साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 70 , सोमवार , 19/07/2021

साहित्य एक नज़र

अंक - 70
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 70 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
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मात्र - 15 रुपये

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अंक - 70
19 जुलाई  2021
सोमवार
आषाढ़ शुक्ल 10
संवत 2078
पृष्ठ -   1
प्रमाण - पत्र -  6
कुल पृष्ठ -  7

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ.  आदरणीय अमृतांश मनहर जी को प्रथम जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई
3. आ.  बिहार बोधी ( साझा काव्य संग्रह )
4. आ.   विश्‍व के सबसे लंबे वर्चुअल कवि सम्मेलन में  शहर के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित ने किया काव्य पाठ -
5. आ. कल्पा ** ✍️ डॉ. मधु आंधीवाल जी , ऐड. अलीगढ
6. आ. केशरी सिंह रघुवंशी हंस जी
अशोकनगर ,  मध्य प्रदेश
7.आ. डॉ. सीमा विजयवर्गीय जी
8. आ. सुनील "सुगम " जी
9. आ.  रोशन कुमार झा

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
132. आ.  डॉ. सीमा विजयवर्गीय जी ,

अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 70
Sahitya Ek Nazar
19 July ,  2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी


सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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फेसबुक - 1

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अंक - 54 से 58 -
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फेसबुक - 2

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https://youtu.be/VRHtCBzV2hg

बिहार बोधी ( साझा काव्य संग्रह )

दिनांक :- 19 जुलाई 2021
सोमवार
आषाढ़ शुक्ल 10
संवत 2078

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मात्र - 255 रुपये में

बिहार बोधि ( साझा काव्य संग्रह ) के सहयोगी रचनाकार के परिचय और उनके दस रचनाएं -
अनुक्रमणिका
नाम               पृष्ठ संख्या
१-रजनी हरीश     ०७-१७
२-राजीव भारती   १८-२८
३-रीता झा          २९-३९
४-प्रतिभा पांडे      ४०-५० 
५-ज्योति सिन्हा    ५१-६१
६-अर्चना तिवारी   ६२-७२
७-सृष्टि मुखर्जी      ७३-८३
८-दीप्ति प्रिया       ८४-९४
९-रोशन कुमार झा    ९५-१०५

सम्पादक मंडल -

संपादन -
ज्योति सिन्हा
दीप्ति प्रिया

संकलन -
राजीव भारती
सृष्टि मुखर्जी

तकनीक -
रोशन कुमार झा
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 70

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फेसबुक - 1 , बिहार बोधि

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फेसबुक - 2  , बिहार बोधि
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-----------------

रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई


कविता :- 20(55)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2055-12072021-63.html

अंक - 63
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/63-12072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jtka/

कविता :- 20(56)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2056-13072021-64.html

अंक - 64
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/64-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/pfpt/
अंक - 65
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/65-13072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/osxc/

कविता :- 20(57)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2057-14072021-65.html

अंक - 66
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/66-15072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/cgpv/

कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/iwmf/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/ndqq/

https://imojo.in/9Gs5NG

कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html

अंक - 68
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/68-17072021.html

https://imojo.in/5hR6sD

https://online.fliphtml5.com/axiwx/jurd/
कविता :- 20(60)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2060-68-17072021.html

अंक - 69
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/69-18072021.html

https://imojo.in/2ohkQk

https://online.fliphtml5.com/axiwx/tcvq/
कविता :- 20(61)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2061-18072021-69.html

कविता :- 20(62)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2062-20072021-71.html

अंक - 70
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/70-19072021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/lqem/

https://online.fliphtml5.com/axiwx/cfmn/
https://roshanjha1301.myinstamojo.com/product/510078/-2021-6c0b1

कविता :- 20(63)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2063-20072021-71.html

अंक - 71
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/71-20072021.html

अंक - 72
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/72-21072021.html

कविता :- 20(64)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2064-21072021-72.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html

सम्मान पत्र
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/079.html


विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xdai/

अंक - 59
Thanks you
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hsua/

जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350

सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
State Bank of India
Account Number :- 20357163357
IFSC code : SBIN0000144
Name :- Roshan Kumar Jha
सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।

आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )

अंक - 62 से 67
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सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

