने अभी नई नई सदस्यता ली हैं इस समूह कि पर आपके द्वारा दिये गए प्रत्येक बिषय गंभीर लेखन को प्ररित करते हैं ।हर विषय मे लिखने को मन होता है ।सामाजिक साहित्यिक तथा वैश्विक विषयों के साथ सदैव लेखनी को इसी प्रकार आप विषय देते रहे ।आपके ज्ञानवर्धक विषय ने ही मुझे आपसे जोड़ा हैं क्योंकि मेरी रुचि ऐसी प्रकार के लेखन में है। सम्मान 'संगम मणि' अपने आप में एक सुखद अनुभूति है। जिस को भी मिलेगा एक अलग ही अनुभति होगी ।और सभी को इससे प्ररेणा भी मिलेगी और अच्छा अच्छा लेखन पढ़ने को मेरे सामने आएगा। न्यायोचित सम्मान आपने शुरू किया सभी को इसके लिए बधाई। सभी निर्णायक मंडल के सदस्य निःस्वार्थ भाव से सेवारत हैं और सरहानीय कार्य करते हुए लगे हुए हैं।आपका ये श्रम हिंदी साहित्य के सम्मान में है ।

✍️ डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

13.
आदि हो अनादि हो राम,
हरते सबकी ब्याधि हो राम।
दुखियों के साथी हो राम,
आयोध्या के वाशी हो राम।।
भक्तों के आराध्य हो राम,
योगियों के साध्य हो राम।
दुष्टों को बाध्य हो राम,
सृष्टि के आद्य हो राम।।
करुणा के अवतार हो राम,
स्नेह के विस्तार हो राम।
जीवों के आधार हो राम,
श्रेष्ठ मानव अवतार हो राम।।
धर्म ही का नाम हो राम,
कर्म का ही नाम हो राम।
चरित्र का ही नाम हो राम,
धैर्य का ही नाम हो राम।।
धरती के आधार हो राम,
सीता के प्यार हो राम।
कौशल्य के दुलार हो राम,
लक्ष्मण के संसार हो राम।।
जय श्री राम बन गया काम
सज गया है आयोध्या धाम ।

    ✍️ डॉ0 जनार्दन कैरवान कैरवान  
प्रभारी प्रधानाचार्य
श्री मुनीश्वर वेदाङ्ग महाविद्यालय
ऋषिकेश उत्तराखंड

14.
नमस्कार

अंक 19 मेरी कविता  (कुछ अच्छा करो )
दिनांक 28 मई 2021
कविता
   कुछ अच्छा करो

कुछ अच्छा करो कि
जीवन बन जाए
ऐसे मिलो कि तुम्हारी
तलब लग जाए
हर कोई तुम्हारे लिए
खड़ा हो बाहे फैलाए मानो
कि तुमसे मिलकर उसके
सारे गम दूर हो जाए
कुछ अच्छा करो कि
जीवन बन जाए
कुछ अच्छा करो कि
जीवन बन जाए
आजकल का जो दौड़े समय है क्या
पता कौन कब है कौन नहीं है
न रखना मेरे दोस्त दूरी किसी
अपनों से ज्यादा ऐसे मिलते रहो
हमेशा साथ निभाने का वादा
बनो तुम किसी के जीने का
जरिया की हर कोई तुम्हारे
दिखाएं नक्शे कदम पर
बेझिझक चाहे चलना कुछ
अच्छा करो कि जीवन बन
जाए ऐसे मिलो कि तुम्हारी
ही सबों को तलब लग जाए
कुछ अच्छा करो ।

✍️ सृष्टि मुखर्जी शिक्षिका
निवास स्थान दरभंगा बिहार

15.

  
                  "कर्म द्वंद"

सोचते ही जाओगे क्या
दर्द के सैलाब को,
कब तक कूरेंदे  जाओगे
बेबस बेचारे घाव को!
सोचने से कब चले सपने
कभी सोपान तक,
लोग सब सीमित हुए
अपने सभी पहचान तक!
दायरा पहचान का बढ़
जाएगा यह जान लो,
गर अमल में सोच को
लाने की केवल ठान लो!
हों अंधेरा लाख गहरा
लोचनो को भींच ना,
स्वप्न का पावन बगीचा
कर्म द्वंद से सींच ना!
याद रखना आंख से
ओझल ना करना ख्वाब को
सोचता ही जाएगा
क्या कर्म के सैलाब को!!
ये जीवन युद्ध है
संघर्ष है हथियार सब,
तीर तीखे भेदने को
है अभी तैयार सब!
यार तरकस के सहेजे बाण है!
यह फरिश्तों के ही भेजे प्राण है!
कर्म है कुरुक्षेत्र कौशल
ही तुम्हारी ढाल है,
मन का विचलन ही
समझलो कोरबो की चाल है!
मनगढ़ंत ही ना चला
चातक चहेती नाव को,
सोचता ही जाएगा क्या
कर्म के सैलाब को!!

