साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 30 , बुधवार , 09/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 30
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अंक - 29

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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 30

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 30
9 जून  2021

बुधवार
ज्येष्ठ कृष्ण 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 7 - 14
कुल पृष्ठ -  15

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

44. आ. श्वेता कुमारी जी , धनबाद
45. आ. ज्योति कुमारी जी , धनबाद , झारखंड
46. डॉ. पल्लवी कुमारी "पाम " , पटना
47. आ. सुन्दर लाल मेहरानियाँ' देव'  जी , राजस्थान
48. आ. सुरेश शर्मा जी
49.  आ. दिनेश कौशल जी , दरभंगा
50. आ. सृष्टि मुखर्जी ,दरभंगा बिहार
51.आ. केशव कुमार मिश्रा जी , मधुबनी

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 30
Sahitya Ek Nazar
9 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

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अंक - 25 से 27

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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
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अंक - 28 से 30

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अंक - 30
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा

मो - 6290640716

_________________

अंक - 27
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अंक - 28
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/28-07062021.html
कविता - 20(20)

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अंक - 29

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अंक - 30
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अंक - 30

ये कैसी चीख पुकार है
ये कैसी चीख पुकार है।
दुनिया में महामारी ने
मचाई हाहाकार है।

घरों में कैद हो गयी,
देखों ये ज़िन्दगानियाँ।
कभी सड़कों पे गूंजती थी,
बच्चों की वो किलकारियाँ।
चारों तरफ फैली,
मातम की वो फुहार है।

ये कैसी चीख-----

रोजी रोटी छिन गयी,
देखों सड़क पे आ गये।
कुछ घर पहुँच गये,
कुछ काल में समा गये।
मिल जाये बस उनका
हक जिसके वो हकदार है।

ये कैसी चीख------

घर के रोशनदानों से,
झांकती वो शांतियाँ।
सड़को पे देखो फैली है,
चारों तरफ वीरानियाँ।
चारों तरफ फैला,
कैसा ये अंधकार है।

ये कैसी चीख------------

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश
मो :- 9753877785

2.
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

कुछ भी लिखों
मन की बात लिखों ,
हिम्मत के साथ लिखों ।।
दो और छ: ?
होता है आठ
तो आठ लिखों ,
सीखना है छोटा बड़ा
सबसे सीखों ,

सीखकर नव निर्माण करों ,
सबका सम्मान करों ।
कुछ करों या न करों
पर अर्जित ज्ञान करों ,
रात के बाद ही दिन होती
तो दिन का ध्यान करों ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
बुधवार , 09/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(22)
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 30
Sahitya Ek Nazar
9 June 2021 ,   Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

3.

एक  छोटा - सा 
कवि  होने  के  नाते ,
मैं  आप सभी  को  एक 
बात  कहना  चाहता  हूँ ।
शिक्षा  को  बढ़ावा
देने  के  लिए ,
मैं  आप सभी  से 
आग्रह  करना  चाहता  हूँ ।
बिना  शिक्षा  का  साहित्य  नहीं ,
यही  बात  मैं  अपने  से 
छोटे  को  कहना  चाहता  हूँ ।
साहित्य  को  पूरे  जगत् 
में  कैसे  फैलाया  जाए ,
यही  बात  मैं  तमाम् 
छोटे-छोटे  बच्चे  को 
कहना  चाहता  हूँ ।
मिटा  देना  चाहता  हूँ
  जड़  से  आतंकवाद 
एवं  भ्रष्टाचार  को ,
इसके  लिए  सरकार
को  रोज़गार  देना  होगा ।
सारे  दूषित  समाजों  में ,
एक  नया  अच्छा
  समाज  बनाना  होगा ।
इसके  लिए  हम सभी  को ,
शिक्षा  का  दीप  जलाना  होगा ।
यही  बात  मैं  आप सभी  को ,
हाथ  जोड़ कर  कहना  चाहता  हूं ।

✍️ प्रकाश  राय 
सारंगपुर ( डाकघर ) ,
समस्तीपुर , बिहार ।
मोबाइल नंबर - 9709388629

4.

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई साहित्यकारों को सम्मानित किए हरित रक्षक सम्मान .

