साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 26 , शनिवार , 05/06/2021
अंक - 26
अंक - 26
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जय माँ सरस्वती
अंक - 25
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xhjc/
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 26
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785
अंक - 26
5 जून 2021
शनिवार
ज्येष्ठ कृष्ण 10 संवत 2078
पृष्ठ - 13
प्रमाण पत्र - 11 - 12
कुल पृष्ठ - 13
🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
26. आ. दिलशाद सैफी जी
27.आ. रामकरण साहू " सजल " जी
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 26
Sahitya Ek Nazar
5 June 2021 , Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
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अंक - 23
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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
🌳🌍🏝️ 🎋🌅
विश्व पर्यावरण दिवस
अंक - 25
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कविता :- 20(17) , शुक्रवार , 04/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
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अंक - 26
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/26-05062021.html
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अंक - 27
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अंक - 24
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2016-03062021-24.html
1.
मैं भारत हूँ संघ द्वारा आयोजित भारत को 'भारत' ही बोला जाएं कार्यक्रम अंतर्गत कवि रत्न सम्मान से मध्यप्रदेश ग्वालियर के प्रसिद्ध साहित्यकार आ. प्रमोद ठाकुर जी को सम्मानित किया गया ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1772070649638825&id=100005077218965&sfnsn=wiwspwa
2.
साहित्य संगम संस्थान के पश्चिम बंगाल व असम इकाई - विश्व पर्यावरण दिवस पर " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन किया ।
साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । एवं असम इकाई में
विशेष आयोजन " वृक्षमित्र सम्मान " एक दिवसीय 05 जून 2021 शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण करते हुए स्वंय का फोटोग्राफ एवं अधिकतम चार पंक्तियां की प्रस्तुति करने के लिए आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , आ. मनोज शर्मा जी विषय प्रदाता है एवं आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी की करकमलों से विषय प्रवर्तन किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव का जन्मोत्सव भी मनाया गया । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायें । मंच का संचालन हरियाणा इकाई अध्यक्ष मंच संचालन आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी किए ।
3.
" समीक्षा स्तम्भ "
पुस्तक - " गाँव का सोंधापन "
✍️ श्री रामकरण साहू "सजल" जी
प्रकाशक - लोकोदय प्रकाशन प्रा.लि.
65/44 शंकरपुरी, छितवापुर रोड़, लखनऊ - 226001
( यू.पी.)
तीन दशक से साहित्कारों के सृजन को प्रकाश में लाने का कार्य कर रहें है। अनेकों पुस्तकों का प्रकाशन कर आज देश में एक प्रतिष्ठित प्रकाशन में से एक है। मैं लोकोदय प्रकाशन के बारे में सिर्फ इतना ही कहूँगा कि जिस तरह एक भटके सफ़ीने को साहिल की तलाश होती है। यह प्रकाशन साहित्यकारों का एक साहिल है। इसी श्रृंखला में प्रकाशित श्री रामकरण साहू "सजल" जी की पुस्तक "गाँव का सोंधापन" जो आज आप के समक्ष है।
4.
रंग दो बृज के लाल
..........................
रंग दो बृज के लाल ऐसे,
जैसे,राधा पे तूने रंग डारी,
लजा गई थी वह बिचारी,
रंग फेंकी थी यमुना तीरे,
खुशी से चल पड़ी वह धीरे-धीरे,
रंग बरसी थी कुंज गलियन में,
छलक पडे़ थे असुँवन नयन में,
संपूर्ण सृष्टि पर रंग बरसाई,
देखकर यह तो मैं हरषाई,
मन करता है मैं भी कान्हा,
तेरे हर रंग में रंग जाऊँ,
छूट ना पाए मन का एक भी कोना,
यही बात मैं तुझसे कह जाऊँ।
✍️ श्वेता कुमारी
धनबाद झारखंड।
5.
" विश्व पर्यावरण दिवस "
आज इंसान पर्यावरण
दिवस पर्व मना रहे हैं,
असंख्य पौधों की कब्र पर,
कई लोग मिलकर एक
नया पौधा लगा रहे हैं |
निश्चित ही इसका भी
वही हश्र होगा,
इसलिए अभिलेख के लिए
फोटो खिंचा रहे हैं|
घर-शहर के कचरे को,
नदियों के तट पर जमा कर
कचरे के नए शहर बसा रहे हैं |
फितरत इंसान की तो देखो,
कचरे को धुँआ-धुँआ करके,
नीले आसमाँ के नीचे,
काला आसमाँ बना रहे हैं |
और भी तो देखो,
ग्रीष्म का आरंभ होते ही,
असंख्य जंतुओ और
वनस्पतियों को,
दावाग्नि में आहुति
चढ़ा रहे हैं |
मानव कुकर्मों से
जनित 'कोरोना' भी,
पर्यावरण के प्रति
सजग दिख रहा है,
वह मानव दुवृत्तियों
को रोककर,
पर्यावरण को निर्मल
बना रहा है |
चेतो हे मानव चेतो
नीति और प्रकृति से नहीं,
तो कम से कम,
महामारी से ही सही,
शुद्ध पर्यावरण का
पाठ तो सीखो,
ईश्वर की देन अनोखा
ग्रह अपनी पृथ्वी को,
सदा निर्मल बनाकर
रखना सीखो |
"पर्यावरण दिवस की
शुभकामनाओं सहित"
रचयिता-
✍️ गणेश चंद्र केष्टवाल
ग्राम- मगनपुर, पो. किशनपुर
कोटद्वार गढवाल (उत्तराखण्ड)
०५/०६/२०२१
6.
