साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 49, सोमवार , 28/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 49
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अंक - 48
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जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 49

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716


अंक - 49
28 जून  2021
सोमवार
आषाढ़ कृष्ण 4 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र -   6 - 7
कुल पृष्ठ -  8

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
102. आ. कीर्ती चौधरी जी , उत्तर प्रदेश
103. आ. रामकरण साहू " सजल " जी
( पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - " पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ " - 8 )

सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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अंक - 45 - 48
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मधुबनी इकाई
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विश्व साहित्य संस्थान वाणी
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 49,  सोमवार
28/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 49
Sahitya Ek Nazar
28 June 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

बिहार बोधी -  साझा काव्य संकलन

परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

पुरूषार्थ ही पुरूषार्थ " पुस्तक हेतू सम्पर्क -

प्रकाशक
१. लोकोदय प्रकाशन प्रा. लि.
65/44 शंकरपुरी छितवापुर रोड़
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 9076633657

लेखक
2. रामकरण साहू "सजल"
कमासिन रोड़ नील कंठ पेट्रोल
पम्प के पास, ग्राम-पोस्ट बबेरू
जनपद- बाँदा (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 8004239966

#साहित्य एक नजर
अंक - 49 से 53
दिनांक- 28/6/2021.
विधा - कविता.
      *
महानायक.

किताबों के पन्नों में दबे नहीं,
सड़कों पर संघर्ष के गीत बना
संघर्ष केवल किया नहीं
संघर्षों को जीया जिसने
वह नायक नहीं महानायक थे.
चम्पारण सत्याग्रही गोवा सेनानी
नरेंद्र देव की अदम्य अनुभूति
आत्मीय बिनोबा कृपलानी के 
अनुज श्रीकृष्ण अग्रज कर्पूरी के
लिमये-दंडवते इनके प्रिय थे
अद्भुत कुशल रणनीतिकार थे.
हमनफस हमनवा लोहिया के
दुर्घर्ष सहकार जयप्रकाश के
संघर्षसूत्र बिहार विप्लव के
'आजाद दस्ता' के कर्णधार थे.
प्रवंचित संसद के प्रतिवाद थे
शोषण-दमन के प्रतिकार थे
आत्मज सैनिक विद्रोह सेनानी 
उमेश झा से उमेश दादा बनकर
सहरसा के मुरादपुर से उभड़े थे

रचनाकार ✍️ - अजय कुमार झा.

यदि चित्र का समायोजन संभव है तो कृपया इसे संलग्न कर अनुग्रहित करें.

स्व. उमेश झा उर्फ उमेश दादा,
ताम्रपत्रधारी समाजवादी स्वतंत्रता सेनानी.

निवेदक - आ. अजय कुमार झा जी

🙏 🌅 💐 🌹 💐

कविता :- 20(41)
नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

साहित्य एक नज़र মিথি
LITERATURE , मिथि लिट्रेचर -

कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका साहित्य एक नज़र ,
उसी का इकाई है मधुबनी से
प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक
पत्रिका মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर ‌।।
आ. ज्योति झा जी है इस पत्रिका के
प्रथम संपादिका ,
उनकी सेवा भावना को देखकर रहा
नहीं गया मनोबल बढ़ाने के लिए
ये दो शब्द लिखा ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(41)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
सोमवार , 28/06/2021
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 49
Sahitya Ek Nazar
28 June 2021 ,   Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

____________

ग़ज़ल

जब तलक जख्मों मे गहराई न थी
तब तलक दुश्मन ये पुरवाई न थी|
वक्त का भी दोष कोई था नहीं
साथ में किस्मत ही हरजाई न थी|
दूर थे खुश थे वफा की आश मे
इस कदर  दुश्मन ये तन्हाई न थी|
झूठ से हमसाज थे कुछ आइने
दोस्तो सच क़ी  ही सुनवाई न थी|
एक मुद्दत बाद घर रौशन हुआ
अपनो  को मेरी खुशी भाई न थी|
प्रेम फिर से हारना अच्छा लगा
जीतना  अपनो  से चतुराई न थी|

✍️ डॉ . प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

ॐ श्रीवागीश्वर्यै नमः

        कसम
        
कसम है तुम्हारी तुम्हारा रहूँगा,
सदा हाथ तेरा निज कर रखूँगा|
रहेगी सदा तू मेरे दिल में सजकर,
वादे से अपने कभी न हटूँगा||
काँटे अगर तेरी राह पड़े हों,
राह से उनको किनारे धरूँगा|
हर एक हसरत तेरी पूरी होगी,
इसके लिए मैं मेहनत करूँगा||
दुनियाँ तुम्हारी सुंदर सजेगी,
तुम्हारे लिए मैं खुद भी सजूँगा|
कसम तुम भी ले लो सदा मिल रहेंगे,
मग से हमारे नहीं पग हटेंगे||
मुसीबत अगर आ जाएगी मुझ पर,
न मुझसे किनारा कभी तुम करोगी|
सुंदर सलोने सपनों को बुनकर,
पाने को उनको हम मिल जिएंगे||
उड़ाने हमारी सुहानी रहेंगी,
मिलकरके दोनों नभ में उड़ेंगे|
कसम है तुम्हारी तुम्हारा रहूँगा,
सदा हाथ तेरा निज कर रखूँगा||