साहित्य एक नज़र 🌅 , बुधवार , 9 जून 2021 ,

साहित्य संगम संस्थान , रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली ) के पश्चिम बंगाल इकाई द्वारा 05 जून 2021 , शनिवार , विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में काव्य पाठ का आयोजन किए रहें ।
देवस्थापन 10:00 बजे आ अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी द्वारा, सरस्वती वंदना 10:05 आ स्वर्णलता टंडन जी द्वारा, आशीर्वचन 10:10 में आ . महागुरुदेव डॉ राकेश सक्सेना जी द्वारा , मुख्य अतिथि के दो शब्द 10:15 आ . जयश्रीकांत जी द्वारा, अध्यक्षीय प्रवचन और शुभारंभ 10:20 आ. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र जी द्वारा , 10:00 से रात्रि आठ बजे तक साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई अध्यक्ष आ विनोद वर्मा दुर्गेश जी मंच का संचालन किए ,  आ. विनीता कुशवाहा जी , गोण्डा उत्तर प्रदेश, आ. फूल सिंह जी , आ. रवींद्र कुमार शर्मा जी , आ. श्वेता धूत जी , हावड़ा, पश्चिम बंगाल,  आ. बेलीराम कनस्वाल जी,  आ. अनुराधा तिवारी "अनु" जी , आ. विनीता लालावत जी, आ. रजनी हरीश जी , आ. रंजना बिनानी "काव्या " जी , गोलाघाट असम,  आ. मीना  गर्ग जी, आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , जोधपुर राजस्थान, आ. मनोज कुमार चन्द्रवंशी "मौन" जी,  आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली ), आ. सुनीता बाहेती, (श्रुति ) जी, आ. दीप्ति गुप्ता जी,  आ. प्रेमलता उपाध्याय स्नेह  जी दमोह , आ. दीप्ति खरे जी, आ. स्वर्णलता सोन जी , दिल्ली,  आ. अनु तोमर जी, आ. अनिल पालीवाल जी , आ. कलावती कर्वा जी, आ. मनोज कुमार पुरोहित जी, आ. सुनीता मुखर्जी, आ. अर्चना जायसवाल सरताज जी, आ. प्रमोद पाण्डेय 'कृष्णप्रेमी' गोपालपुरिया जी,  आ. सुधीर श्रीवास्तव जी, आ. आशुतोष कुमार जी, आ. सुशील शर्मा जी,  रोशन कुमार झा ,  आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी और भी साहित्यकारों द्वारा काव्य पाठ किया गया रहा , उन समस्त सम्मानित साहित्यकारों को  ' हरित रक्षक ' सम्मान से साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु आ. मनोज कुमार पुरोहित जी के करकमलों से सम्मानित किया गया ।। साहित्य संगम संस्थान मार्गदर्शक , उत्तर प्रदेश इकाई अध्यक्ष आ. डॉ. राकेश सक्सेना महागुरुदेव  जी ,  राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह मंत्र जी , कार्यकारी अध्यक्ष आ. कुमार रोहित रोज़ जी , सह अध्यक्ष आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, संयोजिका आ. संगीता मिश्रा जी ,  पश्चिम बंगाल इकाई अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा जी, बंगाल इकाई उपाध्यक्ष , छंद गुरु  आ. मनोज कुमार पुरोहित जी ,  राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी व पश्चिम बंगाल इकाई सचिव रोशन कुमार झा  ,आ. अर्चना जायसवाल जी , अलंकरण कर्ता आ. स्वाति जैसलमेरिया जी , आ. स्वाति पाण्डेय जी ,आ. रजनी हरीश , आ. रंजना बिनानी जी, आ. सुनीता मुखर्जी , आ. मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जी  , समस्त सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामनाएं दिए ।

पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937789836397911/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/-gxVYTWJQqU

https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937003436476551/?sfnsn=wiwspmo

5.

