साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 58 , बुधवार , 06/07/2021

साहित्य एक नज़र 🌅


अंक - 58
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो - 6290640716

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मात्र - 15 रुपये

जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका

अंक - 58
7 जुलाई  2021
बुधवार
आषाढ़ कृष्ण 13 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  9 - 11
कुल पृष्ठ -  12

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -

1. साहित्य संगम संस्थान ( आ. कुमार रोहित रोज़ जी )
2. हिंददेश परिवार ( आ. डॉ. राजेश पुरोहित जी )
3. आ.  कलावती कर्वा जी
4. आ. डॉ. राजेश कुमार पुरोहित जी
5. आ. रोशन कुमार झा
6.आ. आ.  विशांत  ( कान्हा ) जी जन्मदिन ( आ. प्रज्ञा जी )
7.आ. प्रीति हर्ष जी ,महाराष्ट्र
8. आ. शुभांगी शर्मा जी
9. आ.  ऋतु गुप्ता जी , बुलंदशहर , उत्तर प्रदेश
10. आ. रंजना बिनानी जी , असम
11. आ. डॉ.  पल्लवी कुमारी "पाम " जी
12. आ. प्रेम लता जी
13. आ. भूपेन्द्र कुमार भूपी जी , नई दिल्ली
14. आ.  शिवशंकर लोध राजपूत  जी -
Portrait sketch by शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली) Portrait of :स्वर्गीय दिलीप कुमार (बॉलीबुड हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता)

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
118. आ. प्रीति हर्ष जी ,महाराष्ट्र
119. आ. शुभांगी शर्मा जी
120. आ. ऋतु गुप्ता जी

हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏
आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
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मधुबनी - 1
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साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
अंक - 1

सम्मान पत्र - 1 - 80
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अंक - 49 से 53
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अंक - 45 - 48
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 58 ,  बुधवार
07/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 58
Sahitya Ek Nazar
07 July ,  2021 , Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई





कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2046-03072021-54.html


अंक - 55
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/55-04072021.html

कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/56-05072021.html

कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/57-06072021.html

कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/58-06072021.html

कविता :- 20(50)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2050-07072021-58.html

साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 59

http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक पत्रिका
अंक -3
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/07/59-08072021-3.html

अंक - 2
http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(51)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2051-08072021-59-3.html


अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html

अंक - 57

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अंक - 58
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शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉🎁 🌹🙏💐🎈

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

आ.  विशांत  ( कान्हा ) जी

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 58
07 जुलाई 2021 , बुधवार

Notice For C.U. Form fillup B.A./B.Sc/B.Com (Hons. & General) Part-III
http://www.surendranatheveningcollege.com/notice-for-c-u-form-fillup-b-a-b-sc-b-com-hons-general-part-iii/

" माँ तुम्हारी पुण्यतिथि है,,,,
पर मुझे भान होता है
जब तू मेरे पास थी,,,
मेरा हर दिन पुणित था।
तुम्हारे बिना अकेली हूँ ,,,
तुझे खुद में कहीं ढूंढती हूँ "

