साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 46 , शुक्रवार , 25/06/2021

रोशन कुमार झा

अंक - 46
https://online.fliphtml5.com/axiwx/tbxd/

अंक - 45
https://online.fliphtml5.com/axiwx/jjme/



जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 46

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716


अंक - 46
25  जून  2021

शुक्रवार
आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा
संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -  7 - 8
कुल पृष्ठ -  9

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
95.आ. सुनीता बाहेती जी , असम

🏆 🌅 पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र  🌅 🏆
96.आ. रामकरण साहू " सजल " जी
( पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - "  " लेखनी पंचकाव्य "
- 7 )


सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 से 48 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 - 44

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1141594783020741/

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1141594036354149/


फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/315866890176094/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/315864000176383/?sfnsn=wiwspmo





आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 46 ,  शुक्रवार
25/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 46
Sahitya Ek Nazar
25 June 2021 ,  Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

समीक्षा "लेखनी पंचकाव्य" पुस्तक हेतू सम्पर्क -

प्रकाशक
1. लोकोदय प्रकाशन प्रा. लि.
65/44 शंकरपुरी छितवापुर रोड़
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 9076633657

लेखक
2. रामकरण साहू "सजल"
कमासिन रोड़ नील कंठ पेट्रोल
पम्प के पास, ग्राम-पोस्ट बबेरू
जनपद- बाँदा (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 8004239966


समीक्षक - ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी

Roshan Kumar Jha नमन मंच
24-6-2021
गुरूवार
विषय- संदेह
विधा - काव्य

संदेह

संदेह जब होता है मन में  ,
बन रहे  काम है बिगड़ते  ,
विश्वास का होता"कत्ल ",
और रिश्ते ना ही संवरते।
गलतफहमियो का खुमार,
रहता सदैव ही सिर-सवार,
व्यथा किसी की ना सुनते,
रिश्ते सभी है टूटे-बिखरे ।
वक्त रहते जो लिया संवार,
सफल जीवन का "आधार"
अपनों मे रहता है"ऐतबार"
सकारात्मक सोच,ये प्यार।
संदेश जब हो मन में यदि,
करिये वाद-संवाद व्यवहार,
ग़लतफहमिया दूर करे तो ,
साथ रहता अपना-संसार ।
रिश्ते निभाये 'ईमान से सब,
'चोटिल रिश्ते ठीक हो सब,
सीधी-सपाट बाते सबकी,
हैसकारात्मक आधार-प्यार ।

डॉ. पूनम सिंह,
लखनऊ
फोटो नहीं

#नमन मंच
***************
यूं ही उम्र कटी दो अल्फाजों में
एक आस में और एक काश में,
सारी उम्र गुजारीहमने पारिवारिक
जिम्मेदारियों में
क्या खोया क्या पाया दुनिया
की दौड़ में भूल गए खुद को भी
जीवन गया पैसा कमाने में।।
उम्र लंबी होती जिम्मेदारियों की
सारी उम्र उनको पूरा
करने में गुजार दी
छोटे थे तब हर ख्वाहिश
खुशी में बदल जाती थी
बड़े हुए तो केवल केवल
जिम्मेवारी नजर आती थी।।
अपने लिए समय न दे पाए
अपनों को अपनाने में
जीवन है एक पहेली
उम्र लगी सुलझाने में।।
नमन मां शारदे को करें
कृपा से लेखनी को गति दे पाऐं
साहित्य मंच से जुड़कर
ख्वाहिशों को कागज
पर उतार पाऐं।।
ऐ, दोस्त जीने का तुम
हमेशा यही अंदाज रखो
उम्र कोई भी हो
दिल जवां और चेहरे
पर मुस्कान रखो।।
        
  ✍️   सुनीता बाहेती
    जोरहाट,आसाम

ख़ामोशियों का तंबू

मैंने एक तंबू ताना है,
खामोशियों का,
तुम भी आमंत्रित हो,
विश्राम करो,
शाम कहां
ढली आज की  ?
जाने का मनुहार
पत्र न लगाओ,
मेरे शहर से 
तुम्हारा शहर,
ज्यादा दूर नहीं,,,
मेरे शहर में झमाझम
बारिश है,
बारिश में भीगते ,
साईकिल का
टायर चलाते
खिलखिलाते बच्चे,
अधनंगा बदन ,
कुचैले गंदे वस्त्र
ये भी मनोरंजन है
खामोशियों का,
छुप छुप कर
कनखियों से ताकना
आनंद या भ्रम  ?
ये भी मर्यादा है
अगर ये मर्यादा तोड़ दें तो
ये खामोशियां,
उद्दंडता की श्रेणी में
पदार्पण कर जाएगीं,
मर्यादित क्षेत्र ही
सम्मानजनक है।

