साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 69 , रविवार , 18/07/2021
अंक - 69
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 69 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
मात्र - 15 रुपये
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अंक - 69
18 जुलाई 2021
रविवार
आषाढ़ शुक्ल 9
संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण - पत्र - 5
कुल पृष्ठ - 6
सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -
1. आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2. आ. गूँज कलम की साहित्यिक संस्थान की झारखंड, जम्मू कश्मीर, कटिहार इकाई का उद्घाटन समारोह सम्पन्न - ✍️ आ. राजेश पुरोहित जी , भवानीमंडी
3. आ. प्रकाश रंजन 'शैल' जी , उच्च न्यायालय, पटना।
4. आ. रोशन कुमार झा
5. आ. शिवा सिंहल आबू रोड जी
6. आ. नंदिनी लहेजा जी , रायपुर , छत्तीसगढ़
7.आ. रंजना बिनानी "काव्या" जी , गोलाघाट असम
8. आ. भोलानाथ जी
9. आ. सोहन बलूनी जी , उत्तराखण्ड
🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
131. आ. प्रकाश रंजन 'शैल' जी , उच्च न्यायालय, पटना।
अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 69
Sahitya Ek Nazar
18 July , 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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अंक - 54 से 58 -
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
आ. ज्योति झा जी
संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी
संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html
अंक - 63
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कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html
अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html
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अंक - 65
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कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html
अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html
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कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html
अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/iwmf/
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कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html
अंक - 68
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/68-17072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/jurd/
कविता :- 20(60)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2060-68-17072021.html
अंक - 69
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/69-18072021.html
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कविता :- 20(61)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2061-18072021-69.html
कविता :- 20(62)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2062-20072021-71.html
अंक - 70
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/70-19072021.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html
सम्मान पत्र
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विश्व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/
अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/
जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350
सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
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Name :- Roshan Kumar Jha
सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।
आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )
