साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 63 , 12/07/2021 , सोमवार

साहित्य एक नज़र


अंक - 63
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
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मात्र - 15 रुपये

अंक - 63
12 जुलाई  2021
सोमवार
आषाढ़ शुक्ल 2
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र -  7
कुल पृष्ठ -  8

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. शुभ जगन्नाथ रथयात्रा
2.  आ. कवि सम्मेलन में आमंत्रित - आ. प्रभात गौर जी
3. आ. अजय कुमार झा "तिरहुतिया" जी , कोलकाता
4. आ.  डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित जी
5. आ. वैभवी जी , नई दिल्ली
6. आ. अनुराधा कुमारी जी
7.आ.  डॉ मंजु सैनी जी , गाज़ियाबाद
8. आ. सीमा रंगा जी , हरियाणा
9. आ. सुरेश लाल श्रीवास्तव जी , मध्य प्रदेश
10. आ.  रोशन कुमार झा , कोलकाता / मधुबनी
11. आ. राम चन्दर अज़ाद , उत्तर प्रदेश
12.  आ. सीमा सिंह जी ,  मुंबई
13. आ. भूपेन्द्र कुमार भूपी जी , नई दिल्ली

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
125 . आ. अजय कुमार झा " तिरहुतिया "
कोलकाता ( पश्चिम बंगाल )

अंक - 62 से 67 तक के लिए इस लिंक पर जाकर  रचनाएं भेजें -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
शुभ जगन्नाथ रथयात्रा ,
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार




सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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फेसबुक - 1

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वीडियो -
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अंक - 54 से 58 -
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फेसबुक - 2

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वीडियो -
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
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मधुबनी - 1
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साहित्य एक नज़र
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 63 ,  सोमवार
12/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 63
Sahitya Ek Nazar
12 July ,  2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई












अंक - 61

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/61-10072021.html

कविता :- 20(53)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2053-10072021-61.html

अंक - 61
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

अंक - 61
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xibe/

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(54)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2054-11072021-62.html
अंक - 62
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/62-11072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/rfco/

कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html

अंक - 57

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ymqf/

अंक - 58
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xwjc/

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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

साहित्य एक नज़र , अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी, अंक - 3

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शुभ जगन्नाथ रथयात्रा २०२१ , শুভ জগন্নাথ রথযাত্রা ২০২১ , Happy Jagannath Rath Yatra 2021

पूर्व भारतीय उड़ीसा राज्य व वर्तमान ओड़िशा राज्य
का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं ।



150 घण्टें से ज्यादा के वर्ल्ड रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में शामिल होंगे प्रयागराज , उत्तर प्रदेश के प्रभात गौर

150 घण्टे से ज्यादा लगातार चलने वाला ये ऑनलाइन कवि सम्मेलन  इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा l इस कवि सम्मेलन में देश विदेश सहित 750 कवि हिस्सा लेंगे l इसी बीच
प्रयागराज , उत्तर प्रदेश के प्रभात गौर भी अपनी कविता पढ़कर शहर का नाम रोशन करेंगे l बुलंदी जज़्बात ए कलम संस्था द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होकर यादगार कार्यक्रमों में शामिल होगा l बुलंदी जज्बात ए कलम साहित्यिक संस्था उत्तराखंड के बाजपुर से संचालित होती है जिसके संस्थापक बादल बाजपुरी हैं l संस्था के संस्थापक बादल बाजपुरी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश शर्मा जी द्वारा निमंत्रण पत्र भेज कर प्रयागराज , उत्तर प्रदेश के प्रभात गौर कवि को इस आयोजन में काव्य पाठ करने के लिये आमंत्रित किया गया है l  यह कवि सम्मेलन 11 जुलाई से 16 जुलाई तक लगातार चलेगा l  विश्व के सबसे लंबे चलने वाले इस कवि सम्मेलन में  कनाडा , जर्मनी , दुबई ,सऊदी ,यू इस ए बेल्जियम , केलिफोर्निया, आबू धाबी , सिंगापुर तक के कवि सहित कुल 750 से ज्यादा कलमकार सम्मलित होंगे l

युगीन यथार्थ

बड़े-बड़े लिफाफे में
छोटे-छोटे संदेश
डिजिटल दुनिया में
संवेदन शून्य विवेक।।
त्वरित क्रियान्विति
व्यक्ति की बनती पहचान
व्यथित रीति नीति
मानवता होती मुक्त परिधान।।
मुनाफे के गणित में उलझा
जीवन व्यापार सा हो गया
रिश्ते प्रतिस्पर्धा में बदल गए
यही व्यक्तित्व का
व्यक्तिकरण है।।
परिभाषा से बेहतर
उदाहरण है
जीवन एक कला है
मूर्ख हैं जिन्हें कलाबाजी
से परहेज
दर्शन और दिखावा
एक ही बात है।।

