साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 6, रविवार , 16/05/2021





अंक - 6

साहित्य एक नज़र
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
16 May , 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 6
16 मई 2021
   रविवार
वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी संवत 2078
पृष्ठ - 1

कुल पृष्ठ - 4

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साहित्य संगम संस्थान पंजाब इकाई के समस्त पदाधिकारियों एवं सक्रिय सदस्यों साहित्यकारों को सम्मानित किया गया ।

साहित्य एक नज़र 🌅 , रविवार , 16 मई 2021

रविवार , 16 मई 2021 को साहित्य संगम संस्थान के
संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी की करकमलों से
पंजाब इकाई के पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को सम्मानित किया गया । आ. पूर्णिमा राय जी , आ. राजन लिब्रा जी , आ. सुमन  सचदेवा एवं पंकज माहर जी को साहित्य मणि सम्मान से विभूषित किया गया, सक्रिय सदस्यों आ. सुधा चतुर्वेदी जी , आ. त्रिशला गुड्डा जी , आ. निर्मला डोगरे जी , आ. नवीना सोनी जी को उत्तर प्रदेश संगम सलिला सम्मान से सम्मानित किया गया । महागुरुदेव डाॅ० राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) इकाई की प्रगति में समस्त सर्वाधिक सक्रिय सदस्यों का भी अहम योगदान मानते हैं इसलिए सक्रिय सदस्यों को संगम सलिला से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा , आ. स्वाति पाण्डेय 'भारती' जी  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , आ. रीतु गुलाटी जी ,आ. भारत भूषण पाठक जी , आ. अर्चना तिवारी जी , संगम सवेरा के संपादक आ. नवल किशोर सिंह जी , वंदना नामदेव जी समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर  सम्मानित हुए पदाधिकारियों व सक्रिय सदस्यों को बधाई दिए ।

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इंकलाब काव्य महासंग्राम - 1 में प्रथम स्थान प्राप्त किया राजस्थान का नीलम मुकेश वर्मा -

साहित्य एक नज़र 🌅 , रविवार , 16 मई 2021

इंकलाब प्रकाशन एवं साहित्यिक मंच मुंबई भारत सरकार द्वारा पंजीकृत  MH-18-0063950 . शनिवार 15 मई 2021 को मंच संस्थापक आ. रमाकांत यादव ( सागर यादव ज़ख्मी ) जी सहायक संपादक आ. पिंकी सिंघल जी , डॉ. शिवधनी पांडेय जी को वरिष्ठ समीक्षक एवं मार्गदर्शक, डॉ विनय कुमार श्रीवास्तव जी  वरिष्ठ सहयोगी ,मीडिया प्रभारी  आ. रवींद्र त्रिपाठी जी व आ. सुरेन्द्र दुबे जी को एवं सह मीडिया प्रभारी रोशन कुमार झा जी व समस्त निर्णायक मंडल के सुझाव से इंकलाब काव्य महासंग्राम - 1 का परिणाम रखा गया , जिसमें राजस्थान के आ. नीलम मुकेश वर्मा , अलीगढ़ के
डॉ अनुज कुमार चौहान जी द्वितीय स्थान व तृतीय स्थान प्राप्त किए इंदौर के आ. प्रीति धीरज जैन जी , सम्मानित साहित्यकारों को इंकलाब मंच के समस्त पदाधिकारियों व साहित्यकारों शुभकामनाएं प्रदान किए ।।

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रूमाल पर कृष्ण राधा ( मिथिला / मधुबनी पेंटिंग )
      पूजा कुमारी
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
राष्ट्रीय सेवा योजना

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साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 6
16/05/2021 , रविवार
मो :- 6290640716

पलायन पुस्तक कलकत्ता विश्वविद्यालय की पुस्तकालय में  ।

पलायन कोरोना काल में मजदूरों के पलायन पर लिखी हुई एक मार्मिक कथा है , जो रवीना प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित है और अमेजॉन पर उपलब्ध है ।
हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष ( HOD ) आदरणीया डॉ रंजना शर्मा जी के सहयोग से कलकत्ता विश्वविद्यालय ( यूनिवर्सिटी ) की पुस्तकालय ( लाईब्रेरी ) में भी उपलब्ध कराया गया है।
अतः आप सभी सम्मानित छात्र - छात्राओं व साहित्य प्रेमियों एक बार इस पलायन पुस्तक का रसास्वादन जरूर करें ।

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"हमारा समाज"

कोख  से लेकर मृत्यु तक,
ज़िंदगी औरत की कैसे बीती।
चाहे हो इतिहास वर्तमान,
सुनो औरत है कैसे जीती।

