साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 50, मधुबनी इकाई , अंक - 1, मंगलवार , 29/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 50
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मधुबनी - 1
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अंक - 49
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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 50
29 जून  2021
मंगलवार
आषाढ़ कृष्ण 5 संवत 2078
पृष्ठ - 
विशेष पृष्ठ - 7 -   30
कुल पृष्ठ -  31

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
104. आ. कीर्ति रश्मि नन्द जी ( वाराणसी)

सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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अंक - 45 - 48
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मधुबनी इकाई
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विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 50 , मंगलवार
29/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 50
Sahitya Ek Nazar
29 June 2021 ,  Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

_________________

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बिहार बोधी -  साझा काव्य संकलन

Happy Anniversary
शुभ वैवाहिक वर्षगांठ

💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🎁 🌅

आदरणीय पवन कुमार बिनानी एवं आदरणीया रंजना बिनानी जी को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐

🎁                 🎂
💐🙏🌹🍰🎉🎂💖🎁 🌅

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉

रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के राष्ट्रीय सेवा योजना , रासेयो , ( एनएसएस ) के  सक्रिय स्वंयसेवक आदरणीय आकाश गुप्ता जी को  जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। ।



साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 50 , 29 जून 2021
मंगलवार / साहित्य एक नज़र / মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

💖      💖

ये कैसी चीख पुकार है
ये कैसी चीख पुकार है।
दुनिया में महामारी ने
मचाई हाहाकार है।
घरों में कैद हो गयी,
देखों ये ज़िन्दगानियाँ।
कभी सड़कों पे गूंजती थी,
बच्चों की वो किलकारियाँ।
चारों तरफ फैली,
मातम की वो फुहार है।
ये कैसी चीख--
रोजी रोटी छिन गयी,
देखों सड़क पे आ गये।
कुछ घर पहुँच गये,
कुछ काल में समा गये।
मिल जाये बस उनका हक
जिसके वो हकदार है।
ये कैसी चीख----
घर के रोशनदानों से,
झांकती वो शांतियाँ।
सड़को पे देखो फैली है,
चारों तरफ वीरानियाँ।
चारों तरफ फैला
, कैसा ये अंधकार है।
ये कैसी चीख----

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर

शीर्षक ---

पर्यावरण बचाना है 

कितना भी समझाओ
मानव को सब व्यर्थ है
समझ न आता उसको
जो पर्यावरण का अर्थ है,
कुरूपता की पराकाष्ठा
उसका किया अनर्थ है,
धरा सुंदर बनाने में जबकि
वे सदैव समर्थ है।
अपनी महत्वकांक्षाओं को
इसे देना होगा लगाम,
सभी निर्भीक जीवन जी सके
ऐसा करना होगा काम,
सबकी माता है ये वसुंधरा
सभी करें यहां विश्राम,
पर कौन समझे समझाए यहां
सब कमाने में लगे हैं नाम।
हे! रत्नगर्भा तू ही
अब कुछ बोल दे,
इस निरंकुश को
उसके कार्यों का मोल दे,
हे! जीवनदायिनी क्यों
तू चुपचाप सब सहती है,
अब तो इस निर्दयी को
न्याय के तराजू पे तोल दे।
   
✍️ कीर्ति रश्मि नन्द
( वाराणसी )

नमन मंच

ग़ज़ल

जिंदगी होती हैं गम भुलाने के लिए
महकती  है   फिजा  जमाने   के  लिए।।
बहार बन जीवन में आई बरसने के लिए
दो  पल  ही  काफी  है  जताने  के  लिए।।
प्यार  वफ़ा  की  क्यों  करते  हो  बात
ये  रहबर  है  खुद  को  रिझाने  के  लिए।।
वो क्या जाने उलझन क्या होती है
प्यार तो करता है केवल छिपाने के लिए।।
आंसूओं  की  भाषा  वो  क्या  जाने
ये  तो समझता  है केवल जताने के लिए।।
तराना  गाए  बुलबुल  जमाने के लिए
क्यों मुस्कुराते हो अब गम लुभाने के लिए।।
देखकर मेरी मजबूरियां खिलते हैं
उनका तेवर ही काफी है जलाने के लिए।।
बिखर गया सपना बरसात बनकर यहां
मुद्दत बाद  आए सिर्फ छोड़ जाने के लिए।।
प्यार की दो बूंद काफी है गुनगुनाने के लिए
आनंद  हवा  में उड़ते हैं पंछी पाने के लिए।।

✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान

हिन्द देश परिवार जयपुर इकाई का हुआ उद्घाटन समारोह -

राजस्थान, गुलाबी नगर, 27.06.2021 रविवार, उद्घाटन समारोह - आज हिन्द देश परिवार जयपुर राजस्थान के पटल का शुभारम्भ हुआ। हिन्द देश परिवार जयपुर का उद्घाटन समारोह विधिवत कैलाश चंद साहू जी कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया, अंतरास्ट्रीय अध्यक्ष व संयोजिका आदरणीया डॉअर्चना पांडेय जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ, जिसमें जाने माने देश विदेश के ख्यातनाम कवियों और साहित्यकारों ने भाग लिया। ये पटल गुलाबी नमर जयपुर में सम्पन्न हुआ। इस पटल की अध्यक्षा आदरणीया नीरू बंसल जी ने सभी का आभार स्वागत किया। आदरणीय अमरजीत सिंह जी, हंसराज जी हंस, बजरंग लाल केजरीवाल जी, ब्रह्मकुमारीमधुमिता जी पुष्प वाटिका, कुमकुम सिन्हा जी, मुस्कान वर्मा, ओमप्रकाश श्रीवास्तव जी, महेश कुमार जैन जी, नीरजा शर्मा जी, विनोद शर्मा जी, कुसुम शर्मा जी, कविता पाल बबली जी, पूनम सिंह जी, पुष्पा बुकल्सारिया जी, हरकीशोर परिहार जी, ममता तिवारी जी, स्वाति जैसलमरिया जी, गणपति लाल उदय जी, इंद्रजीत कुमार जी, लाखन सिंह जी, श्वेता बिष्ट जी, साक्षी जैन जी, अनिल राही जी, इंदु उपाध्याय जी, राजेश कुमार शर्मा जी, पैनाली दिलीप जी, नीरू बंसल जी, दमयंती मिश्रा जी, रामदेव राही जी और कई ख्यात नाम कवियों ने इसमें शिरकत की। पूरा माहौल खुश नुमा हो गया। आदरणीया डॉ अर्चना पांडेय जी और सभी साहित्यकार साथियों का अभिनंदन व स्वागत किया गया। आज जयपुर गुलाबी नगर हिन्द देश परिवार का ये उद्घाटन समारोह अपने आप में देश विदेश में एक मिसाल होगा। मै कैलाश चंद साहू बूंदी राजस्थान सभी का हार्दिक अभिनन्दन स्वागत करता हूं। सभी का आभार व्यक्त करता हूं। आप सभी साहित्यकार मित्र अपनी रचनाओं से सकारात्मक सोच, और विश्वबन्धुत्व की भावना से जयपुर पटल को सुशोभित करेंगे। सभी को नमन प्रणाम आभार, सभी का स्वागत अभिनंदन, जय हिन्द जय भारत माता।

डॉ. अर्चना पांडेय जी                      कैलाश चंद साहू
अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष व संयोजिका               कार्यकारी अध्यक्ष
हिन्द देश परिवार जयपुर राजस्थान           हिन्द देश परिवार जयपुर राजस्थान

शीर्षक:
जीवन क्या

जीवन सतत चलता हैं
यही कहते सुनते आ रही हूँ
पर ऐसा क्या हैं जीवन में
जो न चाहते हुए भी कोई
जीना चाहता हैं
बड़े लुत्फ़ के साथ
कोई मौत को गले लगाते हैं
क्या जीवन दुखो से पूर्ण हैं
या फिर खुशियों भरा सा हैं
जीवन आखिर हैं क्या..?
क्यों कोई खोना चाहता हैं..?
क्यों कोई इसको पाना..?
क्या जीवन पर प्यार भारी नही
क्या जीवन सतत नही..?
आखिर जीवन चाहता क्या हैं
मेरी खुशियाँ सब खुशियाँ
या फिर बस ढोना
हैं अंतिम सांस तक
और ढोना हैं तो !ये दुख क्या..?
सुख की परिभाषा क्या..?
क्यों फिर बार
बार लौट आना होता हैं
इसी जीवन चक्र में बार बार
शरीर में फिर से मैं को लेकर
आखिर क्या हैं जीवन..?
दुख हैं या सुख
स्थिर या चलायमान..?

✍️ डॉ . मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित

जीवन से मैं क्या चाहूँ..

