साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 32 , शुक्रवार , 11/06/2021
अंक - 32
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अंक - 31
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अंक - 30
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अंक - 1
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अंक - 2
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जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 32
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785
अंक - 32
11 जून 2021
शुक्रवार
ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण पत्र - 9 - 18
कुल पृष्ठ - 19
मो - 6290640716
माह - 1
अंक - 32
🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
62. आ. श्रीमती सुप्रसन्ना झा जी
63. आ. संतोष सिंह राजपुत जी
64. आ. डॉ. मंजु सैनी जी , गाजियाबाद
65. आ. सुधीर श्रीवास्तव जी
66. आ. भूपेन्द्र कुमार भूपी जी
67. आ. प्रभात गौर जी
68. आ. राजेश सिंह ( बनारसी बाबू )
69.आ. भीम कुमार , गिरिडीह , झारखंड
70. आ. प्रज्ञा शर्मा जी
71. आ. रक्षा गंगराडे जी
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 32
Sahitya Ek Nazar
11 June 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
फेसबुक - 1
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समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716
अंक - 25 से 27
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अंक - 28 से 30
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अंक - 30
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अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
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आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
_________________
_____________________
अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html
कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html
अंक - 32
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/32-11062021.html
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html
कविता :- 20(24)
अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार
कविता :- 20(25)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html
अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html
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साहित्य एक नज़र
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
Sahitya Eak Nazar
সাহিত্য এক নজর
अंक -1
11/05/2021
मंगलवार
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ - 1
कुल पृष्ठ - 4
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
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अंक -2
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अंक - 1
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सम्मान पत्र - 1 - 72
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/blog-post_24.html
_____________
1.
अंक - 1
2.
श्री रामकरण साहू " सजल " जी
प्रकाशक
रूद्रादित्य प्रकाशन
190 एच/आर/3-एन, ओ0 पी0 एस0 नगर कालिंदीपुरम, प्रयागराज उत्तर प्रदेश- 211011
दूरभाष - 8187937731
रूद्रादित्य प्रकाशन एक नया प्रतिष्ठान है लेकिन मैंने इनकी प्रकाशित की पुस्तकें अवलोकन किया तो किसी भी पुस्तक का आवरण या संपादकीय में कोई कमी महसूस नहीं हुई ऐसा एहसास ही नहीं हुआ कि मेरे हाथ मे किसी नये प्रकाशक की पुस्तक है । इनकी पुस्तक के प्रकाशन का तरीका ऐसा जैसे कोई अनुभवी तैराक अपनी तैराकी के हुनर दिखाते हुए अपने गन्तव्य की ओर बढ़ रहा है। ऐसे ऊर्जावान प्रकाशक को मेरी अनेकों शुभकामनाएं।
3.
♤ एक बहुवर्षीय पेड़ ♤
हाँ मैं बहुवर्षीय पेड़ हूं।
दूर -दूर खङा हूं••••
पर जङो में एक-दूसरे से बंधा हूं।
नहीं जाता एक-दूसरे को छोङकर;
हर कठिनाई में अङा हूं;
श्रेष्ठता के दंभ नहीं भरता;
पर एक-दूसरे को थामे हूं।
हां मैं पेड़ हूं;
दूर-दूर खड़ा हूं;
पर जमीन के अंतःस्थल में
एक-दूसरे से जुड़ा हूं।
जिस जमीन में उगा;
उसको धनी करता;
हर विपदा से लड़ा हूं।
मुझे गर्व है कि मैं फलता-फूलता हूं ~
हर साल अपने अनेको
पर्ण खोकर भी
पुनः हरा -भरा हूं~
हाँ मैं पेड़ हूं।
जङो में कितने सूक्ष्म-जीवों को
जोङे,,,
दूसरे पेङो को भी गिरने से बचाता
अपनी मिट्टी को ही धनी करता हूं।
नहीं जाता कहीं छोङकर !
बाढ,,,सूखा,,,,अतिवृष्टि हो
अकाल,,,,या ओला पड़ें !!
धैर्य को शाखाओं में समेटे;
हर सुबह नव-किरणों का
आलिंगन करता
अपने विस्तार में झूमता हूं!!