# एक दिन धरती बोल उठेगी #
एक दिन धरती बोल उठेगी -
एक दिन पीड़ाओ से उबकर
धरती पहाड़ बोलेगे
मत छेदो बेधो हमको
किंचित हृदय तब डोलेंगे
कितनी पीड़ाओ को झेले
बहती नदिया का पानी
नदिया से अधिक भर गया
उसकी आँखों में पानी
रो उठ आता हिमालय
अपनी दुर्दशाओ पर
बेधने का निसान दिख जाता
उसकी निश्चल कायाओ पर
बिलखेगे डालो पर पंछी
अपने जीवन के खातिर
मन् ना कभी सुन सका
अपने लालच के खातिर
धरती के वृक्ष भी एक दिन
अपना भाव बदल देंगे
पीत पत्रों का रुदन
अपना प्रभाव बदल देंगे
फिर ना दिखेंगे जीव जंतु
प्राकृतिक अभयारण्यों में
आंसू भर के छोड़ दिया है
तुमने आंखों में हिरणों के
जल जंतु जीवन पर तुमने
असंख्य है प्रहार किया
अंधाधुंध इस धरती का
सब ने ही संहार किया
धरती भी साहस खो चुकी
बिखरे को सवारने का
अब तो होगा जीवन संहार
समय गया अब तारने का
धरती की ममता को तुमने
तार-तार कर डाला
लाखों पाप करके मानुष
पूजते हो शिवाला
✍️ रेखा शाह आरबी
जिला बलिया उत्तर प्रदेश
#स्वरचित #अप्रकाशित#
7.
" कटुकल्पना "
जब से देखा है तुम्हें हिज़ाब में,
बदली सा चाँद नज़र आता है।
जब चलती है पवन पुरबाई,
तेरा चेहरा नज़र आता है।
जब से देखा हैं----
तुझें देखकर किसकी संज्ञा दूँ,
कल-कल करती नदी का शीतल जल।
या फूल पर बैठी वो ओस की बूंद,
या बहारों में बहती वो खुशबू
तुझें देखकर बसंत सा नज़र आता है।
जब से देखा हैं------
होंठ जैसे धधकते अंगारे
बदन जैसे हिमालय पर पड़ती
दिनकर की किरणें।
सागर की लहरों पर पड़ती
चाँद की परछाई हो।
या कवि की सुंदर कविता हो
धूप में भी तुम्हारा साया,
शीतल सा एहसास दिलाता है।
जब से देखा हैं-----
प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
9753877785
8.
हाइकु
* पर्यावरण
पेड़ पौधे लगाएं--
आक्सीजन लें।*
* बढ़ी आबादी--
पेड़ पौधे कटेंगे
जन मरेंगे।*
*उत्तराखंड--
पेड़ पौधों से भरा
जन आनंद।*
*मानव मरा---
आक्सीजन की कमी
जंगल काटे।*
* विश्व त्रस्त है---
आक्सीजन खरीद
पादप लगा। *
✍️ डॉ महथा राम कृष्ण मुरारी
, झारखंड, भारत
(विश्व पर्यावरण दिवस पर ये हाइकु विश्व को समर्पित, किंतु पूर्ण हाइकु का अभाव है।)
५ जून'२१/शनिवार/ विश्व पर्यावरण दिवस
स्वरचित/सर्वाधिकार सुरक्षित
डॉ महथा राम कृष्ण मुरारी, झारखंड, भारत
9.
पीली लिली सहेलियों संग
इतरा रही है,
मदमस्त, मकरंद से भरी,
अपने यौवन पर झूम झूम के
नाच रही है,
शायद खुशियों का संदेशा
उस तक आ गया है,
बहुत हुआ
मनहुसियत का तांडव शहर में,
चलो ! बक्सा खोलकर
खुशियां खंगालो !!
पीली लिली सी छटा बिखेरो,
चलो ! आज,
पीला परिधान पहनते हैं
बे मौसम बसंत का
आवाहन करते हैं,
वो भी फिजाओं की उदासी से
ऊब गया है,
चलो बसंती हो जातें हैं,
आज शोले वाली बसंती को
फिर से नचाते हैं,,,,
पूनम शर्मा , मेरठ
10.
#साहित्यसंगमसंस्थान
# विसर्जनकारी शक्तियां- समीक्षा
साहित्य संगम संस्थान
विसर्जनकारी शक्तियां- समीक्षा
सभी जानते हैं कि बुरे कर्म का नतीजा गलत ही निकलता है। रामायण और महाभारत हमारे देश के सुप्रसिद्ध ग्रंथ हैं जो सदैव असत्य-अन्याय पर सत्य और न्याय के विजय का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। तथापि जिस प्रकार सारे पशु तो हिरण या खरगोश नहीं होते, कुछ पशु जन्मजात हिंसक होते हैं। उसी प्रकार सभी मनुष्य एक विचार और भाव के नहीं हो सकते। कुछ लोग संत प्रवृत्ति के होते हैं ऐसे लोग सात्विकता से परिपूर्ण होते हैं, दूसरे प्रकार के लोग शासक और अधिकारी वृत्ति के होते हैं, जो रजोगुण युक्त होते हैं। तीसरे प्रकार के लोग तामसिक गुणों से युक्त संसार में गंदगी, अविद्या, नकारात्मकता, हिंसा और विसर्जनकारी गतिविधियों को संपादित करने में सुकून महसूस करते हैं। किसी की प्रगति उन्हें फूटी आंखों नहीं सुहाती, किसी को दुखी और रोते गिड़गिड़ाते हुए देखकर उनकी आत्मा को सुख मिलता है। ऐसी विसर्जनकारी शक्तियों के शमन के लिए सतोगुणी सदुपाय करें, आलेख लिखें, अपने मंगलकारी विचार/मंतव्य देते रहें, सात्विकता बनाए रखने के लिए येनकेनप्रकारेण अपनी ओर से प्रयास करते रहें। एकदम मौन साध लेने से और कुछ नहीं करने से स्वत: सब कुछ नहीं हो जाता। आजकल लोगों को विसर्जन में अधिक आनंद आने लगा है, जो कि प्रलयंकारी है। रजोगुणी मानव तामसिक वृत्ति के लोगों को हर संभव प्रयास करके नियंत्रण में रखें। पुलिस और फौज के लोग ऐसी सेवा का अवसर पाकर सौभाग्यशाली होते हैं। उनकी इस सेवा से निश्चय ही संसार में सुख और शांति और सौहार्द बना रहता है। आम आदमी भी अपना जीवन बिना किसी दिक्कत के जी लेता है। आजकल तामसिक/विसर्जनकारी शक्तियों के संरक्षण का भी प्रचलन आम हो गया है। पर वे विद्धंसक शक्तियां अंत में संरक्षक का सर्वनाश करके ही दम लेती हैं। अतः किसी भी परिस्थिति में विसर्जनकारी शक्तियों को प्रश्रय नहीं मिलना चाहिए।
आज समीक्षा में ऐसे लोगों की ही समीक्षा करनी है जो हमेशा अच्छे कार्यों में बाधाएं डालते रहते हैं। गलत प्रचार-प्रसार कर आम आदमी को गुमराह करते हैं। नामोल्लेख की आवश्यकता नहीं है। यह विवाद का कारण हो सकता है।
✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1396060367431695/
11.
