साहित्य एक नज़र , 🌅 अंक - 24 , वृहस्पतिवार , 03/06/2021

साहित्य एक नज़र



अंक - 24

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

मो - 6290640716
🚲🚴🚴‍♀️🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक

अंक - 24
https://online.fliphtml5.com/axiwx/dgzl/
3 जून  2021
गुरुवार
ज्येष्ठ कृष्ण 9 संवत 2078
पृष्ठ -  14
प्रमाण पत्र -  11 - 13
( आ. सुमन अग्रवाल " सागरिका " जी
प्रमाण पत्र संख्या - 19
आ. डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’ जी
किताब समीक्षा सम्मान - पत्र
आ. अजीत कुमार कुंभकार जी
रचना समीक्षा सम्मान - पत्र
कुल पृष्ठ -  14

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

फेसबुक - 1

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अंक - 23
https://online.fliphtml5.com/axiwx/bouz/
https://youtu.be/oeDczGNbq-4

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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अंक - 19 से 21   -

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अंक - 25 से 27 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा






कविता :- 20(11)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2011-29052021-19.html
अंक - 19
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/19-29052021.html

कविता :- 20(12)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2012-30052021-20.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2004-22052021-12.html

अंक - 20

अंक 20
https://online.fliphtml5.com/axiwx/zegy/
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/20-30052021.html

कविता :- 20(13)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/20-13-31052021-21.html
अंक - 21

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/21-31052021.html

अंक - 22
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/22-01062021.html

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अंक - 23
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-02062021.html

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अंक - 24
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2016-03062021-24.html

🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

प्र. पत्र . सं - _ 019  दिनांक -  _  03/06/2021

🏆 सम्मान - पत्र 🏆

आ.  _  आ. सुमन अग्रवाल " सागरिका "  _  जी

ने साहित्य एक नज़र , कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका अंक  _  1 - 23  _   में अपनी रचनाओं से योगदान दिया है । आपको

         🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
सम्मान से सम्मानित किया जाता है । साहित्य एक नज़र आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।

रोशन कुमार झा   , मो :- 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
अलंकरण कर्ता - रोशन कुमार झा

आप सभी को साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की ओर से  🌍
विश्व  साईकिल 🚲🚴  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏



1.
खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी !

विश्व पर्यावरण दिवस पर  " काव्य पाठ " का विशेष आयोजन रखा है साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई ।

साहित्य संगम संस्थान बंगाल इकाई में विश्व पर्यावरण दिवस पर  शनिवार 5 जून 2021 को "काव्य पाठ" का विशेष आयोजन रखा गया है । महागुरुदेव डॉ. राकेश सक्सेना जी (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश इकाई) । राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित पदाधिकारियों व साहित्यकारों उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनायेंगे । अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व साहित्य - प्रेमियों सादर आमंत्रित है ।

दिवस - शनिवार
समय - सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आयोजन
काव्यपाठ
समय सुबह 10 से रात 8 बजे तक
कार्यक्रम की रूपरेखा -
प्रातः देवस्थापन 10:00 आ अध्यक्षा कलावती करवा जी द्वारा
सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा
आशीर्वचन 10:10 आ महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा
मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ जयश्रीकांत जी द्वारा
अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा
मंच संचालन 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी द्वारा ।

2.

परिचय

नाम-  डॉ. दीप्ति गौड़ ‘ दीप ’
शिक्षा- एम. ए.(भूगोल, हिंदी साहित्य,मनोविज्ञान), एम.एड., पी-एच.डी, पी.जी. डिप्लोमा इन साइक्लोजिकल काउंसिलिंग,पी जी डिप्लोमा इन योगा एंड मेडिटेशन, डिप्लोमा इन जर्नलिज्म, स्वर्णपदक द्वय।
कार्यक्षेत्र-शिक्षिका,शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1, ग्वालियर, म.प्र., भारत
सामाजिक क्षेत्र- लेखन, पर्यटन, मंच संचालन, अभिनय, योग, समाज सेवा, खगोल विज्ञान प्रचार प्रसार ।
विधा - गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, हाइकू,कहानी,लेख,निबंध,समीक्षा |
मोबाइल/व्हाट्सऐप -
8770644905/ 9713679207
ईमेल- gaurdrdeepti@gmail.com
पत्राचार का पता - C-11, प्रगति विहार कॉलोनी, गोला का मन्दिर ग्वालियर, मध्यप्रदेश
पिन - 474005