हां मैं अनेको वर्षों से खङा
पीपल••बरगद••••कदम्ब
का बहुवर्षीय पेङ हूं।
निज-विस्तार से आह्लादित ~
खगों के कलरव सुन आत्मविभोर
होता,,,,अपनी गरिमामय उपस्थिति
से युक्त शोभायमान बहुवर्षीय पेड़ हूं।
✍ डाॅ पल्लवी कुमारी "पाम "
4.
मुझें याद है।
स्कूल के लिये तैयार करना
कमीज के टूटे बटन में
बकसुआ लगाना
वो बालों में सरसों
का तेल लगाना।
कंघे से बालों को झड़ना।
मुझें याद है
स्कूल जाते समय खीसे में
चंद सिक्कों का डालना।
बेटा आधी छुट्टी में कुछ खलेना
स्कूल से सीधे घर आना
वो तेरी हिदायते देना।
मुझें याद है।
छोटी छोटी बात पर,
भाई से लड़ना।
माँ के वो तमाचे कहना
फिर नैनों से नीर बहाना
बहन का वो मनाने आना
मुझें याद है।
✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर मध्यप्रदेश
5.
||ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः||
मानसून. (वर्षा)
बदले ऋतु निश्चित दिशि जाए,
वह पवन मानसून कहाए,
ग्रीष्म भानु जब भूमि तपाए,
प्रचंड रश्मि भू बरसाए ||
वायु भार तजि नभ को धाए,
जीव जगत सब अति अकुलाए ,
जीवनरस की आस लगाए ,
मन पुरवाई को तरसाए ||
रवि के तीब्र ताप से
, भूमि तपे चहुँ ओर |
सागर से शीतल पवन,
चले धरा की ओर ||१||
शंभु दिशा में पुण्य पहाड़ी,
नागा खासी गारो जयंती ,
सुशीतल पवन इनसे भिड़ती,
धाराएं वर्षा की पड़ती ||
तब पवन वायव्य दिशि धावे,
उत्तर भारत बहु हरषावे,
अरब सिंधु से शंभु दिशि जावे,
पश्चिम घाट तोय बरसावे ||
भेंट अरावलि से तब होवे,
उसके तट से आगे जावे,
तहाँ सब नभ दृष्टि लगावें,
जीवजंतु वर्षा नहि पावें ||
उत्तर भारत में पहुँच,
वरसे घन घनघोर |
वन अरु कृषकहृदय के,
नृत्य करे सब मोर ||२||
✍️ गणेश चंद्र केष्टवाल
ग्राम-मगनपुर, पो.किशनपुर,
कोटद्वार गढवाल (उत्तराखण्ड)
०९/०६/२०२१
6.
# नमन मंच
साहित्य एक नज़र
अंक 31-33 में प्रकाशन हेतु
कविता बूढ़ा बरगद
दिनांक 10-06-11
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
" बूढ़ा बरगद "
गाँव के किनारे ,
भूतहा महल के पीछे,
वो देखो खड़ा है ,
बूढ़ा बरगद l
कोसता खुद को ,
सिसकता किस्मत पर,
खुन के आंशु है रोता
,बूढ़ा बरगद l
एक समय था
जब था जवान ,
शाखायें थी फैली,
घनी थी छाँव ,
ताजी हवा का अड्डा था
, बूढ़ा बरगद l
आते जाते पथिक
राजा या रंक ,
सबको अपनी छाँव देता ,
एक अदद आराम देता
, बूढ़ा बरगद l
शाम की वो बेला थी ,
फांसी की रस्सी
लिपटी शाखाओं पर ,
जननी की विलाप से
दहल उठा,बूढ़ा बरगद l
सिलसिला चलता रहा ,
उन क्रांतिदीपों की बोझ से ,
पल पल दबता ही
गया,बूढ़ा बरगद l
आजादी की बेला आयी ,
आजाद हुई उसकी भी साँसे ,
पर भूतहा कहलता ही रहा
आज भी ,बूढ़ा बरगद l
✍️ भूपेन्द्र कुमार भूपी
नई दिल्ली
मोबाईल न -8860465156
7.