॥ प्रतीक्षा ॥

जैसे उठती तरंगे वारिधि से,
उसमें ही विलय हो जाती हैँ,
तुम भी धरा को छोड़,
अंनत ब्योम में खो गई हो!
जैसे नाभिनाल शिशु का माँ से जुडा
रहता है।
बाद प्रसव क्या अपना
अस्तित्व खो देता है?
मुझे भान यह होता है, मृत्यु के बाद भी
कोई तार कहीं जुड़ा रह जाता है....
मुझे छोड़ तुम इस पयोनिधि में
दूर कहाँ सो गई हो?
मैं तुम्हारी प्रतीक्षा में,
इन लहरों में डूबती
और उबरती हूँ...
बन शबरी अब श्रीराम
की प्रतीक्षा करती हूँ। 
ज्ञात है मुझे, तुम इसी
ब्रह्माण्ड में कहीं खो गई हो !
मुझे बीच समंदर नितांत
अकेला कर गई हो।
पर मैं तुमसे मिलूंगी !
तुम्हारे वक्षस्थल पर शीश
रख तुम्हारे हाथों
को फिर से चूमूंगी।
मुझे स्मरण है कि मैं
शबरी और तुम श्रीराम नहीं !
पर तुम्हारी आत्मजा
मैं  और  मेरे श्रीराम वहीं।
तुम हमें छोड़  सानिध्य
में उनके अब रहती हो !
मेरी अंखिया तुम
बिन रोती हैं, बन अश्रुजल
श्रद्धांजलि तुम्हें देती हैं।
बन शबरी अब
श्रीराम की प्रतीक्षा करती हैं।
तुमसे कब फिर मिलूँगी,
यही सोचती रहती हैं।
तुम मेरे पास आ जाना !
मुझसे लाड़ फिर लगाना !
मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करती हूँ।
जैसे उठती तरेंगे वारिधि से,
उसमें ही विलय हो जाती हैं।
तुम हो कहीं इसी ब्रह्माण्ड में,
तुम्हारी प्रतीक्षा मैं करती हूँ।

✍️ डॉ पल्लवी कुमारी "पाम "
   अनीसाबाद, पटना
                             

विशांत 7 जुलाई -

मेरा कान्हा है तू
आँखों का तारा है तू,
तुझसे रोशन मेरा जीवन,
खुशियों से महके मेरा आंगन
तेरी शरारत मन को लुभाए,
तेरी मुस्कान मन को हर्षाए,
आशीष मेरा सदा तेरे साथ रहे,
तेरा जीवन खुशियो से आबाद रहे
जीवन मे मेहनत तू इतनी कर
हर मंजिल तेरे नाम रहे,,,,
सदा सच्चाई और नेकी की राह चलना,,,
सारे जहाँ में नाम रोशन तू करना,,
जन्मदिन हो मुबारक तुमको
,, जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं ,,

✍️  प्रज्ञा शर्मा
    प्रयागराज

रक्त मेदिनी विजय दिवस

कालरात्रि सी तमस घनेरी
भोर नवल पसरेगी पूरी
घृणा घोर,मुख बाए सुरसा
विगमकाल तरर्पेगी ही
श्याम घटा गर्भाई बदरी
पावस नित बरसेगी ही
सिक्त धरा अविरल कानन
हरित वसन पहनाएगी
पुष्प रेनू की रज-रज बिखरन
प्रथम बीज उपजाएगी
नीर चक्षु उफनत है सागर
बूंद- बूंद टपकाएगी
उदक बिंदू टपके सीपी में
मुक्ताफल बन जाएगी
मनमाया पुरुषार्थ प्रबल हो
स्वप्न सत्य सर्जाएगी .....
संचित सत्य,चुनौती गह्वर
उरग्रास जीत छा जाएगी
रक्त मेदिनी विजय दिवस पर
परचम बन लहराएगी ...
केसर छटा सुनहरी किरणें
नव अरुणोदय लाएगी..
सतत कर्मपथ
पर चले पथिक जो..
अमिट छाप रह जाएगी...
उद्यम रची, बनी ये सृष्टि...
तिथि ग्रंथ लिखवाएगी..
गगन अंक में अदिनांकित
रस सौरभ बन छाएगी।।

✍️ प्रीति हर्ष
महाराष्ट्र

हिंददेश की विश्व बंधुत्व इकाई पर हुआ "रिमझिम बारिश " का आगाज इस कार्यक्रम में खूब झूमे दर्शक