अंक - 62 से 67
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सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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गूँज कलम की साहित्यिक संस्थान की झारखंड, जम्मू कश्मीर, कटिहार इकाई का उद्घाटन समारोह सम्पन्न -
✍️ राजेश पुरोहित,भवानीमंडी
पटना , बिहार - दिनांक 15 जूलाई 2021को गूंज कलम की साहित्यिक मंच के मुख्य मंच , झारखंड इकाई , जम्मू कश्मीर इकाई और कटिहार इकाई का भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्य क्रम देर रात तक चला। इस कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.स्नेहलता द्विवेदी ' आर्या' में अपने संबोधन में साहित्य को समाज और राष्ट्रीय चेतना जगाने का माध्यम बताया और साहित्य की साधना को उच्चतम कोटि का कार्य बताया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की यह महती भूमिका समाज के संस्कारों के सजग प्रहरी बनें। गूंज कलम की साहित्यिक मंच को उन्होंने परिवार भाव से ' सब सबके लिए ' के सिद्धांत पर समभाव से चलनेवाला संस्थान बताया।
उदघाटन समारोह के उद्घाटन कर्ता के रूप में डॉ. पवन प्रबल शर्मा ने अपने संबोधन में गूंज कलम की साहित्य मंच को उदीयमान सशक्त साहित्यिक जागरण का मंच बताया और इसके सफलता की कामना की। डॉ.(प्रो.) अनवर इरज ने साहित्य के इस मंच को शुभकामनाएं देते हुए डॉ. आर्या जी की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि निश्चित रूप से यह मंच साहित्य की उत्कृष्ट सेवा करेगा और साहित्यिक उन्नयन का कार्य करेगा। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेश चंद्रा जी ने डॉ. आर्या को साहित्य जगत का एक सशक्त हसताक्षर बताया और विश्वास व्यक्त किया की यह मंच अपनी विशिष्ट छवि आवश्य स्थापित करेगा। विशिष्ट अतिथि श्री रविशंकर विद्यार्थी ने मंच के उद्देश्य को सराहते हुए साहित्य के विशिष्ट माणिक्य की तरह बताया। मंच का संचालन श्री कैलाश चंद्र साहू ने बड़ी कुशलतापूर्वक सम्प्रेषण की उत्कृष्ट शैली में किया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई जिसे डॉ . अर्चना वर्मा में सुरीले अंदाज में प्रस्तुत किया। उसके बाद सरस्वती बंदना को मोहक अंदाज में सुश्री रुचिका राय जी ने प्रस्तुत किया।
अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्री डॉ.राजेश कुमार शर्मा" पुरोहित" जी ने अपने ओजस्वी अंदाज में किया। डॉ. रामकुमार झा निकुंज ने प्रभावी अंदाज में मंच को सारस्वत और जागृत बताया।
इस समारोह में विभिन्न इकाइयों के पदाधिकरियों का मनोनयन हुआ। झारखंड इकाई के अध्यक्ष पद पर सुश्री ज्योति कुमारी जी, जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष के पद पर श्री अमरजीत सिंह जी, कटिहार इकाई के अध्यक्ष के रूप में श्री अनुज कुमार वर्मा जी का मनोनयन किया गया। कार्यकारिणी का गठन शीघ्र ही किया जाएगा।
मंच के सभी सदस्यों ने इस समारोह में सक्रिय सकारात्मक भागीदारी निभाई और विविध प्रकार की रचनाओं के वीडियो पोस्ट किया साथ ही बहुत सदस्यों ने लाइव आकर कविता पाठ किया।
काव्य पाठ करने वालों में सस्मिता मुर्मु ज्योति भगत अमरजीत सिंह कैलाश चन्द्र साहू शिव सान्याल अंकुर सिंह आशुतोष कुमार नीलम पटेल हेमराज सिंह हंस पप्पू यादव शायर देव मेंहरानियाँ बालू लाल वर्मा शिवा एमचे ममता कुमारी अभिषेक मिश्रा दिलीप कुमार झा हरकिशोर परिहार आनन्द कृष्णन सेतुरमन सुमन दास गुप्ता राम कुमार झा किरण पांडेय शैलेश दास प्रजापति नीलम द्विवेदी अमित कुमार विजनोरि प्रज्ञा आम्बेरकर विनोद कुमार ओझा डॉ ज्योति सिंह वेदी येसु सुधीर श्रीवास्तव ज्योति भगत सुधा चतुर्वेदीएम एस अंसारी इंद्रजीत कुमार अंजू दास गीतांजलि कृष्णकांत बडोनी हँसराज हंस कुलदीप रुहेला आभा चौहान बेलीराम कनस्वाल आराधना प्रियदर्शिनी ज्योति सिन्हा रीता झा विनोद शर्मा निभा राय नवीन अनिल राही रमेशचंद्र शर्मा निर्मला सिन्हा कौशल किशोर डॉ कन्हैया लाल गुप्ता नवनीत कमल मोनिका प्रशाद निक्की शर्मा मनोज कुमार चंद्रवंशी श्रीकांत तैलंग भारती यादव ओम श्रीवास्तव कंचन वैभव वर्मा रिपुदमन झा पिनाकी गिरीश चंद्र कुलदीप रुहेला संगीता सिंघल संस्था के तरफ से सम्मानित किया जायेगा।