प्रकाशन- शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई 20 पुस्तकों का प्रकाशन,  देश व विदेश नीदरलैंड, कनाडा, मॉरीशस, नेपाल की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं संकलनों में रचनाओं व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अनेक शोध आलेखों का प्रकाशन।
प्रकाशित काव्य कृति – 1. काव्य संग्रह ‘देहरी का दीप’,साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग भोपाल के सहयोग से प्रकाशित, प्रथम संस्करण 2017
2. संपादित काव्य संग्रह कोविड़ 19 पर आधारित "हौसला रखना इन दिनों" प्रथम संस्करण 2020
3. अनेक साझा संग्रहों में रचनाओं का प्रकाशन
विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज
डॉ.दीप्ति चार विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है, जिसमे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज भारत की प्रथम मीडिया डायरेक्टरी, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्डस रिकॉर्ड में भारत की प्रथम महिलाओं पर आधारित काव्य लेखन एवं अर्जुन अवॉर्डी खिलाड़ियों पर आधारित काव्य लेखन, भारत के सेनानियों पर आधारित एक पूर्ण दिवसीय कवि सम्मेलन में सहभागिता हेतु उनका नाम इन रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
सम्मान- मात्र 26 वर्ष की उम्र में  सर्वांगीण दक्षता हेतू (शैक्षणिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, समाजसेवा, आचरण, व्यवहार के आधार पर) राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली की ओर से भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम स्व. डॉ. शंकर दयाल शर्मा स्मृति स्वर्ण पदक 2002, विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न शिक्षक के रूप में राज्यपाल अवार्ड 2018 से राज्यपाल महामहिम श्रीमती आनंदी बेन पटेल के कर कमलों से सम्मानित, दैनिक विनय उजाला समाचार पत्र इंदौर द्वारा शिक्षा व साहित्य क्षेत्र में सतत योगदान हेतु राज्यस्तरीय "नेशन बिल्डर अवॉर्ड" 2019, विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्मीबाई काव्य भूषण सम्मान 2019, ब्रज भूमि फाउंडेशन द्वारा नारी शक्ति को प्रणाम अवॉर्ड 2019, मेंटर एंड मस्कट फिल्म प्रोडक्शन कंपनी एवम् सज्जा निलयम संस्था द्वारा नई दिल्ली में महिला दिवस पर साहित्य क्षेत्र में राष्ट्रीय "सशक्त नारी सम्मान 2019", एन सी ई आर टी नई दिल्ली के भाषा विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय हिंदी विभाग,सतना, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी , जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा समय समय पर आयोजित भाषा सेमिनारों व संगोष्ठी  में उत्कृष्ट शोध पत्र वाचन हेतु अनेक बार सम्मानित, ग्वालियर विकास समिति द्वारा “ग्वालियर गौरव सम्मान”, जे सी आई एक्सीलेंसी द्वारा सलाम ग्वालियर “अद्वितीय युवा प्रतिभा” अवार्ड, प्रभात वेलफेयर एवं सोशल सोसायटी द्वारा “प्रभात रत्न अलंकरण” अवार्ड, विपिन जोशी स्मारक समिति इटारसी द्वारा “अक्षरदूत राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान”,सरस्वती काव्य संगम झांसी की ओर से “काव्य श्री सम्मान”,स्व.मनोज रावत खेल अकादमी द्वारा “शब्द-सृजन सम्मान”,बेटी है तो कल है संस्था द्वारा “नारी शक्ति तुझे सलाम” अवार्ड ,जेएमडी प्रकाशन नई दिल्ली की ओर से “नारी गौरव अवार्ड”,द फेथ ऑफ पब्लिक संस्था द्वारा साहित्यकार सम्मान, हिंदी परिवार ग्वालियर इकाई द्वारा युवा रचनाकार सम्मान ,गहमर वेलफेयर सोसाइटी गाजीपुर द्वारा तेजस्विनी सम्मान,साहित्यिक पत्रिका काव्य रंगोली लखीमपुर खीरी उ. प्र. द्वारा "साहित्य भूषण सम्मान" विविधा कला एवं सांस्कृतिक अकादमी जबलपुर के सौजन्य से राष्ट्रीय शौर्य काव्य अलंकरण, कलम पुत्र काव्य मंच एवम् भारतीय संस्कृति एवम् भाषा प्रचार परिषद करनाल हरियाणा के तत्वावधान में मेरठ में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय आध्यात्मिक काव्य संगोष्ठी में आध्यात्मिक काव्य भूषण उपाधि से अलंकृत,स्टोरी मिरर मैगज़ीन द्वारा "लिटरेरी कैप्टन" से सम्मानित,  सहित लगभग 500 पुरस्कार - सम्मान से सम्मानित l
ब्लॉग- अनुभूति के छंद
कवयित्री डॉ. दीप्ति गौड़ ‘दीप’
अन्य उपलब्धियाँ-अनेक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता, आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अन्य चैनल्स पर काव्य पाठ का प्रसारण । जापान हिन्दी कल्चरल सेंटर की मानद सदस्यता ।
लेखन का उद्देश्य- इनकी रचनाएं मानवीय संवेदनाओं के आवेग को परिलक्षित करती हैं l जीवन के प्रत्येक पहलू, सम्बन्ध और घटना पर अपनी कलम चलाने का प्रयास करती है l आपकी रचनाएं समाज में सकारात्मक बदलाव में सहायक सिद्ध होंगी। जिस भी विषय पर कलम उठाती है पूरी शिद्दत के साथ उसका निर्वाह करती है l  उनके विषय परम्परागत भी हैं तो नवागत भी l समकालीन सामाजिक विसंगतियों के मध्य नारी की नवीनतम चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला है। कन्या भ्रूण हत्या, महिला सशक्तिकरण और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे विषयों और भी उनकी लेखनी बोली ही नहीं, खूब बोली है और खुलकर बोली है।  अपने गीतों में उन्होंने माधुर्य, प्रेम, अनुभूति, सरसता और वैयक्तिकता का अनूठा राग छेड़ा है l अपनी लेखनी के द्वारा शिक्षण कार्य के दौरान पर्यावरण गीत, दोहे, हाइकु, खगोल जागरुकता, मद्य निषेध आदि से संबंधित काव्य का प्रयोग नवाचार के रूप में विषय को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाने हेतु कर रही हैं ।
कोविड 19 जागरूकता कार्यक्रम-स्थानीय नागरिकों को जागरूकता हेतु कार्यक्रम, डॉ को आमंत्रित कर ऑनलाइन बच्चों को कोरॉना संबंधी जानकारी इम्यूनिटी बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम, ऑनलाइन योगा कार्यक्रम, कोरोना जागरूकता हेतु काव्य संग्रह "हौसला रखना इन दिनों का प्रकाशन",
कोरोना क़ाल में विद्यार्थियों की रचनात्मकता और कला को प्रोत्साहित करने हेतु सतत रूप से कार्यक्रमों का आयोजन, इस काल में मनोवैज्ञानिक तनावों से उबारने हेतु काउंसिलिंग व कैरियर गाइडेंस, हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम में उत्कृष्ट सहभागिता, घर में जाकर बच्चों को पुस्तकें दी, ऑनलाइन टीचिंग द्वारा सतत अध्यापन कार्य, छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु डॉ दीप्ति गौड़ ने गीतों का लेखन किया । जीवन कौशल शिक्षा बच्चे ऑनलाइन प्राप्त करें  और कोराना काल में तनाव प्रबंधन करें इस हेतु भी जागरूकता गीत लिखा जिसे यू ट्यूब के माध्यम से संपूर्ण मध्यप्रदेश के बच्चों तक पहुंचाया गया । बच्चों की रचनातमकता को प्रोत्साहन देने और वे कोविड काल में भी अपना विकास कर सकें इस हेतु अनेक कार्यक्रम ओर webinar वेबीनार का आयोजन इन्होंने किया । ऑनलाइन शिक्षा किस प्रकार लें । गूगल क्लास के बारे में जानकारी एवम् करियर काउंसिलिंग पर भी विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार करवाए।
विभिन्न संस्थाओं राष्ट्रीय महिला सम्मान मंच, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बेटी क्लब दतिया  द्वारा कॉरोना वॉरियर सम्मान से सम्मानित ।