✍️ राजेश पुरोहित,भवानीमंडी
दोहा कतर:-कई दिनों की कठिन परिश्रम के बाद एक अनोखे अंदाज में हिंददेश विश्व वन्धुत्व की अध्यक्षा निकिता कुसुम  तिवारी के द्वारा इस कार्यक्रम को बड़े प्यार और मोहक ढंग से  प्रस्तुत किया गया, उन्होंने बादल को आमंत्रित करते हुए ,सबको सावन के एहसास से भरे शब्दों की फुहार से सराबोर कर दिया।
हिंददेश परिवार एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो संसार को सुंदर और खुशहाल बनाने के लिए दृढसंकल्पित है।हिन्ददेश परिवार की संस्थापिका डॉ अर्चना पाण्डे अर्चि का सपना है पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा के प्रसार से भाई चारे की भावना का विस्तार करना।इस मुहिम में उनके साथ मंच के महासचिव बजरंग केजरीवाल वाल, संयोजिका इंदु उपाध्याय, कवयित्री नीरजा शर्मा और मंच सलाहकार माधुरी भट्ट का योगदान महत्वपूर्ण है। तीन जुलाई  को हिन्ददेश क़तर अध्याय द्वारा " रिमझिम सावन"  कार्यक्रम का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम क़तर इकाई की कार्यकारिणी के द्वारा संस्थापिका  डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि के अथक प्रयास से संयोजिका इंदु उपाध्याय “संचिता "के सानिध्य में , क़तर  इकाई अध्यक्षा  निकित कुसुम तिवारी  की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । क़तर इकाई उपाध्यक्षा प्रियंका सिंह  द्वारा कार्यक्रम का संयोजन किया गया । रिमझिम सावन" कार्यक्रम दिनांक ०३ जुलाई के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में गोपेश बाजपेयी  ( विशिष्ट अतिथि)
भोपाल,भारत ,यशपाल सिंह जी  'यश'(मुख्य अतिथि)गुरूग्राम, गोपेश की अद्भुत प्रतुति ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेई जी की याद दिला दी " नदी झरने करे नादानी...! कवयित्री  सुनीता माहेश्वरी (नासिक)ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से हिन्ददेश परिवार का मान बढ़ा दिया-" ये सावन मुझे रिझाता है!" प्राची रंधावा जी (कनाडा)ने -" श्रापों को वरदान बनाना है हमको..!" डॉ.शिप्रा  (जर्मनी) ने -"शिव ही सत्य है !"कि ऐसी धूनी रमाई की सभी भक्तिमय हो गए। अनुपम  (बहरीन) ने -" सुना है घर पर सावन है !" यशपाल  (गुरुग्राम,भारत) ने -" बालकनी से आ रही बूंदों की आवाज़ तथा गीता सार से सब सम्मोहित हो गए। अर्चना पांडा  - "आज बादलों की नगरी में मैं तो डोल रही थी !" निरजा शर्मा (मोहाली,भारत) -"रोम रोम कहता है बरसो बादल !"
तृप्ति मिश्रा (भारत)ने -"झूलना झूले मईया, देवी गीत !" से आत्म विभोर कर दिया। कल्पना पारीक (नैरोबी )-" कह दो पिया से जाके !" अनुपम मिठास  (कनाडा)ने -" स्वेता सिन्हा (अमेरिका) -" आ गए तीज त्योहार !" कार्यक्रम में हिन्ददेश संरक्षिका इंदु उपाध्याय (भारत)-"बंजारा बादल!" अध्यक्षा निकिता  कुसुम तिवारी जी ने (दोहा कतर) आए सभी कवि वृंद का आभार एवं शुभकामना देने के साथ साथ बड़े ही मोहक तथा अनोखे अंदाज में इस  कार्यक्रम को रफ्तार दिया समय का पता ही नही चला इनका जितना सुंदर तन उतना ही सुंदर मन और उतनी ही मीठी आवाज के जादू से -" बरखा तुम आ ही गए !" कविता की दिल छू लेने वाली पंक्तियों से मंत्रमुग्ध कर दिया । प्रियंका सिंह जी(दोहा कतर) " बारिश तुम अच्छी लगती हो..!" के साथ आए अतिथियों को अपनी मधुर आवाज से आभार व्यक्त किए।
शालिनी और आरती  के मंच संचालन ने एक अनूठा समा बांध के कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लगा दिया।आज हिंददेश विश्व बंधुत्व परिवार धन्य हो गया । आप सबका हृदय से धन्यवाद करता है। कार्यक्रम में हिन्ददेश संरक्षिका  इंदु उपाध्याय रिमझिम बारिश के अनूठे कार्यक्रम ने सफलता के नए आयाम स्थापित कर एक देश से दूसरे देश की दूरी को मुट्ठी में समेट दिया।हिन्ददेश अपनत्व का परचम लहराकर विश्वबन्धुत्व की भावना को प्रसारित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विशेष आभार हमजा जी का जिनके बगैर हमारा कार्यक्रम अधूरा था। निकिता जी आपका पुनः आभार।