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"ग्राम-बबेरू
जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

समीक्षा -

"चाँद दागी हो गया"

जैसे पृथ्वी के गर्भ में शीतल जल का अथाह भण्डार होता है। और वहीं दहकता लावा भी विद्दमान होता है।ठीक बैसे ही एक लेखक के अंदर भी शब्दों भावों का शीतल भण्डार और वहीं दहकते शब्दों का लावा होता है। लेखक अपनी कल्पना की दृष्टि से अपने भावों को कागज पर उकेरता है।

एक होता है समुद्र मंथन एक होता है शब्द मंथन जब समुद्र का मंथन होता है तो अमृत निकलता है और जब एक साहित्यकार शब्दों का मंथन करता है तो सृजन होता है "चाँद दागी हो गया" जैसे कविता संग्रह का इस कविता में श्री रामकरण साहू जी ने शब्द बागी हो गया चाँद दागी हो गया धुंध पक्षी खोए नीड़ को ढूढ़ता हैं इस कविता में हर पहलू को छूने की कोशिश की ये एक उत्कृष्ठ रचना है ।जिसको बार बार पढ़ने की जिज्ञासा पैदा होती है।
इस संग्रह में श्री रामकरण साहू "सजल"जी की सत्तर रचनाओं का संग्रह है इसी संग्रह में उनकी रचनाओं जैसे "मीत में बनाता हूँ " कविता में कल्पना, प्यार, प्राकृतिक सौंदर्य सभी कुछ चंद पंक्तियों में कह दिया। इस संग्रह में कुछ कविताएँ ऐसी भी है जो दिल को छू जाती है जैसे प्रभा महकती भीनी-भीनी, धधक रही अन्तःपुर ज्वाला, नही भूला सके भारती, अम्मा वह रही है पुरवा, हँस-हँस कर कह आप गये थे जैसी अनमोल कविताओं का संग्रह है।

समीक्षक
✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
साहित्य एक नज़र 🌅
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

6.

#नमन मंच#
साहित्य एक नज़र (कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका}
विषय- आदमी के लिए
विधा-

कविता -
आदमी के लिए

पैसा सब कुछ नहीं आदमी के लिए।
कुछ  सुकूँ  चाहिए आदमी  के लिए।
सारी शोहरत व दौलत है किस काम की,
आदमी जब नहीं आदमी के लिए।।

एक अहसास भूला नहीं जा सका।
एक अहसान को मैं भुला न सका।
सोचता रह गया खुद के बारे में ही,
पर न कुछ कर सका आदमी के लिए।।

मैंने परवाह केवल बस अपनी ही की।
औरों को कुछ तवज्ज़ो दिया ही नहीं।
जिन्दगी को तो बस यूँ ही जीता रहा,
कुछ भी सोचा नहीं आदमी के लिए।।

वक्त गुजरता गया उम्र ढलती रही।
जिंदगी मौज  से मेरी  कटती रही।
एक दिन मेरी खुदगर्जी कहने लगी,
कितना खुदगर्ज़ मैं आदमी के लिए।।

औरों की जिंदगी को नज़र कीजिये।
आप की जिंदगी खुद सँवर जाएगी।
मन की आवाज को अनसुनी न करें,
करिए 'आज़ाद' कुछ आदमी के लिए।।

✍️ राम चन्दर आज़ाद
अम्बेडकर नगर , उत्तर प्रदेश
8887732665

स्वरचित, मौलिक एवम प्रकाशनार्थ

""मौलिकता प्रमाण पत्र ""

           “ मैं राम चन्दर आज़ाद घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा भेजी गई रचना-"आदमी के लिए" स्वरचित, मौलिक तथा अप्रकाशित है, जिसे मैं “साहित्य एक नज़र” में प्रकाशन हेतु सहमति दे रहा हूँ. इस रचना को प्रकाशन हेतु कहीं अन्यत्र नहीं भेजा गया है. मैं प्रकाशक/संपादन मंडल को रचना में एडिटिंग करने का पूर्ण अधिकार देता हूँ और एडिट की हुई रचना मुझे पूर्ण रूप से मान्य होगी. इसके प्रकाशन से यदि किसी प्रकार के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो उससे सम्बंधित विषयों के लिए मैं पूर्ण रूप से उत्तरदायी हूँ l  साहित्य एक नज़र, के प्रकाशक/संपादक/एडमिन आदि इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे.
नाम- राम चन्दर आज़ाद
स्थायी पता-अम्बेडकर नगर , उत्तर प्रदेश
पिन-224230
मोबाइल संख्या -8887732665

फोटो नहीं
7.

.
मूर्दे से पूछता यमराज है.