पुस्तक
" देहरी का दीप "
काव्य संग्रह
डॉक्टर दीप्ति गौड़ "दीप" की एक उत्कृष्ट पुस्तक है जो साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के सहयोग से उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ से प्रकाशित हैं। मुझें आज इस पुस्तक की समीक्षा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । इस पुस्तक में डॉक्टर दीप्ति गौड़ ने मानों हर विषय को दिल से छुआ हो कोई भी विषय अछूता नही रहा । चाहे रिश्तों की बुनियाद , दिल को कचोटने  बाला ग़म, बहारों से बातें करती हवायें, मुहब्बत का इज़हार  या बेटी पर जिसे उनकी लेखनी ने आँगन की फुलवारी और परिवार का गौरव और बेटी के बचपन एवं दहेज जैसी कुप्रथा का अद्भुत चित्रण किया वो यही तक सीमित नहीं रहीं पर्यावरण , नशा मुक्ति पर भी अति सुंदर रचना का  सृजन , देश भक्ति पर भी अपनी रचना के माध्यम से अमिट छाप आज मेरे दिल पर छोड़ी है।
आज इस भौतिक संसार की परिपाठी है कि एक छत के नीचे सारी वस्तुयें उपलब्ध हो जायें बस ये मान  लीजिए कि इस एक पुस्तक में हर विषय पर एक अद्भुत रचना का संगम है।
मैं इनके साहित्यक सफर की मंगलकामना करता हूँ ये नए सोपान तय करें।
मेरी शुभकामनायें।