दोहा संगम ई मासिक पत्रिका का विमोचन

साहित्य संगम संस्थान के "पांचवी वर्षगांठ" के निमित्य आयोजित भव्य वार्षिकोत्सव के दिव्य चार दिवसीय आयोजन में दिनांक 05/07/2021 के चतुर्थ दिवस क्षितिज कार्यक्रम में दोहा शाला इकाई की सुप्रसिद्ध एवम् आकर्षक ई मासिक पत्रिका दोहा संगम का विमोचन साहित्य संगम संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजवीर सिंह मंत्र जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर साहित्य जगत की प्रसिद्ध हस्तियां संस्थान व समस्त पदाधिकारी गणमान्य अतिथि, साहित्यकार विद्वजनों की उपस्थिति रही। क्षितिज कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुविख्यात साहित्यकार आ. सुमनेश सुमन जी, विशिष्ट अतिथि आ. छगनलाल मुथा जी (आस्ट्रेलिया) व कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) अनूप प्रधान जी रहे व संचालिका आ. वंदना नामदेव राजे जी रहे। दोहा संगम ई मासिक पत्रिका साहित्य संगम संस्थान संस्थान दोहाशाला इकाई की महत्वाकांक्षी पत्रिका है इस पत्रिका में दोहाशाला इकाई के पटल पर प्रतिदिन दिए जाने वाले विषय की अनुरुप दोहाकारों द्वारा रचित दोनों का संकलन किया जाता है। एवं प्रतिमाह इस पत्रिका को दोहाशाला की प्रधान संपादिका आ. जयश्री कांत एवम् उनके साथी संपादक मंडल के द्वारा संपादित कर साहित्य जगत को सौंपा जाता है। यह विशुद्ध दोहों का संकलन हमारे साहित्य जगत की भविष्य की अमूल्य निधि है। साहित्य में गहन रुचि रखने वालों के लिए मील का पत्थर है। साहित्य जगत में दोहा संगम अपनी अलग व विशिष्ट पहचान रखती है। पाठकों से सभी जनों से निवेदन है,इस अदभुत आकर्षक एवम् बहुमूल्य ई मासिक पत्रिका "दोहा संगम" का लाभ अवश्य उठाएं।

✍️ आ. कुमार रोहित रोज़ जी
कार्यकारी अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

जान से प्यारी माँ -

रोज जगाती माँ ही
मुझको गरम दूध पिलाती है।
भूखी रह कर भी माँ ,
मुझको रोज ख़िलाती है।।
माँ के हाथों की चपाती
,कितनी अच्छी लगती है।
सब रिश्तों में होती प्यारी
,माँ ही सच्ची लगती है।।
दुनिया की सारी खुशियां
,पूरी  माँ से होती है।
सच कहती हूँ ,माँ के
कदमों  मे जन्नत होती है।।
रिश्तों के ताने बाने को
,माँ ही खूब सजाती है।।
जीवन की उलझन का
हल ,केवल माँ बताती है।।
माँ गीता के उपदेशों से
,कर्म पथ दिखाती है।
घटनाओं का चित्रण करके
, सीख नई दे जाती है।
किसी काम से जब भी
माँ,मुझसे दूर जाती है।
खट्टी मीठी माँ की बातें
, अक्सर याद आती है।