बता..अरे ! तू आया कैसे यमलोक में।
कोरोना से मरा, मरा ब्लैक फंगस से
या चक्रवाती तूफान से।
सड़कों पे भीड़ दिखती
क्यों नहीं आज है।
मूर्दे से पूछता यमराज है ।।...
लगता थम गई कोरोना
से मौत की रफ्तार,
क्या टीका घर~घर
लगा रही सरकार।
समझ गए सबलोग क्या
है इसकी दरकार,
घर में लगता कैद हो गए
यही बस राज है ।।
मुर्दे से पूछता यमराज है ।।...
बात वो नहीं क्यों कम
हुआ कोरोना की मार,
विनाश के लिए ही भेजा ब्लैक
फंगस और चक्रवात का उपहार।
संग कभी बाढ़, भूकंप
तो कभी अंधड़ ~ तूफान,
जलजला मच गई धरा पर,
हरकतों से आती नहीं बाज है ।।
मूर्दे से पूछता यमराज है ।।....
त्राहि माम,त्राहि माम करते
नर सभी पृथ्वी लोक में।
पापियों के संग इंसान भी
सजा पा रहे इस भू लोक में ।
तबाही का मंजर दिख रहा
पृथ्वी पर,खुशियां है यमलोक में ।
ये भीम कहता प्रभु से,
बचा ले दुनियां को, तू
क्यों इतने नाराज हैं ।।
     मूर्दे से पूछता यमराज है ।।..

           ✍️    भीम कुमार
     गांवा, गिरिडीह, झारखंड

8.

बहू बनी जब से बेटी

पंख पसार के वो उड़ती।
स्वतंत्र धार मे बिचरती।
घूँघट में वो सिमट गई,
बहू बनी जब से बेटी।।
जी भर के मुस्काती थी।
हर छण रौब जताती थी।
खुद खातिर लड़ जाती जो,
कुछ कहने को सकुचती है।।
बहू बनी.....
हरदम जो हँसती गाती थी।
सातों सुर ताल मिलाती थी।
नृत्य शौक रखने वाली,
ससुराल में जा सरमाती है।।
बहू बनी........
शॉपिंग करने को जब जाती।
थैले भर भर कपड़े लाती।
सबकी जरूरत पूरी हो,
इच्छा न खुद की जताती है।।
बहू बनी......
जो खाने का देती अॉडर।
माँ से कहती वो एक आखर।
टेबल पर प्लेट सजे जिसकी,
वो खुद से भोज बनाती है।।
बहू बनी.......
जिसका पढ़ना ही सपना था।
एक वो ही उसका अपना था।
हिस्सेदारी साथी ने करली,
वो सपनों से आँख चुराती है।।
बहू बनी.....
माँ-पापा की गोद में पली बढ़ी।
आदर्शों के मोती से जड़ी।
ध्यान दिया न जिनपे कभी,
उनको बखूब निभाती है।।
बहू बनी.....
महलों की राजदुलारी थी।
पापा की बिटिया प्यारी थी।
अपना आँगन छोड़ दिया,
वो तेरे घर की बाती है।।
बहू बनी...
उसने बचपन से मुख मोड़ा।
माँ पापा की दुनिया छोड़ा।।
वो तेरे भरोसे है आयी,
बस तुझसे आस लगाती है।।
बहू बनी.....
न्योछावर अपने प्यार तु कर।
संग उसके दो कदम तो चल।
तेरे राह सुगम वो कर देगी,
वो ही तेरी सच्ची साथी है।।
बहू बनी जब से बेटी.......
बहू बनी जब से बेटी.......

✍️ सरिता त्रिपाठी 'मानसी'
सांगीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

9.

-*-*- पेशे खिदमत एक ग़ज़ल -*-*-

लफ्ज़ नहीं अहसास लिखें तो बेहतर है ,      
प्राण नहीं अब सांस  लिखें तो बेहतर है ।
आज  उन्हीं से अपने रिश्ते कुछ कडुवे ,
गैर  नहीं  वह खास लिखें तो  बेहतर है ।
बात नहीं होती  मगर नज़रें मिल जाती ,
दूर कहाँ  हम पास  लिखें तो  बेहतर है ।
उनका कोई कुछ भी कहना मुश्किल सा ,
पलक उठे पर लाश लिखें तो बेहतर है ।
उनके  बिन तन्हाई  जैसी  लगती  अब ,
केवल पल को मास लिखें तो बेहतर है ।
झूठ और  सच दोनों पर  जय बोल रहे ,
"सजल"नहीं वह दास लिखें तो बेहतर है ।