आखिरी दास्तान
उस उदास शाम को
तुम जब जा चुके थे
मैने कोशिश की थी
तुम्हें समेट लेने की
जितना तुम बच रहे थे
उन खामोश हवाओं मे
तुम्हारी शोख हंसी और
तुम्हारी मासूमियत को
बड़े जतन से तब
मैने उकेरना चाहा था
उन कोरे कागजों पर
जो अब मेरी जिन्दगी थे
और फिर टूटे हुए
दिल के टुकड़े जोड़
मैने लिखा वो अंतिम नज्म
हमारे अंतहीन प्यार के
जो आखिरी दास्तान थे।
✍️ प्रकाश रंजन 'शैल'
उच्च न्यायालय, पटना।
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - जीवन एक परीक्षा है ।
जीने की इच्छा है ,
जीवन भी एक परीक्षा है ।
जीने वाले कोई आगे तो
कोई पीछा है ,
हमसे भी कोई ऊपर
हम भी किसी के नीचा है ।।
एक से एक कला
और शिक्षा है ,
हासिल करके
करना समीक्षा है ।
सुख दुख तो
जीवन का हिस्सा है ,
मिलकर बनाना है इतिहास
न बना तो
बनाना एक क़िस्सा है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(61)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
18/07/2021 , रविवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 69
Sahitya Ek Nazar
18 July 2021 , Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
कलमकार का धर्म
कभी जो मन बड़ा बेचैन हो जाता
चाहता है कुछ बोलना पर कह नहीं पाता
आसपास की घटनाएं करती व्यथित बड़ा
पर न उनका हल कुछ निकल है पाता
मन फिर होने लगता है भारी
कहते अपने मित्र कलम
से अब तेरी है बारी
कलम को मान शस्त्र अपना
आवाज अपनी उठाते है
यही तो धर्म है हर कलमकार को
जिसे हम निभाते है
उठाते है डायरी अपनी और कलम
जो आता मन में बस वही लिख लेते हम
मैं क्या लिखूं यह प्रश्न मन में आता कई बार
क्या उत्तर मैं पाउँगा बदले में इस - बार
माना की सामने कोई इंसान ना खड़ा
जो जवाब दे उन प्रश्नों का
जिनको हमने लिखा
पर सच कहूं जो लिखते है
वे करते सवाल स्वयं से
क्या बदलाव ला सकते है हम पहले स्वयं से
लिखना हमें अपनी अंतरात्मा से जोड़ता
उस से ही तो बन्दे तू स्वयं में बदलाव कर पाता
यह याद रख जब बदलेगा तू, समाज बदलेगा
बस लिखता जा न सोच मैं की क्या
लिखूं तुझे जवाब जरूर मिलेगा
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
फोटो नहीं
******""""***********
शीर्षक ,,,प्रेम क्या है,,,
विधा ,,,
कविता - प्रेम क्या है,,,
***💞🌹💞
प्रेम मेरी कलम है,
प्रार्थना मेरी कविता ,
प्रेम के सरगम में
शब्दों को पिरोता,
मन से मन का अर्पण
प्रेम है पावन दर्पण ,
प्रेम ज्ञानी, समझे मोनी वाणी,
प्रेम हवा में उड़ता पत्ता है
प्रेमी की किस्मत लिखता है,
प्रेम दीया और बाती,
प्रेम से बनते जीवन साथी ,
प्रेम है नदी का किनारा,
प्रेम बहते झरने की धारा,
प्रेम में करते इंतजार तो,
प्रेम ही कराता इजहार,
प्रेम खिलाते धूल में फूल,
बेवफाई की मत कर भूल
प्रेम फूल और कांटे,जो
किस्मत के सुख-दुख बाटे ,
प्रेम हो धूप छांव सा,
प्रेम हो अपनों
के आलिंगन सा
सच मानो जीवन में यारों
प्रेम है कुछ खट्टा तो
प्रेम है कुछ मीठा,
प्रेम है अंतर ज्ञानी,
मूर्ख बने अभिमानी,
***💞🌹💞****
✍️ शिवा सिंहल आबू रोड
मेरे अपने सभी मित्रों की शुभ कामनायें चाहूँगा मेरी बिटिया का आज जन्म दिन है और आज हम साथ नहीं हैं !बस उपहार स्वरुप एक नवगीत निवेदित कर रहा हूँ ! आशीर्वाद चाहूँगा !
अकेले गुनगुनाऊं
कौन गीत गाऊं
मम्मी की लोरी
पापा की थपकी
बिटिया न झपकी !
जनम दिन आया
सुबह ने बताया
फिर से
दुआओं का कुमकुम
कैसे लगाऊं मैं अबकी !