✍️ गणेश चन्द्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड

# नमन मंच
साहित्य एक नज़र
अंक 49-53 में प्रकाशन हेतु रचना
दिनांक 28-06-21

लोगों को दिखावा
ही पसंद है भाई l
कागज के फूल
ज्यादा बिकते हैं,
असली फूलों की जगह l

      दिल के दर्द

छूपाने को अपने दर्द,
हम जो मुस्कुराते हैं l
उन्हें खुशफमही है,
हम आबाद हुए जाते हैं l
रोज ही एक नया,
तोहमत लगाते हैं l
मेरी ये
खोखली हँसी भी,
उन्हें दिन रात
तड़पाते हैं l
दिखाऊँ
किसको फफोले,
जो अब भी
दर्द दिए जाते हैं l
उन्हें ये शक है,
अपनी शोहरत के
राज छिपा जाते हैं l
अजीब उलझन
में हैं वो,
हम जो इतना
मुस्कुराते हैं l

✍️ भुपेन्द्र कुमार भूपी
8860465156
     नई दिल्ली
________

काल के गाल में
समाती ज़िन्दगीयां।
चीख चीत्कार की
आवाज़ें और सिसकियां।
तुम अदृश्य शत्रू से
इंसानियत को रौंदते।
अपनी भयाभय के
वो स्हाय चिह्न छोड़ते।
विष के झागों से भरी,
सारे विश्व को डसती फुवारें।
अपने गरल दन्त से,
दुनियाँ में खड़ी करते
मौत की दीवारें।
ये इंसा का फैलाया ,
है तांडव नर्तन।
हो रहा विश्व का
करुण विवर्तन।
मतकर बेज़ुबानों
का भक्षण।
मतकर प्रकृति
का उल्लंघन।
पाट दिया धरा को,
परमाणू बारूदी
हथियारों से।
आसमां भी पाट दिया,
अंतरिक्ष के अम्बरों से।
प्रकृति की मानव
से जंग जारी है।
ये तो धरा का प्रकोप है,
संभल ये इंसा, अब
आसमां की बारी है।
ये तो कोरोना है,
अभी कितनी और
फैलनी महामारी हैं।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश

तू मेरी जिंदगी में इस
कद़र शामिल़ हो गई है,
तुझे चाहकर भी ज़ुदा
न कर पाऊँगा मैं।
यँकी कर मुझपे ए
मेरे हसीन दोस्त,
तेरे बगैर टूटकर
बिख़र जाऊँगा मैं।
तू जान जाना खुद़ ही
मेरे दिल की बात,
जुबाँ से शाय़द ही
कभी कह पाऊँगा मैं।
तुझे देखकर जीने
लगा हूँ जिंदगी मैं,
तू न मिली तो
मर जाऊँगा मैं।
मुमक़िन है पहली
मुहब्बत निभाने में
गलतियाँ हुई हो मुझसे,
तू मेरी दूसरी
मुहब्बत है ए दोस्त
"वादा" है शिद्दत से
निभाऊंगा मैं।
ख़ुद ख़ाक होकर भी रखूंंगा
तेरे लवों पे हँसी काय़म,
तेरी आँखों से कभी अश्क
न बहाऊंगा मैं।

✍️ राजेश " तन्हा "

विश्वासघाती मित्र

हर संभव साथ निभाया तो,
किस कारण मेरा विरोध किया।
मैंने तो मीत तुम्हें समझा,
तुमने क्यों खंजर भोक दिया।।
मित्रता के खातिर तुम आये,
तुमको हिय मे स्थान दिया।
अपने बंधु से बढ़कर भी,
तुम्हें मान-सम्मान दिया।
जब कदम से कदम मिलाया है,
किस बात पे फिर सन्देह किया।।
मैंने तो.....
तुमतो मेरे वो साथी थे,
जिसे घोर प्यार मै करता था।
खुशहाल तेरे संग लम्हें थे,
राहें तेरे संग बिचरता था।
मजबूरी क्या आई ऐसी,
तुमने मुझसे प्रतिशोध लिया।।
मैंने तो....
जितना माँ-बाप को चाहा न,
उससे बढ़कर तुझे प्यार दिया।
यौवन के आधे लम्हें,
मैंने तेरे खातिर वार दिया।
जो तुझपर जान लुटाता था,
उसके खातिर न शोक किया।।
मैंने तो...
घर का दीपक मै था अपने,
तूने मेरे घर अंधियार किया।
पापा की जान स्वयं निकली,
माँ की छाती पर वार किया।
मेरा जीवन व्यर्थ बनाने में,
मित्र तूने सहयोग किया।।
मैंने तो मीत तुम्हें समझा,
तुमने क्यों खंजर भोक दिया।।