✍️ रामकरण साहू "सजल"
बबेरू (बांदा) उ०प्र०

कृपया सादर प्रकाशन हेतु

10.
देव नदी माँ गंगा की अंतर्निहित
वेदना पर आधारित कविता -

मुझे मेरे हाल पर बहने दो।

बहुत सह चुकी अब ना सहूँगी ,
अब  दबाव में न रहने दो ,
स्वच्छंद नीरा सुर सरि सरिता मैं
मुझे मेरे हाल पर बहने दो। ।
मैं कलुष को धोने वाली ,
मैं जीवन को देने   वाली ,
मैं जन पोषण करने वाली ,
मैं मानव हित बहने वाली ,
बना दिया मुझको कचरामय ,
अब ना  कलुषता ढहने दो ।
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।
नहीं समझे तुम मेरी कीमत ,
नहीं समझे तुम मेरी हिम्मत,
नहीं समझे मेरे अस्तित्व को ,
नहीं जाने मेरे कृतित्व को ,
मैं अनादि हूं ,मैं असीम हूं,
मुझे मेरे घर में रहने दो ,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो ,
मुझे स्वच्छंद से बहने दो।।
सोचा था धरती सरसाऊँ,
सोचती हूँ समृद्धि  को लाऊँ ,
सोचती हूं मातृत्व  निभाऊँ,
पर अब  घाव न सहने दो,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।
पहले स्वच्छता फिर हो आरती,
पहले श्रद्धा ,फिर हो भक्ति ,
मैं जल नहीं, गंगा जल हूँ ,
मैं शाश्वत प्रवाहमय हूँ ,
जो बीत चुकी  आपदा को देखो,
उस विपत्ति से कुछ तो सीखो,
सतत् स्वच्छंदता रहने दो,
मुझे मेरे हाल पर बहने दो।।

✍️ आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल
वरिष्ठ उपाध्यक्ष  साहित्यिक संस्था
ऋषिकेश( उत्तराखंड)

11.
नमन मंच
विषय रिश्ते
विधा

कविता - रिश्ते

सब्र से काम ले
ये इंसान
धीरज तू अब बांधले
खुद भी धीर बन
दूसरो को भी दिलासा दे।
रिश्तों को तू संभाल ले।।
ये समय है धीरज का
अपनी मंजिल तू साध ले
चाहे आए लाख तूफान
कश्ती को किनारे तू बांधले।।
रिश्तों को तू संभाल ले।।
तसल्ली तुझको रखना है
अपनो के संग जीना है
सब्र और धीरज से जीना है
परिवार का ख्याल रखना है।।
रिश्तों को तू संभाल ले।।
समय की धारा है
जीवन खूबसूरत पतवार है
धीरज ही मिसाल है
इससे ही तसल्ली, मालामाल है
जिंदगी धीर से ही कमाल है
दिलासा इंसान के लिए भगवान है
सब्र ही आखिरी इम्तिहान है।।
रिश्तों को तू संभाल ले।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

12.
हम होंगे कामयाब,
रखो स्वयं पर विश्वास,
माना वक्त है सख्त,
पर फिर पलटेगा तख्त,
नहीं खोना है आत्मविश्वास,
है जब अपनों का साथ,
हंसते गाते समय कट जाएगा,
खुली हवा में फिर
मनुष्य सांस ले पाएगा,
स्थिर तो कुछ नहीं इस दुनिया में,
वक्त का पहिया चलता जाएगा,
है जो अवसाद का वातावरण,
प्रोत्साहन में बदल जाएगा,
आत्मिक शक्ति से,
डर का अंत हो जाएगा,
मन में रखो विश्वास,
हम होंगे कामयाब।

✍️ इ. निशांत सक्सेना " आहान"

13.

