साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 61 , शनिवार , 10/07/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 61
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

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मात्र - 15 रुपये

जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 61
10 जुलाई  2021
शनिवार
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण - पत्र -  7
कुल पृष्ठ -  8

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ.  बिहार बोधि काव्य संग्रह - पृष्ठ
2.  आ. हिंददेश परिवार
3. आ.  " कवि  " सुदामा दुबे जी , सीहोर , म० प्र०
4. आ. वर्ल्ड रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में  पुरोहित  जी "
5. आ. डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित जी " - दोहे
6. आ. सपना 'नम्रता' जी
7.आ.  अजय आवारा जी
8. आ. सोनू विश्वकर्मा ' समर ' जी
9. आ. सुरेश लाल श्रीवास्तव जी, उत्तर प्रदेश,
10. आ. कलावती कर्वा जी
11. आ. रोशन कुमार झा

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
123. आ. " कवि  " सुदामा दुबे  जी , सीहोर , म० प्र०

अंक - 54 से 58
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रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

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अंक - 1

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अंक - 49 से 53
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साहित्य एक नज़र
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 61 ,  शनिवार
10/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 61
Sahitya Ek Nazar
10 July ,  2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
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आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
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साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई





कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2046-03072021-54.html

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 55
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/55-04072021.html

कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/56-05072021.html

कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/57-06072021.html

कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/58-06072021.html

कविता :- 20(50)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2050-07072021-58.html

साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 59

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
अंक -3
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 2
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(51)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2051-08072021-59-3.html

कविता :- 20(52)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2052-0972021-60.html

अंक - 60
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अंक - 61

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कविता :- 20(53)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2053-10072021-61.html

अंक - 61
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अंक - 61
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कविता :- 20(54)
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अंक - 62
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कविता :- 20(45)
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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अंक - 57

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अंक - 58
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
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साहित्य एक नज़र , अंक - 59 , गुरुवार , 08/07/2021 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी, अंक - 3

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अंक - 61
10 जुलाई  2021
शनिवार
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या
संवत 2078
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हिंददेश परिवार की वर्चुअल मीटिंग सम्पन्न - भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा हांसिल करना है - कुमार अजय सिंह*

✍️ राजेश पुरोहित, भवानीमंडी
डिब्रूगढ़ (असम):- हिंददेश परिवार संसार को सुंदर और खुशहाल बनाने के लिए दृढसंकल्पित है। साहित्यि के माध्यम से इस पवित्र कार्य को किया जा रहा है। संसार के कई देशों में इसकी इकाइयों का गठन हुआ है जिससे इस काम को और द्रुत गति से किया जा सकें। इस संस्था की संस्थापिका और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्षा - डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि है। इंदु उपाध्याय संचिता इस संस्था की अंतरराष्ट्रीय संयोजिका तथा -डॉ . राजेश कुमार पुरोहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रभारी है। आ0 बजररंग केजड़ीवाल, पुष्पा बुकलसरिया महासचिव हैं। इसके अलावा देश - विदेश अनेकों लोग इस संस्था से जुड़कर संसार की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं।
   इसी क्रम में आज  हिंददेश परिवार भोजपुरी  इकाई  की वर्चुअल  के विस्तार किया गया, जिसमे प्रभारी डाल्टेनगंज के शिशिर कुमार शुक्ला, उपाध्यक्ष कवि दिलीप मेहता, सचिव शिव कुमार चौधरी, सहसचिव कवयित्री राॕची के नीतू सिन्हा , तरंग एवं अधीक्षक बेरमो राजेन्द्र कुमार सिंह को चुनाव किया गया।
      वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार अजय सिंह और राष्ट्रीय संयोजक लाखन सिंह ने कहा कि ये यह इकाई भोजपुरी साहित्यसाधको को समर्पित है|सलील गीतकार,साहित्यकार,सकारात्मक सोचवाले लोग को जोड़कर भारतदेश को गौरवशाली बनाना है और भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा हासिल करना है। नवनिर्वाचित प्रदेश अध्‍यक्ष ललन सिंह मुखिया एवं प्रभारी शिशिर कुमार शुक्ला ने कहा कि हम लोगों की जो जिम्मेदारी मिली है ईमानदारी से इकाई को चलाएगे कमिटी ने निर्णय लिया कि समाज सेवी,अधिकारी, मिडिया के लोगो को उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन कवयित्री नीतू सिन्हा तरंग ने की तथा संसार की कल्याण की कामना की।