जिंदगी तो बहती हुई धार है...
समय में उठती गिरती लहरों पर
इंसान बहता
दुःख सुख के प्रवाह में है.
चाहा यही की बिखेर दूँ ख़ुशी
जो पल मिले समेट लूँ...
जल सकूँ दिये सी मैं..
रोशनी की किरण बनूँ...
जले किसी से तो क्या जिये.
भला किसी का कर सकूँ....
फूल सी खिल कर....
खुशबू बन बिखर सकूँ...
बस ख्याब मेरा यही रहा....
मुस्कान बन बिखर सकूँ...
सच के रास्ते पर चलूँ...
कड़ी परीक्षा के दौर में....
सपने कभी टूटे तो क्या...
हौंसले बुलंद हों...
हार कर रुकूँ नहीं...
रास्ते में काँटे या अंगार हों...
कुछ दोस्त हों बहुत करीब
कुछ अपने मेरे साथ हों...
दर्द किसी का देख कर...
हृदय भावों से भरे...
हाथ उनको दे सकूँ...
साथ उनको दे सकूँ...
मतलब की इस दुनिया को..
मतलब का कुछ दे सकूँ...
प्यार अंजुरी में भर....
बस चलती रहूँ हर हाल में...
डगमग कभी न कदम हों...
स्वार्थ में अपने लिये

✍️ पूजा नबीरा काटोल
नागपुर

समय
अनवरत बढ़ता रहता
अपने ही गतिपथ पर।
समय के  संग
जीवन बढ़ता,
समय भी बढ़ता
जीवनपथ पर।
समय के यदि संग चले तो,
सब कुछ समय पर मिलता है।
समय के संग यदि नही चले तो,
सब कुछ आधा अधूरा रहता है।
समय तो बस समय ही है।
अच्छा या बुरा नहीं होता।
मनुष्य का कार्य ही
समय को परिभाषित करता है।
कार्य अच्छा है,
समय अच्छा है ।
कार्य बुरा है,
समय बुरा है।
समय का न अपमान करो।
समय का सम्मान करो।
समय की पहचान करो।
समय से फिर काम करो।
समय बलवान बड़ा हैं
समय के प्रहार से डरो।
समय ही बदलता दुख को सुख में
बस समय का इंतजार करो
सीमित समय है जीवन में,
समय समय पर भरपूर जियो।
समय अनवरत बढता रहता,
अपने ही गतिपथ पर।
समय के संग
जीवन बढ़ता।
समय भी बढ़ता
जीवनपथ पर ।

✍️    सुनीता कुमारी
इंटर कॉलेज
जिला स्कूल, पूर्णियाँ।

# नमन मंच
#साहित्य एक नजर
#दिनांक-27जून से 2 जुलाई 2021
#अंक-49,50,51,52,53
#दिवस- सोमवार से शुक्रवार
#विषय-बारिश
#विधा-काव्य

     🌦️ बारिश 🌧️
          
बारिश हो बूँदाबाँदी,रिमझिम
  या हो फिर झमाझम,
जागृत हो शाँत सुषुप्त
  मन, हर घर -हर आँगन,
तपिश गर्मी- धूल  की
सीमा पार ना अब होगी,
भीनी-भीनी माटी की
ताजी खुशबू फिज़ा में तैरेगी।
दरकते, धधकते ,सुलगते
धरा जल  प्लावित होगी,
चीर धरती का सीना
बीज, कोंपलें अंकुरित होगी,
हर चेहरे पर हँसी, खुशी,
मुस्कान का डेरा होगा,
कागज की नाव अब
हिलडुल कर सड़कों पर तैरेगी।
हर ओर, चारों दिशा
हरियाली का बसेरा होगा,
मयूर पंख फैला मंत्रमुग्ध
हो खुशी- खुशी नाचेंगे,
बिजली चमकेगी ,कड़कती
गर्जना बादलों का होगा,
डर कर शिशु माँ की
ममता के आँचल में सिमटेंगे।
कभी बारिश की पानी
से खुद को बचाते फिरेंगे,
कभी झूम-झूम कर
झमाझम बारिश में स्नान करेंगे,
बच्चों की शोर मचाती
टोलियाँ सड़कों पर दौड़ेंगी,
खिड़कियों से झाँकते
फिर से बच्चे होने को सोचेंगे।

✍️ दिनेश कौशल
कवि एवं शिक्षक
लक्ष्मीसागर , दरभंगा ( बिहार )