समीक्षक ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
ग्वालियर , मध्य प्रदेश
9753877785
3.
अजीत कुमार कुंभकार
ग्राम पोस्ट : खरसावां
जिला: सरायकेला- खरसावां
राज्य: झारखंड
833216
दूरभाष: 9955836022
         9031909364
पेशा: गणित शिक्षक सह प्रधानाध्यापक
संप्रति: उत्क्रमित मध्य विद्यालय पुण्डीदा खरसावां
रुचि : कविता, गजल , गीत, नवगीत, दोहा, छन्द, लघुकथा, लेख, इत्यादि साझा संग्रह कविता काव्य यश छप चुका है, लघुकथा संग्रह पारिजात छपने की प्रक्रिया में है।

( ✍️ अजीत कुमार कुंभकार )
1222 1222 1222 1222
काफ़िया :आ  रदीफ़:देते तो अच्छा था।
                  * फ़ासला *

कभी तो जान लेते हम भी नफरत क्यों  किये हमसे।
अगर थी कोई मजबूरी बता देते तो अच्छा था।।

नहीं था प्यार हमसे तो न आना पास मेरे अब ।
तुम्हीं पहले हमीं से फ़ासला देते तो अच्छा था।।

मिला जब कुछ नहीं तुमसे कभी भी, क्या करूँ बोलो।
अगर तुम साथ देकर तो वफ़ा देते तो अच्छा था।

वफ़ा करते रहे तुम गैर से अब तो जफ़ा मुझसे।
युँ ग़ैरों की तरह ही तुम दगा देते तो अच्छा था।।

मिले तुम गैर से ठुकरा हमें यूँ जिंदगी से अब।
हमें तुम तो अभी दिल से भुला देते तब अच्छा था।।

रकीबों के अभी तुम साथी , नहीं है प्यार हमसे जब।
दिए गम तुम जहर हमको पिला देते तो अच्छा था।।

नहीं हम चाहते जीना अभी  जिल्लत लिये अब तो।
अभी तुम जिंदगी से भी  मिटा देते तो अच्छा था।।

खुदा सुनते नहीं मांगी क़भी जब बद्दुआ मैंने  ।
अभी तुम जब फना की बद्दुआ देते तो अच्छा था।।

तड़प गम के सिवा जग में मिला कुछ क्या हमें अब तक।
खुदा मुझको कभी तो जलजला देते तो अच्छा था।।

दिये तुम दर्द गम जिल्लत हमें तुम तो हरिक पल अब।
वफ़ा कर तो नहीं पाये तुम कजा देते तो अच्छा था।।

✍️ अजीत कुमार  कुंभकार,

" समीक्षा "
अजीत कुमार कुंभकार ग़ज़ल के एक सशख़्त हस्ताक्षर है ग़ज़ल की बारीकियों में इनको महारत हासिल है। जैसे ये ग़ज़ल
अगर हमसे कोई शिकायत थी तो बता देते कोई मजबूरी थी या मेरे पास नहीं आना था काश तुम मुझसे प्यार ही न करतें इस ग़ज़ल में काफ़िया और रदीफ़ का सही सही समावेष किया है  1222 पर लिखी ये ग़ज़ल एक उत्कृष्ट सृजन है।
ईश्वर इनकी लेखनी को और नये आयाम दें।
अजीत जी आप साहित्य पथ पर यूँ ही आगे बढ़ते रहें।
मेरी शुभकामनायें

समीक्षक ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
ग्वालियर , मध्य प्रदेश
9753877785
4.
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1237973956636857&id=100012727929862

साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
🌹🙏 शिवसंकल्प 🙏🌹

तुम बाधाएं डालो मग में,
मैं सबको ही पार करूंगा।
हिंदी में ही कार्य करूंगा,
हिंदी का उद्धार करूंगा।
🙏राज वीर सिंह🙏

कल तक जो देखा था सपना,
आज जुनून बन गया अपना।
आप सभी का साथ मिले तो,
लक्ष्य मिले आभार करूंगा।।
रंजना बिनानी
कार्यकारी अध्यक्षा असम इकाई

लेकर सबको साथ चलूंगा,
भले यह नवाचार कहलाए।
जनगणमन साहित्य सजाकर,
तकनीकि से वार करूंगा।।
डॉ भावना दीक्षित
अध्यक्षा म०प्र० इकाई

सच की राह नहीं छोडूंगा,
कहना # वाह नहीं छोडूंगा।
मध्य राह में नहीं रुकूंगा,
शब्दों से ही मार करूंगा।।
ज्योति सिन्हा
अध्यक्षा बिहार इकाई

आशा के संदीप सजाकर,
तम को ताली थाल बजाकर।
धीरज साहस के बल पर मैं,
सेवा बारंबार करूंगा।।
कुसुमलता
अध्यक्षा दिल्ली इकाई

देखो सतत प्रतीक्षारत है,
हिंदी सेवा का विस्तृत जग।
किञ्चित् सफल हुआ माता मैं,
गुलशन को गुलज़ार करूंगा।।
प्रदीप मिश्र अजनबी
अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर इकाई