* दोहे *

नींव खिसकती देख के,मन में हुआ मलाल।
टूटे अब परिवार भी, होता नित्य बवाल।
सभी नींव पर ध्यान दो, नहीं रहे कमजोर।
अगर रही कमजोर तो,खूब मचेगा शोर।।
गिर जाती दीवार है,नींव अगर कमजोर।
करते हैं सब इसलिए, दुनिया वाले शोर।
नींव बने मजबूत ही,रखो सदा तुम ध्यान।
मेहनत कर बढ़ते रहो ,खूब मिलेगा मान।।
जो रखते बुनियाद हैं , उनकी बातें मान।
सोच समझकर बोलते, वो है घर की शान।।

✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि,साहित्यकार
भवानीमंडी राजस्थान

" 150 घण्टें से ज्यादा के वर्ल्ड रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में शामिल होंगे भवानीमंडी शहर के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित "

विश्‍व के सबसे लंबे वर्चुअल कवि सम्मेलन में अपने ही शहर के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित होंगे शामिल - भवानीमंडी :- 150 घण्टे से ज्यादा लगातार चलने वाला ये ऑनलाइन कवि सम्मेलन  इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा l इस कवि सम्मेलन में देश विदेश सहित 750 कवि हिस्सा लेंगे l इसी बीच भवानीमंडी के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित भी अपनी कविता पढ़कर शहर का नाम रौशन करेंगे l बुलंदी जज़्बात ए कलम संस्था द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होकर यादगार कार्यक्रमों में शामिल होगा l बुलंदी जज्बात ए कलम साहित्यिक संस्था उत्तराखंड के बाजपुर से संचालित होती है जिसके संस्थापक बादल बाजपुरी हैं l संस्था के संथापक बादल बाजपुरी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश शर्मा जी द्वारा निमन्त्रण पत्र भेज कर डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित कवि को इस आयोजन में काव्य पाठ करने के लिये आमन्त्रित किया गया है l  यह कवि सम्मेलन 11 जुलाई से 16 जुलाई तक लगातार चलेगा l  विश्व के सबसे लंबे चलने वाले इस कवि सम्मेलन में  कनाडा , जर्मनी , दुबई ,सऊदी ,यू इस ए बेल्जियम , केलिफोर्निया, आबू धाबी , सिंगापुर तक के कवि सहित कुल 750 से ज्यादा कलमकार सम्मलित होंगे l

जन-मन का राजा ✍️   सपना 'नम्रता'

सौभाग्य है देवभूमि का
जिसने राजा वीरभद्र
सा नेता पाया
समझ जनता को जो
अपनी ही संतान
प्रेम, स्नेह उन पर लुटाते
अदम्य साहस पूर्ण व्यक्तित्व
जिया जीवन स्वाभिमान से
मन में न था उनके कोई वैर
जिससे मिलते उसे
अपना बना लेते
न झुके न दिया झुकने
औरों को  जिसने सबको
प्रेमभाव से गले लगाया....
राजनीति के थे सच्चे सिपाही
देश प्रेम रहा सदा जिनके
पहले  बाकी सब बाद में
इनके नेतृत्व में
हर क्षेत्र में, हिमाचल ने
शिखर छुएं कई-कई....
गाँव- गाँव का किया विकास
दीन-दुखियो की सेवा में
समर्पित रहे हमेशा
एक ऐसा नेता जो
जनता की समस्याओं को
सुनने खुद जाते उनके बीच
सुन उनकी यूँ समस्याएं
कोशिश सदा रहती उनकी
निर्वहन हो हर समस्या का..
देखो कैसा सन्नाटा आज
यहाँ छाया
क्या विपक्षी, क्या प्रतिद्वंद्वी
शोक मना रहा आज
समस्त हिमाचल
अपने प्रिय नेता को खोकर
विशाल हिमालय भी आज
मौन खड़ा
धरती माँ भी अपने इस बेटे को
सीने से लगाने तरस रही है
देवभूमि का हर वासी
अश्रु आखों में लिए
करने आया आज अंतिम दर्शन
अपने प्रिय नेता का...
चुप नहींं रहा जाता अब
जनता आप से पूछ रही
जाना क्या इतना जरूरी था
जो अपनी ही प्रिय प्रजा को
यू अकेला छोड़ चले गएं।