✍️ - नीरज (क़लम प्रहरी)
कुंभराज,गुना (म. प्र.)


16.
विषय--

" बड़ी देर कर दी "

सनम आते-आते,
"बड़ी देर कर दी",
इंतजार में तेरे...
नैना राह निहारे...,
अब तो आ जाओ,
प्रियवर.....,
" बड़ी देर कर दी"..।
सांसें थम ना जाए...,
डरती हूं....,
सनम तुम्हे एक नजर..
देखने को तरसती हूं...
दरवाजे से  ये,आंखें हटती नहीं..
सनम अब आ जाओ ,
   "बड़ी देर कर दी "..।
तेरा -मेरा नाता ही ,
कुछ ऐसा है..,
चाह कर भी मन से,
नहीं उतरता है,
छोटी सी बात पर  ..,
ऐसी क्या नाराजगी ..,
अब  तो सनम ,आ जाओ.,
"बड़ी देर कर दी"...।

✍️ रंजना बिनानी" काव्या"
गोलाघाट असम

17.
अंक - 19
दिनांक-28, 5, 2021
दिवस-शुक्रवार

कविता
- संकल्प

जिंदगी के राहों में
आती है मुश्किलें हजार
लेकिन हों संकल्पित मन
तो हों जाती है बाधाएं पार
विकल्प मिलते हैं बहुत
चलते -चलते राहों में
संकल्प करो तुम फिर भी
चलने की इन राहों मे
दृढ़ता हो अगर मन मे
हमें आसमान छूना है
समय बदलते देर नहीं लगती
बस निश्चयी तुम्हें होना है
मिलती है मंजिल उनको ही
इसी विश्वास पे चलना है।

© ✍️ श्रीमती सुप्रसन्ना झा
    जोधपुर, राजस्थान।

18.

खुदा भी आजकल खुद में ही परेशान  होगा
ऊपर से जब कभी वो  देखता इन्सान  होगा ।
किस वास्ते  थी बनाई कायनात के साथ हमें
और क्या हम बनकर हैं सोंचकर हैरान होगा ।
किया था मालामाल हमें  दौलत-ए-कुदरत से
सोंचा था कि जीना हमारा बेहद आसान होगा ।
खूबसूरती अता की   थी धरती को बेमिसाल
क्या पता था कि हिफाज़त में  बेईमान होगा ।
दिलो-दिमाग   दिये थे मिलजुलकर रहने को
इल्म न था लड़ने को हिन्दु  मुसलमान होगा ।
खुदा तो खैर  खुदा है लाजिमी है दुखी होना
देख कर हरक़तें हमारी शर्मिन्दा शैतान होगा ।

- ✍️अजय प्रसाद










19.
अंक 19

             गजल
  ङा0 प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर   

             ग़ज़ल

नयी दुनिया बनाना चाहता हूँ
फरेबों को  मिटाना चाहता हूँ |1

मुहब्बत का कोई सागर बनाकर
उसी में डूब  जाना  चाहता हूँ |2

बढाओ तेल तुम रौशन दियों में
अँधेरो को  छकाना चाहता हूँ|3

जो आँखे बस नमी का घर हुई हैं
खुशी उनमें  बसाना चाहता हूँ|4

पिलाकर प्रेम अमृत फिर सभी को
मै नफरत को जलाना चाहता हूँ ।5

✍️ डॉ . प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद , बिजनौर

20.
नमन  मंच
साहित्य एक नज़र दैनिक पत्रिका
अंक ...19
                  *  मोड़  *

            वक़्त की राहों को    
             ख़ुद वक़्त ने ,
              ऐसा
              मोड़ दिया ,
              क़ि वक़्त
              खुद मुड़ गया ,
               और
               अनजाने मोड़ पर
                खो गया ,
                अब तलाश है
                 मुझको ,
                 उस नए वक़्त की ,
                  जो करा दे
                  पहचान
                   "अनु '' उस  अनजाने मोड़  से  !!
  
