साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 51 , बुधवार , 30/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 51
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अंक - 50
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मधुबनी - 1
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अंक - 49
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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 51
30 जून  2021
बुधवार
आषाढ़ कृष्ण 6 संवत 2078
पृष्ठ - 
प्रमाण पत्र - 5
कुल पृष्ठ - 6

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
हूल दिवस
मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
105. आ. विनोद कुमार सीताराम दुबे जी



सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 45 - 48
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मधुबनी इकाई अंक - 2
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विश्व साहित्य संस्थान वाणी
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 51 , बुधवार
30/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 51
Sahitya Ek Nazar
30 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

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बिहार बोधी -  साझा काव्य संकलन

विश्व साहित्य संस्थान
विश्व न्यूज़
साहित्य एक नज़र
दैनिक पत्रिका

विश्‍व साहित्य संस्थान ( साहित्य एक नज़र 🌅 )
मो - 6290640716

एक कहानी छाया सहाय की जुबानी ,

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आ. ज्योति सिन्हा जी

सुधीर श्रीवास्तव के जन्मदिन पर लाइव काव्यपाठ सप्ताह का आयोजन -

परितोष काव्य मंच* पर काव्य का साहित्यिक मेला
गोण्डा (उ.प्र.)‌ जनपद के वरिष्ठ कवि/साहित्यकार आ.सुधीर श्रीवास्तव के जन्मदिन (एक जुलाई) के उपलक्ष्य में पारितोष काव्य मंच फिरोजाबाद, उ .प्र. द्वारा स्व. हंसराज कक्कड़ स्मृति मंच के तत्वावधान में 'लाइव काव्य पाठ सप्ताह' का  आयोजन किया जा रहा है। स्वर्गीय श्री हंसराज कक्कड़ स्मृति मंच कविराज व्यंगकार आ. परितोष अरोरा जी ने अपने पिता की स्मृति में शुरू किया है, इसमें साहित्य के साथ साथ सामाजिक और वैचारिक कार्य भी किए जाते है। इन कार्यों के लिए उन्हें अब तक कई सम्मान पत्र भी मिल चुके है।  1-7 जुलाई '21 तक चलने वाले इस आयोजन के बारे में मंच के संस्थापक आ.पारितोष अरोड़ा जी ने बताया कि प्रत्येक दिन दो लाइव काव्यपाठ कराने की रुपरेखा तैयार की गई है।जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से कवि/कवयित्रियों को आमंत्रित किया जा रहा है। जिनमें आ.भरत मिश्रा भयंकर जी (उन्नाव,उ.प्र.), आ.अमित बिजनौरी (बिजनौर, उ.प्र.), आ. आर्तिका श्रीवास्तव (लखनऊ), आ.अनुरोध कुमार श्रीवास्तव (बस्ती, उ.प्र.),आ.जय हिंद सिंह हिंद (आजमगढ़),आ.महेंद्र सिंह राज (चंदौली, उ.प्र.) आ.ममता रानी सिन्हा (तोपा,रामगढ़, झारखंड), आ.तृप्ति वीरेंद्र गोस्वामी,आ.संगीता चौबे पंखुड़ी (म.प्र.) आ.रईस सिद्दीकी बहराइची(बहराइच), आ. ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम (कानपुर),आ.अनिल राही जी (ग्वालियर, म.प्र.),आ.अनुरंजन कुमार अंचल आदि की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। श्री अरोड़ा ने यह भी कहा कि साहित्यकारों उनके जन्मदिन पर  सम्मान और विशेष अनुभूति का अहसास हो,इसी उद्देश्य से शुरु की गई इस श्रृंखला को आगे लगातार जारी रखा जायेगा। साथ ही उन्होंने श्री सुधीर श्रीवास्तव को जन्मदिन की बधाइयां और शुभकामनाएं भी दी है।


ज़िंदगी

जिंदगी दौड़ है,
भागते जाना है,
रास्ते जटिल हैं,
कंटक भरे पथ हैं,
मंजिलों की प्रतिस्पर्धा में,
परेशानियों को
पीछे छोड़ आगे बढ़ना है,
धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर,
थकान को दूर भगाना है,
चाहे आए जितनी परेशानियां,
स्वयं विजय सेहरा सजाना है,
आत्मविश्वास से
हर विषाद को दूर भगाना है,
चाहे जो हो परिस्थिति,
हरदम मुस्काना है,
गर थक जाएं कदम कहीं,
देख खुद को आईने में,
वायु वेग से उड़ जाना है,
गतिशील धावक बन,
सफलता के पायदान पर,
विजयश्री कदम बढ़ाना है।

✍️ इं. निशांत सक्सेना "आहान"

मिट्टी दिवस

मिट्टी है अनमोल यारों
मिट्टी का मान बढ़ाओ सब
मिट्टी ही अन्न दाईनी है
हम सब को मजबूत बनाती है
मिट्टी को प्रदूषण से बचाओगे
जीवन के सभी सुख पाओगे
मिट्टी को सभी  आदर  सहित
अपने माथे पर    लगाओ
आज सभी मिट्टी दिवस मनाओ

साहित्य एक नज़र -

साहित्य एक नज़र का
मिला पचासवां  अंक
सभी रंगीन पृष्ठों  पर
सजी साहित्य पंक्तियां
मान-सम्मान पत्र कविता
सभी  छपे हैं  अनूठे
साहित्य एक नजर का
पूरे भारत में हो  विस्तार
हिंदी सेवक साहित्य जन
बन जाओ साथी सभी
दैनिक साहित्य एक नज़र का