✍️   सपना 'नम्रता'

भारत की यह पावन भूमि  
सदा  रही बलिदान की !
सारे जग से बात निराली
अपने  हिंदुस्तान  की !!
चंदन जैसी महक है इसकी
कुंदन विखरा कण कण में !
जग जाहिर है इसकी ख्याति
मान  और  सम्मान  की !!
राणा सॉगा और  शिवाजी
वीर हुए  है एक से  एक !
खुदीराम टेगौर तिलक यह 
गाँधी जैसे महान  की !!
अर्णव इसके पैर  पखारे
चँवर  ढुराए मंद  समीर !
सीना ताने खड़ा हिमालय
बात करें अभिमान की !!
कला सृजन और स्वर साहित्य
गूँजे यहॉ पर गली गली !
सदियो से वहती यहॉ सरिता
सदा  ज्ञान  विज्ञान की !!

✍️ "कवि" सुदामा दुबे
  मुकाम-बाबरी पोस्ट-डिमावर
  तहसील- नसरूलागंज
जिला-सीहोर म० प्र०

" अधजल गगरी छलकत जाय "

जो जितना   ज्ञानी   होता  है,
वह    विनयशील भी होता है।
फल संयुत्    वृक्षों   को देखो,
वह     नीचे को झुक जाता है।
थोड़े   में     इतरा   जाने  की,
बहुतों  की    आदत है   होती।
अधजल गगरी छलकत जाये,
चरितार्थ   उसी   पर  होता है।।
धन हो अथवा  ज्ञान बल हो,
थोड़े   ही उत्पात मचाते   हैं।
जिनमें इसकी प्रभुता ज्यादा,
चुपचाप  सदा   वे  रहते   हैं।
थोड़े  के ज्यादा  नाज  नखरे,
अक्सर  देखने को है मिलता।
भरी   गगरिया   चुप्पे   जाये,
सम्पन्नों पर अधिक बैठता है।।
ओछरता उनमें  ज्यादा   होती,
धन,बल की जिनमें न्यूनता है।
पद-चाप  भी   सुनायी न देता,
सक्षम    आगे   बढ़  जाता है।
रोही    मछली   को   देखें   तो,
अति  गहरे जल में भ्रमण करे।
सेधरी  मछली   थोड़े   जल में,
फड़-फड़   करती   रहती    है।।
थोथा     चना     बाजे     घना,
बहुतायत     से  हम   सुनते हैं।
इसका   भी  मतलब य ही रहा,
छोटे  ही अधिक   फुदकते   हैं।
ज्ञान,  मान   व   बुद्धि   बल से,
थोड़े   की  शान  अधिक  होती।
पद   और    प्रतिष्ठा   में  भी तो,
थोड़े   ही  ज्यादा   दिखलाते हैं।।
थोड़े   में   ज्यादा   इतरा  जाना,
होता  है   अच्छा   कभी    नहीं।
विनम्रता    तेरा     आभूषण  है,
इसको   तुम   पूजो    सही सही।
नित     ज्ञान   बढ़ाओ  अर्जन से,
इसकी     न     कोई    सीमा  है।
ज्ञानी,   विज्ञानी ,     विनयी  को,
आदर    मिलता   इस बीच मही।।

✍️ सुरेश लाल श्रीवास्तव
          प्रधानाचार्य
राजकीय विद्यालय अम्बेडकरनगर
उत्तर प्रदेश,9415789969