✍️     अनीता नायर " अनु ''
    नागपुर ( महाराष्ट्र )

21.
जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते
गरीब गर गरीब हो तो लोग रिश्ते नहीं बनाते

जर्जर हो गर बुनियाद तो मीनारें रूठ जाती हैं
सुखे हो गर वृक्ष तो परिंदे घोसले नहीं बनाते,

नदिया रूठ जाए तो समंदर तन्हा सूख जाता हैं
फूल गर मुरझा जाए तो माली माले नहीं बनाते

इश्क का कत्ल करके बैठे जिस्म के तलबगार हैं
एतबार रूठ जाए तो घायल दिल रिश्ते नहीं बनाते।

लेखक– ✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
ग्राम जवई,तिल्हापुर,
(कौशांबी) उत्तर प्रदेश - 212218

22.
हमसफर

दो अनजान जबसे बने हमसफ़र।
संग संग जिंदगी में चले हर डगर।।
अजनबी थे कभी अब तो हमराह ।
हर जन्म साथ रहना है,अब चाह।।
प्रेम पंथ  राही ये करे नित सफर।
संग संग जिंदगी में चले हर डगर।।
हर खुशी जिंदगी की इनको मिले
मुस्काते पुष्पों सा जीवन  खिले
हो कोई ऋतु और कोई हो प्रहर।
संग संग जिंदगी में चले हर डगर।।
चुलबुली,खट्टी-मीठी मनुहार संग
रूठने-मनाने वाले सब प्यारे रंग
दोनों गाते रहे प्रेम से बा-बहर‌।
संग संग जिंदगी में चले हर डगर।।
शुभ हो प्रेम वाला मिलन दिवस
मेरी शुभकामना  रहे जीवन सरस
हो खुशहाल इनका, परिवार  घर।।
संग संग जिंदगी में चले हर डगर।।

* ✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर, उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

23.
🙏🏻 कोरोना काल में मृत्युभोज का आयोजन 🙏🏻

मृत्युभोज का आयोजन
कोरोना काल में करना,
आने वाले सामाजिक
अगन्तु के लिए बन जाय आह,
समाज में और रिश्तों में
मिले वाह, वाही इसे करो
नजर-अंदाज चाह,
समाज में निभाने को ओर
भी है दस्तूर बहुत,
रिश्तेदारों और समाज को
सही-सलामत रखे ऐसे
मौक़े भी है बहुत,
इस कोरोना के बढ़ते कहर में
भीड़ का हिस्सा मत बनाओं,
न जाने कितने बड़े-बूढ़े और
भयंकर बीमारी ग्रसीत लोग आयेंगें,
न जाने कितने और कहां-कहां
के इस काल के शिकार होंगे,
सब देख रहे हो अपने आसपास
कोरोना ने कितना कहर ढाया है,
जगह कम पड़ रही है अस्पतालों में
न दवाई-गोली ना ही इलाज है,
श्मशानों में भी जगह नहीं
शव जलाने की कतार बहुत लगी है,
जो अपना कहलाने वाला ही
लाश उठाने को नहीं आया है,
इसलिए......,
मृत्यु-भोज के आयोजन चक्कर में
कइयों को मौत की सेज
सजा मत जाना,
करो भी आयोजन तो सीधा
और सादा हो,
चंद करीबी रिश्तेदारों के
अलावा और कोई ना आया हो,
दो गज की दूरी और मास्क है
जरूरी रखकर ध्यान,
ले हाथों में सैनिटाइजर और
सोसियल डिस्टेंसिंग की करो पालना,
तब आयोजन का हो आयोजन
वो भी हो आयोजन खुली
जगह पर लो यह जान !!

