साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 66 , गुरुवार , 15/07/2021
अंक - 66
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
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मात्र - 15
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अंक - 66
15 जुलाई 2021
गुरुवार
आषाढ़ शुक्ल 6
संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण - पत्र - 5
कुल पृष्ठ - 6
सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -
1. आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2. आ. रोशन कुमार झा
3. आ. सोनू विश्वकर्मा " समर " जी ,
4. आ. सीमा मिश्रा जी , बिन्दकी फतेहपुर , भारत
5. आ. दीनानाथ सिंह जी , बलिया , उत्तर प्रदेश ,
6. आ. राम चन्दर आज़ाद जी , लदूना मंदसौर(म.प्र.)
7.आ. सुदामा दुबे जी , सीहोर , मध्य प्रदेश
8. आ. आ. देवानन्द मिश्र सुमन जी
🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
128. आ. सीमा मिश्रा जी , बिन्दकी फतेहपुर , भारत
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 66
Sahitya Ek Nazar
15 July , 2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 54 से 58 -
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
आ. ज्योति झा जी
संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी
संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html
अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/
कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html
अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/
कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html
अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/
कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html
अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html
कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html
विश्व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/
अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/
14 जून 2021 कोलकाता से गांव आएं
अंक - 35
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html
अंक - 66
नव सृजन
भारती की भूमि को नव रूप देने चल दिए हैं,
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
रंग तितली से चुराए, फूल से मुस्कान ली,
पवन से छीनी गति तो, पीक से है तान ली,
नव उमंगों की नव हम प्रीत रचने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
धैर्य धारण धरा से कर ,गगन से विस्तार छीना,
सूर्य से ली रश्मियां तो, संस्कृति से सत्य बीना,
मां के चरणों से भागीरथ नीर भरने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
श्रमिक से श्रमबिंदु लेकर, पुस्तकों से ज्ञान सीखा,
नए युग की नव विधा से,शौर्य का विज्ञान सीखा,
दुश्मनों के दल में नया हम मीत चुनने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
सृष्टि से कल्याण सीखा,दृष्टि से अभिमान रीता,
स्वच्छता ली नीर से तो,क्रांति से है कर्म जीता,
हर दिशा में नेह की नव रीत रचने चल दिए हैं।
नव सृजन के आज हम नवगीत गाने चल दिए हैं।
✍️ सीमा मिश्रा ,
बिन्दकी फतेहपुर
स्वरचित v सर्वाधिकार सुरक्षित
नमन मंच
" साहित्य एक नज़र "
अंक : 62 से 67 हेतु रचना
दिनांक : 11/07/2021
शीर्षक : __" मुहब्बत में नाकामी "
" गीत "
" मुहब्बत में नाकामी "
टूटा अपना दिल लिए अब ,
हम तेरे दर से चले ।
हो गए बर्बाद औ हम ,
हों तेरे हर दम भलें ।।
दर्दों गम ही हो गए अब ,
साथ अपने हमनशीं ,
चैन की तो सांस अपनी ,
उड़ गई जाने कहीं ,
दिल के अरमां आज मेरे ,
आँसुओं में बह चले
हो गए बर्बाद औ हम
राहें भी सुझतीं नहीं अब ,
मंजिलें भी खो गईं ,
जाएंगे तो अब कहां हम ,
ख़ुद को ही मालूम नहीं ,
आतिशे _ग़म से सदा अब ,
है बदन अपना जले _
हो गए बर्बाद औ हम _
टूटा अपना दिल लिए ये ,
कैसे अब जी पाएंगे ,
कब तलक आंखों से अपनी,
अश्क यूं तो बहाएंगे ,
जाएंगे मर आह भर अब ,
तू रहे फूले फले _
हो गए बर्बाद औ हम _
✍️ दीनानाथ सिंह
उपनाम : " व्यथित बलियावी"
ग्राम : रघुनाथपुर , छाता , जनपद : बलिया
उत्तर प्रदेश , भारत
विशेष :
आदरणीय ,
श्री रोशन कुमार झा जी,
मैं सादर आपको यह अवगत करना चहता हूं कि " चन्द्र बिन्दु " की जगह पर जहां विन्दु होगा , वहां चन्द्र बिन्दु लगा देने का प्रयास कर दीजिएगा क्योंकि कहीं मुझे मात्राओं के अंतर्गत इसमें चन्द्र बिन्दु दृष्टिगत नहीं होता है ।
धन्यवाद ।
#नमन मंच#
साहित्य एक नज़र
विषय- प्रतीक्षा
विधा-कविता
दिनाँक-13/07/2021
स्वरचित,मौलिक एवम प्रकाशनार्थ।
कविता - प्रतिक्षा
खूब प्रतीक्षा हमने कर ली,
अच्छे दिन के आने की।
चला गया बेटा विकास,
बेटी मंहगाई आ धमकी।।
रोज रोज बेटी मंहगाई,
रूप बदलकर आती है।
इसको बेंचा उसको बेंचा,
राहत नज़र न आती है।।
कब तक करें प्रतीक्षा तेरी,
कब आएगी रोजगारन।
बूढ़ी हो रही शिक्षा,डिग्री,
उमर गई तेरे कारण।।
बहन महामारी कोविड ने,
ऐसा परचम लहराया है।
उसके जाने की प्रतीक्षा में,
दो दो वर्ष गँवाया है।।
कॉलेज,स्कूलों पर भी
बहन महामारी के हाथ।
शिक्षक, छात्र नदारद हो गए,
कभी न दिखते दोनों साथ।।
राजा बाबू कुर्सी खातिर,
सब तिकड़म अपनाते हैं।
कड़वा, मीठा और चटपटा,
भाषण की चाट खिलाते हैं।।
आयु घट रही वर्ष बढ़ रहे,
कब अच्छे दिन आएंगे।
भारत बाबू तेरी महिमा,
कब कविजन गा पाएंगे।।
✍️ राम चन्दर आज़ाद
पता-जवाहर नवोदय विद्यालय,
लदूना मंदसौर(म.प्र.)
