साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 48, रविवार , 27/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 48
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gmxs/

अंक - 47

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/


जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 48

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716


अंक - 48
27 जून  2021

रविवार
आषाढ़ कृष्ण 3 संवत 2078
पृष्ठ - 
प्रमाण पत्र -   9 - 11
कुल पृष्ठ -  12

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆

99. आ. राम प्रकाश अवस्थी 'रूह' जी
100. आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी ( साप्ताहिक पत्रिका )
🏆🌅 मनोनयन प्रमाण - पत्र 🌅 🏆
101.आ. ज्योति सिन्हा जी , मुजफ्फरपुर , बिहार


सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 45 - 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

फेसबुक - 1

https://m.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1142840999562786/

https://www.facebook.com/groups/1113114372535449/permalink/1142830186230534/


फेसबुक - 2

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317096130053170/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317102690052514/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 48 ,  रविवार
27/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 48
Sahitya Ek Nazar
27 June 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय , Bankim Chandra Chatterjee , বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়) (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बंगाली के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका प्रमुख  स्थान है।

जन्म - 27 जून 1838 , नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना , पश्चिम बंगाल
मृत्यु - 8 अप्रैल 1894 (उम्र 55) कोलकाता, बंगाल
व्यवसाय - लेखक, कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार, पत्रकार, व्याख्यानकार एवं राजनेता
भाषा - बांग्ला, अंग्रेजी
उच्च शिक्षा - कलकत्ता विश्वविद्यालय
विषय - साहित्य
साहित्यिक आन्दोलन बंगाली पुनर्जागरण
उल्लेखनीय कार्य - दुर्गेशनन्दिनी
कपालकुण्डला
देवी चौधुरानी
आनन्द मठ
वन्दे मातरम्

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉🎁 🌹🙏💐🎈

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।।
वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।
वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,
तुमि मर्म त्वं हि प्राणा:
शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।।
वन्दे मातरम् ।
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि कमलां
अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।।
वन्दे मातरम् ।
श्यामलां सरलां सुस्मितां
भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।
वन्दे मातरम् ।।

~बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ

💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅


परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

समीक्षा

दूसरे चरण की समीक्षा में मैं लेकर आया हूँ श्री रामकरण साहू "सजल" जी की पुस्तक "पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ" । मैनें कल की समीक्षा में कहा था कि इस पुस्तक में ऐसा क्या है जिसे लोग पढ़ने के लिऐ किताबों की दुकानों के चक्कर लगा रहें है। तो मैं बताता चलू की पुरूषार्थ यानी मेहनत , मैं ये सब नहीं बताऊँगा ये हमारे पाठक जानते है। दरअसल इस पुस्तक को साहू जी ने सात खण्डों में विभाजित किया  है। कल्पना खण्ड ,जन्म खण्ड, बाल खण्ड, यूवा खण्ड, उत्साह खण्ड ,वीरता खण्ड और विश्राम खण्ड इन सात खण्डों में कल्पना से लेकर विश्राम तक का यानी जन्म से लेकर मृत्यू तक का वर्णन है।जैसे कल्पना खण्ड में कहते है कि
सुशोभित दृग अंजन पुरूषार्थ
सरकती साड़ी तन पुरूषार्थ
बहकते डग मारग पुरूषार्थ
नयन की कोरों में पुरूषार्थ
महावर पैरों का पुरूषार्थ
माँग हो सिंदूरी पुरूषार्थ
चपलता सारंग का पुरूषार्थ
शंख ध्वनि गूंज रही पुरूषार्थ।
कवि की कल्पना देखिये की पुरूषार्थ क्या है। इन पंक्तियों में देखने को मिलेगा। अंजन, तन,मारग, सिंदूरी,चपलता और गूंज इन पंक्तियों में ये सब पुरूषार्थ है और बाल खण्ड में कहते है कि
चला जाता धावन के साथ
बिछुड़ने का भय पकड़े हाथ
बात करते दोनों थे साथ
हँस रहा साथ-साथ पुरूषार्थ।
बल खण्ड की अद्भुत व्याख्या पुरूषार्थ कैई तरह का होता है केवल मेहनत ही पुरूषार्थ नहीं है। अगले यूवा खण्ड में ये कहते है कि
व्योम में स्वयं उड़े सब पेल
उड़ाने लम्बी किन्तू न  फेल
पकड़ने पर पिंजड़े की जेल
छूटते वह खेलें फिर खेल
उड़ें पीछे-पीछे वन रेल
परों पर जिनके था पुरूषार्थ।
कहते है यूवा अवस्था ऐसी होती है कि पँखो पर बस ज़रा सी हवा लगने तो दो आसमान से भी ऊंचा उड़ने की इच्छा रखते है। उत्साह खण्ड में कहा कि
बलैयां ले माँ बारम्बार
उतरे अश्व लाल की धार
छलकता शब्दों से था प्यार
शब्द से फुट रहा पुरूषार्थ।
और  वहीं वीरता खण्ड में कहते है कि
बनी योजना तुरन्त सभी की
सैनिक सब तैयार किया
एकत्रित करने का सबको
सबने जल्दी काम किया
पहनी निज-निज सब पोशाकें
निज वाहन को प्यार किया
अस्त्र-शस्त्र ढालों से सबने
पुरूषार्थ तैयार किया।