दिनाँक-५-६-२०२१
दिन-शनिवार
शीर्षक: स्वयं में
मैं आज आ बैठीं हूँ
बहते हुए झरने के पास
उसकी बाधित सी गति
को निहारतीं
पत्थरों के बीच कठिनाइयों
को पार करते हुए उसको
अपने को उसी के साथ
समरसता में देखती हुईं
जीवन की भागमभाग में
कठिनाइयों को पार करते हुए
मैं भी तो चली जा रहीं हूँ
जीवन की गतिशीलता में
स्वयं ही स्वयं के साथ स्वयं में...
कितनी बाधाओं से अपने
अस्तित्व को बनाए हुए
बहता चला आ रहा हैं
पानी अपनी गति से निरंतर
वो कभी नहीं चाहता किसी
सागर में विलीन होना
उसको नहीं हैं चाह कि
उसको विस्तृत आकार मिले
पानी की तो उसके पास
कोई कमी नहीं हैं बस वो तो
निर्बाध बहना चाहता हैं
अपने आप में खुश होकर
स्वयं ही स्वयं के साथ स्वयं में...
मैं तो बहुत से प्रश्नों को
मन में लिए भटकती हूँ
प्यासे चातक के समान कि
अभी कोई समाधान होगा
क्योंकि कभी-कभी बहुत
अपेक्षाएं हमें दुःखी करती हैं
तृप्त होने का भाव आज
देख रही हूँ इस झरने में
स्वयं को समझना ज्यादा
श्रेयकर होगा
शायद यही सीख आज
मिली झरने के साथ बैठ मुझे
स्वयं ही स्वयं के साथ स्वयं में...
चलते जाना हैं बस
बिना रुके निर्बाध गति से
एक शिक्षा झरने से लेते
हुए ही बढ़ना हैं आगे ही आगे
अपनी सच्चाई के
साथ दृढ़ विश्वास को लिए
अपनों के साथ ताल
मिलाकर चलते हुए जीवनमग्न
अपने कर्म को ईमानदारी
से पूर्ण करते हुए
चलते रहें जीवन
मंजिल तक पहुँचने के लिए
स्वयं ही स्वयं के साथ स्वयं में...
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद
घोषणा:स्वरचित
12.
आज सुबह पर्यावरण दिवस के
अवसर पर सुबह उठकर मैंने
घर के सभी पौधों से कहा चलिए
तैयार हो जाते हैं ,
आज पर्यावरण दिवस है
तो तुम्हें कहीं धूमा लाते हैं
सब तैयार हो गए झटपट ,
पर ये क्या मुंह पर मास्क लगाकर
मैंने भी देखा तो मुस्कुरा उठी
पेड़ पौधों को खुश देख
मैं भी खुश हो उठी
पर जैसे ही पार्क पहुंचे उदास हो गये
मैंने पूछा क्या हुआ तो
कह उठे जिनके कोलहाल से बगीचे
गुलज़ार हुआ करते थे
वे आज कहां है हमारे दोस्त बच्चे
कहां है ,न वे तरूवर चढ़े
न हमारी शाखाओं पर झूले ,न
कोई फूल तोड़े न पत्ती
बस इसलिए अब तो तितलियों ने
भी भाग आना छोड़ दिया
अच्छा दुःखी मत हो चलो
मिलकर एक पौधा लगाते हैं
आज हम तुम दोनों मिलकर
पर्यावरण दिवस मनाते हैं ।
✍️ अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश
फोटो नहीं
13.
# साहित्य एक नजर
अंक - 25 - 27
*
मंगलसूत्र.
कठपुतली सृजन की चाह में
जीवित आंखों के जब तुम
सपने छीन लेते हो
नि:शेष र्निवैकल्पिक बना
अपने में समाहित करते होते हो
नयनों को दृष्टिहीन बना
अपना डंडा हमें थमा देते हो
विकल्पहीनता की चश्में पहना
हमें मंगलसूत्र पहना डालते हो
विकल्प की चाहत लिए
नव सृजन के संघर्ष पथिक हम
फिर फिर सपने उगाने लगते हैं
दंड विधान के वितंडों से पुनः
सृजन डकारने में लग जाते हो.
सत्ता सृजित इस समरांगन में
यह खेल चल रहा है सदियों से
जुटे हैं हम प्राणपन से कहते
" हम होंगे कामयाब एक दिन."
✍️ अजय कुमार झा.
1/6/2021.
14.
#साहित्य एक नजर कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका
#दिनांक-03/06/2021
#दिन-बुधवार
#विषय-प्रेम
#विधा -कविता
=================
कविता -
प्रेम
प्रेम है प्रेम है प्रेम है,
जग में चारों ओर।।2
जन मन बँधा है प्रेम की डोर से,
नाते रिश्ते बने है प्रेम के डोर से।
समाज का ताना-बाना बुना
है प्रेम की डोर से,
प्रेम का ना कोई अंतिम छोर।।
प्रेम है प्रेम है प्रेम है,
जग में चारों ओर।।
प्रेम बिन जग है अधूरा अधूरा,
ज्यों पानी बिन मछली
का जीवन अधूरा।
प्रेम है जीवन का मूलाधार,
यही है हम सब का अंतिम ठौर।।
प्रेम है प्रेम है प्रेम है,
जग में चारों ओर।।
ईश का आशीष मिलता
प्रेम के रूप में,
प्रेम के रूप मिलते
है मात-पिता।
प्रेम बिन जीवन का ना कोई मोल,
प्रेम ही फैला है जग में चारों ओर।
प्रेम है प्रेम है प्रेम है,
जग में चारों ओर।।
✍️ डॉ. श्याम लाल गौड़
सहायक प्रवक्ता
श्री जगद्देव सिंह संस्कृत महाविद्यालय
सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार।
9837165447
shyamlalgaur11@gmail.com
15.