✍️ अजय कुमार झा "तिरहुतिया"
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

आलेख - समय की कीमत ✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

  समय के अनुसार ही दिन रात बदलते हैं। ऋतुएं बनती है। मौसम बदलते हैं। समय का अनमोल उपहार ईश्वर ने हर जीवित प्राणी को प्रदान किया है। महाभारत धारावाहिक आपने देखा होगा उसमें एपिसोड शुरू होते ही आता है "मैं समय हूँ"। समय रुकता नहीं ठहरता नहीं। समय का पहिया तो दिन रात चलता है। व्यक्ति के कभी अच्छा तो कभी बुरा समय आता है  समय का खेल निराला रे भाई। समय के आगे अमीर गरीब सभी को झुकना पड़ता है। समय बड़ा कीमती है। समय का एक एक पल कीमती है।
   जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने समय का मोल जाना और देश व समाज के लिए रात दिन कार्य किया। यदि आप समय की कद्र न करोगे तो समय भी आपकी कद्र नही करेगा। समय का उपयोग बुद्धिमान व परिश्रमी लोग करते हैं।क्योंकि जो समय गुजर गया वह वापस लौट कर नहीं आता।अगर हम सभी कार्य समय पर पूर्ण करते हैं तो जीवन मे सुख शांति वैभव यश व सम्मान मिलता है। हम व्यवस्थित रूप से जीवन जीते हैं। जी लोग समय पर कार्य नहीं करते वे बीमार रहते हैं। उनके मानसिक तनाव बना रहता है। चिंता उन्हें सताती रहती है। परेशान रहते हैं। उनके रक्तचाप माइग्रेन जैसी बीमारियां हो जाती है  उनका जीवन अस्त व्यस्त रहता है। समय निकल जाता है व्यक्ति खाली हाथ रह जाता है। यदि बरसात में पानी नहीं बरसे तो वर्षा ऋतु का क्या महत्व है उसी तरह व्यक्ति समय पर काम न करें तो उसका समाज व हर जगह क्या महत्व रह जाता है। इसलिए कहा है समय की कीमत है। विद्यार्थियों को पढ़ाई करते समय आलस नहीं करना चाहिए। आज का काम कल पर नहीं टालना है। आज का काम आज अभी करो। परीक्षा आती है तब जो विद्यार्थी पढ़ते है वे अक्सर असफल होते हैं। कबीर ने कहा था काल करे सो आज कर। आज करे सो अब। पल में परलय होएगी बहुरि करेगो कब।। इसलिए समय की कीमत जानो और जीवन मे आगे बढ़ो।

✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि,साहित्यकार
भवानीमंडी , राजस्थान

प्रकृति

पुष्पों से पल्लवित
हर्ष का संचार करती
हृदय में मानव के
नव स्वप्नों का निर्माण करती
पल प्रति पल उम्मीद
का संवहन कर
जीवन में नव उन्मेष का
बीज रोपती
नित्य अपने कर्मों से
प्रगति पथ पर
निरंतर चलने को
हमें उत्साहित करती
यदि कभी निराशा हो मन में
आशा में उसे परिवर्तित करती
चंचल सुन्दर सौम्य रूप इसका
निरखते ही मनुष्य को
प्रभावित करती
अगर हो अँधेरी रात तो
चाँद दिखाता मार्ग है
तपती दुपहर में भी तो
वृक्ष की शीतल छाँव करती
जीवन का आधार बन
सभी को राह दिखाती 
प्रकृति ही तो सम्पूर्ण जगत को
आशावादिता के सन्देश से भारती

  ✍️ अनुराधा कुमारी

सादर नमन साहित्य एक नजर

विषय

साहस

जगाए रखो साहस अपना
एक ना एक दिन
सफल हो जाओगे
ना खोने देना मनोबल अपना
विश्वास की डोर
लंबी रखना अपनी
साहस की डोर पक्की
इतनी रखना
हो जाएगी नाव पार सबकी
तेरा साहस डर को भगा देगा
सफलता की सीढ़ी चढ़ जाओगे
तुम साहस के बल कर
जाओगे काम सारे जग में अपना
नाम कमा लोगे सारे रखना साहस
ऊंचा हमेशा अपना साहस के बल
पर तो चींटी पहाड़ चढ़े देख
तेरे साहस को खुशियां लहराएंगे
सीख लेंगे दूसरे लोग तुझसे
देख बुलंदियों हो जाएंगे सभी तेरे
सूरज चांद करेंगे अभिषेक तेरा
जग में चमकोगे तुम