नकारात्मकता हारेगी,
शम की शक्ति उबारेगी।
भावों में बहना न बहना,
एक-एक मिल चार करूंगा।।
संगीता मिश्रा
प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान

हिंदी भारत भाल की शोभा,
जिसका अब शृंगार ही होगा।
बाधाओं को कह दें आएं,
उनको भी स्वीकार करूंगा।।
राम प्रकाश अवस्थी 'रूह'
कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान इकाई

समताओं का मंत्र फूंककर
सद्भावों में गहन डूबकर।
मन को थोड़ा संयत करके
सूना पथ बाज़ार करूँगा।
विनोद वर्मा दुर्गेश
अध्यक्ष हरियाणा इकाई

जन जन तक हिंदी फैलाना,
गीत यही हर दम दोहराना।
साथ हजारों का लेकर के,
हिंदी का अभिसार करूँगा।।
वन्दना नामदेव
अध्यक्षा महाराष्ट्र इकाई

जुड़कर अपनी प्यारी जड़ से,
जीवन की सारी भड-भड से।
कला और साहित्य की खुशबू,
से मैं हरशृंगार करूंगा।।
रजनी हरीश
अध्यक्षा, तमिलनाडु इकाई

विनय पूर्ण अधिकार खरा हो,
रिक्त  स्नेह का  कोष भरा हो।
भय   न   होवे   अंतर्मन   में,
साथ सफाई झार करूंगा।।                           
# जयश्रीकांत
अधीक्षिका दोहाशाला/प्रधान
संपादिका दोहा संगम

हिंदी होगी सारे जग में,
ऐसे भाव भरे रग-रग में।
हिंदीमय हो जाए धरती,
शक्ति से हुंकार करूंगा।।
चंद्रमुखी मेहता
अध्यक्षा, छत्तीसगढ़ इकाई

विश्वपटल में शान बढ़ेगी,
यतियों की पहचान बढ़ेगी।
काया में जब तक हैं प्राण,
ऐसी ही ललकार करूंगा।।
रीता झा
अध्यक्षा, उड़ीसा इकाई

सुख भी प्यारा, दुख भी प्यारा।
कभी न  छूटे  , साथ तुम्हारा ।
संगम  में  अनमोल  रतन  हैं,
समभावों  से  प्यार  करूँगा ।।
                   ●
डाॅ0 राकेश सक्सेना, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश

समवेत प्रयास

🙏 ✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी🙏
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

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https://youtu.be/oeDczGNbq-4
कुछ पद बाद में आए हैं। इन्हें लिखित रूप से जोड़ा गया है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
5.

आप सभी को साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की ओर से  🌍
विश्व  साईकिल 🚲🚴  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

🚲🚴 🚴‍♀️ 🌍 🌅

नमन 🙏 - साहित्य एक नज़र 🌅
मो - 6290640716
🚲🚴 🚴‍♀️ 🌍 🌅
विश्व साईकिल दिवस
বিশ্ব বাইসাইকেল দিবস
World Bicycle Day

मैं ग़रीब का साथी हूँ ,
बड़ा काम आती हूँ ।।
न डीज़ल न पेट्रोल
मैं खाती हूँ ,
बस पैदल ( पेडल )
मारने पर आगे जाती हूँ ।।

आज तीन जून
विश्व के लिए आज
हमारा दिवस है ।
दूर जाने के लिए
रेलगाड़ी , हवाई जहाज
और बस है ।।
मुझे चाहने वाला
एक न दस है ।
मंजिल तक पहुंचाना
ही हम साईकिल की
लक्ष्य है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
गुरुवार , 03/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(16)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 24
Sahitya Ek Nazar
3 June 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
उचाट उपन्यास , मैथिली साहित्य
6.
साहित्य एक नज़र

साहित्य एक नज़र

https://vishnews20.blogspot.com/2021/02/uchhat-upniyash-lekhika-parichai.html?m=1

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा , बिहार , लनमिवि ( एलएनएमयू )
बी.ए, मैथिली , जनरल ( सामान्य ) द्वितीय वर्ष की प्रश्र -

Lalit Narayan Mithila University
Darbhanga, Bihar , India
LNMU , B.A, Part - 2 , Maithili ( Subsidiary )

उचाट उपन्यास ,  मैथिली साहित्य ,
उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय :-
Uchhat Upniyash lekhika parichai

✍️ श्रीमती आशा मिश्रा जी
जन्म :- 6 जुलाई 1950
उचाट उपन्यास प्रकाशित :- 2010
उचाटक प्रकाशक अछि  :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा
उचाट उपन्यास लेल इनका साहित्य अकादमी
पुरस्कार सऽ सम्मानित :- 2014

