साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 56 , सोमवार , 05/07/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 56
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मात्र :- 15 रुपये

जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 56
5 जुलाई  2021
सोमवार
आषाढ़ कृष्ण 11 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  8 - 10
कुल पृष्ठ -  11

रचना प्रकाशित रचनाकारों के नाम -

1. आ.  डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह जी ,
2. आ. रंजना बिनानी जी - समाचार
3. आ.  कलावती कर्वा जी
4. आ. कृष्ण कुमार महतो जी
5. आ. विनय साग़र जायसवाल जी
6.आ. राम चन्दर आज़ाद जी
7.आ. राजेश "तन्हा" जी
8. आ. राजेश सिंह ( बनारसी बाबू )
9. आ. रोशन कुमार झा
10. आ. कैलाश चंद साहू जी
11. आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी ( दिल्ली )

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
113 .  आ.  डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह जी
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,
114. आ. कलावती कर्वा जी
115. आ. राम चन्दर आज़ाद जी

हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏
आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

अंक - 56

साहित्य एक नज़र, अंक - 56 खरीदने के लिए धन्यवाद 🙏
पत्रिका पढ़ें यहाँ से -

अंक - 55
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रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
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मधुबनी - 1
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साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
अंक - 1

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मात्र :- 15 रुपये

सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 54 से 58 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 49 से 53
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अंक - 45 - 48
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मधुबनी इकाई अंक - 2
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3 के लिए रचना यहां भेजिए -
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साहित्य एक नज़र
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 56 , सोमवार
05/07/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 56
Sahitya Ek Nazar
05 July ,  2021 , Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

कविता :- 20(46) , शनिवार , 03/07/2021 , अंक - 54

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2046-03072021-54.html


अंक - 55
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/55-04072021.html

कविता :- 20(47) ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2047-04072021-55.html

अंक - 56
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/56-05072021.html

कविता :- 20(48)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2048-05072021-56.html

अंक - 57
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/57-06072021.html

कविता :- 20(49)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2049-06072021-57.html

अंक - 58
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/58-06072021.html

कविता :- 20(50)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2050-07072021-58.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html



तृतीय दिवस "नजरिया" के रूप में मनाया गया साहित्य संगम संस्थान का पंचम वार्षिकोत्सव -

साहित्य संगम संस्थान के पांचवें वर्षगांठ पर आयोजित चार दिवसीय काव्य आयोजन का तृतीय दिवस "नजरिया" आ. जयश्रीकांत जी के संचालन में देश के ख्यातिमान अतिथि व साहित्यकारों की दो मौजूदगी में जबरदस्त तरीके से सम्पन्न हुआ। इस भव्य आयोजन के विशिष्ठ अतिथि आ. नरेश द्विवेदी जी, मुख्य अतिथि आ. छगनलाल गर्ग विज्ञ जी, कार्यक्रम अध्यक्ष आ. शैलेंद्र खरे सोम जी ने अपना अमूल्य योगदान दिया। जिसके लिए संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ राजवीर सिंह जी ने आप सभी को हार्दिक धन्यवाद प्रेषित करते हुए, बताया कि संस्थान के यह पंचम स्थापना दिवस सच में एक ऐतिहासिक स्थापना दिवस के रूप में याद किया जाएगा, क्योंकि संस्थान के कार्यों की ऐसी गूंज अद्भुत अद्वितीय है। सूत्रों से पता चला कि इस भव्य कार्यक्रम संस्थान की चार इकाइयों व चार शालाओं जिसमें 
राजस्थान इकाई, महाराष्ट्र इकाई, छत्तीसगढ़ इकाई, झारखंड इकाई, छन्दशला, गीत शाला, व्याकरण शाला, सुवास नारी मंच ने हिस्सा लिया व देश के विविध प्रान्तों से करीब 63 साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं तथा तकरीबन 100 से अधिक सहयोगियों व दर्शकों ने मंच का हौसला बढ़ाने के साथ-साथ संस्थान को अपने आशीर्वचनों से कृतार्थ किया। बताया जा रहा है कि चतुर्थ दिवस अर्थात् संस्थान का पंचम स्थापना दिवस पांच जुलाई का कार्यक्रम बेहद ही भव्य होने की संभावना है, जो हिन्दी साहित्य जगत में आभासी मंच का विशालतम व ऐतिहासिक आयोजनों में से एक होगा।