✍️  सरिता त्रिपाठी 'मानसी'
सांगीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र 🌅
विश्‍व साहित्य संस्थान

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई

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साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली

रा. पंजी . संख्या एस 1801/2017 ( नई दिल्ली )
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के गौरवशाली पांच वर्ष (5-07-2021)

स्नेह निमंत्रण स्वीकार करो उत्सव में अब आप पधारो🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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वीडियो

https://www.facebook.com/100068603509879/videos/120763650220418/?sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/zQNqhNv41kI

https://youtu.be/20RKbjrSORE

https://www.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1411337279237337/?sfnsn=wiwspmo

साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1955216687988559/?sfnsn=wiwspmo

https://www.facebook.com/100068603509879/videos/120933290203454/

https://youtu.be/74ZKEFsCThI

आ.  सरिता सिंह जी गोरखपुर उत्तर प्रदेश
https://youtu.be/SrWRFHka38s
आ. संगीता मिश्रा जी प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान
https://youtu.be/oOMv-fm3z0U

https://youtu.be/jmF43PF0wwU
*प्रमाणन अधिकारी साहित्य संगम संस्थान*
9. आ. राहुल मिश्रा जी , प्रदेश अध्यक्ष तेलंगाना इकाई
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=348571216694498&id=100046248675018&sfnsn=wiwspmo

https://youtu.be/pvUxR-7qOCg

कोलफील्ड मिरर आसनसोल में प्रकाशित
10/05/2021 ,
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQfE3vhVZ6-0JptF4IuYuXrLi3EunAFNazn9N8k-e1Rfa1qfGZbYbFt_iyoplMdxyc6p4csuBagQIlWh1_Zy36mxy52i8gd8-sE9fflG8XNy5VI096SSvLJk3Sd52KeS03n0hcX0l1BMo/s2048/CFM+HINDI++++10.06.+2021+5.jpg

साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 30
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iqjc/

https://youtu.be/jmF43PF0wwU



https://coalfieldmirror.blogspot.com/2021/06/10-2021-coalfieldmirrorgmailcom.html?m=1


पश्चिम बंगाल

https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1939031646273730/?sfnsn=wiwspmo

मुख्य मंच :-
https://m.facebook.com/groups/sahityasangamsansthan/permalink/1399215700449495/?sfnsn=wiwspmo






पश्चिम बंगाल इकाई सम्मान पत्र
https://www.facebook.com/groups/1719257041584526/permalink/1939470836229811/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 49 से 53 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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https://youtu.be/-gxVYTWJQqU

http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

https://youtu.be/zQNqhNv41kI

दिनांक - 28/06/2021
दिवस -  सोमवार
#साहित्यसंगमसंस्थान
यूट्यूब संचालक

रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई

अंक - 49

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/49-28062021.html

कविता :- 20(41)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2041-49-28062021.html

अंक - 50 , साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
अंक - 1

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/50-1-29062021.html

कविता :- 20(42)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2042-50-29062021-1.html

अंक - 51
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/51-29062021.html

कविता :- 20(43)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2043-30052021-51.html

अंक - 52 , विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/52-01072021-2.html

http://vishshahity20.blogspot.com/2021/06/52-2-01072021.html

कविता :- 20(44)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2044-01072021-2.html

अंक - 53
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/53-02072021.html

कविता :- 20(45)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2045-53-02072021.html

कविता :- 20(39)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2039-26062021-47.html

अंक - 48
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/48-27062021.html

कविता :- 20(40)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2040-27062021-48.html

अंक :- 49, 50, 51, 52, 53,

दिनांक :- 28 जून 2021 से 2 जुलाई 2021

दिवस :- सोमवार से शुक्रवार

एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।

शब्द सीमा - 300 - 350

इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में रचना भेजें , यहां पर आयी हुई रचनाओं में से कुछ रचनाएं को अंक - 49 कुछ रचनाएं को अंक - 50 कुछ रचनाएं को - 51, कुछ रचनाएं को 52 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 53 में प्रकाशित किया जाएगा ।

विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका ) गुरुवार

साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
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साप्ताहिक पत्रिका - मंगलवार
आ. ज्योति झा जी

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विषय :- *" मिथिला के ललना "*
विधा :- स्वैच्छिक , शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक -  6 जुलाई 2021 , मंगलवार
रचना भेजने का समय - 30 जून 2021 से 4 जुलाई 2021 तक
विषय प्रदाता :- आ . ज्योति झा जी
बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

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विषय :- कोरोना से संबंधित रचनाएं व चित्र
विधा :- स्वैच्छिक
शब्द सीमा 250 - 300 ,
प्रकाशित होने की दिनांक :- 01 जुलाई 2021
दिवस :-  गुरुवार
विषय प्रदाता :- आ . आशीष कुमार झा जी

बिना मतलब के स्पेस रहने पर रचना को पत्रिका में शामिल नहीं किया जायेगा ।

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
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अंक - 45 से 48
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मधुबनी इकाई
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साहित्य एक नज़र 🌅







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