उचाट उपन्यास लेखिकाक साहित्यिक परिचय दिअ -
उचाट उपन्यास लेखिका श्रीमती आशा मिश्र जी मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार छैथ। इनकर जन्म 6 जुलाई 1950 केँ भेलनि । लेखिका स्वनामधन्य डॉ गणपति मिश्रक धर्मपत्नि  आ दरभंगा लक्ष्मीसागर में बास करैत छथि। भागलपुर विश्वविद्यालय सँ 1969 ई ० में हिन्दी साहित्य आ दर्शनशास्त्र सऽ स्नातक के डिग्री लेलकिन  । 1989 सँ मैथिली आऽ हिन्दी में लेखन कार्य प्रारम्भ कैलनि । ई कथा , निबन्ध, जीवनी , साक्षात्कार आदि में एक प्रोढ साहित्यकारक रूपमे स्थापित भेल छथि । एखन धरि सभसँ पैघ विजय, थाहैत स्वप्न कथा संग्रह प्रकाशित भेल अछि , हिनकर सभसँ पैघ विशेषता अछि जे प्राय: सभ रचना अप्पन परम्परा, अप्पन संस्कार के संग संग नव नव भाव - भूमिका रचना करबामे सिद्धहस्त छथि , इनकर सभ रचना में नीज भावनाक दर्शन भेटैत छथि । उपन्यास लेखिकाक आकाशवाणी दरभंगा सँ कतेक कथाक प्रसारण भ चुकल अछि । हिन्दी जगतमे हिनकर योगदान सराहनीय अछि । हिन्दी पत्रिका नवनीत आ मनोरमामे सेहो हिनकर कथा प्रकाशित अछि । इनकर उचाट उपन्यास तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा सऽ 2010 ई. में प्रकाशित भेल , इनकर द्वारा लिखल उपन्‍यास उचाट के लेल  इनका सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ  सम्मानित कैल गेलन ।

किछु प्रश्न :-
प्रश्न - उचाट की थिक -
उत्तर :- उपन्यास
प्रश्न - उचाटक लेखिका के नाम लिखू ।
उत्तर :- आशा मिश्र
प्रश्न - उचाटक प्रथम संकरण प्रकाशित भेल --
उत्तर :- 2010 ई. में
प्रश्न - उचाटक उपन्यासक समीक्षात्मक टिप्पणी लिखने छथि -
उत्तर :- पंडित गोविन्द झा
प्रश्न - उचाटक प्रकाशक अछि
उत्तर :- तुलिका प्रकाशन , लालवाग , दरभंगा

दिनांक :- 24/02/2021 , बुधवार
रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी बिहार
मोबाइल / व्हाट्सएप :- 6290640716
roshanjha9997@gmail.com
https://youtu.be/SkkETcU1Z7o
साहित्य एक नज़र
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साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 24
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
03/06/2021 , गुरुवार


7.
-- युद्ध नहीं बुद्ध का ज्ञान चाहिए---

बैशाख पूर्णिमा दिन था पावन,
शुद्धोधन के घर आया राजकुमार।
महामाया थी माता उनकी
खुशियां मना, मना जैसे त्योहार।
मां गुजर गाई बचपन में,
पालन- पोषण की गौतमी मौसी ने।
यशोधरा संग उनका हुआ विवाह
पुत्र राहुल का वर्षों बाद जन्म हुआ।
सांसारिक दुखों से विचलित हो कर
न जाने क्यों विरक्ति हुई।
छोड़ सिंहासन,राज - पाट सब
क्यों गृह त्यागी हुए।
रहे भटकते वर्षों तक
न जाने  कौन सी
उनको शक्ति मिली।
पुत्र - पत्नी को छोड
बीच राह में
निकल पड़े वो सत्य
और ज्ञान की चाह में।
बोध गया में पीपल के
नीचे ज्ञान वो पाये,
सत्य - अहिंसा न्याय
को अब वो जान भी पाये।
सुखमय जीवन त्याग दिए वो
अब सन्यासी का मार्ग अपनाए।
विचित्र रहा है जीवन उनका,
गौतम से अब बुद्ध कहलाए।
सारनाथ में प्रथम
वो उपदेश दिए,
अपने अनुयायियों
को वे आदेश दिए।
दुख है दुख का कारण
दुख नीरोध और सत्य
मार्ग का ज्ञान दिए।
नालंदा, विक्रमशिला
और वल्लभी का
अब वो रहा ज्ञान कहां।
विश्वगुरु था भारत जग में,
अब वो रहा सम्मान कहां।
भटक रहे लोग अंधविश्वास,
आडंबर और पाखंड में।
बुद्ध ने कहा " पहले जानो,तब मानो "
मत रहो तुम घमंड में।
दुनियां में फैला बुद्ध का ज्ञान,
जग में बढ़ा भारत का मान।
अब भारत की खोई अस्मिता और
पहचान चाहिए।
बस करो भीम अब युद्ध,
युद्ध नहीं बुद्ध का ज्ञान चाहिए।

  ✍️   भीम कुमार
      गांवा, गिरिडीह, झारखंड

8.