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

पता न लोग
क्यों किसी को मनाने के लिए
समय व्यतीत करता है ।,
किसी का नाम तो
उसका हार और जीत करता है ।।
जो भी जो करता
वह उचित करता है ,
अपना - अपना कर्म
दुश्मन और मित्र करता है ।।
हार हो या जीत , हम जीत - हार
दोनों को मनोनीत करता है ,
वह भी नित्य करता है ।।
बुरा किसी का नहीं बल्कि
सभी का हित करता है ,
जितना हमसे हो सकता है
उतना हम उतने को उत्कृष्ट करता है ।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(42)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
29/06/2021 , मंगलवार
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 50
Sahitya Ek Nazar
29 June 2021 ,   Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

मधुबनी इकाई

साहित्य एक नजर
मधुबनी इकाई
साप्ताहिक पत्रिका
अंक - 1.
दिनांक-28/6/2021
विधा- कविता.
       *

बाज.

वोटों की बैसाखी पर टंगे
हरियाली पर इतराते खुद
तुम गमले के पौधे
अड़े हो सत्ता मद में 
हम जंगल के पौधों से
हिकारत की शरारत न कर
तुमसे हम नहीं
हमसे तुम हो!
तुम्हारे पास मजबूत टंगरी है
पर चल नहीं सकते
वजनदार पंख तो है
पर उड़ नहीं सकते
पहचानो कभी खुद को
तुम बाॅयलर के मुर्गे हो!
मौत के दहलीज लांघ
उड़ने की हुनर सीखी है
कयामती पंजों से सन्नद्ध
मजबूत इरादों से सम्बद्ध
बाज का बच्चा हूँ
मुंडेरे पर नहीं उड़ते
आसमां को आशियां बना
जमीं पे नजर रखते हैं!

✍️ अजय कुमार झा.
     26/6/2021.

शुभकामनाएं संदेश -

एक नयी शुरुआत के लिए
संपादिका आ.ज्योति झा जी
और साहित्य एक नज़र परिवार
मधुबनी इकाई ( साप्ताहिक पत्रिका )
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
यह पत्रिका अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल हो।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
आपका शुभाकांक्षी

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति

__________________

साहित्य एक नज़र মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर -

कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका साहित्य एक नज़र ,
उसी का इकाई है मधुबनी से
प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक
पत्रिका মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर ‌।।
आ. ज्योति झा जी है इस पत्रिका के
प्रथम संपादिका ,
उनकी सेवा भावना को देखकर रहा
नहीं गया मनोबल बढ़ाने के लिए
ये दो शब्द लिखा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(41)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
सोमवार , 28/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 49
Sahitya Ek Nazar
28 June 2021 ,   Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

__________________

शुभकामनाएं संदेश ( मैथिली )

माँ सरस्वती , जन्मभूमि मिथिला , मिथिलांचल के संस्कृति , राजा जनक , बहिन सीता , महाकवि विद्यापति , आधुनिक कबीर नागार्जुन , राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर  , मिथिलाक्षर , मिथिला / मधुबनी पेंटिंग , सम्मानित कलमकारों, कलाकारों व साहित्यकारों के कोटि कोटि प्रणाम करैत अछि ।
साहित्य एक नज़र कोलकाता सँ प्रकाशित होवे वाला दैनिक पत्रिका अछि अहि पत्रिका के मधुबनी इकाई अछि जे মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर नाम सऽ साप्ताहिक अछि जे मंगलवार कऽ प्रकाशित हेएत । ऐइ पत्रिका के प्रथम अंक 29 जून 2021 मंगलवार कऽ प्रकाशित हेएत । ऐइ पत्रिका के प्रथम संपादिका कलकत्ता विश्‍वविद्यालय के बेथुन कॉलेज कोलकाता के छात्रा , हिन्दी, मैथिली भाषा के कवयित्री, आदरणीय ज्योति झा जी छेथिन । आ. ज्योति जी आर अहाँ सभ गोटेक कऽ बहुत बहुत शुभकामनाएं , साहित्य एक नज़र  कोलकाता दैनिक , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी साप्ताहिक - गुरुवार , साहित्य एक नज़र मधुबनी - মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मंगलवार अप्पन पत्रिका अछि । हम आशा करैत अछि कि अहाँ सभ अप्पन अप्पन कला सऽ सहयोग करब ।