✍️ आ. कुमार रोहित रोज़ जी
कार्यकारी अध्यक्ष
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

Portrait sketch by :शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली), व्हाट्सप्प no.7217618716
Portrait of :गीतकार, राइटर मशहूर संतोष आनंद जी
यादें : -
सतोष आनंद जी की तस्वीर सम्मान पत्र पर देख कर मुझे अपने स्कूल की याद आ गई में उस समय 10वीं कक्षा मे था सन 1982 की बात है मिंटो रोड़ (नई दिल्ली)मे माता सुंदरी बाल /बालिका हाई स्कूल मे आंनद जी हमारे टीचर थे सुबह बालिकाओं की शिफ्ट थी दोपहर को हम बालकों की सप्ताह के अंत मे बाल सभा होती थी उस समय *क्रांति*फिल्म के गाने लिखे थे आनंद जी ने गाकर सुनाया था बोल इस प्रकार थे.. जिंदगी की टूटे न लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी.......सादर नमन संतोष आनंद जी

✍️ शिवशंकर लोध राजपूत ( दिल्ली )

दुबली पतली  सी नर्म नाज़ुक। 

बरसात तो वैसे ही होती है
अब भी अपने गांव में,
दिल याद करता है तुमको
मगर साथअब तुम नहीं होते,
मिट्टी की महक  फूलों सुगंध
सताती है तुम नहीं होते,
आंगन भी  वैसा ही कच्चा
है,यादें हैं तुम नहीं होते,
वो शाम का मंज़र धुँआ भी
शाम का सुंदर तुम नहीं होते,
हरियाली वो खेतों की,धान
की खुशबू तुम नहीं होते,
चांदनी रातें सुहानी और
चाँदका यौवन तुम  नहीं होते,
बरगद भी बूढ़ा सा याद करता
है मगर अब तुम नहीं होते,
दुबली पतली  सी नर्म नाज़ुक
वो काया, अब तुम नहीं होते,
छाओं नीम की ठंडी, औऱ वो
इमली भी,तुम नहीं होते,
महफिलें शादी की सजती हैं
मेहबूब यहां तुम नहीं होते,
बचपन की वो यादें हैं, महक
है ,हल्दी चंदन के उबटन की
दिल धड़कता है मुश्ताक़ याद
करता है तूम नहीं होते,

✍️ डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह
"सहज़" हरदा मध्यप्रदेश,

भूख है तो बना रोटी

भूख है तो जाग
आलस को त्याग
कर कर से कर्म तू
रोटी अपनी खुद कमा ।
प्रतिस्पर्धा का दौर है
भूखों की लम्बी कतार
एक दूसरे को रौंद कर
बस आगे निकल
जाने की चाह ।
अस्तित्व के
लिए संघर्ष कर
जीवन का यही आधार
मिट जायेगा नाम भी
नहीं अगर स्वीकार ।
भूख को जगा अंदर से
बाहर कर प्रतिक्रिया तू
रोजी-रोटी के
लाले पड़े तो क्या ?
स्वावलंबी बन
स्वयं अलख जगा ।
भूख है तो जाग
स्वंय को पहचान
पा सकता है तू सबकुछ
जो जग में है प्राप्य ।
भूख मिटानीं है अगर तो
स्वंय से तू आज लड़
तज आलस को आज जरा तू
फिर से नयी शुरुआत कर ।
भूख आत्मसम्मान की हो
कि हो पेट की आग की
थाली में हो परसन उतना
जितनी तुम्हारे काम की ।
यूं न बरबाद कर रोटी
कितने भूखों की भूख
मिटायेगी ये रोटी
हां भूख है तो बना रोटी ।