✍️ पूनम शर्मा
, मेरठ

अब की बारिश में मिलने,
तुम आओ तो सही
बर्फ जैसी पिघलकर
तुम,दिखाओं  तो सही
शर्म से पानी पानी हुई,
ये जवानी आपकी
मेरी नयनों से नयन अब,
तुम मिलाओ तो सही
मेघ के दूत है
ये बरसते सदा
तुम बिजली बनकर
दिखाओं तो सही
ठण्ड से काँपता
आपका भींगा बदन
शोला बनकर तुम
दिखाओं तो सही
नभ के बादल को
मैं वापस भेज दूँ
तुम जरा फूल सा
मुस्कुराओ तो सही
यूँ मुझपे ना
डोरे डालों तुम
चाँदनी बनकर
दिखाओं तो सही
                   
✍️  प्रभात गौर
नेवादा जंघई, प्रयागराज
   (उत्तर प्रदेश)

अंक 45

सादर प्रेषित

ग़ज़ल

साथ मेरे क्या.... नहीं होता
मगर मैं बेवफा  नहीं होता|
साथ आप की दुआ हैं ,माँ
कोई भी हादसा नहीं होता|
उसे देखा. दिल यही बोला
हर कोई चाँद सा नहीं होता|
माँ तेरी याद बहुत आती हँ
जब कोई रास्ता नहीं होता |
ऐसे भी लोग काम आते हैं
जिन से वास्ता .. नहीं होता |
प्रेम सच हौसले से कहते हैं
हर कोई आपसा नहीं होता|

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

...करो योग , रहो निरोग .

आज अंतर्राष्ट्रीय
दिवस है योग का
आओ हम निदान
करें हर रोग का।
जिसने भी है
योग को अपनाया
रोग से मिली मुक्ति
सुंदर बनी काया।
योग साधना
और आयुर्वेद का
जिसने दिया
दुनियां को ज्ञान।
जग में बढ़ी
ख्याति उसका
वो है देश मेरा
भारत महान।
योग से मुक्त
होते हैं कई रोग
नित्य करें
प्राणायाम और योग।
स्वस्थ, सुंदर
तन रहता निराेग।
जो करते योग
से परहेज
उनका होता
जिंदगी से वियोग।
इम्यूनिटी को बढ़ाता योग
रोग प्रतिरोधक
क्षमता भी बढ़ाता।
ब्लड प्रेशर भी
स्थिर रखता योग
शुगर लेवल भी
है यह घटाता ।
कहता भीम करो
योग,रहो निरोग
मनुज तन मिला
है अनमोल
है ये बड़ा ही संयोग ।
                  
✍️  भीम कुमार
गांवा, गिरिडीह, झारखंड

काश....

काश जिंदगी के नेमतों
को हम समझ पाते ~
जो मिला नसीब से था
उसे तरजीह दे पाते ~
जितना मिला था उसे
ही ठीक से संभाल पाते~
काश खो जाने के बाद के
अफ़सोस से
खुद को बचा पाते ~
काश जिंदगी के नेमतों को
हम समझ पाते ~
जितना मिला तकदीर से था
उसे ही संभाल पाते~
जब कह सकने लायक़ थे
मन की सब कह पाते ~
जब तक करने लायक़ थे
मन की सब कर जाते ~
काश अंतिम घड़ी तक
सब न टालते ~
जितना करना था समय
रहते सब कर पाते ~
काश जिंदगी के नेमतों को
हम समझ पाते~
जितना मिला तकदीर से था....
उसे ही सम्हाल पाते ।
   
✍️  - डॉ  पल्लवी कुमारी "पाम "
पटना , बिहार

#विषय_किसको जिम्मेदार कहेंगे
#विधा_मुक्तक

किसको ज़िम्मेदार कहेंगे

पढ़े लिखे और अनपढ़
सबकी एक जैसी भीड़ खडी
ख्वाब धूमिल हसरतें टूटी
इच्छा-शक्ति कमजोर पड़ी ।
चारों तरफ बढती बेरोजगारी
किसको जिम्मेदार कहेंगे
हनन हो रहा जिस प्रतिभा
का वो आखिर किस
किस से न लड़ी ।।
असीमित जनसँख्या बढती जा
रही रोकने वाला कोई नहीं
लगातार घट रहे संसाधन
अनियोजित दोहन अब करे नहीं ।
घटते शैक्षिक स्तर और कौशल
बिन शिक्षा के कारण
बेरोजगारी बढ रही है समस्या
का हल अभी तक कोई नहीं ।।
अब जरूरत है शिक्षा में
बड़े परिवर्तन करने होंगें
आत्मनिर्भर देश बनाने नये
तरीके  अपनाने होंगे ।
असन्तुलन मिटाने को सबको
करना होगा पुनरवलोकन
इस विकट समस्या का जल्दी
समाधान अब ढूंढने होंगें ।।
कौशल युक्त प्रशिक्षण देकर
सबको हुनर सिखाएं हम
विद्यार्थी को रुचि अनुसार
विद्यालय में पढाएं हम।
मूर्ख बनाकर सत्ता पा जाते
वायदे नेता झूठे करते हैं
सरकारी नौकरी के भरोसे न बैठ
अपने  उद्योग धन्धे लगाएं हम।।
स्वरोजगार अपनाकर के
रचनात्मक परिश्रम युवा करे
बेरोजगारी महामारी को
शीघ्र पराजित युवा करे ।
साधन कम आरक्षण ज्यादा
किसको जिम्मेदार कहेंगे
भटक रहे जो डिग्री लेकर वो
नवीन अवसर सृजित करे ।

✍️ डॉ देशबन्धु भट्ट
ग्राम सेम मुखेम
ब्लॉक प्रताप नगर
जिला टिहरी गढ़वाल
उत्तराखण्ड

लॉकडाउन एवं कोविड
कर्फ्यू के चलते  गांव की ओर पलायन कर गए कामगार मजदूरों को वापस आने का न्योता देती  कविता!!