धन्यवाद सह सादर आभार 🙏

जय हिन्दी , जय मैथिली , जय साहित्य एक नज़र मधुबनी इकाई , মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर , जय मिथिलांचल

अहाँ के अप्पन

✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅
साहित्य एक नज़र कोलकाता सँ
प्रकाशित होवे वाला दैनिक पत्रिका

धन्यवाद बहिन आ. ज्योति झा जी अहाँ के सहयोग सँ मिथिलांचल के साप्ताहिक पत्रिका उपहार  भेटल हेअ , प्रथम अंक अहाँ सभ के सामने अछि -

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आज की पत्रिका
साहित्य एक नज़र
में सम्मिलित मधुबनी इकाई

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प्रिय साहित्यकारों,

https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1412411335796598/

साहित्य संगम संस्थान पंचम वार्षिकोत्सव, जोकि दिनाँक 2 जुलाई से शुरू व दिनाँक 5 जुलाई 2021 को खत्म होगा, में आप सभी को आमंत्रित करते हुए हर्षानुभूति हो रही है । कार्यक्रम सुबह 11 बजे से रात्रि 9 बजे तक उक्त चारों तिथि को चालू रहेगा ।

आपकी गरिमामयी उपस्थिति की प्रतीक्षा रहेगी ।

निवेदक,

कविराज तरुण
महासचिव
साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/eKXALjmExDc
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के गौरवशाली पांच वर्ष (5-07-2021)

स्नेह निमंत्रण स्वीकार करो उत्सव में अब आप पधारो🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
https://m.facebook.com/photo.php?fbid=1253944955039757&id=100012727929862&set=a.112831542484443&sfnsn=wiwspmo

वीडियो

https://www.facebook.com/100068603509879/videos/120763650220418/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/zQNqhNv41kI

https://youtu.be/20RKbjrSORE

https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1411337279237337/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1955216687988559/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/100068603509879/videos/120933290203454/

https://youtu.be/74ZKEFsCThI

आ.  सरिता सिंह जी गोरखपुर उत्तर प्रदेश
https://youtu.be/SrWRFHka38s
आ. संगीता मिश्रा जी प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/oOMv-fm3z0U

https://youtu.be/jmF43PF0wwU
*प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान*
9. आ. राहुल मिश्रा जी , प्रदेश अध्यक्ष तेलंगाना इकाई
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=348571216694498&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/pvUxR-7qOCg

कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
10/05/2021 ,
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQfE3vhVZ6-0JptF4IuYuXrLi3EunAFNazn9N8k-e1Rfa1qfGZbYbFt_iyoplMdxyc6p4csuBagQIlWh1_Zy36mxy52i8gd8-sE9fflG8XNy5VI096SSvLJk3Sd52KeS03n0hcX0l1BMo/s2048/CFM+HINDI++++10.06.+2021+5.jpg

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

https://youtu.be/jmF43PF0wwU



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पश्चिम बंगाल

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मुख्य मंच :-
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पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र
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अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/-gxVYTWJQqU

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https://youtu.be/zQNqhNv41kI

दिनांक - 29/06/2021
दिवस -  मंगलवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक

रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
( साप्ताहिक पत्रिका )
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
अंक - 2
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
विषय :- *" मिथिलाक  ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजने का समय - 30 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आपका अपना

रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी


---------------------------------
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
( साप्ताहिक पत्रिका )
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होवे वाला दैनिक पत्रिका  इकाई
अंक - 2
16 - 20 पंक्ति , सअ पैयग रचना के स्वीकार नैय करल जेएत ।
विषय :- *" मिथिलाक  ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होवे के तारीख  -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजअ के समय - 30 जून 2021 सऽ 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस वाला रचना के पत्रिका में शामिल नैय  करल जायत ।

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

अहाँ सभ के अप्पन
रोशन कुमार झा
संपादक / संस्थापक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

मधुबनी इकाई अंक - 1
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https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 2 के लिए रचना यहां भेजें -
https://www.facebook.com/groups/1082581332150453/permalink/1110843755990877/

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/317105156718934/?sfnsn=wiwspmo

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अंक - 49

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/49-28062021.html

कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

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https://online.fliphtml5.com/axiwx/crej/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

मधुबनी - 1
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ncvw/

https://www.facebook.com/groups/310633540739702/permalink/320129459790110/?sfnsn=wiwspmo

https://online.fliphtml5.com/axiwx/zpvc/

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका ) गुरुवार

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
आ. ज्योति झा जी

आपका अपना
रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
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