हो राह जटिल कितना भी मगर
हम जीवन सरल बनायेंगे
उर में हो दर्द बहुत लेकिन
हम अधरों से मुस्कुरायेंगे
हो राह जटिल कितना___
रहता ना तदनंतर वसन्त ऋतु
मौसम भी बदलते रहते है
नर के भी रूप रंग कितने
क्षण में ये भी तो बदलते है
हो राह जटिल कितना___
मन आशाऔ से भरा हुआ
पर मिलता सदा निराशा है
जगजीवन में कौतूहल मचा
पर फूलों की अभिलाषा है
हो राह जटिल कितना ___
कोमल कोमल लतिकाऔ पे
शबनम की बूंदे होती है
रश्मियाँ क्षितिज पें पड़ते ही
कलियाँ सारी खिल जाती है
हो राह जटिल कितना ___
✍️ प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई
प्रयागराज
( उत्तर प्रदेश )
16.
--** पर्यावरण बचाएं **--
जल, जमीन, जंगल
,पेड़ -पौधे सहित
जीव - जन्तु, सभी हैं अंग इसके।
वायु , मृदा, नदी, झील, झरना
समुद्र, पर्वत ये आसमान,
जैव- अजैव सभी घटक हैं इसके।
सभी मिल निर्माण करते
स्वच्छ वातावण वो
पर्यावरण है जिसके।
आओ मिल सब वृक्ष को लगाएं,
धरती पर हरियाली बढ़ाएं।
ऑक्सीजन की कमी को दूर कर
अब हम जीवन को बचाएं।
जल ही जीवन हर प्राणी का
उसे हम सदा स्वच्छ रखें।
पेयजल की किल्लत भारी
बूंद- बूंद हम इसे बचाएं।
मृदा से है फसल उपजता
इसे प्रदूषण से बचाएं।
हो - हल्ला,शोरगुल
डी जे सहित मोटर वाहन,
कई बीमारी संग है लाती
और फैलाती ध्वनी प्रदूषण।
प्रकृति के सारे संसाधन जो
कभी मिलते थे निःशुल्क,
आज बोतल बंद पानी,
सिलिंडर बंद हवा मिलते सशुल्क।
स्वच्छ हो वातावरण
तभी होगा स्वच्छ जीवन,
संकल्प के साथ सोच बदलें
तभी बचेगा पर्यावरण।
भीम संग मुहिम चलाएं
बूंद - बूंद जल को बचाएं।
हर एक दस- दस वृक्ष लगाएं,
पर्यावरण और जीवन बचाएं।
✍️ भीम कुमार
गांवा, गिरिडीह, झारखंड
17.
प्रकृति ने भेदभाव नहीं किया
आज सब बंद है ,
अपने अपने घरों में ,
पंछी सब आजाद है ,
खुले आसमान में ,
सड़के भी खाली है
,हवाएं शुद्ध हो रही है
जमीने भी खाली है,
जानवर बेझिझक चर रहे हैं
कैसा सन्नाटा सा पसरा है ,
पक्षियों की चहचहाहट,
क्या खूब सुनाई देती है
अमिया की बौर लो आने
लगी है, कोयल की कुहुक ,
दूर तक सुनाई देती है
वह छोटी -मोटी सी ....
छोटी सोच वाली गोरिया
भी फुर -फुर उड़ रही है ,
यह कह रही है ,"देखो मैं
वापस आ गई "आओ फिर
घर- घर खेलते हैं
मोर भी बेमौसम ,
पंख फैलाए नाच रही है
बेखौफ ,बेधड़क
चांद अब धुंधला नहीं दिखता ,
सफेद बॉल की तरह ,
आसमान में टंगा -टंगा
सब पर जादू बिखेर रहा है ,
तारों को भी टिमटिमाना
आ गया, लॉकडाउन में हम
इंसानों को यह बता दिया कि ,
"पिंजरे में किसे रहने की जरूरत है"
हमें अब मान ही लेना चाहिए ,
हम भी प्रकृति का एक हिस्सा है
"ना कि हम ही हम हैं "
जो नष्ट हुई यह धरती,
हमारा वजूद ही मिट जाएगा ,
पेड़ पौधे फिर उग आएंगे ,
बस हमारा नामो निशान नहीं
रहेगा, तो कुछ कर ले अभी,,,,,
चलो मिलकर पर्यावरण
को सांवर दे सभी।
✍️ मुनमुन ढाली
रांची , झारखंड
©️®️
18.
आओ पेड़ लगाएं हम
आओ धरा बचायें हम।
आओ पेड़ लगायें हम।।
अपनीं जिम्मेदारी सब समझें।
अपना कर्तव्य निभायें हम।।
पौधरोपण अभियान चले नित।
जन जन तक पहुँचायें हम।
हो सबका कर्तव्य यही तो,
ये सबको समझायें हम।
हरा भरा रखना धरती को,
पेड़ लगाना होगा सबको।
धरती पर स्वर्ग बनायें हम,
आओ पेड़ लगाएं हम।
जीवन में खुशियाँ लाना है,
प्रदूषण से मुक्ति पाना है।
जन जन में ये भाव जगाएं,
आओ पेड़ लगाएं हम।
धरती तो सबकी माता है,
हर जन का इससे नाता है।
सब बेटे का फर्ज निभाएं,
आओ पेड़ लगाएं हम।
✍सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा ( उ.प्र.)
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
19.