✍️ कृष्ण कुमार महतो
फोटो नहीं

ग़ज़ल (प्रकाशनार्थ)

ग़ज़ल

कैसा है रंगे-गर्मीये-बाज़ार देखिये
मायूस सा खड़ा है खरीदार देखिये
हुस्ने-मतला
इतनी है तेज़ वक़्त की रफ़्तार देखिये
मेरी थकन ही बन गई दीवार देखिये
बौना हूँ मैं भी वक़्त के इंसान की तरह
झुक कर ज़रा मुझे मेरे सरकार देखिये
मुँह खोलने की कोशिशें
जब-जब भी हम करें
आ जाता है उधर से तो इंकार देखिये
फैली हुई है तीरगी आँगन में हर तरफ़
सूरज की रौशनी पसे-दीवार देखिये
उठ्ठी नहीं नज़र ही मेरी उसके सामने
कैसे करूँ मैं प्यार  का  इज़हार देखिये
आ जाइये करीब खिला देंगे प्यार से
दो पल में अपनी ज़ीस्त
को गुलज़ार देखिये
गरदन हमारी क्या झुकी
* साग़र * जहां में आज
उठती है हर तरफ़ से ही तलवार देखिये

✍️ विनय साग़र जायसवाल
846,शाहबाद ,गोंदनी चौक
बरेली यूपी पिन-243003
मोबाइल-7520298865
तीरगी-अंधेरा
पसे-दीवार --दीवार के पीछे
बहर-मफऊल फायलात
मुफाईल फायलुन

Group A first.                               
Name - Kriti Somani
D/O - Diwakar Somani
Class -5
Group-A

Group B 1st
Name - Damodar Lahoti. Class - 8 Address - kakra Nokha Bikaner.
Group - B 
Phone number - 8822436251

Video Making : -

Group A
Om Mohata participant 2 - 1st
Chitranshi Pankaj Saboo participant 8 - 2nd
Kriti Somani participant 16 - 3rd
Group B
Aarushi Sarda participant 7 - 1st
Monica Lavish Nimodia participant 3 - 2nd
Aman Bagani participant 10 - 3rd

Drawing : -

Group A
Kriti Somani participant 18 - 1st
Mantr Modani Participant 20 - 2nd
Barsha Maheshwari participant 16 - 3rd
Group B
Damodar Lahoti participant 4 - 1st
Vidhi Baheti participant 5 - 2nd
Ishita Chandak participant 15 - 3rd
Most Viewed :
Rani Sharda
Most liked and commented:
Mantr Modani