वीरता की परिभाषा को आपने लयबद्ध तरीके से उन्होंने कहा डाला और आखरी और अंतिम विश्राम खण्ड में कहते है की
भूप देहे पर चौथेपन ने
निज अस्तित्व दिखाया है
शुष्क हो रही त्वचा देह की
यह संदेश सुनाया है
श्वेत हो गये बाल देह के
रन्ध संकुचित पाया है
निज दरबार व्यथा निज तन की
पुरुषारथ कर गाया है।
आज श्री साहू जी की आठवी पुस्तक परुषार्थ ही पुरूषार्थ की आखरी समीक्षा थी। मैं जब समीक्षा के लिऐ बैठता टी उनकी किताबों को कैई बार पलटता एक-एक पृष्ठ को दो-दो बार पढ़ता आज मुझे उनकी किताब की आखरी समीक्षा  करते हुऐ दुख भी हो रहा है और खुशी भी दुख इस बात का है कि आज ये उनकी पुस्तकों की आखरी समीक्षा है और खुशी इस बात कि मुझें समीक्षा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अरे भई आप लोग गलत समझ रहे है। आखरी से मतलब अभी तक की प्रकाशित पुस्तकों में से आख़री ये तो साहू जी का साहित्यिक आगाज़ है। अभी उन्हें न जाने कितने सोपान पूरे करना है। अब मैं आप से विदा लेता हूँ। इसी पुस्तक की तृतीय चरण की समीक्षा में फिर मिलूँगा। तब तक के लिए राम - राम

समीक्षक - ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी

कविता :- 20(40)
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनांक :- 27/06/2021 ,
दिवस :- रविवार
विषय :- अभिवादन
विधा :- बांग्ला भाषा
विषय प्रदाता :- आ. सुनीता मुखर्जी
विषय प्रवर्तक :- रोशन कुमार झा

माँ सरस्वती साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन 🙏 करते हुए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों को सादर प्रणाम । आज की विषय और विधा बहुत ही शानदार है , विषय प्रदाता आ. सुनीता मुखर्जी जी को धन्यवाद सह सादर आभार , एवं समस्त पदाधिकारियों को भी धन्यवाद जिन्होंने आज हमें विषय प्रवर्तन करने का मौक़ा  दिए हैं ।

अभिवादन मतलब सम्मान करना जी हाँ आज हम इसी उमंग के साथ बांग्ला भाषा का अभिवादन करेंगे , जो भाषा बंगाल को ही नहीं बल्कि हिन्द और हिन्दी का भी विश्‍व स्तर पर पहचान दिलाया , राष्ट्र गान निर्माता , नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी , राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी अहम भूमिका निभाये , आज ही के दिन राष्ट्र गीत निर्माता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी का जन्म
27 जून 1838 , नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना , पश्चिम बंगाल में हुआ था । बांग्ला अक्षर का लिपि मिथिलाक्षर से लिया गया है  ‌।

আপনাদের সবাই কে নমস্কার ,
( आप सभी को नमस्कार )
विषय - अभिवादन , विधा - बांग्ला भाषा
आप सभी सम्मानित साहित्यकार करें स्वीकार ।।

अतः आप सभी सम्मानित साहित्यकार आमंत्रित है , अभिवादन विषय पर अपनी मन की भावनाओं को बाग्ला भाषा विधा के माध्यम से प्रस्तुत करें । एवं अन्य रचनाकारों के रचना को पढ़कर सटीक टिप्पणी करके रचनाकारों को प्रोत्साहित कीजिए ।।

जय हिन्द , जय हिन्दी
धन्यवाद सह सादर आभार 🙏💐

आपका अपना
रोशन कुमार झा

#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(40)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
रविवार , 27/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 48
Sahitya Ek Nazar
27 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

https://m.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1955216687988559/?sfnsn=wiwspmo

विधा- कविता
शीर्षक-
कविता
"समय की रेत फिसलती है"