जीवन को अगर बचाना है,
तो पेड़ों को लगाना है।
वनों को न काटे कोई,
ऐसा उपाय सुजाना है।।
चाहे सड़कें कम हो चार,
ऐसा हम सब करें विचार।
प्रकृति के वैभवता को,
हम समझें अपना परिवार।।
धरती अम्बर पवन नीर,
इनको हमें बचाना है।
ये जीवन के हैं आधार,
ऐसा सभी को बताना है।।
अगर ये दूषित हुये तो,
मानव का होगा विनाश।
अनेक प्रकार की व्याधियों से,
बचने की न कोई आस।।
घर आँगन हो खेत खलियान,
इनको न रखो विरान।
शहरों मैं तो केवल काम,
इनमें बसते हैं प्राण।
विश्वपर्यावरणदिवसस्य
अनन्तशुभकामना:
✍️ डॉ0 जनार्दन प्रसाद कैरवान
ऋषिकेश उत्तराखंड
20.
" हरा है बनाना धरा "
कभी सोचा नहीं,
दिन बदल जाएंगे।
इस धरा को ही,
मानव निगल जाएंगे।
जिस माटी ने मां सा,
दिया प्यार था।
जिन वृक्षों पे,
सांसों का एतवार था।
उस माटी को,
बंजर बना ही दिया।
उन वृक्षों पे,
खंजर चला ही दिया।
जो नदियां कभी थी,
जीवन दायिनी।
उन नदियों में,
कचरों का अब ढेर है।
जो बादल बरसकर,
बनाता धनी।
अब वही देखो,
हम पर सितम ढा रहा।
खुद की खुशियों,
के खातिर!
किया जो सितम।
उन सितमों का,
परिणाम!
अब आ रहा।
देखो बिन सांस,
कैसे!
है तड़पा रहा।
हमसे गलती हुई,
अब सुधरना हमें।
बिन सांसे तरपकर,
ना मरना हमें।
अब फिर से,
हरा है बनाना धरा।
चलो मिलकर लगाएं,
हम वृक्ष हरा।
चलो मिलकर लगाएं,
हम वृक्ष हरा।।
✍️ केशव कुमार मिश्रा
मधुबनी ,बिहार।
(इति)
सभी श्रेष्ठजनों, विद्वतजनों और सज्जनवृंद को पर्यावरण दिवस की अशेष शुभकामनाएं।
आपका"केशव"
21.
"अपना ही अक्स ढूंढना अच्छा लगता है "
आईने से धूल हटाना अच्छा लगता है ~
अपनी आँखों में अपना
अक्स देखना अच्छा लगता है //
कुछ देर आईने से रूबरू
होना भीअच्छा लगता है ;
परिवर्तित होता अपना
अक्स आँखों की गलियों में
गुजारना अच्छा लगता है //
अपनी आँखों में अपनी
पहचान बचाये रखना
बड़ा अच्छा लगता है //
जब पहचाने हुए चेहरे
पर परायापन होता है ;
हम खुद की पहचान
जिंदा रख पाए
यही बड़ा सुकून देता है //
अतीत से वर्त्तमान का सफ़र
वर्तमान
जिन मोड़ों से गुज़रा
उसकी एक तस्वीर सजाना
बड़ा अच्छा लगता है//
आने वाले कल की सुंदर
एक तस्वीर गढ़ना ;
उनमें अपनी पसंद के रंग भरना..
बड़ा अच्छा लगता है/
कुछ प्रश्न जो रह गए अनुत्तरित
उनके अर्थ कुरेदना...
वाजिब लगता है //
जब मन का हो कुछ करना;
अपने आँखों में उनका अर्थ
ढूंढना अच्छा लगता है
आईने पर जमीं धूल हटाना
तब अच्छा लगता है //
✍ डाॅ पल्लवी कुमारी"पाम,
अनिसाबाद, पटना ( बिहार )
22.
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम 🙏💐। आप सभी को " विश्व पर्यावरण दिवस " की हार्दिक शुभकामनाएं । मार्गदर्शक , साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष सम्मानित डॉ राकेश सक्सेना महागुरुदेव जी को जन्मदिन की बधाई । 🎂🎂🎈🍰🎁🎉
महागुरुदेव जी आपको
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,
जय हिन्द , जय हिन्दी के बारे में
हम नव साहित्यकारों को
आप ही तो बताएं ।।
हिन्द में हिन्दी से ही हम
आपकी वर्षगांठ मनाएं ,
विश्व पर्यावरण दिवस है
आज क्यों न
एक पेड़ लगाएं ।
जन्मदिन मनायें
बिना काटे केक ,
उन पैसों से पेड़ लगायेंगे
ज़्यादा नहीं एक ।
जिसका उपयोग करेंगे हम
आप और लोग अनेक ,
ऑक्सीजन की कमी तो
हमलोग लिए ही है
आँखों से देख ।।
शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎁 🎂
साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के महागुरुदेव , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. _ डॉ. राकेश सक्सेना _ जी
को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई ।
🙏💐🎂🎈🎉🎁🍰🎈🌅 🌳🏝️🎋
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 05/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(18)
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 26
Sahitya Ek Nazar
5 June 2021 , Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
05/06/2021
23.