जय श्री कृष्णा जय महेश 🙏🙏

*स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति के तहत गोलाघाट "माहेश्वरी महिला संगठन "द्वारा आज "डेंटल हेल्थ एंड हाइजीन सेमिनार "डॉक्टर प्रबल सूद" बीडीएस एमडीएस द्वारा कराया गया*। इस सेमिनार को एक अनोखे अंदाज में बगाईगांव की सह संयोजिका अमिता करनानी एवं श्यामसुंदर करनानी की सुपुत्री" तन्वी करनानी" बीडीएस की थर्ड ईयर की जो स्टूडेंट है उनके व सहयोगी टीम के द्वारा कराया गया*। पहले एक लिंक के द्वारा बच्चों को हेल्थ एंड हाइजीन पर ड्राइंग कंपटीशन वह वीडियो कंपटीशन करवाया गया। जिसकी लास्ट डेट 25 जून थी। फिर उन ड्राइंग्स व वीडियोस को यूट्यूब पर अपलोड कर मैक्सिमम लाइक व  विवर्स पर भी एक स्पेशल प्राइस रखा गया ।इस तरह हेल्थ के प्रति बच्चों में जागरूकता जगाई गई*। आज जूम प्रांगण में डॉक्टर प्रबल शूद एवं डा. डिंपल अग्रवाल द्वारा सेमिनार आयोजित किया गया ।इसमें ड्राइंग व वीडियो कंपटीशन के  रिजल्ट भी अनाउंस किए गए। और साथ ही बच्चों को ई सम्मान पत्र द्वारा भी सम्मानित किया गया । सम्मान पत्र को बनाने व पूरे सेमिनार के आर्गेनाइजेशन में  आदरणीय मिहिर जी जो इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर के स्टूडेंट हैं एवं तन्वी करनानी जो बेंगलुरु इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंस की थर्ड ईयर की स्टूडेंट है,का बहुत बड़ा सहयोग मिला*।
माहेश्वरी महिला संगठन गोलाघाट की अध्यक्षा रंजना बिनानी एवं सचिव विमला काबरा ,इनकी पूरी टीम को  तहे दिल से आभार व्यक्त करती हैं*। इस सेमीनार का सभी बहनों ने भरपूर फायदा उठाया ।और एक घंटा चलने वाला सेमिनार ढाई घंटा तक चला। डॉक्टर साहब ने अपने बहुमूल्य विचारों से सभी को लाभान्वित किया। कोरोना काल में होने वाले "ब्लैक फंगस "के कारणो की जानकारी भी सभी को दी।डॉक्टर प्रबल शूद एवं डॉ डिंपल अग्रवाल को हम  एक बार पुनः:हार्दिक धन्यवाद देते* हैं, *जो उन्होंने अपना बहुमूल्य समय निकाला, और हम सभी को स्वास्थ्य ,वह दांतों  को साफ रखने एवं उससे होने वाली बीमारियों से बचने के उपाय बताए*। *पूर्वोत्तर अध्यक्ष वंदना जी सोमानी एवं माहेश्वरी महिला पत्रिका  की अध्यक्षा सरला जी काबरा पूर्वोत्तर सचिव पूनम जी मालपानी का तहे दिल से आभार व्यक्त  करती हूं, जिन्होंने इस सेमीनार में पधार कर ,इसे सफल बनाया , स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति की बगाईगांव की सह संयोजिका अमिता करनानी की सुपुत्री तन्वी करनानी को एक बार पुनः हार्दिक बधाई देते हैं, जिन्होंने इतनी सुंदर सेमिनार का आयोजन कराया। धन्यवाद , स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति असम प्रदेश संयोजिका * रंजना बिनानी *

अध्यक्ष-रंजना बिनानी
सचिव-विमला काबरा

कविता-
फिकर नहीं होती है जिनको.....

फिकर नहीं होती है जिनको
,जीने और मर जाने की |
फिकर नहीं होती है जिनको,
कुछ खोने कुछ पाने की |
नहीं कभी ऐसे जन
मुश्किल में घबराया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||
जो समाज के ताने सुनकर
भी परवाह नहीं करते हैं |
जो समाज के ठेकेदारों से
भी तनिक नहीं डरते हैं |
वे समाज से एक दिवस
स्वागत करवाया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||
कलम नहीं जिनकी रूकती
है दहशत के औजारों से |
पर्दाफाश किया करते हैं
अपने सत्य विचारों से |
वे समाज के प्रेरक बन सब
दिल पर छाया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||
जो पर सेवा में अपना
तन ,मन ,धन अर्पित करते हैं |
अत्याचार, अन्याय के