✍️ सीमा रंगा
हरियाणा
स्वरचित व मौलिक रचना

आदरणीय
सादर नमन 🙏

कविता - ज़िंदगी

एक ऐसा भी दिन था
जब आंसुओं का पहाड़
बड़ा और बड़ा हुआ जा रहा था
ना जी पा रहे थे
और ना मर पा रहे थे
यह जानकर भी के एक दिन
बिछड़ेंगे हम दोनों
आंसुओं की जगह
मुस्कुराना पड़ता था
ईश्वर की छाया गहरी और
गहरी हुई जा रही थी
और तब देखते ही देखते
वह साथ छूट गया
ना जाने तुम कब और
कहाँ चलें गए
एक अंतहीन बिछड़ना
देख रही है नैना
पर दिल को कैसे समझाए
हम तो दिल पा कर भी
पत्थर हो गए ।

✍️ वैभवी
उम्र-12 साल
दिल्ली

मैं अपनी रचना भेज रही हूँ ।आशा है आप मेरी रचना को अपने पत्रिका में स्थान देने की कृपा करेंगें।


प्यार में तक़रार

तुम मुझसे यूँ
रूठ जाया न करो ।
मेरी बातो को
गलत समझ,
यूँ झुठलाया न करो
प्यार में तकरार
भी जरूरी है।
हम दोनो गैर नहीं है,
ओर अनजाने
भी तो नहीं हैं।
अपनी गलती भी
हम समझते हैं
बस दोनों नादान
जरूर हैं।।
प्यार में तकरार
भी जरूरी है।
आप को मेरी
बातें न जाने क्यों
खटकती रहती हैं अक्सर
पर इसमें सच्चाई है
,की प्यार गहरा है
अंतिम हद तक
भरपूर बना भी रहेगा
प्यार में तकरार
भी जरूरी है।
सोचो गलती पर ,
अपनी अपनी
यूँ पछताया न करो
तुम अकेले में
प्यार और टकरार
तो जरूरी हैं
एक दूजे के लिए
साथ देने को
प्यार में तकरार
भी जरूरी है।
बातों को यूँ
ठुकराया न करो
ध्यान तो जरा
लगाया करो
साथ देना है अब
तो जीवन भर यूँ ही
मत हटना अब
तो पीछे कभी
प्यार में तकरार
भी जरूरी है।

✍️ डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

प्रकृति प्रेम          
             
अपने घर के सामने मैंने,इक सुन्दर उपवन सृजित किया।
विविध किस्म के पौधों से,उपवन को सुन्दर रम्य किया।
इस उपवन की माँ मेरी, प्रतिदिन निगरानी  करती हैं।
साफ-सफाई कर उपवन का, माँ ने उसको स्वच्छ किया।।
सरला इक धेनु रही घर में, जो बहुत ही सीधी-साधी थी।
जब चाहे कोई दुग्ध ले ले, सामने सरला आ जाती थी।
इस धेनु के महिमा गायन में, जितना कह लें वह सब कम है।
आठ जून दो हजार पन्द्रह को, सरला परलोक सिधारी थी।।
सरला के मरने पर मुझको, दुःख ने बहु झकझोर दिया।
सरला समाधि संस्थापित कर,वाटिका सृजन का संकल्प लिया।
प्रस्तावित इसी वाटिका में, सरला की श्रद्धांजलि सभा हुई।
सरला के त्रयोदश संस्कार में, बहुतों ने भोजन ग्रहण किया।।
सरला की यादों का उपवन,पक्षियों का सुन्दर वसेरा है।
खगकुल कलरव बहु करते हैं, मोरों का भी यहाँ डेरा है।
दाना चुगने पानी पीने की, सुन्दर व्यवस्था करती हैं माँ।
पक्षियों का आपस में प्रेम-भाव से, मिलन यहाँ पर होता है।।
अशोक आम लीची नींबू, आंवला अमरूद भी सुन्दर है।
सीताफल, पम्प का पेड़ यहाँ, नीम मध्य में राजित है।
गेंदा, गुलाब जूही चम्पा की, वाटिका में सुन्दर है क्यारी।
नित यहाँ गिलहरी दौड़ मचाती, महोगनी पेड़ पर चढ़ती है।।

✍️ सुरेश लाल श्रीवास्तव
        प्रधानाचार्य
राजकीय विद्यालय अम्बेडकरनगर,उत्तर प्रदेश
     9415789969

नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
कविता -  मैं बदला नहीं हूँ ।