#साहित्य एक नजर.
अंक - 31-33
दिनांक- 10/6/2021.
विधा -
कविता -
अहम् - त्वम् - वयम् .
देखी है मैंने देखी है
खामोश निगाहों से
शहीदों की बारात लूटते
विरासत के सपने तोड़ते
लोकतंत्र का माखौल उड़ाते
सत्ता सरपरस्ती में इतराते
हत्यारी लूटेरों की टोली को.
वर्जनाओं की आड़ में
खून होते मनुष्यता की
पूजते गुनाहों के देवता को
चुप्पी साधे अपराध पर
गुम है हवा से वह गंध
जिसके हम तलबगार हैं.
वर्जना संसार के
कांपते कंगूरे
हिल रही चूलें
साक्षी है टूटते तिलस्म का
सैकड़ों सुनामी
छेड़ रहा है मन को
शिनाख्त के लिए
खड़े हो तुम
नपुंसक सात्विकता
की ओट में.
✍️ अजय कुमार झा.
30/5/2021.
8.
नमन मंच
दिनाँक:१०-६-२०२१
शीर्षक:
सुनो रहनुमा
प्राणों की चिंता किसको है प्राण बचाने जाते हैं
यह बात निराली है सुनिए प्राण गँवाने जाते हैं
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों से यह आए थे
बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों को यह जाते हैं
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
रोजी रोटी के लाले थे गांवों में हैरान रहे
सूखी रोटी भी मिल न सकी आफत में प्राण रहे
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
चलते ट्रक में बस चढ़ जाएं जान बचाएं कैसे भी
मजबूर हुआ इंसान कितना सोच रही मैं बात यही
आज तो दुखी हो,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
ऐसे प्राण बचेंगे कैसे सोचा किस ने आज यहां
हम गांव पहुंच जायेंगे सपना मन में आज यहां
आज तो दुखी हो, हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब,अपने गाँव में ही बस जाते है।
बड़ी बुरी है आग पेट की आज समझ में आया है
बच्चों की प्यासी आँखों में यूं चांद उतर आया है
आज तो दुखी हो ,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब, अपने गाँव में ही बस जाते है।
जब पहुंचेंगे ठौर ठिकाने सांस चैन की लेंगे
हम आधी रोटी में खुश हो फिर शहर भुला देंगे
आज तो दुखी हो ,हम तेरा शहर छोड़ जाते हैं
फिर से चलो सब, अपने गाँव में ही बस जाते है।
✍️ डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:स्वरचित
9.
अग्नि
कहीं खुशी , कहीं है गम..
कोई पहने नए वसन....
ओढ़े हैं कोई कफ़न..
कहीं अग्नि के , लगाते हैं फेरे!
कहीं जलाती चेहरे..
और जलती है चिता !
आंखों में है आँसू
किसी के होठों पर फूल ..
खुशी के!
कैसी है ये, दुनिया की रीत..
समझ न सकी !
✍️ रीता मिश्रा तिवारी
स्वरचित
10.
#साहित्य एक नजर
#नमन मंच🙏
#अंक 31 से 33 में प्रकाशन हेतु
#दिनाँक 9 जून 2021
#
जीवन साथी
सारी उम्र गुजारी हमने
जीवन साथ निभाने की
हंसी खुशी से जीवन
जीते जी अपनाने की
कभी नहीं हम अलग
हुए कभी हुए न दूर
खुशियाँ भरते रहे हम
एक दूजे में भरपूर
अब आया है समय सभी
को यह बतलाने की
सारी उम्र गुजारी हमने
जीवन साथ निभाने की
साथ निभाते निभाते हम
इतना हो गए मशगूल
हमारी प्यारी बगिया में
खिलते रहे प्यार के फूल
महक रही फुलवारी
कलियाँ सुमन खिलाने की
सारी उम्र गुजारे हमने
जीवन साथ निभाने की
जीवन के आखिरी दौर में
जिंदगी अब चल रही
आशाओं,उम्मीदों,से भरपूर
जिंदिगी पल रही
ऐसे ही चलते चलते बीत
जाए संग समाने की
सारी उम्र गुजारी हमने
जीवन साथ निभाने की
✍️ अनिल राही
ग्वालियर मध्यप्रदेश
11.