यादें एशिया का सबसे बड़ा किताब बाज़ार कोलकाता की !:-
कहा जाता है कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट एशिया का सबसे बड़ा क़िताबो का बाज़ार हैं, जी हां, कैसे न रहे बगल में भारत के सबसे पूराने विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्वविद्यालय, दरभंगा बिल्डिंग , प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी , संस्कृत विश्वविद्यालय, सुरेन्द्रनाथ इवनिंग, डे, वूमेन, उमेशचंद्र, जलान गर्ल्स कॉलेज, चितरंजन, बांगोबासी, सेंट पाल, विद्यासागर,सिटी राजाराममोहन , आंनद मोहन, गिरिशचन्द्र, खुदीराम, जगदीश चन्द्र, शिक्षायतन, गोयनका, स्कॉटिश चर्च,महराजा मनिंद्र चंद्रा मानों तो कुछ ही किलोमीटर में महाविद्यालय ही महाविद्यालय है, तब हम अपने संस्मरण पर चलते है, बस से जाते तो घर से सिर्फ दस किलोमीटर दूर रहा ,पर बस से जाने से अच्छा पैदल जाना , क्योंकि हावड़ा तक तो ठीक पर रवीन्द्रनाथ सेतु पार करते ही वह जाम और वह भी एम. जी यानी महात्मा गांधी रोड़ की क्या बताऊं , इसलिए बीस किलोमीटर दमदम होते हुए ट्रेन से ही जानें का विचार किये, उन लोगों को बारहवीं की किताब लेना रहा । बात पाँच जून दो हजार सत्ररह ( सोमवार ) शुक्रवार विश्व पर्यावरण दिवस दिन की बात है, अपने एकतरफा प्यार के प्रिय नेहा व शिष्या बारहवीं कक्षा कला विभाग की जूली नहीं अणू के साथ लिलुआ से बाली गये बैण्डेल लोकल मेन लाइन से फिर डानकुनी सियालदह लोकल पकड़े बाली हल्ट से यहां आने के लिए सीढ़ी चढ़ना पड़ता ,क्या कहूं वैसे हम तो कॉलेज हावड़ा ब्रिज होते हुए बड़ा बाज़ार बी.के,साव मार्केट, कैनिंग स्ट्रीट पिता जी के मामा यानि दादा जी के यहां साईकिल रखकर वहां से कॉलेज पैदल ही जाते हैं, पर कभी भी अगर हम ट्रेन से जाते तो अपनी प्रिय की स्मरण में उसी सीढ़ी से आते जाते, जिस सीढ़ी से वह गुजरी थी ,टिकट संख्या :- 31430426 हमारा रहा अंतिम का जो 26 है वह हमारा बी.ए प्रथम वर्ष हिन्दी आनर्स की क्रमांक रहा, और नेहा की टिकट की अन्तिम संख्या 27 व अणु की 28 रहा वह टिकट आज भी कविता शीर्षक “हम लोगों की सैर” के साथ है,पर हम लोगों के फोटो नहीं , कहती भी रहीं छवि खिंचवाने के लिए पर हम न खिंचवाएं, वे दोनों आपस में सेल्फी लेती रही,उस वक्त हमारा पहला कविता की डायरी लिखाता रहा, वह डायरी, डायरी नहीं एक मोटा रजिस्टर रहा, जो पिताजी अपने कार्यकाल से लाये रहे,उसमें हिसाब किताब हुआ रहा ,
फिर भी हम रोशन उसमें कविताएं लिखते रहें,और अभी हमारा यही कोरोना, कल आये अम्फान तूफान को लेकर हम सोलहवीं डायरी लिख रहे है, जिसमें, कविताएं ज्यादा, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी, मैथिली,बंगाली में व अन्य विधा हिन्दी में आलेख,दोहा, ग़ज़ल, नाटक, व्यंग्य ,कहानी,गीत, शायरी, हाइकु लिखते हुए सफर कर रहे हैं।
चाउमीन, आईसक्रीम खाये व खिलाये फिर सियालदह से ट्रेन से चले शाम के चार बजे के करीब बाली हल्ट आये, जल्दी रहा दौड़ना पड़ा रहा फिर क्या उन दोनों का भी बस्ता भी लेना पड़ा ,पुराने से नया बाली में कर्ड लाइन की चार नम्बर प्लेटफार्म बनी रही पहले सामने पर अब थोड़ा दूर रहा फिर जैसे तैसे ट्रेन पकड़े लिलुआ पहुंचे, एक गज़ब की बात है वैसे मेरा तो टिकट लगता ही नहीं, कॉलेज की नाम ही काफी रहा , फिर भी इन लोगों के साथ जाना रहा टिकट कटवा लिए, फिर क्या मेरे पास ही टिकट रहा हम आगे वह दोनों पीछे-पीछे, टिटी साहब टिकट निरीक्षक उन दोनों को पकड़ लिए , फिर नेहा आवाज लगाई ,क्या वह आवाज रही ,गये टिकट दिखाये , साहब हस्ताक्षर किए, और नाम पूछे बताएं रोशन , शाय़द बेचारा कुछ जानते रहे ,प्रिय की तरफ देखकर हमें कहे कि अपना रोशनी को तो अपने साथ लेते जाओ ,दिल खुश हो गया रहा उन बातों से ।
जब बाली घाट से चली ट्रेन विवेकानंद सेतु गंगा,हुगली नदी पार करते हुए दक्षिणेश्वर जा रही थी तब हम माँ काली व गंगा माई से प्रार्थना करते रहे हे मां कभी हम भी तुम्हारी पूजा करने अपनी प्रिय के साथ आऊं, पर वह दिन अब तक न आया , शायद आएगा भी नहीं , यही है हमारी उसकी संस्मरण ।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716
कलम ✍️ बोलती है ” साहित्य समूह, क्रमांक :- 133
21-05-2020 गुरुवार , कविता :- 16(38)
विषय :- वो खुशी के पल ,विधा :- संस्मरण
05/06/2020 शुक्रवार रहा इसलिए गलती से 05/06/2017 को ही शुक्रवार लिख दिए रहें ।
05/06/2017 , सोमवार रहा ।
https://hindi.sahityapedia.com/?p=130529
http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/asia-ka-sabse-bada-pustak-mela-kolkata.html?m=1
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल - विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !
विश्व पर्यावरण दिवस पर " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।
साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा ,आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।
दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।
1.
राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजवीर सिंह मंत्र जी को अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935070843336477/?sfnsn=wiwspmo
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1933030980207130/?sfnsn=wiwspmo
2.
सरस्वती वंदना
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935017216675173/?sfnsn=wiwspmo
https://youtube.com/shorts/SZqpF67YrnA?feature=share
3.
दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935061610004067/?sfnsn=wiwspmo
शिव संकल्प
https://youtu.be/uEAkEeInGDE
4.
सरस्वती वंदना के लिए आमंत्रण -आ. स्वर्णलता टंडन जी।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935062700003958/?sfnsn=wiwspmo
5.
आ. महागुरूदेव डाॅ. राकेश सक्सेना जी को आशीर्वचन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935064620003766/?sfnsn=wiwspmo
महागुरूदेव जी आशीर्वचन।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935066910003537/?sfnsn=wiwspmo
6.
7.
रोशन कुमार झा
8.
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !
विश्व पर्यावरण दिवस पर " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखें है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल व असम इकाई ।
साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । एवं असम इकाई में
विशेष आयोजन " वृक्षमित्र सम्मान " एक दिवसीय 05 जून 2021 शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण करते हुए स्वंय का फोटोग्राफ एवं अधिकतम चार पंक्तियां की प्रस्तुति करने के लिए आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , आ. मनोज शर्मा जी विषय प्रदाता है एवं आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी की करकमलों से विषय प्रवर्तन किया जाएगा ।।
महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों पश्चिम बंगाल व असम इकाई में सादर आमंत्रित है ।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/04/blog-post_16.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gmon/
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html
https://youtu.be/UG3JXojSLAQ
22- 24
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/299646991798084/?sfnsn=wiwspmo
दिनांक :- 05/06/2021
दिवस :- शनिवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
_______
सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मै स्वाति जैसलमेरिया आज के काव्य पाठ हेतु मंच पर उपस्थित हूं।
आ. स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935116473331914/?sfnsn=wiwspmo
रोशन कुमार झा
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935151699995058/?sfnsn=wiwspmo
सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मै दीप्ति खरे मंडला(मध्यप्रदेश)से आज के काव्य पाठ हेतु मंच पर उपस्थित हूं।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935085106668384/?sfnsn=wiwspmo
सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मै आशुतोष कुमार ( बिहार ) से आज के काव्य पाठ हेतु मंच पर उपस्थित हूं।
आ• राजवीर सिंह मंत्र जी
आ• राकेश सक्सेना जी
आ•रोहित रोज जी
आ•मिथलेश जी।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935118349998393/?sfnsn=wiwspmo
पर्यावरण दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
प्रस्तुत है मेरा काव्य पाठ..... पर्यावरण गीत
आ. सुनीता मुखर्जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935162246660670/?sfnsn=wiwspmo
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक ५/६/२०२२
#विशेष आयोजन आडियो वीडियो प्रस्तुति
#विषय-पर्यावरण दिवस
#विधा-कविता
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935327296644165/?sfnsn=wiwspmo
अंक - 26
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ukdu/
#साहित्य_संगम_संस्थान_पश्चिम_बंगाल_इकाई
विषय - पर्यावरण
वसुधा का आवरण,है यह पर्यावरण।
संकल्पित हो करें पर्यावरण संरक्षण।
तरक्की की दोड़ में भूल रहा इंसान।
धरती का दोहन अपना ही नुकसान।
प्रकृति है ईश्वर का दिया बड़ा वरदान।
जल,जंगल सुरक्षा थामो सभी कमान।
करो प्रकृति से प्यार जल,पेड़,पशुधन।
भारत देश का नाम,सुखी रहे जन जन।
लुप्त होते जीव जंतु देना होगा ध्यान।
जीव दया हमारी संस्कृति, स्वाभिमान।
जंगल सुना,नदी सुखी, पशु पंछी हैरान।
कहां करे वन प्राणी बसेरा बचाए जान।
प्रकृति से जुड़ा है हर प्राणी का जीवन।
धरती की सुरक्षा,सुरक्षित प्राणी उपवन।
वनों की कटाई प्रकृति पर हो रहा प्रहार।
वनजीवों पर करते मानव घोर अत्याचार।
धरती माँ की चुनर हरियाली लगती प्यारी।
हरा भरा इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी।
माँ की चुनर छाया देती हवा शुद्ध ठंडी बहती।
अन्न,फल,फूल,औषधि,लकड़ी धरती से मिलती।
मानव,पशु,पंछी, कीट सबका माँ पालन करती।
शिक्षित मानव न समझे पेड़ काट करें बंजर धरती।
माँ का हम मानेंगे उपकार, संकल्प सभी ज़न लेगें।
पेड़ लगाकर हममाँ की चुनर फिर से हरी-भरी करेंगे।
माँगे नहीं कभी किसी से कुछ,सदा करे माँ उपकार।
हम माँ का दोहन नित करके, करते चुनर तार तार।
कलावती कर्वा
https://youtu.be/v-eYrShhcv0
अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935264236650471/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल - विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम -
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html
05/06/2021
आ. कलावती कर्वा जी
अंक - 26
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ukdu/
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल - विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !
विश्व पर्यावरण दिवस पर " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।
साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा ,आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।
दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।
1.
राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजवीर सिंह मंत्र जी को अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935070843336477/?sfnsn=wiwspmo
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1933030980207130/?sfnsn=wiwspmo
2.
सरस्वती वंदना
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935017216675173/?sfnsn=wiwspmo
https://youtube.com/shorts/SZqpF67YrnA?feature=share
3.
दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935061610004067/?sfnsn=wiwspmo
शिव संकल्प
https://youtu.be/uEAkEeInGDE
4.
सरस्वती वंदना के लिए आमंत्रण -आ. स्वर्णलता टंडन जी।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935062700003958/?sfnsn=wiwspmo
5.
आ. महागुरूदेव डाॅ. राकेश सक्सेना जी को आशीर्वचन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935064620003766/?sfnsn=wiwspmo
महागुरूदेव जी आशीर्वचन।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935066910003537/?sfnsn=wiwspmo
रोशन कुमार झा
22- 24
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/299646991798084/?sfnsn=wiwspmo
दिनांक :- 05/06/2021
दिवस :- शनिवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
_______
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#दिनांक ५/६/२०२२
#विशेष आयोजन आडियो वीडियो प्रस्तुति
#विषय-पर्यावरण दिवस
#विधा-कविता
""वृक्ष लगाओ ,धरा बचाओ""
प्रकृति ने आज हमें, चेतावनी दे डाली है,
ऑक्सीजन की कमी हुई ,लोग बेबस बेहाल हुए हैं।
वृक्षों को तुम काट रहे ,तो हाहाकार तो मचना है,
वन जंगल को करोगे नष्ट ,तो अशुद्ध बयार ही चलनी है।
शुद्ध हवा को तरसोगे ,प्रकृति ने दी चेतावनी है,।
अभी भी देर नहीं हुई, ए मानव जरा संभल जाओ।
पीने को शुद्ध जल नहीं ,ना खाने को शुद्ध हवा है,
प्रकृति के कोप भाजन से ,बचना है तो अब भी संभल जाओ।
कभी बाढ़ का प्रकोप आता है ,तो कभी भूकंप से धरा हिल जाती है,
कभी अकाल से ग्रसित होते हो ,तो कभी बिजली गिर जाती है।
प्रकृति का प्रकोप धरा को ,उथल- पुथल कर देता है,
प्रकृति देती है चेतावनी ,ये अब हम को समझना है।
पर्यावरण रखोगे स्वच्छ ,तभी रहोगे स्वस्थ,
मत काटो वृक्षों को तुम, ये हमें ऑक्सीजन देते हैं।
सौंदर्य पूर्ण है हमारी धरा, क्यों तहस-नहस करते हो,
पृथ्वी के कण-कण से ,मिलती हमको ऊर्जा भारी है।
इसको संभाल के रखने की ,जिम्मेदारी हमारी है,
पर्यावरण को शुद्ध बनाएं, प्रकृति में हरियाली लायें।
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगाएं, धरा को खुशहाल बनाएं।
स्वरचित
रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम
आ. रंजना बिनानी जी
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नमन साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल मंच
दिनाँक - 05.06.2021
विषय - पर्यावरण
शीर्षक - मैं वृक्ष हूँ - आत्मकथा (काव्य)
मैं वृक्ष हूँ....