" मेरी कलम "

कलम कभी रूकती नहीं;
कलम कभी थकती नहीं;
कलम वो -जो कभी झुकती नहीं,,,
कलम ही तो पहचान है।
मेरे मन की आवाज है।
धड़कनों की शोर को
मद्धम राग में पिरो रही ;
ह्रदय के उठते गर्जना को
अक्षरों में बांध रही;
अभिव्यक्ति में ढाल रही,,,
सुख हो या दुःख !!
मन को टटोलती
चुपके से साथ निभा रही;
ज्यों कोई चिर सहचरी
भर भाव के;
आनन्द मधु-का छलका रही,,,
कलम ही तो दरमियाँ हैं;
मन की असंख्य पगडंडियों के -
खोजती- निज नवीन पथ को;
जोङती----
मन की  कङियों से;
रूह को,,,
टटोलती---
प्रखर---प्रबुद्ध है।

कलम है तो ;
जान है।
धड़कनों में प्रवाह है~

  ✍-  डाॅ पल्लवी कुमारी " पाम "
    अनिसाबाद ,पटना (बिहार)
9.

* संघर्ष *

जीवन का ही
दूसरा नाम संघर्ष है,
बिना संघर्ष कौन
जी पाया है,
मंजिल को जो
पाना चाहता है,
जो ऊपर उठ कुछ
करना चाहता है,
उसे
खुद से खुद का संघर्ष
भी तो,करना होता है,
हालातों से, दुनिया से
संघर्ष करना पड़ता है,
बिना संघर्ष के कौन
महान बन पाया है,
बिना डरे बिना हारे,
जिसने जितना संघर्ष किया
वो मनुष्य काबिल
उतना बन पाया है,
इसलिए संघर्ष ही
जीवन कहलाया है..

____✍️सौ  अल्पा कोटेचा.
10.

" मेरी आत्मकथा "

माँ की कोख से मैं जब जन्मा
धरा पे ली पहली सांस
दिनकर की आभा से मेरे
मुख मण्डल पर फैला प्रभात

जन्मा जिस वासर को मैं
तारीख थी जनवरी सात
मंगल-गीत गूंजे घर में
घर मे मनी खुशियाँ अपार

दिल लगाया जिस दिल से मैनें
तीन साल की इशारों में बात
किया इज़हार जब उनने हमसे
तारीख थी पच्चीस
दिसम्बर अंक था सात

प्यार के दुश्मन बने घर बाले
नहीं तैयार थे करने शादी की बात
कोर्ट में जाकर कर ली शादी
तारीख थी नवम्बर सात

सोचा था सात फेरों के बाद
छूट जायेगा सात का साथ
और प्रकाशित हुई पहली पुस्तक
तारीख थी जुलाई सात

सोचता हूँ कब छूटेगा
ये सात का साथ
शायद मृत्यु भी लेगी आगोश में
उस दिन भी होगी तारीख सात

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
975387778

11.

साहित्य एक नजर
नमन मंच🙏
अंक22 से 24
**************

कोई नहीं कर सकता इंकार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही कर्म है प्रेम ही पूजा है
प्रेम से ही है जीवन का उद्धार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही करूणा है प्रेम ही दया है
प्रेम ही दरिया सा उमड़ता प्यार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही जगत को जोड़ता है
ईर्ष्या कटुता से मुंह मोड़ता है
अपनापन भाई चारा से ही
इस दुनियां का चलता ब्यापार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही रस भरी वो मिठास है
खिलते पल्लवित पुष्पों की
सगन्धित चन्दन सी सुपास है
प्रेम से ही सब हो जाते अपने
जानी दुश्मन में हो जाता प्यार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम से सबको गले लगाओ
प्रेम रूपी जीवन को अपनाओ
प्रेम ही नदिया का बहता पानी
प्रेम से ही होगा बेडा पार
प्रेम ही जीवन का आधार
प्रेम ही जीवन का आधार

✍️ अनिल राही
ग्वालियर ,  मध्यप्रदेश

12.

शब्द

शब्द , शब्द मे ब्रह्म बसे
शब्द से उपजे प्यार
शब्द ही घातक करे
शब्द देते है रिश्तों को मार
एक शब्द मरहम करे
एक शब्द देते घाव
एक शब्द मे प्रेम बसे
एक शब्द अलगाव
शब्द सदा ही बोलिए
जो दे प्रेम जगाए
ऐसे शब्द ना बोलिए
जो आपस मे घृणा बढाये
शब्द ही ईश्वर
शब्द ही प्रेम
शब्द ही धर्म
शब्द ही नेम
ईश्वर ने जो
शब्द रचा उसमें
था बस प्रेम
मानव ने तो भर दिया
ना जाने क्यों इसमें
वैमनस्यता का गेम।

© ✍️ श्रीमती सुप्रसन्ना झा
        जोधपुर।
13.