राम चले बनवास,
अकेली सीता कैसे जीती।
संग चले लक्ष्मण,
सोचो उर्मिला पे क्या बीती।

कोख से लेकर-------------

महाभारत में दुर्योधन ने,
छल से बाजी जीती।
हार गये पांडव वो बाजी,
सोचो द्रोपदी पे क्या बीती।

कोख से लेकर---------------

उस कलमयी रात में,
उन दरिन्दों ने बाजी जीती।
टूट गयी सासों की डोर,
सोचो निर्भया पे क्या बीती।

कोख से लेकर---------------

✍️  प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर

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हम होंगे कामयाब ---
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सुमि आज बच्चों की आपस की बातें कान लगा कर सुन रही थी । आज उसकी सासु जी का जन्म दिन था । जब एन सी आर में फ्लैट लेने का समय आया तब उसके पति व दोनों ने एक ही टावर में फ्लैट लेने की योजना बना ली थी । सुमि की और दोनों ननदों काआपस में बहुत अच्छा तालमेल था । तीनों परिवार के बच्चे बहुत परेशान थे सासु यशोदा जी को कैसे मनाया जाये क्योंकि वह कोरोना के भय से बहुत भयभीत थी । उनको डर था कि पति तो बहुत पहले उसे अकेला छोड़ गये अगर अब उनको इस बीमारी ने घेर लिया तो मेरे बच्चे बहुत परेशान हो जायेंगे।
ये एक ऐसी आपदा आगयी थी कि उनकी सब बुजुर्ग सहेलियां अपने फ्लैटों में बन्द थी । कितने दिनों से कोई नहीं मिल पा रहा था । हर टावर में कोई ना कोई इस बीमारी से जूझ रहा था । यशोदा जी अपने कमरे की खिड़की से एम्बुलेंस की आवाजें सुनती रहती थी । तीनों परिवारों ने आज तय कर लिया था कि मां के दिल से भय निकालना बहुत जरूरी है। मां दोपहर को कमरा बन्द करके सो जाती थी । जब वह सो रही थी उसी समय उसी समय परिवार की सबसे छोटी नटखट पलक ने दरवाजे पर आकर जोर जोर से गाना शुरू करदिया ।
       ". हम होगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास ऐसा है विश्वास एक दिन "
       यशोदा जी किवाड़ खोल कर देखती हैं  उनके परिवार के बच्चे और बड़े गुब्बारो पर मास्क पहना कर खिड़की से बाहर छोड़ रहे हैं और कहने लगे मां दादी नानी हैप्पी बर्थ डे । हम जीतेगे कोरोना उड़ जायेगा गुब्बारे की तरह और यशोदा जी सबको अपने आगोश में ले लिया बोली हां बच्चों अब मुझे कमज़ोर नहीं होना बल्कि हर परिस्थिति में कठोर होना है और हम कामयाब होंगे एक दिन ।

✍️ डॉ .मधु आंधीवाल
अलीगढ़

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विषय-"एहसास हूं मैं"
विधा-कविता

               🙏एहसास🙏

"एहसास हूं मैं ",तभी तो खास हूं मैं,
सबके जीवन में लाता ,उतार-चढ़ाव हूं मैं।
अंतर्मन में अपनेपन का ,प्रेममय अंकुर जो उठता,
वही मधुर एहसास हूं मैं.....।
किसी को देख मन में शीतलता, व सुकून सा जब मिलता,
उस सानिध्य  का ही, सुखद एहसास हूं मैं.....।
आशा -निराशा वा हार -जीत का मन में, जब सैलाब उमड़ता,
तो  जो महसूस होता ,वही एहसास हूं मैं....।
एहसास मानव मन को, झकझोर जाते हैं...,
कुटिल मानव ,सन्मार्ग पर चल पड़ते हैं....,
जो महसूस होता ,वह एहसास हूं मैं......।
सच पूछो तो,मानव के सच्चे साथी होते हैं ....
अच्छे बुरे का बोध कराते हैं .....
मन में धीरे-धीरे से गुनगुनाते हैं ,एहसास हूं मै...।
हर्ष व विषाद से जो निकालते हैं .....,
मानव को बहुत कुछ सिखा जाते हैं.....
स्नेह वह अपनत्व से, ये ही मिलाते हैं....
ये जताते हैं, एहसास हूं मैं.....।
बेनाम रिश्तो को, पल में अपना बनाते हैं...,
हमें किसी का खास बनाते हैं.......,
फिर कानों में चुपके से कह जाते है,एहसास हूं मैं.....।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