बिहार बोधी ( साझा काव्य संग्रह )

दिनांक :- 19 जुलाई 2021
सोमवार
आषाढ़ शुक्ल 10
संवत 2078

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मात्र - 255 रुपये में ।
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बिहार बोधि ( साझा काव्य संग्रह ) के सहयोगी रचनाकार के परिचय और उनके दस रचनाएं -
अनुक्रमणिका
नाम               पृष्ठ संख्या
१-रजनी हरीश     ०७-१७
२-राजीव भारती   १८-२८
३-रीता झा          २९-३९
४-प्रतिभा पांडे      ४०-५० 
५-ज्योति सिन्हा    ५१-६१
६-अर्चना तिवारी   ६२-७२
७-सृष्टि मुखर्जी      ७३-८३
८-दीप्ति प्रिया       ८४-९४
९-रोशन कुमार झा    ९५-१०५

सम्पादक मंडल -

संपादन -
ज्योति सिन्हा
दीप्ति प्रिया

संकलन -
राजीव भारती
सृष्टि मुखर्जी

तकनीक -
रोशन कुमार झा
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 70

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आज अपने पुत्र अमृतांश मनहर का पहला साल का जन्मदिन हैं , आप सभी की दुआएँ और आशीर्वाद अपेक्षित हैं। जन्मदिन का कार्यक्रम स्थल @ AVN Grand Hotel , Ranchi .
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2881760405418922&id=100007549718802

आदरणीय _ _ _ _ _ अमृतांश मनहर _ _ _ _  जी को प्रथम जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏 💐 🌹 🎈🎉🎁🎂🎈 🌅

🙏 💐 🌹🎈🎉🎁🎂🎈🌅
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 70 , सोमवार , 19 जुलाई 2021
अंक

कविता :- 20(62)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - गिरने नहीं दोगी -

पता है अब तुम हमें गिरने नहीं दोगी ,
दुश्मनों से अब मिलने नहीं दोगी ।
हार भरी बीज को अब खिलने नहीं दोगी ,
और हमें किसी के अंदर
प्याज छिलने नहीं दोगी ।।

राह से हमें फिरने नहीं दोगी ,
हार से हमें हिलने नहीं दोगी ‌।
हमें मिटाने वाले को चीरने नहीं दोगी ,
हमें पता है
तुम हमें गिरने नहीं दोगी ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(62)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
19/07/2021 ,  सोमवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 70
Sahitya Ek Nazar
19 July 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

विश्‍व के सबसे लंबे वर्चुअल कवि सम्मेलन में  शहर के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित ने किया काव्य पाठ -

भवानीमंडी :-  रुद्रपुर उत्तराखंड की साहित्यिक संस्था बुलंदी जज्बात ए कलम द्वारा अन्तराष्ट्रीय स्तर का विश्व के सबसे बड़े वर्चुअल कवि सम्मेलन का 11 जुलाई से  आगाज़ किया।200 घण्टे से लगातार चलने वाला यह ऑनलाइन कवि सम्मेलन  इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा l इस कवि सम्मेलन में देश विदेश सहित 800 कवि हिस्सा ले रहे हैं। काव्य पाठ के क्रम में रविवार  प्रथम सेशन प्रातः 8 से 12 बजे में  भवानीमंडी के कवि डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित ने अपनी कविताओं के माध्यम से राष्ट्र जागरण किया।उन्होंने कोरोना काल मे सकारात्मक सोच रखने की बात को कविता में कहा कि "छूना चाहते हो बुलंदी को अगर जमाने की तुम। सकारात्मक सोच रखो सदा जहन में तुम।।" प्रकृति में बढ़ रहे प्रदूषण वैश्विक महामारी से जुड़ी उनकी रचना "परिंदे उन्मुक्त उड़ रहे आसमां में, आदमी मगर कैद है अपने मकानों में।" बेटियों पर उनकी कविता "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ यह तो केवल नारा है देखो मन का दर्पण फिर बेटी ही एक सहारा है।" और  शहर का नाम रौशन किया। बुलंदी जज़्बात ए कलम संस्था द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होकर यादगार कार्यक्रमों में शामिल होगा l कार्यक्रम का प्रसारण बुलंदी पोएट्री के ऑफिशियल चैनल से किया गया।  बुलंदी जज्बात ए कलम साहित्यिक संस्था उत्तराखंड के बाजपुर से संचालित होती है जिसके संस्थापक बादल बाजपुरी हैं l संस्था के संथापक बादल बाजपुरी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश शर्मा जी द्वारा निमन्त्रण पत्र भेज कर डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित कवि को इस आयोजन में काव्य पाठ किया गया था। यह कवि सम्मेलन 11 जुलाई से लगातार चल रहा है।  विश्व के सबसे लंबे चलने वाले इस कवि सम्मेलन में  कनाडा , जर्मनी , दुबई ,सऊदी
,यू इस ए बेल्जियम , केलिफोर्निया, आबू धाबी , सिंगापुर तक के कवि सहित कुल 800 से ज्यादा कलमकारों ने काव्य पाठ किया।