31 से 33
इजहार मुहब्बत
इजहार ये मोहब्बत का
सपना अपना सा लगता है,
प्रेम में आधुनिकता का
चोला घातक सा लगता है।
मोहब्बत ये तेरी इबादत
में चांद अपना सा लगता है,
तुमसे दिल की हर बात
जताना अच्छा लगता है।
वफ़ा में दिल होते हैं
दाग दाग रूप अच्छा लगता है,
जिन्हे दूसरो का गम और
तनहाअपना सा लगता है।
तुम संग गुजर रही है
बहुत सकून से जिंदगी अब,
तुम बिन फूलों से भरा रास्ता
भी खुरदरा लगता है।
तुझसे दिल की हर बात
कहना अच्छा लगता है,
प्रेम में आधुनिकता का
चोला घातकसा लगता है।
प्रेम में इजहार का सपना
सुहाना सफर सा लगता है,
इजहार मोहब्बत अपनों से
तो ये ख्वाब सा लगता है।
मै कितना तन्हा हूं तुम
क्या जनोगे यार कभी,
वो को यार अपना जमाने
में अपना सा लगता है।
आंसू अगर आंखो से बह
जाए तो अच्छा लगता है,
जो बह नहीं पाए आंखो
से सूखने मेंअरसा लगता है।
टूटकर बिखरना भी हर
दिन अच्छा सा लगता है,
गिरगिट की तरह रंग बदलना
अच्छा नहीं लगता है।
राह वफ़ा में हर फूल खुशबू
से भरा भरा लगता है,
उसकी मोहब्बत में हर
फूल दीवाना सा लगता है।
आधुनिकता का चोला ओढ़
हर शक्श बेगाना लगता है,
इजहारे मोहब्बत में अपनों
के संग बहुत अच्छा लगता है।
मोहब्बत में फूल और कांटे
चुनना सुहाना लगता है,
प्रेम में भीगी पलकों से इजहारे
मोहब्बत अपना लगता है।
तुमसे हर बात
कहना अच्छा लगता है,
इस बेगानी दुनिया में
तू अपना सा लगता हैं।
✍️ कैलाश चंद साहू
बूंदी राजस्थान
12.
* राघव आ जाओ ।
श्रीराम तुम्हारे श्रीचरणों में,
मैं नित-नित शीष झुकता हूँ।
मैं नित-नित शीष झुकता हूँ,
अपनी बातें बतलाता हूँ।
मुझे कष्ट हजारों हैं राघव,
जिन्हें तुम्हें बताने आता हूँ।
मन की अभिलाषा को तुम,
भले!दरकिनार कर जाओ,
मुझे राम राज्य की चाहत है,
तुम फिर से राघव आ जाओ,
इस धरा की कष्टों को राघव,
अब फिर से तुम निबटा जाओ।
निःशक्त,निःसहाय,गरीबों को,
तुम अपनी दया दिखा जाओ,
इस धरा के रावण को फिर से,
उनकी औकात दिखा जाओ।
मैं चरण तुम्हारे पड़ा हुआ,
मुझे अपने गले लगा जाओ।
सब एक रहें-सब नेक बनें,
ये भाव सभी में जगा जाओ।
मेरी एक दिली तमन्ना है,
बस धरा को स्वर्ग बना जाओ,
तुम फिर से राघव आ जाओ।
तुम फिर से राघव आ जाओ।।
✍️ केशव कुमार मिश्रा *
सिंगिया गोठ, बिस्फी,मधुबनी।
व्यवहार न्यायालय* दरभंगा*
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅 कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका की एक माह की यात्रा पूरी होने पर सम्मानित साहित्यकारों द्वारा दिए गए शुभकामनाएं संदेश -
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
साहित्य एक नज़र ही
हमारा तन - मन - धन है ,
तब जाकर हम रोशन
प्रसन्न है ।।
हमारा सब कुछ इस
पत्रिका पर ही समर्पण है ,
अभी आज तो एक महीने ही
हुई है आप सभी सम्मानित
साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद
सह सादर आभार
व्यक्त कर रहा हूँ ,
व्यक्त करने वाला मैं संपादक नहीं
साहित्य सेवक मैं रोशन है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
आज बड़ा हर्ष का दिन है आप सभी लोगों के सहयोग से आप सभी की पत्रिका साहित्य एक नज़र को पूरा एक माह सफलता पूर्वक पूर्ण हो गया। इसी तरह प्यार बनाइये रखें। सभी को हार्दिक बधाई।
✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785
बधाई ✍️ अजीत कुमार कुंभकार जी
डॉ. पल्लवी जी: 🙏👌
एक माह की यात्रा पूर्ण हुई है भाई।
संपादक,प्रकाशक जी स्वीकारें बधाई।
प्रशंसनीय श्रम आपका और
समर्पण भाव।
सबको सैर करा रही यह साहित्यिक नाव।।
प्रगति पथ बढ़ते रहे, अपनी शुभकामनाएं।