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कविता :- 19 (97)
दिनांक :- 15/05/2021
दिवस :- शनिवार

मैथिली कविता

मैथिली सीखूं , मिथिलाक्षर लिखूं ।

योअ अहाँ मिथिला के छी
तहन मैथिली सीखूं ,
और मिथिलाक्षर में लिखूं ।

ख़ुद करूं मिथिलाक्षर में
लिखिकऽ प्रयास ,
फेर सँ बनाबूं अप्पन
मिथिलांचल के
नव इतिहास ।।

अपनाउ मिथिलाक्षर ,
चाहे रहूं कलकत्ता , मुंबई
दिल्ली शहर ।।
भविष्य करूं रोशन
हटावूं अंधकार ,
तहन मिथिलाक्षर सीखअ
पर अप्पने के की अछि विचार ।।

✍️ रोशन कुमार झा

     कोलकाता
साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
16 May , 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 6
16 मई 2021 , रविवार
वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी संवत 2078
अंक - 6 , पृष्ठ - 4 , कुल पृष्ठ - 4

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कविता :- 19 (97)
दिनांक :- 15/05/2021
दिवस :- शनिवार

हम विनती करैत छि भैया बाबू .

हम गंगाराम
विनती करैत छि अहाँ सभ सँ
भैया आर बाबू .
सभ गोटेक मिलकअ
बदलाव लाबू .
छोयल देवनागरी लिपि
वैदेही लिपि में आबू ।
असमिया, उड़िया और
बांगला लिपियों कऽ जे
जननी छैय
ओकरा फेर दोहराबूं .
करूँ मार्ग रोशन बाल बच्चा के
उनकरा के मिथिलाक्षर सीखाबू .
हम सभ गोटेक मैथिल
मिथिलाक्षर के गुण गाबूं ,
तहन लगाकर क़ाबू .
हम अहाँ भाई बहिन, काका काकी
भैया आर बाबू ,
मिथिलाक्षर सीखकअ
और सभ कऽ सीखाबू ..

*****    गंगाराम कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी बिहार
15/05/2021 , शनिवार , कविता :- 19 (97)
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अंक - 6
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अंक - 7
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अंक -5
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अंक -1
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साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई दैनिक लेखन
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साहित्य संगम संस्थान पंजाब इकाई
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इंकलाब
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16/05/2021 , रविवार , कविता :- 19(98)
फेसबुक -1
कविता
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गंगाराम
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आहुति - रोशन कुमार झा
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कविता
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मिथिलाक्षर भाग - 2
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मिथिलाक्षर भाग - 1
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अंक - 6, रविवार , 16/05/2021
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अंक - 8
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कविता :- 20(00) , मंगलवार , 18/05/2021
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नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 15-05-2020
दिवस :- शुक्रवार
विधा :- परिचर्चा
विषय :-  साहित्य सेवा के लिए फेसबुक मंच अधिक उपयोगी है या व्हाट्सएप मंच ।

-: व्हाट्सएप प्यारी , पर फेसबुक ही बनाता खिलाड़ी । :-

व्हाट्सएप मंच है प्यारी , पर फेसबुक ही बनाता हर क्षेत्र में हर एक को खिलाड़ी जी हां , साहित्य सेवा के लिए भी फेसबुक मंच ही अधिक उपयोगी है, हम व्हाट्सएप समूह पर अपनी रचना को डालते हैं ,भले ही वहां एक-दो , चार-पांच टिप्पणी आ जाते, वाह वाह क्या बात है, क्या लिखें हो , ये लेख यही तक रह जाता , पर यदि हम उसी रचना को फेसबुक मंच पर रखते हैं, भले वहां टिप्पणी न आए, और कैसे न आएंगे कॉमेंट
आएंगे ही, और यहां जो टिप्पणियां, करते हैं वह हमेशा के लिए रहते हैं, हम रोशन अनुभव किये है, और कर रहे हैं,
व्हाट्सएप में आप रचना को ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकते,अगल रखतें हैं तो आपके मोबाइल सही सलामत काम नहीं कर पाते, जिसके कारण हम व्हाट्सएप को एक समय पर  रिफ्रेश यानि खाली करना पड़ता है, वही अगल आप फेसबुक मंच पर अपनी रचना रखते हैं, वह कहीं भी और कभी भी अपनी रचना को देख सकते हैं, अतः हम साहित्य सेवा के लिए फेसबुक मंच को हम अधिक उपयोगी मानते है या व्हाट्सएप मंच को नहीं ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
कविता :-16(32)

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साहित्य एक नज़र , अंक - 6
रविवार , 16/05/2021
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