है फिसलते रेत जैसे,
समय का वह पल है कैसे ?
बचपना अपना है रुठा,
है मुसाफिर मंजिलों के।
है प्रतिपल बढ़ते रहते ,
यह शाखाएं मंजिलों के ,
हैं मिलन उस लक्ष्य पथ का,
उन कंकड़ों और पत्थरों पर ।
बिछड़ते रहते हैं मुझसे
,झूमती डालो की छाया,
दौड़ते पगडंडियों पर ,
बचपन का वो ख्वाब टूटा।
आसमानों के सितारे,
झांकती रहती थी आंखें ,
बंद कमरों में पड़े हैं,
अक्षरों से द्वंद करते।
डगमगाए मेरी कदमें,
मुस्कुरा कर थाम लेते ,
इन अकेली राहों पर ,निज
"काया" भी ना साथ होती।
ढलती रहती उम्र प्रतिपल
,स्मृति निज गढ़ती रहती,
डूबती किरणों के संग तो ,
ढलती रहती राहें अब तो।

✍️ कीर्ती चौधरी
पता- जमानियां,गाज़ीपुर
( उत्तर प्रदेश)

सायली छंद
व्यापार

व्यापार
अपनी जगह
संबंध, रिश्ते, नाते
अपनी जगह
जागो।

उसूल
व्यापार का
भी होता है
व्यवहार, व्यापार
अलग।

संबंध
तभी तक
अच्छा होता है
बिखरे न
संबंध।

रिश्ते
व्यापार नहीं
कहाँ तक तोलोगे,
अलग पथ
ठीक।

✍️ सुधीर श्रीवास्तव
     गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित

नमस्कार ।
मन हुआ कि आपके पास अपनी एक कविता प्रेषित कर दें। यदि आपको ठीक लगे तो हमें  कहीं  स्थान दें ।
धन्यवाद ।

#
कविता

पेड़ से,
बेल का लिपट जाना,
या प्लेट से प्याला,
अलहदा,
नहीं रखा जाना,
चाय पी कर भी।
बस ज़ुरूरत की मुहब्बत है ये,
क्योंकि,
साथ तो उम्र भर का होता है !
पर, रुख बदलने लगा है,
अब शायद,
समय के प्रवाह का,
भावनाओं के निर्वाह का,
पेड़ धराशायी हैं,
बेलों को बांस मिले।
और कप को छोड़,
तन्हा मग से भी आगे,
हैं कागज के कप,
उपयोग होने के बाद,
सीधे कूड़ेदान में !
जाने क्या क्या है शेष,
विधि के विधान में,
जाने क्या क्या है शेष,
विधि के विधान में !

✍️ प्रदीप मिश्र " अजनबी "।
*स्वरचित मौलिक काव्यकृति*

ख्वाब और हकीकत

अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाब सूर्य को पकड़ा
हकीकत जुगनू...
अब ख्वाबों में नहीं
हकीक़त जीता हूं यारों,
ख्वाब चांद पर घुमा,
हकीकत धरती पर......
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,  
रात के ख्वाबों में न जाने
कितने अरमान के फूल है खिलते ,
सुबह होते ही हकीकत में
सजे सब अरमान है खो जाते ,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाबों में आकर वो
हर इक रात मुलाकात है करती ,
हकीकत सुबह में वो
दिखाई नहीं दिया करती,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता हूं यारों,
ख्वाब है तुझे चांद के
पार ले जाने का
हकीकत है हैसियत नहीं
खुद चांद पर जाने का ,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीते हैं यारों   
ख्वाब ,सपने ये झूठें बेईमान है,
हकीकत अटल
सत्य ईमान है नागा,
अब ख्वाबों में नहीं
हकीकत जीता यारों
    
  ✍️  निहारिका संग धीरेंद्र सिंह नागा
   ग्राम -जवई तिल्हापुर
कौशांबी उत्तर प्रदेश

कबीर चिंतन सम्मान और काव्य अभिव्यक्ति सम्मान से सम्मानित हुए देशभर के साहित्यकार ।