✍️ शुभांगी शर्मा
कक्षा-9 , उम्र-13
बथेल सेकेण्डरी स्कूल भवानीमंडी
C/o डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
भवानीमंडी , जिला -झालावाड
राजस्थान

दोहे *

सोने जैसी चमकती धरती देखो आज।
सरसों फूली खेत में, बढ़ते जाते काज।।
सोना देता मान है,और बढ़ाता आन।
जेवर जैसी कीमती, साख बढ़ाती शान।।
धन दौलत की दौड़ में ,उलझ रहा संसार।।
लंका सोने की जली, ढूंढे सब आधार।।
संकट में साथी बने,होते वो अनमोल।
सोने चांदी की तरह, जाने उनका मोल।
सोना चांदी जोड़ के,मिले न मन को चैन।
दौड़ भाग में दिन गया, कब गुजरेगी रैन।।
सोने का मृग देख के,सीता हुई अधीर।
ले आओ स्वामी इसे, ओ मेरे रणधीर।।
वट पूजन समझे नहीं,जाने पति न राज।
कर सोलह सिंगार चली,पत्नी जी तो आज।।
सोने की लंका जली,कैसा हुआ विनाश।
धर्म नीति की बात को,माना होता काश।।

✍️ डॉ. राजेश कुमार शर्मा " पुरोहित "
कवि,साहित्यकार
भवानीमंडी , जिला-झालावाड
राजस्थान

शीर्षक -

बंशी की धुन

अधराधर मुरली मृदुल,
छेड़े मनहर तान।
राधा मोहित हो सुने,
कान्हा गाते गान।।
बंसवाड़ी के बांस की,
किस्मत भई सनाथ।
उसी बांस की बांसुरी
,रहती  कान्हा हाथ।।
मधुर मधुर मीठी लगे,
बंशी की मृदु तान।
गोपी, ग्वालन, राधिका,
सुने लगाकर ध्यान ।।
सांवरिया प्यारा लगे
, मीठी बंशी तान।
भक्ति सदा करती रहूँ
, देना यह वरदान।
कान्हा तेरी बाँसुरी,
सुंदर लगती श्याम।
प्रेम दिवानी राधिका,
हरदम रटती नाम।।
शीश पे सोहे पखुङी,
बंशी सोहे हाथ।
यमुना तट बंशी बजे,
राधा नाचे साथ।।
मोर मुकुट धारण करे,
लगे सुहाना रूप।
मुखङे पर मुरली सदा,
सुंदर "कला" अनूप।।
 
✍️ कलावती कर्वा

विषय-

" बारिश को आवाज देता गीत "
"कारे बदरा आओ"
विधा-गीत

तर्ज--सावन का महीना..
कारे बदरा आओ...,
बरसा करो घनघोर..,
सावन का महीना आ गया,
नाचे मन का मोर..।
गर्मी से व्याकुल ,है जग सारा,
वर्षा ऋतु का ,इंतजार करता,
पानी की रिमझिम
,बूंदों के पड़ते,
सारे जग, का मन हर्षता....,
खुश होकर, सब नाचे ....,
जब रिमझिम ,पड़े फुहार...,
वर्षा के आते ही ,
आ जाती है बहार..।
कारे बदरा आओ.....,
वर्षा करो घनघोर...
आसमान में ,बादल छाए...,
संग में इंद्रधनुष ,भी सजाएं....,
घनघोर घटा है छाई,,
चमके बिजुरिया,
छम छमा छम ,बदरा बरसे....,
बारिश के आते ही
,बच्चे होते हैं विभोर,
नाच- नाच के ,भीग- भीग
के मचाते हैं वो शोर.।
कारे बदरा आओ ....
वर्षा करो घनघोर...
सावन के आते ही...
नाचे मन का मोर......।

रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

कविता- “ धन्यवाद ” ✍️ प्रेम लता

आज सुबह मेरे फोन पर
कितने अच्छे सन्देश थे,
शुभकामनाओं से भरी 
हर चीज महत्वपूर्ण लगती है,
मेरा मन काफी
प्रफुलित हुआ तथा मैं
तहे दिल से शुक्रियां
अदा करती गयी।
आप मित्रों एवं शुभचिंतकों
की शुभकामनाओं ने,
एक नई ऊर्जा के साथ,
आज इस जन्मदिन को,
अपने प्यार से
यादगार बना दिया । 
जैसे हर सुबह सूरज
की किरणे नई होती हैं,
हर पुष्प नई खुशबू
से सुवासित होता है,
वैसे ही प्रकृति की
अदा में नयापन होता है।
इसलिए हर सुबह
मानव को तरोताजा होकर ,
जीवन जीने का नित नया एवं
रचनात्मक ढंग सोचना चाहिए।
और फिर आज
तो मेरा जन्मदिन है,
प्रभात से आशीर्वाद ले अपना,
बढ़ी जीवन के इस सफर में,
वंदन -अभिनन्दन में मन था,
और  बड़ा खुश था साथ ही
पल-प्रतिपल हो रहा था सुवासित,
उदय दिगन्त की ओर देखा मैंने,
कि ऊषा ने भी मानो
अंकित कर दिया
,आलोक चन्दन लेख,
शुभ्र-ज्योत्स्ना के
कोमल ललाट पर।
पति ने कहा-
आओ आँचल के इक छोर में ...
मांग भर दूँ तुम्हारी
सितारों से मैं ...
क्या समर्पित करूं
जनम दिन पर तुम्हें ...
पूछता फिर
रहा हूँ बहारो से मैं ।

माँ -पिता ने कहा-
"तुम्हारे जन्मदिन पर
तुम्हें तोहफे  मैं क्या भेजूँ,
सोना भेजूँ,चांदी भेजूँ,या
फिर प्यार स्नेह भेजूँ।
दोस्तों ने कहा-
दिए जलाए प्यार के
चलो इसी ख़ुशी में ..
बरस बिता के आई हैं
ये शाम जिन्दगी में .."….
और पार्टी कब दे रहे हो?
बच्चों ने कहा-
तेरी परवरिश से
दुनिया मे इज्जत है मेरी,
तेरे कदमों के नीचे है जन्नत मेरी,
उम्र भर सर पे साया तेरा चाहिए,
प्यारी माँ हमें तेरी दुआ चाहिए।
आज अपने इस जन्मदिन पर-
ईश्वर से केवळ
एक ही दुआ माँगू मैं,
मेरे सिर पर
तेरे हाथों का ताज़ रहे,
सुख और शांति का
वास कल और आज रहे,
मेरे धर्म औ कर्म में तूँ ही तूँ हो। 
जीवन का प्रवाह यूँ ही चलता रहे,
हक किसी का मैं
न छीनूँ.., मेरे हक पर,
कोई जी रहा है तो
भले ही वो जीता रहे,
अदा तेरी मान
मैं उस पर भी खुश रहूँ, 
कभी वैर -भाव न मन में पले।
धन्यवाद……

✍️ प्रेम लता

साहित्य एक नज़र पत्रिका में प्रकाशन हेतु

" राजभाषा "

अपनी पहचान खोती,
दिन रात अविरल रोती,
एक अभागिन दुखिया,
मैं राजभाषा हूँ l
छोड़ कर जिसका पुत्र,
विमाता को कहे माता,
ऐसी दुखियारी माँ की,
मैं परिभाषा हूँ l
तरक्की के सोपान पर,
सरपट दौड़ते समाज के,
उभरते भारतवर्ष की,
मैं राजभाषा हूँ l
कहाँ गये मेरे बेटे,
पंत ,निराला और प्रसाद ,
महास्वेता ,वर्मा ,चौहान,
जैसी बेटियों को ढूँढ़ती, 
उजड़े कोख वाली,
मैं शोकाकुल माता हूँ l
संस्कृतियों से दूर होते ,
आँग्ल सभ्यता पर मोहित,
सिर्फ नाम भर की ,
इस देश की मैं राजभाषा हूँ l

✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी
मो - 8860465156
      नई दिल्ली

कविता :- 20(50)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र

बोलने से बेहतर करना ...