#साहित्य एक नजर
#नमन मंच
#अंक 29
#दिनाँक 08/06/2021
***************
          🌹  बरसात🌹
बरसात में मौसम मस्त सुहाना
बरखा की बूंदों का रिमझिम आना
देख देख हर्षित हो जाता है मन
मस्ती भरे दिल में खुशियों का समाना
बरसात में मौसम के तेवर ठंडे पड़ जाते
झुलसती गर्मी के थपेड़े शांत हो जाते
प्रकृति की छटा हो जाती है निराली
मन हर्षित हो भर जाती खुशियाली
बर्षात के मौसम में मेढक भी टर्राते
तरह तरह की आवाज निकालते
बच्चे भी कागज की नाव चलाते
सभी लोग अपनी अपनी मस्ती में
झूम झूम के बरसात का आंनद उठाते
आकाश भी अदभुत रंग बिरंगा
इंद्रधनुषी का  रंग बिखरा बहुरंगा
बरसात के मौसम में ये निकल आता
अपने प्यार भरे रंगों से सबको लुभाता
सूखी धरती, सूखी नदियाँ सूखे तालाब
बरसात के मौसम में सब उफान मारते
विकराल रौद्र रूप हो जाता इन सब का
धीरे धीरे सुमिर सुमिर कर नैया पार लगाते
बरसात के मौसम में किसान भी खुश हो जाता
खेती किसानी के काम में फटाफट लग जाता
हरियाली देख देख चहुँ ओर की
किसान भी मन में फूला नहीं समाता

✍️ अनिल राही
ग्वालियर मध्यप्रदेश

-

14.
[09/06, 16:10] आ. केशव मिश्रा मधुबनी:

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন  🎈 🎈 🎈 🎈 🎈🎈 🎈 🎈🎈🎈
🎁 🎂

* अमरेश कुमार झा " छोटकिन" *
            
को उनके * 30 वें * जन्मदिवस की अशेष शुभकामनायें। ईश्वर आपको दीर्घायु ,स्वस्थ रखें और आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करें।
शुभाशीष ।।
       केशव कुमार मिश्रा एवं सम्पूर्ण साहित्य एक नज़र टीम . ( 10 जून 2021 )

अंक - 31 - 33

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 31 से 33 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 10/06/2021 से 12/06/2021 के लिए
दिवस :- गुरुवार से शनिवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 31 तो कुछ रचनाएं को अंक 32 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 33 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 28 से 30

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo

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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html



अंक - 30
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )

1. आ. कुसुम लता ' कुसुम ' जी
https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1398073047230427/

https://youtu.be/0QLWO2FdMvE

आ. रंजना बिनानी जी
https://youtu.be/Olbch9wvIPE
2. आ. राजवीर सिंह मंत्र जी
https://youtu.be/7qcAM_3Kab4

3. साहित्य संगम संस्थान बिहार इकाई के अध्यक्षा आदरणीया ज्योति सिन्हा जी
https://youtu.be/QGwfayqgHIs

4. आदरणीया चन्द्रमुखी मेहता सदा जी - अध्यक्षा - साहित्य संगम संस्थान , छत्तीसगढ़ इकाई
https://youtu.be/cz02DdKyNdk
5. आदरणीय रजनी हरीश जी - अध्यक्षा - साहित्य संगम संस्थान तमिलनाडु इकाई
https://youtu.be/e5RxXs4oopU

6. आ. विनोद वर्मा दुर्गेश जी
अध्यक्ष हरियाणा इकाई
https://youtu.be/ZJRacydQ_Rw
7. आ. आ० रीता झा जी , साहित्य संगम संस्थान , उड़ीसा इकाई , अध्यक्षा
https://youtu.be/_UFLR4x7Fkk
8. आ. संगीता मिश्रा जी , संयोजिका - साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

https://youtu.be/jmF43PF0wwU
🌹🙏 शिवसंकल्प 🙏🌹

तुम बाधाएं डालो मग में,
मैं सबको ही पार करूंगा।
हिंदी में ही कार्य करूंगा,
हिंदी का उद्धार करूंगा।
🙏राज वीर सिंह🙏

कल तक जो देखा था सपना,
आज जुनून बन गया अपना।
आप सभी का साथ मिले तो,
लक्ष्य मिले आभार करूंगा।।
रंजना बिनानी
कार्यकारी अध्यक्षा असम इकाई

लेकर सबको साथ चलूंगा,
भले यह नवाचार कहलाए।
जनगणमन साहित्य सजाकर,
तकनीकि से वार करूंगा।।
डॉ भावना दीक्षित
अध्यक्षा म०प्र० इकाई