✍️ चेतन दास वैष्णव
      गामड़ी नारायण
         बाँसवाड़ा , राजस्थान

24.
-: वह तीन दोस्त !:-

वह तीन दोस्त, आख़िर में क्या रहा उन तीन दोस्तों में, कौन रहा वह तीन दोस्त, तो आइए जानते हैं, कहानी लिलुआ की पनौतीपण्डित, धर्मेन्द्र और मोनू की है , वह दोस्त मानों तो एक अटल, तो दूसरा कलाम,और तीसरा मनमोहन, मतलब ? मतलब यह कि तीनों उन्हीं महानों के राह पर चल पड़े थे, पनौतीपण्डित साहित्य से जुड़े अर्थात अटल जी जिसके खिलाड़ी थे, दूसरा धर्मेन्द्र विज्ञान से पढ़ने वाले, और वह देश दुनिया के लिए अब्दुल कलाम की तरह विज्ञान से कुछ करना
चाहते थे , और तीसरा मोनू तो वे मनमोहन जी के विषय वाणिज्य पर चल पड़े थे, तीनों की मंजिल एक ही, पर राह अलग थे , तीनों का मानना था, जब जीवन पाये है , तो क्यों न मानव सेवा में लगाऊं, सेवा करने के लिए तन मन के साथ धन की भी जरूरत होती है, धन की उत्पत्ति के लिए तीनों ने विद्या को ही सर्वोत्तम मानें ,तीनों के घर की आर्थिक स्थिति ख़राब ही था , इसी भावना के साथ पनौतीपण्डित अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के बावजूद भी लोक कल्याण में लगा दिए वह कैसे उनके पास धन तो थे नहीं, पर मन और अपने कला, ज्ञान से निःशुल्क में विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे , तीनों की दिल की पूजा पाठ भी हुआ रहा ,राजा रानी की तरह मिलन की रात भी हुआ रहा, ने… हा से यानि सीमा रेखा पार भी हुआ रहा ,तब जाकर उन तीनों में नव जीवन की कृति हुआ रहा,पता न किस लिए तीनों अपने सुख-सुविधा को त्यागकर मानव सेवा में लगाना चाहते थे , या प्रकृति का ही देन रहा होगा, अब बात करते उन दिनों की, जब तीनों अपने होंठों पर मुस्कान भरने के लिए दिन के दो से तीन घण्टे इधर-उधर भटकते रहते थे, और जो धर्मेंद्र जिसको प्यार से लोग डीके कहते थे , इतना मज़ाक करते थे कि पूछो मत, और मोनू बेचारा हमेशा मुस्कुराते ही रहते थे, और पनौतीपण्डित तो खाली बकबक ही करता रहता था, और कैसे न करता साहित्य प्रेमी भी तो था .और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , पता न एक का और धर्मेन्द्र और मोनू पढ़ते-पढ़ते कितना भी रात क्यों न हो जाएं , बिना पिता परमेश्वर यीशु की प्रार्थना किये हुए सोता नहीं था , और वह जो एक पनौतीपण्डित था वह विवेकानंद के विचार धारा के,वे सर्व धर्म में विश्वास करते थे, कभी राम,कभी खुदा को तो कभी मसीहा को तो कभी गौतम तो कभी महावीर को याद कर लेते थे ,और तीनों में एक और चीज मिलता था, कैसा भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा मुस्कुराते हुए रहता था , समय अपने गति से चलता गया , अब तीनों में ऐसा बदलाव आ गया की, पूछो मत पहले कहां दो से तीन घण्टे बीताते रहते थे , अब सप्ताह में अगल दस मिनट के लिए भी मिलते हैं तो प्रतीत होता है कि फूल है पर पत्तें नहीं, वही डीके लोगों से इतना मज़ाक करता था, आज वही चाणक्य की तरह गंभीर रहने लगे हैं, ऐसा नहीं है कि बोलते नहीं है , वही बोलते हैं जो सटीक रहता,और मोनू उन दोनों की तरह कल भी कम और आज भी बहुत कम ही बोलते हैं , शायद किसी महानों के यह कथन उससे मिलता , “जो गरजते हैं , वह बरसते नहीं और जो बरसते हैं वह गरजते नहीं , ऐसा लक्षण उसमें दिखता था , शायद उसका मन में ये रहा हो कि कुछ करके ही मुंह खोलेंगे ! इस तरह तीनों में बदलाव आया, और तीनों अपने मंजिल तक जानें में सफल रहे हैं , और रहेंगे भी !

सीख :- बीत जायेगी अन्धेरी रात, राह रोशन होगा और होगी प्रभात, कब जब अन्दर से हो जज़्बात , जो चलता राह पर उसी का देता ऊपर वाला साथ !

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार
मो :- 6290640716
05-05-2020 मंगलवार 08:40 मो:-6290640716, कविता :-16(20),
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha,

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 19
कविता :- 20(11) , शनिवार ,
29/05/2021
https://hindi.sahityapedia.com/?p=130557

http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/teen-dosto-ki-kahani.html?m=1

काव्य मंच
https://m.facebook.com/groups/365510634417195/permalink/580114322956824/?sfnsn=wiwspmo

कविता :- 20(09)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2009-27052021-17.html

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/04/blog-post_16.html

विश्व साहित्य संस्थान
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/02/11.html

अंक - 17
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/17-27052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/gyjn/
कविता :- 20(07)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2007-15-25052021.html
अंक - 16
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/16-26052021.html

वृहस्पतिवार , 27/05/2021
कविता :- 20(10)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2010-28052021-18.html
अंक - 18 🌅
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/18-28052021.html

28/05/2021 , शुक्रवार , आनंद जन्मदिन

कविता :- 20(11)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2011-29052021-19.html
अंक - 19
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/19-29052021.html

कविता :- 20(12)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2012-30052021-20.html

अंक - 20

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/20-30052021.html

कविता :- 20(13)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/20-13-31052021-21.html
अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

कोलफील्ड मिरर आसनसोल
29/05/2021 , शनिवार को प्रकाशित

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https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/05/29-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1

फेसबुक कोलफील्ड
https://www.facebook.com/947627768756518/posts/1631946920324596/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 17 , पृष्ठ - 9 का संशोधित  , 27/05/2021 , बुधवार

डॉ मंजु सैनी जी की रचना पास आ. अनीता नायर "अनु" जी की फोटो ( छवि ) लग गई रही ।
क्षमा चाहता हूँ आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व पाठकों से ।

अंक - 17
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/17-27052021.html
अंक - 17
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gyjn/

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/296684158761034/?sfnsn=wiwspmo










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