आगे कभी नहीं जो झुकते हैं |
ऐसे जन की गौरव गाथा
कविगण गाया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||
शोषित और उपेक्षित जन
की जो लाठी बन जाते हैं |
निंदा और प्रशंसा को जो
हँसकर गले लगाते हैं |
अपने जीवन के इक पल
को कभी न जाया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||
विपदाओं सम परबत भी
जिनके सम्मुख शर्माते हैं |
जिन्हें देख भय के सागर
भी हाथ मीज पछताते हैं |
वे सत्य अहिंसा और शांति
के पुष्प खिलाया करते हैं ||
सच कहता हूँ ऐसे जन
इतिहास बनाया करते हैं ||

✍️ राम चन्दर आज़ाद
कवि एवम साहित्यकार
अम्बेडकर नगर, उ.प्र.
पिन-224230
मो.8887732665

स्वरचित, मौलिक एवम प्रकाशनार्थ।

ग़ज़ल :-

अपने हाथों से जिसे बनाया
है उसे मिटाऊँ कैसे।
मैं उनकी जिंदगी का
तमाशा बनाऊँ  कैसे।।
खुद से भी बढकर
चाहा है मैंने उसको,
बिना पागल हुये भला
उसे बुलाऊँ कैसे।
वो रकीबों के संग
जश्न मनाने में लगी है,
और मै सोचता रहता हूँ उसके
लिये खुशियाँ लाऊँ कैसे।
वो कहती भी थी अक्सर
कि खुदगर्ज़ है वो,
उस जैसी खुदगर्ज़ी मैं
खुद में लाऊँ कैसे।
ए खुदा तू ही बता कोई
रास्ता उसे भुलाने का,
मेरी रूह की हिस्सेदार
है वो मैं भुलाऊँ कैसे।
दो पल के लिये ही चाहे
हंस दी लव पे उसने,
वो यादगार पल आख़िर
मैं भुलाऊँ कैसे।
वो भटकी हुई है राह
अभी पता है मुझे ,
मैं सोच रहा हूँ बिना ठोकर लगे
उसे वापिस लाऊँ कैसे।

✍️ राजेश "तन्हा"
रतनाल, बिशनाह, जम्मू
जे के यू टी -181132

#नमन मंच
#विषय  मांँ बहुत याद आती है आपकी

माँ बहुत याद आती है आपकी

माँ बहुत याद
आती है आपकी,
ना जाने क्यों दिल को
तड़पाती है।
यह नौकरी जैसे
इम्तिहान लगे हैं,
यहां जीना जैसे हराम लगे है,
जैसे हम पर लगाम लगे हैं,
बब्बा की याद आती है ,
उनकी हर कहीं बात
याद आ जाती है ?
माँ यहां की रोटी
बड़ी फीकी लगे हैं।
मांँ तेरी रोटी तो
बड़ी सोंधी लगे है।
मांँ आज एक बात
समझ में आया है।
एक बेटा अपने घर से
कैसे दूर रहने आया है?
माँ घर आंँगन छाजन
बड़े सुहावे है मुझे,
यह शहर‌ के चारों ओर
दीवार बड़े सतावे है मुझे।
माँ घर बार हमें चलाना हैं
ना, आपकी खुशी के लिए
दूर रहना है ना।
बहना की हाथ पीले करने है ना।
अपनी खेत गिरंवी छुड़ाने है ना,
मांँ अपना गांँव कुछ
बदला तो नहीं है?
घर बार आंँगन छाजन
कुछ बदला तो नहीं है?
अपनी गईया कैसी है मांँ?
कक्का की मडई कैसी है मांँ?
माँ जब सोता हूंँ तो
कुछ छन छन बचता है।
मांँ जैसे लगता है

तेरी बहू का चूड़ी बजता है।
मांँ पत्नी की बहुत याद आए हैं?
अपने बाबू की याद मुझे
तड़पाए है माँ
मांँ आप यू रोना ना,
मैं यहां सकुशल हूंँ ना।
तुम अपना आपा खोना ना।
मांँ आपकी खुशी के लिए
कमाता हूंँ।
घर से दूर बैठे मैं आपको
अपनी याद दिलाता हूंँ।
पगार मिलते ही घर आऊंगा।
बहना के लिए नया सूट मैं
लाऊंगा।
माँ तेरी साड़ी फट सी गई है।
बब्बा की लाठी टूट भी गई है
बीवी की चूड़ी लाऊंगा।
बाबू का गंजी लाऊंगा ।
बस अब ना रोना ना।
जल्द ही वापस आऊंगा।