सावन की वो रुत मस्तानी भूल न जाना
बादल, बिजली, घटा सुहानी भूल न जाना
अपनी छत पर भी रख लेना इक-दो बर्तन
तू पंछी का दाना-पानी भूल न जाना
दो रोटी गायों को भी मिल जाएँ घर से
पुरखों की ये बात पुरानी भूल न जाना
चींटी को रख देना आटा चलते-चलते
माँ की आदत वही पुरानी भूल न जाना
अपने गमलों में रख लेना थोड़ी ख़ुशबू
तुलसी, बेला, रात की रानी भूल न जाना
नदियों, सागर, झरनों, तितली, परियों वाली
बचपन की तू वही कहानी भूल न जाना
बरगद, पीपल और नीम की शीतल छाया
धरती माँ की चूनर धानी भूल न जाना

✍️ डॉ. सीमा विजयवर्गीय

कल्पा ** ✍️ डॉ. मधु आंधीवाल ऐड. अलीगढ
madhuandhiwal53@gmail. Com

कुछ जिंदगी में इस तरह की घटनाये घटती हैं कि एक कहानी बन जाती हैं ! मैं लगातार बृंदाबन जाती रहती हूँ। हमेशा उन महिलाओं पर कार्य कर रही थी जो एक मुठ्ठी चावल के लिए मंदिरो और आश्रमों में कीर्तन करतीं हैं !कई बार से एक चेहरा पहचाना सा लगता था पर मैं उस तक नहीं पहुंच पाती थी ! एक दिन मैंने उसे पकड़ लिया जब उसको अपनी ओर घुमाया तो देखा वह कल्पा थी !मेरे बचपन की पड़ोसी और बचपन की मित्र ! वह मुझसे छूट कर भागने की कोशिश में थी पर मैने कस कर पकड़ रखा था ! बीते दिनों की सारी घटनाए मेरे सामने चल चित्र की तरह घूम रही थी ! हम तीन बचपन के दोस्त थे ! साथ साथ  खेलना स्कूल जाना उसके बाद बचपन भी धीरे धीरे अल्हड़ यौवनावस्था की ओर बढ़ रहा था ! स्कूल से कॉलिज में पहुंच गए कुछ दिन से कल्पा का व्यवहार भी बदल रहा था ! हम तीन सहेलियां साथ साथ रहते थे पर वह पता ना कहाँ खोई रहती थी ! एक दिन मेरे बड़े भाई ने फरमान सुना दिया कि तुम कल्पा के साथ नहीं रहोगी कुछ गलत बातें काफ़ी दिन से कल्पा के बारे में हो रही थी! उसी समय पापा का तबादला हो गया ! उड़ते उड़ते सुना कल्पा किसी लड़के के संग भाग गई वह उम्र में भी उससे बड़ा था !कल्पा के घर की स्थिति भी आर्थिक रूप से बहुत अच्छी थी !
  उसके बाद कोई सूचना नहीं मिली !इतने दिन के बाद मैंने उसे इस हाल में देखा बहुत दुख हुआ मैं उसे पकड़ कर पास के होटल में ले गई बहुत पूछने पर वह रोने लगी जब उसने सब बातें बताई तो मैं कुछ देर सोच ही नहीं पाई । वह लड़का उसके घर आता जाता था उसके छोटे भाई बहनो को पढ़ाने के लिये उसने इसके साथ घनिष्टता करनी शुरू की और ये उसके साथ बिना सोचे समझे आगे बढ़ती गई !उसके बहकाने में आकर एक दिन घर छोड़ कर चली गई ! जब उसका दिल इस से भर गया तब इसे किसी और के हाथ बेच कर चला गया और ये हाथों हाथों बिकती गई !एक दिन कैसे भी वहां से निकल कर भाग कर वृंदावन  आगई ! मेरी समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ उसको बहुत कहा कि मेरे साथ चल पर वह नहीं आई ! बस एक बात का वायदा ले लिया कि मैं जब बृन्दावन आउंगी उससे मिल कर जाऊगी ! बेचारी कल्पा एक व्यथा !
स्व रचित
✍️ डॉ. मधु आंधीवाल ऐड.
अलीगढ
madhuandhiwal53@gmail. Com