शीर्षक -

तुम्हें वापस आना ही होगा?

हे  प्रवासी !  कामगार मजदूर
शहरों से पलायित बेरोजगार।
तुम   निरीह   मजदूर थे ,
इसलिए गांव जाने को मजबूर थे।
तुमने भव्य शहरों को बसाया,
पर अपना अदना- सा,
ठिकाना भी न बनाया।
तुम बर्तमान में ही जीते रहे,
तभी तो भविष्य में रीते रहे ।
आपदा आई
तुमने न रोटी पाई,
अब ये शहर तुम्हारे बिना,
अधूरे  लगते हैं ,
चौराहे सुनसान है ,
औ  बाजार भी बुरे लगते हैं।
अब तुम्हें आकर इन ,
शहरों को फिर सजाना होगा ,
हे प्रवासी !कामगार मजदूर
तुम्हें वापस आना ही होगा।।
तुमने ही तो रोशनी फैलाई ,
बिजली के खंभों को ठोककर ,
तुमने ही तो जवानीखपाई ,
इन शहरों के बोझ को ढोकर,
आपदा के इन घावों को ,
तुम्हें ही सहलाना होगा ।    
हे प्रवासी कामगार -मजदूर
तुम्हें वापस आना ही होगा।।

✍️ आर०के पोखरियाल
            (सरस )
  मुनि की रेती (टि०ग०)
ऋषिकेश  ( उत्तराखंड )

कविता :- 20(38)

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

पता न क्या होगा छात्रों का भविष्य ,
घर बैठे परीक्षा की माँग कर रहे है
आजकल का शिष्य ।।
ऑनलाइन परीक्षा करवाकर
ये सरकार पिला रही है विष ,
बड़ा फेरबदल कर दिया
वर्ष दो हज़ार उन्नीस और बीस ।।

समय पर परीक्षा न
करवा रहे है
समय पर चुनाव ,
कोई और नहीं
मैं देश नहीं झुकने दूंगा
नारा लगाने वाला
उन्हीं का है ये स्वभाव ,
जागो . जागो
बढ़ाओं अपना पाँव ,
ये नेता आते प्रचार करने चुनाव के
समय में ही शहर और गाँव ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 25/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(38)
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 46
Sahitya Ek Nazar
25 June 2021 ,   Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

उत्तर बिहार , मिथिलांचल को मिली एक नई उपहार ,
मधुबनी स्थिति रांटी चौक के चंद्रा कॉम्प्लेक्स , मोल , बाज़ार  ।

CHANDRA COMPLEX


Marriage Hall
Banquet Hall
Family Restaurant
Parking facility
Lodging & Boarding

Hotel chandralok

Ranti Chowk to Jaldhari Chowk By Pass
Road , Madhubani , Bihar , India
Mob 📱 - 7280038041 , 7280038042

Space Available for
Shopping Mall

✍️ पूजा कुमारी
ग्राम - राजनगर
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
राष्ट्रीय सेवा योजना
मिथिला / मधुबनी पेंटिंग

लिए हुए वो  प्रीत 
के पावन भाव प्रिये !
खड़ा अटल  सा पथ 
में अपने पाँव प्रिये !!
चटक सिंदूरी से  तन 
पर  उसने पहने  बाने !
ठंडी ठंडी  सी  है 
उसकी छॉव प्रिये !!
प्रेम है दिल में
उसके  निर्मल सा !
लैश ना राखे वो  
कोई दुराव प्रिये !!
हँसता हुआ सा लगता
सारे जमाने  को !
छुपा लिए हैं उसने
अपने घाव प्रिये !!
अल्हड़ अलवेला सा है
गोरी वो  गुलमोहर !
बुला रहा है तुमको  
अपने गॉव  प्रिये !!

  ✍️   "कवि" सुदामा दुबे

अंक - 45

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/45-24062021.html

कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2037-24062021-45.html

अंक - 46
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/46-25062021.html

कविता :- 20(38)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2038-25062021-46.html
अंक - 47
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/47-26062021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-23062021-43.html

फेसबुक - 1
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800286017527474&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=358077702410516&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

अंक - 57 सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1838862679632261/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

प्रेरणा , अंक - 57
https://m.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1836857096499486/?sfnsn=wiwspmo



रोशन कुमार झा


Popular posts from this blog

साहित्य एक नज़र , अंक - 2 , बुधवार , 12/05/2021

07/05/2021 , शुक्रवार

08/05/2021-09/05/2021, विश्व न्यूज़ , गंगाराम कुमार झा, भोजपुरी , English poem , चल ममता सिंहासन खाली कर