लोग कहते है -
मैं बदल गया है ,
बदला तो नहीं हूँ
पर कुछ दोस्त यार
से बिछड़ गया है ।
कुछ करने की इच्छा
मन में भर गया है ,
तब जाकर ये इच्छाएं
उभर गया है ।।
कुछ करने का ,
संघर्ष से लड़ने का ।
थके हुए के अंदर
जोश भरने का ,
लोग कहते है हम बदल
गये हमें न
उनके बातों से डरने का ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(55)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
12/07/2021 , सोमवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 63
Sahitya Ek Nazar
12 July 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

  👁️ नेत्र 👁️ ✍️ सीमा सिंह  , मुंबई

छिपाए है ना जाने कितने गहरे राज,
ये झील सी प्यारी आँखें।
दिल से दिल मिलाती है,
कभी दुश्मन तो कभी दोस्त,
बनकर मुस्कुराती है।
मन के मंदिर में छायी है,
अजब सी खुमारी उनको ही,
सुना डाली अपनी पूरी कहानी।
छिपाए है न जाने कितने गहरे राज,
ये झील सी प्यारी आँखें।
कभी गीत तो कभी गज़ल हैं,
चेहरा चाँद तो आँखें कमल हैं।
कभी लगे चंचल जैसे कोई झरना,
सबको सिखा दे पल में सँवरना।
छिपाए हैं ना जाने कितने गहरे राज,
ये झील सी प्यारी आँखें।
आँखें है तो ख़ूबसूरत लगे सारा जहाँ,
बरना आँखें बिना इस दुनियाँ में,
कौन कहाँ।
आँखों ही आँखों में,
जब हो जाती है बात।
पल भर में कट जाती,
सुहानी लम्बी रात।
छिपाए हैं न जाने कितने गहरे राज
ये झील सी प्यारी आँखें।
कभी दिल की धड़कन बन,
प्यार जताती हैं आँखें।
कभी ख़ुशी कभी गम में,
आँसू बहाती है आँखें।
ईश्वर का दिया हुआ,
सबसे सुंदर उपहार हैं आँखें ।

✍️ सीमा सिंह
   मुंबई

भारत का किसान

स्वरचितकर्म देवता, श्रम देवता,
अन्न देवता, ग्रामदेवता
जो अब तक चुपचाप रहा है
अब अपना हक माँग रहा है।।
लगता है अब
मेरा भारत धीरे धीरे जाग रहा है।।
जिसने मिट्टी और सृष्टी से
प्यार किया था।।
धरती को माता सम
पूजा, प्यार किया था।
वही अन्नदाता
अपना हक़ माँग रहा है।
लगता है अब
मेरा भारत धीरे धीरे जाग रहा है।।
उसकी मेहनत का फल
कोई और उठाए।
उसकी धरती पर कोई
अब रंग जमाए।
वही जिसे धरती से ही
अनुराग रहा है
अब  अपना हक़ माँग रहा है।
लगता है अब
मेरा भारत धीरे धीरे जाग रहा है।।
जय जवान तो सब जुबान पर
जय किसान बस कहने को भर ।
सारे जग का पालनहारी,
उपेक्षा ही का भाग रहा है।
अब अपना हक़ माँग रहा है।
लगता है अब
मेरा भारत धीरे धीरे
जाग रहा है।।
नहीं कर सकेगा अब
कोई  अपनी मनमानी ।
उसने भी अब सीख लिया
कब लाभ है किसमे हानि।
मोहन के व्रत का अनुगामी,
अब अपना हक़ माँग रहा है।
लगता है अब
मेरा भारत धीरे धीरे जाग रहा है।।

✍️ राम चन्दर अज़ाद
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
पिन-224230
मो.8887732665

# नमन मंच
साहित्य एक नज़र
अंक 62-68 हेतु रचना
सुबह की शुरुआत, माँ के चरणों में नमन के साथ🙏🙏

जय माँ अम्बे

हे मातृशक्ति पूजूँ सदा,
तू कालिका, तू वैष्णवी,
तू ही शिवा कल्याणी l
रामेश्वरी, ब्रह्मेश्वरी,
कृष्णेश्वरी, इन्द्रेश्वरी,
तू ही दुर्गा भवानी l
शाकम्भरी, भ्रामरी,
धात्री, छिन्नमस्तकनी,
तू ही दक्षिणेश्वरी
त्रिपुरसुंदरी l
दुर्गभीमा, दुर्गभामा,
दुर्गभा, दुर्गमध्यान
भाषिणी,
तू ही दुर्गमविद्या
सर्वसिद्धि दायिनी l
जयंति, मंगला, काली,
भद्रकाली,कपालिनी,
तू ही क्षमा स्वरूपनी l
हे माँ नतमस्तक हूँ,
करो उद्धार माते अम्बे,
तू ही सृष्टि संचालिनी l

✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी
     नई दिल्ली

               



साहित्य एक नज़र

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