कारवां गुजर गया ,गुवार देखते रहे
     एक अदभुत इन्सान जिनके साथ गुजारे अविस्मरणीय पल मै कभी नहीं भूल पाऊगी ।
    कितने बदनाम हुये हम जमाने में तुम्हें लग जायेगी सदियां हमे भुलाने में ...
पद्म श्री पद्म भूषण श्री गोपाल दास " नीरज " एक काव्य मसीहा को मेरा हार्दिक नमन ।

.... आह्वान ...

खुद सोकर औरौ को ,
चला जगाने शब्दों से ।
मर्यादा  मुझमें है नहीं ,
सबको चला  सिखाने ।
कौन सज्जन दुर्जन कौन,
समय तले ढका सज्जन ।
सच को मार तमाचा,
झूठे को पान खिलाता ।
हो महल खड़ा शब्दों के,
सत्य को साबित करता ।
मैल भरा मन लेकर,
पड़ोसी घर धोने जाता ।
मजबूत जड़ पोषण नहीं,
पल्लव उगाने चल पड़ा ।
डाली -डाली सूख रहा,
शब्दों से जीवन भरने चला ।
खो गया संघर्ष जीवन का,
ढूढता साधन भटक रहा ।
बिकता जन-जन पैसों पर,
बड़े-छोटों का क्या कहना ।
करें "आह्वान"अब कलमों का,
हो एकजुट कलमकार -पत्रकार।
बने तो कोई "महानायक "शून्य में,
स्थापित कर सके जो मर्यादा को।....

✍️  सुनील "सुगम "

          18/07/021

🌧️🌪️ गीत- मेघ 🌧️🌪️

काले मेघा हुए नदारद,
कृषक भाल  अब पटक रहा है।
आषाढ़ माह है जाने वाला,
सूर्य ताप से चटक रहा है।
भीषण गर्मी से राहत हो,
देख रहे है नीले नभ को,
रूठे पंछी नही लौटते ,
ऐसे ही बादल छिप जाते,
लगी टकटकी आसमान पे,,
मेघ नजर अब आते कम,
मृगशिरा में थोड़ी बर्षा
,गई रोहिणी ताप बढाकर,
आर्द्रा बीती सूखी सारी,
मानसून क्यों भटक रहा है।
भीषण गर्मी आग उगलती,
झुलस रहा है पौधा -पौधा।,
धान की क्यारी सूख रही है,
कम पानी से कैसे भरना ,
पड़ी दरारें  खेतों में अब,
पानी की है भारी किल्लत,
बिना नमी के खेत सूख गये,
लता पेड़ पे पतझड़ आया,
कौन बुझाए प्यास भूमि की,
सूखा बादल लटक रहा है।
बीज नही सपने बोए है,
सारे  चकनाचूर हो गए,
जीवन यापन  खेती-बाड़ी,
अन्नदाता मजबूर हो गए,
राम सहारा है अब तेरा
मन्नत को मजबूर हो गए,,
अर्थव्यवस्था चौपट घर की,
मानसून की भेंट हो गए
मानसून आधारित  खेती ,
मुख्य रूप से घटक रहा है।
काले मेघा हुये नदारद,
कृषक भाल अब पटक रहा है।

✍️ केशरी सिंह रघुवंशी हंस
अशोकनगर ,  मध्य प्रदेश







साहित्य एक नज़र 🌅




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