✍️ विनोद कुमार सीताराम दुबे
शिक्षक/हिंदी प्रचारक/लेखन,
स्वतंत्र पत्रकारिता भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
संस्थापक सीताराम ग्रामीण
साहित्य परिषद एवं इंद्रजीत पुस्तकालय जुडपुर रामनगर विधमौवा मड़िया हूं जौनपुर उत्तर प्रदेश

शीर्षक  :-

" मैं बुझते दीप जलाता हूँ "

मैं अपने जीवन के दुख
,से कभी नहीं घबराता हूँ!
चलीं हवाएँ जब भी तो,
मैं बुझते दीप जलाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----
अगर राह में फूल मिले
ना,मैं काटों पे चलता हूँ!
विषम परिस्थितियों में सदा
,धीरजता दिखलाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----
मुझे चाह नहीं शहरों की
,मैं तो गाँव में रहता हूँ!
जहाँ जमीने ऊसर हो
,मैं वहाँ फसल उगाता हूँ!!
मैं अपने जीवन के दुख----

✍️ प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज

शुभकामनाएं संदेश -

मधुबनी इकाई के साप्ताहिक का प्रवेशांक और साहित्य एक नजर का पचासवां गौरवशाली अंक एक साथ पाकर अच्छा लगा। बहुत सुंदर सेटिंग और संपादन। उत्तरोत्तर प्रगति की मंगलकामनाएं ।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

कविता :- 20(43)
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

पता है हमें
हम किये गलती ,
हम तो पलटे ही
तुम भी तो पलटी ।
आज किसी औरों के
कहने पर चलती ,
हम भी किसी और
से दिल लगा लिए
अब अपने हक़ के लिए
क्यों लड़ती ।
हम न , तुम हमसे जलती ,
इतना ही प्यार रहा तो
मेरी शिकायत किसी
और से न करती ।
पहले हम
अब तुम मेरे पीछे मरती ,
पता न क्यों तुम्हें देखकर मेरे अंदर
एक नई ऊर्जा भरती ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(43)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
30/06/2021 , बुधवार
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 51
Sahitya Ek Nazar
30 June 2021 ,  Wednesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

पिता का महात्म्य
    
बेटे के सुख संसाधन हित,
हर कष्ट पिता सह लेता है।
सच माने तो स्व जीवन की
सब खुशियां उड़ेल देता है।
माँ के माहात्म्य की महिमा,
इस लोक में सबसे प्यारी है।
पर बच्चे को आगे बढ़ाने में,
पितु  महिमा अति न्यारी है।।
परिवार की सारी जिम्मेदारी,
पितु को संभालनी पड़ती है।
इससे उपजे सारे तनावों को,
वह मुदित भाव सह लेता है।
पढ़-लिखकर बेटा आगे बढ़े,
इसमें ही बाप की खुशी रहे।
खुद के आयी विपदाओं को,
वह  बेटे को नही  बताता है।।
कोई रिक्सा चलाये सड़कों पर,
कोई भीख मांगता घर-घर जा।
कोई मजदूरी कोई करे हुजूरी,
सुत हित में करे पिता न कया।
बच्चों  को  बचाने  के ख़ातिर,
क्या-क्या न  पिता  ने  झेले हैं।
हर कष्टों को पिता ने सहा मगर,
सन्तान को  खुशियां देता रहा।।
तपती धरती दिनकर तपता,
इस बीच बाप भी है तपता।
बहु स्वप्न संजोये पिता यहाँ,
खेती का कार्य मगन करता।
कठिन तपस्या वसुन्धरा पर,
पिता  की बहुत ही  होती है।
घर  में  खुशहाली  बनी  रहे,
वह यही सोच दिल में रखता।।
है  मेरा सबसे अनुरोध यही,
पितु का सदा ध्यान रखना।
जिनसे से सजा जीवन तेरा,
उनको न कभी बुरा कहना।
जिसने जीवन खुशियां सारी,
नित  तेरे हित  कुर्बान  किये।
तुम अपने विचार व कर्मों से,
उनको रखना खुशहाल सदा।।

✍️ सुरेश लाल श्रीवास्तव
           प्रधानाचार्य
राजकीय उ.मा. विद्यालय, जहांगीरगंज
अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश,
व्हाट्सएप न.9838866840

रोशन कुमार झा
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
मो :- 6290640716,
संस्थापक / संपादक ‌
Sahitya Ek Nazar,  Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली
दैनिक पत्रिका का इकाई


साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
( साप्ताहिक पत्रिका )
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
अंक - 2
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
विषय :- *" मिथिलाक  ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजने का समय - 30 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आपका अपना

रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी


---------------------------------
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
( साप्ताहिक पत्रिका )
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होवे वाला दैनिक पत्रिका  इकाई
अंक - 2
16 - 20 पंक्ति , सअ पैयग रचना के स्वीकार नैय करल जेएत ।
विषय :- *" मिथिलाक  ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होवे के तारीख  -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजअ के समय - 30 जून 2021 सऽ 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस वाला रचना के पत्रिका में शामिल नैय  करल जायत ।

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

अहाँ सभ के अप्पन
रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

मधुबनी इकाई अंक - 1
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https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

मधुबनी इकाई अंक - 2
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विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
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अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 49

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/49-28062021.html

कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/50-1-29062021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/crej/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

मधुबनी - 1
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https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका ) गुरुवार

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
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रोशन कुमार झा
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संस्थापक / संपादक


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( साप्ताहिक पत्रिका, अंक - 2 )
साहित्य एक नज़र 🌅 ( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई )


16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
विधा :- स्वैच्छिक
शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक :- 01 जुलाई 2021
दिवस :-  गुरुवार
विषय प्रदाता :- आ . आशीष कुमार झा जी

बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

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अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
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अंक - 1
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साहित्य एक नज़र
अंक - 45 से 48
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