पिन-224230
मोबाइल संख्या -8887732665
कबिबर चिंतन भी करो जरूर
कविता लिखो रचना करो जरूर
कविता रचना वक्त सोंचो हुजूर
जिसमें भाषा हो सरल एवं सुमधुर
गिद्ध दृष्टि रखो तब दिखेगा दूर दूर
फूहर अश्लील शब्द करो किनार
लेखनी की गरिमा रखो बरकरार
समाज कल्याण को दो तुम धार
लहरी तेरी रचनाओं में दिखे सार
राष्ट्र गाथा उज्वल भविष्य कल्पना
रचना माध्यम तुम दिखाओ सपना
तूलिका से भर विचित्र रंग रचना में
उकेर कलम नोंक से वन जाए चित्र
चिंतन कर रचना रहेगा स्वतः नित्य
तन मेरा तेरा है सबका होता अनित्य
लेखन पूर्व आत्मसात कबिबर कर्तव्य
रचनात्मक रचना से ईश भी हों स्तब्ध
✍️ देवानन्द मिश्र सुमन
पतंगों सा मन
इन पतंगों सा मेरा जो मन उड़ रहा
प्रेम की डोर को तोड़ना तुम नहीं/
क्या पता पंछियों प्रेम की डोर क्या
मेरे जैसे कभी तुम उड़े ही नहीं/
उड़ रहा था गगन की ऊंचाई पे जो
मिल गया काफ़िला इक पतंगों का भी/
थी पतंगों की इतनी बनावट वहां
था रहा मै उलझ उस बड़ी भीड़ में /
कुछ पतंगें ख़ुशी में है लहरा रही
कुछ विरह गीत के गा रही थी वहां /
डोर मेरी जुड़ी जा के इक डोर से
दो पतंगों का फिर ये मिलन हो गया /
इस पतंग रूपी मन का मिलन जब हुआ
ये हवाऐं भी खुशियां मनाने लगी /
प्रेम में उड़ रहे इस खुले ब्योम में
बेवजह इस धरा पे ना लाना मुझे /
इन पतंगों सा मेरा जो मन उड़ रहा
प्रेम की डोर को तोड़ना तुम नहीं /
✍️ सोनू विश्वकर्मा " समर "
अध्यापक (बेसिक शिक्षा विभाग)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - तुमसे मिलने आता हूँ ,
💖🥰
तुमसे मिलने आता हूँ ,
सारी दुख दर्द भूलाकर
सुख चैन पाता हूँ ।
हो गयी दिल की पूजा पाठ
पता तो हमें है तेरे
बिन कैसे समय बिताता हूँ ,
आज जो दी हो ये डायरी
इसमें तुम पर ही कुछ गाता हूँ ।।
बेटा के जगह बेटा उसके बाद
कुछ कहा जाता हूँ ,
एक दिन लायेंगे बराती तुम्हारे
घर यही ख़्वाब सँजाता हूँ ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(58)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
15/07/2021 , गुरुवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 66
Sahitya Ek Nazar
15 July 2021 , Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
मुरझायेे भाव सुमन
प्रीत के हार के !
लूट ले गया कोई
काफिले बहार के !!
आये ना वो कभी
वादा जो कर गए !
थक गए है हम
उनको देखो पुँकार के !!
रिश्तों का बंधन जो
हँसते हुए तोड़ गए !
बैठे है उदास से हम
मन अपना मार के !!
दर्द बढ़ा गहरा सा दे
गए है वो हमे !
घाव भी प्यारे से लगे
हमे अपने यार के !!
भूलने की आदत थी
भूल गए वो हमे !
चर्चे करते हैं हम फिर
भी उनके प्यार के !!
✍️ सुदामा दुबे
मुकाम --बाबरी
पोस्ट-- डिमावर
तहसील--नसरूलागंज
जिला--सीहोर म० प्र०