** तारे **

है इतनी अभिलाषा मेरी तारक पूरी कर देना /
हमको अपने जैसे गुण से तुम तर कर देना -१
हम भी चमके रातों को गम रूपी तम को हर लेवें/
हम टूटे तो तुमसा टूटे हर इच्छा पूरी कर देवें /
हो बड़े पुराने दिलबर तुम रजनी को वस में कर लेना /
है इतनी अभिलाषा मेरी तारक पूरी कर देना /
हमको अपने जैसे गुण से तुम तर कर देना - २
है बड़ा मनोहर शहर तेरा हर जन उत्साहित लगते हैं /
हंसते हैं गुल जैसे सब फुलझडियों सा सब सजते हैं /
हो जलसा कोई अगर वहां हमको भी निमंत्रण दे देना /
है इतनी अभिलाषा मेरी तारक पूरी कर देना /
हमको अपने जैसे गुण से तुम तर कर देना --३
हंसमख से हो तुम इतने की रजनीपति भी खुश होते हैं /
होकर के गुम दिनकर भी अभिनंदन तेरा करते हैं /
हम चमके तुमसा वसुधा पर ये इच्छा पूरी कर देना /
है इतनी अभिलाषा मेरी तारक पूरी कर देना /
हमको अपने जैसे गुण से तुम तर कर देना -४

✍️ सोनू विश्वकर्मा ' समर '
अध्यापक ( बेसिक शिक्षा विभाग )

कविता :- 20(53)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - हार मानना संभव नहीं -

हार मान लूँ
यह संभव नहीं  ,
वह भी अब नहीं ।
पुरानी बातें अब
वह नव नहीं ।
साथी कई है
पर साथ सब नहीं ।
व्यस्त हूँ
इस व्यस्त जीवन में वैभव नहीं ,
कर्ता हम
कर्म करने वाला रब नहीं ,
हार कर आऊँगा
हार से ही जीतूंगा
हार से भागने वाला सभ्य नहीं ,
हार मानने वाला में से
मैं अब नहीं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(53)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
10/07/2021 , शनिवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 61
Sahitya Ek Nazar
10 July 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

हर अधूरी ख्वाहिश हसीन तो होती है,
पर अधूरी मोहब्बत से  प्रीत डरती है।
थकता है दिन बेहाल पसीने से सरोबार
शीतल है ये रात तभी सुकून से सोती है।
क्यों नहीं समझता तू दर्द खामोशी का,
लहू बहे कहीं भी, आंखें ही तो रोती हैं।
थक गया अंधेरे से लड़ कर वो दीपक,
किसे पता, रात भर बाती भी जलती है।
सुनते हैं जाने वाले लौट कर नहीं आते,
कोई बता दे उनकी याद क्यों आती है।

✍️ अजय " आवारा "

खुद से दूर

मैं प्रायः खुद ही खुद से दूर रहती हूँ
अपनों के संग सदा जीना चाहती हूँ
दुःख सहने की सहनशक्ति रखती हूँ
मन को समझने की कोशिश करती हूँ
अंदर से घायल ऊपर से मुस्काती हूँ
कांटों के बीच खिलना गुलाब से सीखती हूँ
खुद ही खुद की सहेली बन जीना चाहती हूँ
आँधी आए तूफ़ाँ आए टूट कर नहीं बिखरती हूँ
क्रोध जब आता मन को शांत, मोन हो जाती हूँ
गलती पर पछताती ना दोहराने की कसम खाती हूँ
क्रोध पर काबु पाने की भरसक कोशिश करती हूँ
खुद के मन को फिर खुद ही समझाती रहती हूँ
गलती किसी की भी हो खुद ही झुक जाती हूँ
दिल से क्षमा करती मन में दुर्भाव नहीं रखती हूँ
मन में उठती यादों की स्मृतियाँ भाव लिखती हूँ
कलम से कागज पर भावों का पिटारा खोलती हूँ
प्रेम रस में डूब सतरंगी ख्वाबों को बुनती हूँ
प्यार,ज़ज्बात,विरह,वेदना,वात्सल्य लिखती हूँ
भाव रस में होकर भाव विभोर गीत गुनगुनाती हूँ
मन में दबी कही अनकही बाते सदा लिखती हूँ
छोटी सी कलम कागज पर अल्फाज़ लिखती हूँ
मन की बात कभी दिल के ज़ज्बात लिखती हूँ
अपने मन को सदा मथनी से मथती रहती हूँ
हर उलझन को मैं खुद ही सुलझाती रहती हूँ
जब जब मन से दुःखी, अशांत, घायल होती हूँ
तब खुद से खुद दूर रहने की कोशिश करती हूँ

✍️ कलावती कर्वा

















साहित्य एक नज़र


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