साहित्य एक नजर यह,सभी नज़र चढ़ जाए।।
✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' जी
धामपुर उत्तर प्रदेश
बहुत बहुत बधाई व अनंत शुभकामनाएं 💐💐💐💐
साहित्य एक नज़र के प्रकाशक व संपादक महोदय को भी उनके कुशल संचालन व सफल नेतृत्व के लिए बहुत बहुत बधाई ।
✍️ आ. अनु जी
साहित्य एक नज़र
💐💐💐💐
आओ मिलकर सब आज
खुशियां मनायें
हम सबकी चेहती पत्रिका
साहित्य एक नज़र का
पूरा हुआ आज एक माह
मिलकर इसे बधाई दे...
मिलकर ऐसी क़लम चलानी
सकारात्मकता से भरी हो बानी
पत्रिका यह जो पढ़ता जाए
जीवन उसका सुखमय गाए
ईर्ष्या, द्वेष-विद्वेष छोड़कर
वह प्रेम भाव रस बरसाए...
नैतिक मूल्य इसमें हैं गढ़ने
खुशियों के संसार हैं रचने
सबका होगा सपना पूरा
एक दूजे का हाथ थामकर
फ़र्ज़ निभाएँगे जब हम पूरा।
चार दिशा फैलेगा प्रकाश
सबको मिलेगा मान और आस
देशप्रेम, भाईचारा सौग़ात
घर-घर पहुँचाएँगे उत्साह साथ।
दिल में बसे बस ख़्वाहिश इतनी
सबको नूतन राह दिखाएँ
नित नित ऐसा प्रयास हम करें
शिखरों तक इसे लेकर जाएँ।।
✍️ सपना "नम्रता"
दिल्ली।
बधाइयां स्वीकार करे, महोदय
✍️ भगवती सक्सेना गौड़ जी
बैंगलोर
वाह्ह्ह्ह जी
अत्यंत सुखद और पावन दिवस ।
सम्मानीय संपादक मण्डल को हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏
✍️ आ. शायर देव मेहरानियां जी
🌹🌹🌷🙏🌷🌹🌹
एक माह पूर्ण हुआ है
साहित्य के क्षेत्र में,
सुनहरा रहा जिनका सफ़र।
अभिवादन स्वीकार
हो आदरणीय संपादक,
प्रकाशक सहित पूरे परिवार
साहित्य एक नज़र।
हर रचनाकारों की रचना को
प्रमुखता देने में जो
रहते सदा तत्पर।
बधाई हो साहित्य परिवार को 🌹
आज इनकी ख्याति पहुंच
गई हर राज्य, जिला, गांव,
और शहर ~ शहर ।
✍️ भीम कुमार
गांवा, गिरिडीह, झारखंड
-------
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र
साहित्य एक नज़र ही
हमारा तन - मन - धन है ,
तब जाकर हम रोशन
प्रसन्न है ।।
हमारा सब कुछ इस
पत्रिका पर ही समर्पण है ,
अभी आज तो एक महीने ही
हुई है आप सभी सम्मानित
साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद
सह सादर आभार
व्यक्त कर रहा हूँ ,
व्यक्त करने वाला मैं संपादक नहीं
साहित्य सेवक मैं रोशन है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शुक्रवार , 11/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(24)
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 32
Sahitya Ek Nazar
11 June 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎈 🎈🎈 🎈 🎈🎈🎈
🎁 🎂
आदरणीया _ _ _ _ _ _ स्वाति 'सरु' जैसलमेरिया जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
🎁🎈🍰🎂🎉
शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন
🎈 🎈 🎈 🎈🎈🎈🎈 🎁 🎂
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई आदरणीय. विजय जी 🙏 🎂🎉🎈🎁
11/06/2021 , शुक्रवार
कवियों का अध्यात्मा में होने वाली प्रतियोगिता 'द बेस्ट शायर ऑफ द मंथ' के हमारे इस माह के विजेते है उत्तर प्रदेश के निवासी कार्तिक सारस्वत जी। कार्तिक सारस्वत जी का तहे दिल से हम अभिनंदन करते हैं। हमारे KA के MD सरिता जैन मैडम, तथा ग्रुप को-फाउंडर मनस्वी स्वाति मैडम, हमारे टीम मेंबर कमलेश इंदोरकर सर, संस्थापक सागर गुडमेवार इन सब की तरफ से मैं कार्तिक जी को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ।
Roshan Kumar Jha
सर यह आज के अंक में प्रकाशित कर दो कृपया
अंक - 34 - 36
नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716
रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -
अंक - 34 से 36 तक के लिए आमंत्रित
दिनांक - 13/06/2021 से 15/06/2021 के लिए
दिवस :- रविवार से मंगलवार
इसी पोस्ट में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें ।
यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 34 तो कुछ रचनाएं को अंक 35 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 36 में शामिल किया जाएगा ।
सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।
# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।
# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।
# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।
# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।
समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716
आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅
अंक - 31 से 33 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo
सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo
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अंक - 31
10/06/2021 , गुरुवार
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/31-10062021.html
कविता :- 20(23)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2023-31-10062021.html
अंक - 32
, शुक्रवार , 11/06/2021 ,
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2024-11062021-32.html
कविता :- 20(24)
अंक - 33
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/33-12062021.html
12/06/2021 , शनिवार
कविता :- 20(25)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2025-12052021-33.html
अंक - 30
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/30-09062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2022-09052021-30.html
http://sahityasangamwb.blogspot.com/2021/06/blog-post.html
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अंक - 34
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/34-13062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2026-34-13062021.html
अंक - 35
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/35-14062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2027-14062021-35.html
अंक - 36
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2028-15062021-36.html
जिनका पाँच रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है और साहित्य एक नज़र रत्न से सम्मानित नहीं किया गया है वे अपना नाम और फोटो यहां भेजिए । अभी ग्रुप खोल रहा हूँ , रचनाएं व प्रचार प्रसार सम्बंधित पोस्ट बिल्कुल न भेजें , यदि आप भेजते है तो आपको यहां से विदा किया जाएगा ।
हमें पर्सनली रचनाएं अब कोई न भेजें , दो दिन तक हम किसी का सहायता कर सकते है । यहां तो कुछ लोग ऐसे हैं अलग-अलग नाम से रचनाएं प्रकाशित करने के लिए हमें पर्सनली भेजते है , इसका जब जांच किया हूँ तो पता चला है वे उनसे पैसे लेते है , इसलिए अब से खुद की फेसबुक आइडी से रचनाएं कामेंट बाक्स में भेजें । जिस नाम की आइडी रहेगी उसी नाम से रचनाएं भी यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्हें हम विदा कर सकते है ।
सम्मान पत्र के लिए हमें पर्सनली फोन और मैसेज न करें ।
रचनाएं में बिना मतलब का स्पेस न रहें , इमोजी सब न रहें , जहां जरूरत होती है वहां मैं खुद लगा देता हूँ ।
सौ से अच्छा हम दस ही रहें ।
https://youtu.be/nKU5T-OM_g8
सफाई अभियान .....