अपनी आत्म-कथा सुनाता हूँ
अपने मन की बात बतलाता हूँ
सदियों से खड़ा साक्षी हूँ
हर सुख दुख के लम्हों का
द्रष्टव्य मैं ही तो गवाक्षी हूँ
सभ्यता की उत्पत्ति देखी
विनाश को भी देख रहा हूँ
मौन साधना की परिणिति
अविचल ख़ुद को रख रहा हूँ
जितना ऊपर बढ़ जाता हूँ
उतना गहरा पृथ्वी में पाता हूँ
सब को अपने संग रख के
रिश्तों को निभाना सिखाता हूँ
तने फूल फल पत्ते डालियों को
रस रूप रंग से सुंदर सजाता हूँ
कभी सावन की रिमझिम फुहार
कभी पतझड़ का रुदन संसार
मैं ही तो हूँ पृथ्वी का श्रृंगार
आत्म शक्ति को कर परिष्कार
हर तूफ़ाँ का दर्द झेल जाता हूँ
संवदेना पीड़ा व्यथा सुखानुभूति
अनंत भावों को सजाता हूँ
कभी हार कर जीत पाता हूँ
कभी जीत कर हार जाता हूँ
तभी तो अनुभवों का खान
विशाल वटवृक्ष कहलाता हूँ
मनोबल नहीं कभी टूटने देता
हर मुसीबतों को हराता हूँ
पंछियों का आशियाना हूँ मैं
विश्वास का शिला आधार
झूलते मेरे तनों पर निर्भीक निसंशय
चहचहाते आनंदित हो सरोबार
राहगीर सुस्ताते शीतल छांव पाते
शांत सुकून मिलता उन्हें हर बार
सैकड़ों दुआएं देकर चल पड़ते
जीने का यही मकसद सुखद सार
शुद्ध वायु स्वच्छ परिवेश लिए
औषधि का मैं हूँ अमूल्य भंडार
आज साँसों के संरक्षण के लिए
मैं हूँ सुदृढ़ सख़्त सक्षम कर्णधार
और नहीं चलाना आरी मुझ पर
निवेदन मेरा मानव से बार-बार।
मधु भूतड़ा 'अक्षरा'
गुलाबी नगरी जयपुर से
#ekpehalbymadhubhutra
आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी
https://youtu.be/74aevmlEtaU
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935242479985980/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल - विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम -
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html
05/06/2021
राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजवीर सिंह मंत्र जी को अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए आमंत्रण। आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935070843336477/?sfnsn=wiwspmo
आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1933030980207130/?sfnsn=wiwspmo
अंक - 26
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ukdu/
आदरणीया जय श्रीकांत जी (मुख्य अतिथि) दो शब्द।
https://youtu.be/-gxVYTWJQqU
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935069176669977/?sfnsn=wiwspmo
विश्व पर्यावरण दिवस
फेसबुक वीडियो -
फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=345941626957457&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo
सरस्वती वंदना
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=345942323624054&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo
फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=788197532069656&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
सरस्वती वंदना
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=788454448710631&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
पश्चिम बंगाल इकाई
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935151699995058/?sfnsn=wiwspmo
सरस्वती वंदना
https://youtu.be/WpQCrEsWnxQ
फेसबुक वीडियो -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=788197532069656&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo
आ. डॉ राकेश सक्सेना जी 🙏 -
लीजिए हो गया शंखनाद। आज के कार्यक्रम का।
https://youtu.be/oP8KZ2OzqA4
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935058713337690/
आ. मधु भूतड़ा'अक्षरा'जी
https://youtu.be/74aevmlEtaU
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल - विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !
विश्व पर्यावरण दिवस पर " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।
साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी , पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी , राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा ,आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।
दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।
1.
राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजवीर सिंह मंत्र जी को अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935070843336477/?sfnsn=wiwspmo
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1933030980207130/?sfnsn=wiwspmo
2.
सरस्वती वंदना
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935017216675173/?sfnsn=wiwspmo
https://youtube.com/shorts/SZqpF67YrnA?feature=share
3.
दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935061610004067/?sfnsn=wiwspmo
शिव संकल्प
https://youtu.be/uEAkEeInGDE
4.
सरस्वती वंदना के लिए आमंत्रण -आ. स्वर्णलता टंडन जी।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935062700003958/?sfnsn=wiwspmo
5.
आ. महागुरूदेव डाॅ. राकेश सक्सेना जी को आशीर्वचन के लिए आमंत्रण।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935064620003766/?sfnsn=wiwspmo
महागुरूदेव जी आशीर्वचन।
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1935066910003537/?sfnsn=wiwspmo
अंक - 26
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/26-05062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2018-05062021-26.html
रोशन कुमार झा
22- 24
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/299646991798084/?sfnsn=wiwspmo
दिनांक :- 05/06/2021
दिवस :- शनिवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव
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