सच की राह नहीं छोडूंगा,
कहना # वाह नहीं छोडूंगा।
मध्य राह में नहीं रुकूंगा,
शब्दों से ही मार करूंगा।।
ज्योति सिन्हा
अध्यक्षा बिहार इकाई

आशा के संदीप सजाकर,
तम को ताली थाल बजाकर।
धीरज साहस के बल पर मैं,
सेवा बारंबार करूंगा।।
कुसुमलता
अध्यक्षा दिल्ली इकाई

देखो सतत प्रतीक्षारत है,
हिंदी सेवा का विस्तृत जग।
किञ्चित् सफल हुआ माता मैं,
गुलशन को गुलज़ार करूंगा।।
प्रदीप मिश्र अजनबी
अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर इकाई

नकारात्मकता हारेगी,
शम की शक्ति उबारेगी।
भावों में बहना न बहना,
एक-एक मिल चार करूंगा।।
संगीता मिश्रा
प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान

हिंदी भारत भाल की शोभा,
जिसका अब शृंगार ही होगा।
बाधाओं को कह दें आएं,
उनको भी स्वीकार करूंगा।।
राम प्रकाश अवस्थी 'रूह'
कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान इकाई

समताओं का मंत्र फूंककर
सद्भावों में गहन डूबकर।
मन को थोड़ा संयत करके
सूना पथ बाज़ार करूँगा।
विनोद वर्मा दुर्गेश
अध्यक्ष हरियाणा इकाई

जन जन तक हिंदी फैलाना,
गीत यही हर दम दोहराना।
साथ हजारों का लेकर के,
हिंदी का अभिसार करूँगा।।
वन्दना नामदेव
अध्यक्षा महाराष्ट्र इकाई

जुड़कर अपनी प्यारी जड़ से,
जीवन की सारी भड-भड से।
कला और साहित्य की खुशबू,
से मैं हरशृंगार करूंगा।।
रजनी हरीश
अध्यक्षा, तमिलनाडु इकाई

विनय पूर्ण अधिकार खरा हो,
रिक्त  स्नेह का  कोष भरा हो।
भय   न   होवे   अंतर्मन   में,
साथ सफाई झार करूंगा।।                           
# जयश्रीकांत
अधीक्षिका दोहाशाला/प्रधान
संपादिका दोहा संगम

हिंदी होगी सारे जग में,
ऐसे भाव भरे रग-रग में।
हिंदीमय हो जाए धरती,
शक्ति से हुंकार करूंगा।।
चंद्रमुखी मेहता
अध्यक्षा, छत्तीसगढ़ इकाई

विश्वपटल में शान बढ़ेगी,
यतियों की पहचान बढ़ेगी।
काया में जब तक हैं प्राण,
ऐसी ही ललकार करूंगा।।
रीता झा
अध्यक्षा, उड़ीसा इकाई

सुख भी प्यारा, दुख भी प्यारा।
कभी न  छूटे  , साथ तुम्हारा ।
संगम  में  अनमोल  रतन  हैं,
समभावों  से  प्यार  करूँगा ।।
                   ●
डाॅ0 राकेश सक्सेना, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश

समवेत प्रयास

🙏 ✍️ राजवीर सिंह मंत्र जी🙏
राष्ट्रीय अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1237973956636857&id=100012727929862

https://youtu.be/oeDczGNbq-4
कुछ पद बाद में आए हैं। इन्हें लिखित रूप से जोड़ा गया है।

अंक - 28 से 30

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937789836397911/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/-gxVYTWJQqU

https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1937003436476551/?sfnsn=wiwspmo

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

दिनांक :- 09/06/2021
दिवस :-  बुधवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय सह मीडिया प्रभारी
सह
पश्चिम बंगाल इकाई सचिव

अंक - 31 - 33

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 31 से 33 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 10/06/2021 से 12/06/2021 के लिए
दिवस :- गुरुवार से शनिवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 31 तो कुछ रचनाएं को अंक 32 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 33 में शामिल किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

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https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 28 से 30

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/303637988065651/?sfnsn=wiwspmo

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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html

कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html

अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html

कविता :- 20(24)

अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार

कविता :- 20(25)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html

अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

साहित्य एक नज़र 🌅




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