बोल बोलकर थकना
बोलने से पहचान नहीं ,
बिना पहचान का कोई
स्थान नहीं ‌।
स्थान बिना कोई
सम्मान नहीं ,
बिना सम्मान का 
का वह जान नहीं ।।
फल देंगे कर्म करो
कर्म करने वाला भगवान नहीं ,
खुद करो कर्म
कर्म से जो छुपे वह इंसान नहीं ।
अपने ज्ञानों से लोगों को ज्ञानी बनाएं
न बना पाएं ज्ञानी तो कोई काम का
आपका वह ज्ञान नहीं ।।
बोलने से बेहतर करना सीखों
बिना करनी का कोई पहचान नहीं ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(50)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
07/07/2021 , बुधवार
✍️ रोशन कुमार झा
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 58
Sahitya Ek Nazar
07 July 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

कलम से प्रीति

जब से कलम से मेरी प्रीति लागी,
हुई भोर सुहानी ,न‌ई ज्योति जागी।
कलम को छूते ही,मैं हूं मुस्कुराई,
लगा जैसे दुनिया अभी न‌ई पाई।
लगता है जैसे, सुकून वो मिला है,
भूली बिसरी यादों का गुलिस्तां खिला है।
सारे रंग दुनिया के सभी को मिले ना,
जो भी मिले है,उसी में खुश रहना।
उम्र चाहे जितनी अभी हमने गवांई,
कर्म करो अब भी,तो होगी भरपाई।
चाहे चहुंओर घने हो अधंरे
कुछ अंश तो हमने धूप का भी पाये
उसी धूप के टुकड़े को बना कर स्तम्भ अब,
करना है तिमिर दूर सारे जहां का।
खुद की खुदी से  स्पर्धा  थी कबसे,
नहीं भीड़ मे हम, भीड़ बनी हमसे।
यदि हो सके तो कोई शौक रखिए,
उम्र चाहे जो हो सदैव आगे  बढिए।

✍️ ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश
ritu.gupta.kansal@gmail.com

Portrait sketch by शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली)


Portrait sketch by शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली)
Portrait of :स्वर्गीय दिलीप कुमार (बॉलीबुड हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता)

श्रद्धाजांलि 🙏🙏🌹🌹🇮🇳🇮🇳

भगवान दिंवगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को इस दुःखद घड़ी को सहने की शक्ति दे
ओम शांति शांति 🙏🙏

भारतीय सिनेमा में ट्रेजड़ी किंग नाम से मशहूर  दिलीप कुमार एक महान लोकप्रिय अभिनेता थे उनका असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था हिंदी सिनेमा मे 1940 में कदम रखने के बाद दिलीप कुमार के नाम से मशहूर हुए हिंदी सिनेमा में पांच दशक तक भूमिका निभाई उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ 7 जुलाई 2021 को लंबी बीमारी के दौरान अंतिम सांस ली वे सासंद के सदस्य भी बने सामाजिक कार्यकर्ता थे जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे इन्हें 1991मे पदम भूषण सम्मान, 1993 फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, 1994 दादासाहेब फालके अवॉर्ड, 1998 सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार nishan-e-pakistan सरकार से, गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड उनकी पहली फिल्म ज्वार भाटा थी  और भी कई फिल्मों में काम किया जैसे जैसे मुग़ल-ए-आज़म (1960), राजकुमार, सौदागर (1991), देवदास (1955),कर्मा (1986),नया दौर(1957), क्रांति (1981), मधुमति (1958), राम और श्याम(1967), गंगा -जमुना(1961), अंदाज (1949),शक्ति(1982),आन (1952), मेला (1948), विधाता (1982), कोहिनूर (1960 ), गोपियों (1970)आदि

शिवशंकर लोध राजपूत
दिल्ली
व्हाट्सप्प no. 7217618716





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