दूरी बहुत है
आँखों की पुतरी
परदेशी बिटिया
अभी अभी
पांवों में अपने
खड़ी होने की खातिर
तुलसी के चौरे
रपक कर झुकी है,
मकड़ियों के
जालों से
उलझा एकाकी
पीछे छूटी यादें
ख्यालों में अब भी
अक्षत के टीके
फुलहरी में साँसें
गंध सी रुकी है,
कलेजे के टुकरे
पतझर सा बिखरे
कैसे सहेजूँ
फरका की आंधी
गुजर गई कबकी !
अकेले गुनगुनाऊं
कौन गीत गाऊं
मम्मी की लोरी
पापा की थपकी
बिटिया न झपकी !
जनम दिन आया
सुबह ने बताया
फिर से
दुआओं का कुमकुम
कैसे लगाऊं मैं अबकी !
✍️ भोलानाथ
#विषय- ""विज्ञान और अविष्कार""
#विधा-
कविता - विज्ञान और अविष्कार
विज्ञान और अविष्कार का,
चोली दामन का साथ है,
विज्ञान का ही कमाल है ,जो
आज हम आपसे इस तरह ....,
कर रहे विचारों का,
आदान-प्रदान है।
नए नए अविष्कार, रोज हो रहें हैं,
हम एक दूसरे से इतने
, नजदीक हो रहे हैं।
कंप्यूटर ,मोबाइल ,टीवी ,लैपटॉप से,
डिजिटल भारत का, सपना
साकार हो रहा है।
हवाईजहाज और मेट्रो से
यातायात सुगम हो रहा है,
अंतरिक्ष में भी, भारत देश
ने परचम लहराया है।
विज्ञान ने ऊंची उड़ान भर
,भारत देश के नाम को चमकाया है,
चांद पर जाकर भी घर बनाने का सपना
,वैज्ञानिकों ने दिखाया है।
आग्नेयास्त्र वह अणुशक्ति का भी,
अविष्कार वैज्ञानिकों ने हीं
कर दिखाया है।
जिसने कि जापान देश को,
घायल किया है,
आज कोरोना महामारी भी
,चीन के आविष्कारों का ही नतीजा है।
विज्ञान और अविष्कार सिक्के के दो
, पहलू की तरह होते हैं,
कभी ये वरदान व चमत्कार, तो
कभी अभिशाप बन जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने नए नए अविष्कार कर,
देश को प्रगतिशील बनाया है,
आज कोरोना का टीका बना ,
महामारी का तोड़ भी
वैज्ञानिकों ने ही निकाला है।
✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम
भारत का अभिमान है हिन्दी
भारत का अभिमान है हिन्दी
जन -जन का गुणगान है हिन्दी
श्रमिक जनों की भाषा है हिन्दी
हम सब अभिमान है हिन्दी।।१।।
वेद- पुराणों का सार है हिन्दी
मुनियों का तपबल है हिन्दी
कवि जनों का ज्ञान है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।२।।
कण-कण में गुंजित है हिन्दी
नवरसों का सार है हिन्दी
तुलसी की लेखन है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।३।।
मीरा की भक्ति है हिन्दी
सूर- कबीर की वाणी है हिन्दी
गुणियों का गुणगान है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।४।।
बच्चों की किलकारी है हिन्दी
देश की हर आवाज है हिन्दी
भारत की पहचान है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।५।।
ब्रज-अवध बघेल है हिन्दी
गढ प्रदेश की भाषा है हिन्दी
देश की हर भाषा में है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।६।।
वीर शहीदों की भाषा है हिन्दी
एकता की परिभाषा है हिन्दी
माता की ममता है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।७।।
क्रान्तिवीरों की भाषा है हिन्दी
सुधियों का यश गान है हिन्दी
जन- जन की भाषा है हिन्दी
हम सब का अभिमान है हिन्दी।।८।।
✍️ सोहन बलूनी
कोटद्वार पौडी गढवाल , उत्तराखण्ड
साहित्य एक नजर