मर्यादा

मर्यादा।  पुरुषोत्तम  जय   श्री राम जय राम
मर्यादा  का   जीवन  में  मत  करना    हास
अपना जीवन उत्कर्ष काल में मर्यादा दुकाल
मर्यादा के  बंधन में  बंधी संस्कृति परिहास।।

मर्यादा    से   जीवन  में   आते  अच्छे   भाव
वाणी   की  मर्यादा  देती  जीवन  की    नाव
कल्पना और  अनुमान  भाव   के साथ चाव
सीख जीवन में मर्यादा की भक्ति का उछाव।।

मर्यादा  से   बनता  जीवन  का  आनंद  अपार
नारी का या पुरुष का गहना मर्यादित व्यवहार
सीता  बनकर  जो  रहे वहीं मर्यादित आचरण
रावण बनकर करे जो सदा अमर्यादित व्यवहार।।

मर्यादा  की सीमा  लांघकर  करे घर्नित काम
उसका  सर्व  नाश  निश्चित है  यही प्रभु धाम
सेवा धर्म से करता मर्यादित सापेक्षता सिद्धांत
जो  बुजुर्गो  का  सदा  करता  मान   सम्मान
मर्यादा जीवन उसका नहीं कोई बिगड़ा नाम।।

मर्यादा।  बिना   जीवन   कोरा अभिशाप
मर्यादा  ही  जीवन  का  ध्यान सदा  जाप
मर्यादा  पुरुषोत्तम  भगवान जय श्री राम
अयोध्या पति   रघुपति राघव राजा राम।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
मो - 9928325840
14.

#साहित्य एक नजर (कोलकाता से....
#विषय :अलमारी मे रखे पुराने खत
#दिनांक :03/06/2021
#विधा :

कविता
* अलमारी मे रखे पुराने ख़त *

अलमारी मे रखे
पुराने खत
पुरानी यादों को
करते ताज़ा आज
डाकिया जब आता
गाँव मे
लोगों की
उम्मीद जाग जाती
में भी दौड़ी दौड़ी जाती
और पूछती डाकिया बाबू
कि क्या मेरे
पिया का भी खत
आया है परदेश से
कभी हाँ मे कभी
ना में जबाब होता
कोई शुभ संदेश
रातों की नींद
उड़ जाती थी
सोचते सोचते सुबह
हो जाती थी
कई रातें ऐसे ही
गुजारी हमने
पिया की विरह मे
कब मेरे पिया आएंगे
मिलन की आस लगाये
विरह की मारी सी में
जो खत आये
मेरे पिया के
उसे दिल के
टुकड़े की तरह
संभालकर रखे थे
अलमारी मे
वर्षों बाद
आज जब देखें
मैंने अलमारी में
रखे तुम्हारे पुराने खत
उन लम्हों की,पुरानी यादें
ताज़ा हो गई
जब हमारी शादी हुई थी
तुम मुझे छोड़
प्रदेश चले गए
और में तुम्हारा
हर रोज़ आने का
इंतजार करती रहती थी
उस वक़्त सिर्फ और सिर्फ
खत का ही सहारा था
मोबाइल का तो
नामोनिशान ही नहीं था
याद आते है आज भी
अलमारी में रखे वो ख़त

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली)
व्हाट्सप्प no. 7217618716
15.
यह रचना स्वरचित व मौलिक है !
नमन मंच🙏🙏
अंक -21-23
शीर्षक :- खो जाने से पहले

हैं जो हसरतें मेरी
तू सदा खुश रहे
ऐ खुदा! हों ऐसी रहमतें तेरी।
खो जाने से पहले
तमन्ना है तुझे बताने की
चाहता हूँ, हो हँसी तेरे लबों पे
की है इबादत,
हरपल तेरे मुस्कुराने की।
किस पल हम खो जायें
ये खुद को भी पता नहीं
खो जाने से पहले
हम तेरे हो भी पायें,ये पता नहीं।।

✍️ संतोष सिंह राजपुत
मेदिनीनगर, पलामु
झारखंड।।

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 25 से 27 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 04/06/2021 से 06/06/2021 के लिए
दिवस :- शुक्रवार से रविवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 25 तो कुछ रचनाएं को अंक 26 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 27 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 25 से 27 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/301655748263875/?sfnsn=wiwspmo

अंक 19 - 21
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/298072278622222/

अंक - 22 से 24 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा


अंक - 25

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/25-04062021.html

कविता :- 20(17) , शुक्रवार , 04/06/2021 , साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 25
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2017-04062021-25.html
अंक - 26
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/26-05062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2018-05062021-26.html
अंक - 27
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/27-06062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2019-06062021-27.html

अंक - 24
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/23-03062021.html

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