✍️ राजेश सिंह
( बनारसी बाबू )
उत्तर प्रदेश वाराणसी
8081488312

जय माँ शारदे

शीर्षक -

मेरे हिस्से तो अब तक

मेरे हिस्से तो अब तक भगवन तेरी कृपा आई है
कभी धूप - छाँव कभी ग़म कभी खुशी छाई है
कभी अपने कभी परायों की बेरूखी मेने पाई है
कभी सत्य पर झूठ की परत लोगों ने बिछाई है
सही होते हुए भी सदा खामोशी धारण होती है
जवाब देने का हक वक़्त पर छोड़ना समझदारी है
भगवान ने सदैव सहनशक्ति व हिम्मत बंधाई है
जिंदगी कभी मुश्किल तो कभी आसान होती है
कभी आह तो कभी वाह यही तो दुनियादारी है
अपने भाग्य में जो लिखा स्वीकारना समझदारी है
सदैव हम भलाई करते रहें बहते पानी की तरह
बुराई खुद ही किनारे लग जाएगी कचरे की तरह
जीवन रूपी सागर में अपार संभावनाएं छिपी हैं
बाल्टी भरनी हैं या चम्मच यह तय हमे करना है
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर छुपी है
हम जिसका उपयोग अधिक करेंगे वो उभरती है

✍️ कलावती कर्वा

नमन 🙏 :-
साहित्य एक नज़र
परिणाम अच्छा ही होता है -

जो भी करता हूँ
वह अच्छा ही होता है ।
नई मोड़ पर हर कोई
पहले बच्चा ही होता है ।
जो भी करता हूँ
उससे किसी न किसी
का रक्षा ही होता है ,
एक तरफ जय जयकार
तो दूसरे तरफ बदनामी
की शोर मचा ही होता है ।।
इससे बचकर जो आगे बढ़े
वह दिल और दिमाग़ से
सच्चा ही होता है ,
कुछ करना है कुछ करें
वह भी एक नशा ही होता है ।
हार जीत भाई बहन वह
हृदय में बसा ही रहता है ,
जो भी करता हूँ यारों
उसका परिणाम
अच्छा ही होता है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग
कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716,
कविता :- 20(48)
रामकृष्ण महाविद्यालय,
मधुबनी , बिहार
05/07/2021 , सोमवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र
🌅 , अंक - 56
Sahitya Ek Nazar
05 July 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान /
साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE
, मिथि लिट्रेचर

नमन मंच

ग्रीष्म ऋतु तन मन का राग,
गरमी का जीवन अत्याचार।
बार  बार  बिजली गुल यही
ताप सहकर भी ठंडक नहीं।।
गरम गरम हवा गरम मिजाज
सूखा  कंठ    प्यास    अपार
जीवन हुआ  ताप से बदहाल,
चढ़ा जीवन में घुल गया भार।।
पानी पानी सब करे सुख आधार
, पानी  बिना   नहीं  प्यार संसार
पानी  मिले  तो  जग  मिले,
पूर्ण होता जीवन संसार।।
गरमी  पल पल  बढ़ रही,
सूख  रहे अब  देखो कंठ
बरगद  पीपल भी त्रस्त है
झुलस रहा जग सारा अब
साधु बेचारे क्या करे संत।।
सूरज  देवता  तप रहे तपन
ज्यु आग, मच  रही तबाही।
छाया हुआ चारो ओर संताप
मौसम ली  अंगड़ाई बढ़ रहे
चारों तरफ यहां व्याधि पाप।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान


साहित्य एक नज़र



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