कबीर जयंती पर अपनी वैचारिक आलेखात्मक अभिव्यक्ति और काव्यात्मक अभिव्यक्ति करने वाले मित्रों को अभिव्यक्ति के संपादक आ. डॉ अनिल शर्मा ' अनिल' जी के करकमलों से क्रमशः कबीर चिंतन सम्मान और काव्य अभिव्यक्ति सम्मान से अलंकृत किया गया । कबीर चिंतन सम्मान पाने वाले मनीषी हैं-
डॉ.घनश्याम बादल जी, प्रो. डॉ.शरद नारायण खरे जी
आ. सतेंद्र शर्मा तरंग जी, वीणा गुप्त जी, बाबा कल्पनेश जी, सुनीता रानी राठौर जी, अनुजा दूबे जी,
डॉ विजय लक्ष्मी जी, मीना जैन जी, रेनू बाला सिंह जी
, आनंद नारायण पाठक जी, डॉ ए कीर्तिवर्धन जी,
गीता पांडेय जी, कमलेश मुद्गल जी, पं. राकेश मालवीय मुस्कान जी, सुधीर सिंह'सुधाकर'जी एवं
काव्य अभिव्यक्ति सम्मान पाने वाले रचनाकार  हैं -
सतेंद्र शर्मा तरंग जी, मास्टर भूताराम जाखल जी
मुकेश मैथिल जी, अजय जैन जी, रमेश कुमार द्विवेदी चंचल'जी, डॉ महताब अहमद आजाद जी, अभिनव शर्मा जी, राकेश कौशिक जी, सुधीर श्रीवास्तव जी,
वीणा गुप्त जी, दिनेश चंद्र प्रसाद'दीनेश' जी, चन्द्र कला भागीरथी जी।

https://www.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1839558732895989/?sfnsn=wiwspmo


रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई



अंक - 49

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/49-28062021.html

कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/50-1-29062021.html

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 45

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/45-24062021.html

कविता :- 20(37) , गुरुवार , 24/06/2021 , अंक - 45
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2037-24062021-45.html

अंक - 46
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/46-25062021.html

कविता :- 20(38)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2038-25062021-46.html
अंक - 47
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/47-26062021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-23062021-43.html

फेसबुक - 1

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=358970808987872&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800809417475134&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

अंक - 57 सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1838862679632261/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

प्रेरणा , अंक - 57
https://m.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1836857096499486/?sfnsn=wiwspmo

शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ 💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅
फेसबुक वीडियो -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800893017466774&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800893950800014&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

यूट्यूब -

https://youtu.be/7IAu7DXb6N4

https://youtu.be/-CqFj4-RFas

https://youtube.com/shorts/7IAu7DXb6N4?feature=share

https://youtube.com/shorts/-CqFj4-RFas?feature=share

फेसबुक -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=359053188979634&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=359052792313007&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

अंक - 47

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/

अंक - 46
https://online.fliphtml5.com/axiwx/tbxd/



विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
विधा :- स्वैच्छिक
शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक :- 01 जुलाई 2021
दिवस :-  गुरुवार
विषय प्रदाता :- आ . आशीष कुमार झा जी

बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

आपका अपना

रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

अंक - 2
https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/984763045290038/




अंक - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/vfjt/

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110602636014989/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110587466016506/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य एक नज़र
अंक - 45 से 48
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/314455886983861/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/
मधुबनी इकाई
https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/316049233531466/?sfnsn=wiwspmo

------------------

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका ) गुरुवार

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
आ. ज्योति झा जी

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संस्थापक / संपादक


नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान, क्रमांक :- 6
दिनांक :- 25/06/2020 , दिवस :- वृहस्पतिवार
विश्व साहित्य संस्थान , ई - पुस्तिका ,जून अंक :-1,  2020
प्रकाशित :-
विश्व साहित्य संस्थान
https://online.fliphtml5.com/axiwx/vfjt/

http://vishshahity20.blogspot.com/2020/06/6.html

https://online.fliphtml5.com/szppo/gfsn/
https://online.fliphtml5.com/szppo/gfsn/#p=5

https://www.facebook.com/groups/978836735882669/permalink/983766848722991/

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110602636014989/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110587466016506/?sfnsn=wiwspmo


अंक - 47

https://online.fliphtml5.com/axiwx/drnf/

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 47

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )

साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

फेसबुक - 1

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=358970808987872&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 2

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800809417475134&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

अंक - 57 सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1838862679632261/?sfnsn=wiwspmo
साहित्य एक नज़र के साथ सम्मानित हुए , आज मैं बहुत बहुत खुश हूँ , 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌅

प्रेरणा , अंक - 57
https://m.facebook.com/groups/1653994421452422/permalink/1836857096499486/?sfnsn=wiwspmo

शादी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं आ. पकंज श्रीवास्तव जी व आ. ज्योति सिन्हा जी
27/06/2021 , रविवार

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ 💐💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🥰🎁
🌅
फेसबुक वीडियो -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800893017466774&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=800893950800014&id=100026382485434&sfnsn=wiwspmo

यूट्यूब -

https://youtu.be/7IAu7DXb6N4












साहित्य एक नज़र 🌅


Popular posts from this blog

साहित्य एक नज़र , अंक - 2 , बुधवार , 12/05/2021

07/05/2021 , शुक्रवार

08/05/2021-09/05/2021, विश्व न्यूज़ , गंगाराम कुमार झा, भोजपुरी , English poem , चल ममता सिंहासन खाली कर