साहित्य एक नज़र 🌅, अंक - 40 , शनिवार , 19/06/2021

साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 40
https://online.fliphtml5.com/axiwx/neyx/

अंक - 39
https://online.fliphtml5.com/axiwx/qdxz/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 38

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
कविता :- 20(32)
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 40
19  जून  2021

शनिवार
ज्येष्ठ कृष्ण 9 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 7 - 9
कुल पृष्ठ -  10

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
86.आ. प्रकाश  राय जी ,समस्तीपुर , बिहार

🏆 🌅 पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र  🌅 🏆
87.आ. रामकरण साहू " सजल " जी
( पुस्तक समीक्षा सम्मान पत्र - " मुक्तावली - 5 )

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 से 44 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36
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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 40 , शनिवार
19/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 40
Sahitya Ek Nazar
19 June 2021 ,  Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

1.
परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

पुस्तक हेतू सम्पर्क -

प्रकाशक
१. लोकोदय प्रकाशन प्रा. लि.
65/44 शंकरपुरी छितवापुर रोड़
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 9076633657

लेखक
2. रामकरण साहू "सजल"
कमासिन रोड़ नील कंठ पेट्रोल
पम्प के पास, ग्राम-पोस्ट बबेरू
जनपद- बाँदा (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नम्बर - 8004239966

2.
समीक्षा स्तम्भ - काव्य संग्रह - " मुक्तावली " ( समीक्षा )

3.

🎁🎈🍰🎂🎉

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉

धामपुर  उत्तर प्रदेश , भारत के सुप्रसिद्ध साहित्यकार , ई प्रकाशन अभिव्यक्ति - संपादक -

आदरणीय _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ जी

को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई.

🙏💐 🎁🌹🎈🎂🎉🍰

डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
संपादक - ई प्रकाशन अभिव्यक्ति
डॉ.अनिल शर्मा अनिल
धामपुर, उत्तर प्रदेश

" पिता का दर्जा "

रोना आता है,
तब मुझको। जब!
पुत्र श्रेष्ठ है, पिता कहें।
वो पुत्र श्रेष्ठ है, पता नहीं।
जिसने! रिश्तों को,
भुला दिया। जब से है,
श्रेष्ठ! बना तब से।
है पिता को,
उसने! मुआ दिया।
सबको है, उसने!
समझाया। की पिता हैं,
उसके अज्ञानी।
रे अज्ञानी! तू क्या जाने।
की पिता ने, तुमको!
ज्ञान दिया। सब हार के,
जिसने! जीत दिया।
जग में तुमको, सम्मान दिया।
उस पिता का, दर्जा  है ऊंचा।
नित ईश भी, शीश झुकाते हैं।
फिर करते क्यों, सम्मान नहीं।
क्यों जी भर, उन्हें रुलाते हैं।
करना उनका, सम्मान सदा।
हैं धाम सभी, उन चरणों में।
इस जीवन के, भगवान हैं वो।
हमसब के, एक! सम्मान हैं वो।।

  ✍️  केशव कुमार मिश्रा
     सिंगिया गोठ, बिस्फी
मधुबनी, बिहार।
अधिवक्ता व्यवहार
न्यायालय, दरभंगा।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा , बिहार
विषय - अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के
अवसर पर योग के महत्व
विधा - निबंध

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की माँग के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय 
योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी गई , जिसके बाद सर्वप्रथम इसे 21 जून 2015 , रविवार को पूरे विश्व में विश्व योग दिवस के रूप में मनाया गया। योग मतलब एकता , जोड़ना । योग आपको होने नहीं देगा रोग । स्वस्थ रहने के लिए योग करना अति आवश्यक है । प्रत्येक दिन हमें कम से 15 से 20 मिनट तक योग करना चाहिए । योग शरीर के अंदर मजबूती पैदा करता है जिसके कारण हमारे शरीर बड़े - बड़े बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो पाते हैं । योग मांसपेशियों को पुष्ट रखता है, योग करके हम अपनी मोटापा को कमा व अपने लम्बाई को बढ़ा सकते है । योग करने से हमारी मानसिक विकास में वृद्धि होती है । बाल्यावस्था में मानसिक विकाश बहुत तीव्र गति से होता हैै अतः अपने घर - परिवार के बच्चों  को प्रत्येक दिन योग करवाना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रहें । सुबह - सुबह उठकर योग करते हुए सुबह का हवा का ग्रहण करना चाहिए , सुबह उठने  , योग करने से हमारे मन संतुष्ट रहता है , हम जो भी याद करते है उसे भूल जाते है , योग करने से हमारे मस्तिष्क का भी विकास होता है और याद करने की क्षमता को बढ़ाता है । योग करने से हमारे पाचन शक्ति बना रहता है ।हम सभी  विद्यार्थियों , राष्ट्रीय कैडेट कोर ( एनसीसी ) कैडेट्सों  , राष्ट्रीय सेवा योजना ( एनएसएस ) स्वंयसेवकों , भारत स्काउट गाइड सदस्यों , सेंट जॉन एम्बुलेंस , नेहरू युवा , आदि के स्वंयसेवकों का कर्त्तव्य है कि हम सभी अपने समाज में इस कोरोना काल में  सभी का सहारा बनकर योगदान करें , उन्हें योग के बारे में समझाएं , उनसे योग करवाएं ताकि उनका मन में नाकारात्मक विचार पैदा न हो , और वे बड़े- बड़े बीमारियों को योग करके हटा सके ।

सुबह - सुबह उठकर करें योग ,
तन मन से प्रसन्न रहकर रहें निरोग ।
सुबह - सुबह हवा का करें भोग ,
करें योग, योग करके भगाये रोग ‌।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी
बी. ए , हिन्दी आनर्स द्वितीय वर्ष
राष्ट्रीय सेवा योजना
Roshan Kumar Jha

nss@lnmu.ac.in

कोरोना है गज़ब बीमारी,
सब दहशत में लोग।
मानवता को नाश रहा
  है, खतरनाक यह रोग।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।
पर उपकार करो मिलि भाई
,जितनी समरथ होय।
भेद भुला दो अपन पराया,
मदद  करो सब कोय।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।
दो  गज  की  दूरी  अपनाओ,
धो लो  साबुन  हाथ ।
यह संदेश सभी तक भेजो,
जिओ न दहशत साथ।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।
हो बुखार उपचार कराओ,
रखो न कोई ढील।
नज़र लक्ष्य  पर ऐसे राखो,
जैसे  रखती चील।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।
हो बुखार संग सरदी,
खाँसी, इधर उधर ना डोल।
करो  ना  थोड़ी  लापरवाही,
जीवन  है अनमोल।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।
खुशी खुशी टीके लगवाओ
, दो जन जन संदेश।
कोरोना  से  रहित बनाओ ,
अपना  प्यारा  देश।।
सुनो हे मेरे भाई.......
बचो सब इससे भाई।

कवि एवं साहित्यकार
✍️ राम चन्दर अज़ाद
8887732665
स्वरचित, मौलिक एवं प्रकाशनार्थ

     " घोषणा पत्र "
           “ मैं  राम चन्दर आज़ाद घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा भेजी गई रचना स्वरचित, मौलिक तथा अप्रकाशित है, जिसे मैं प्रकाशन हेतु सहमति दे रहा हूँ. इस रचना को प्रकाशन हेतु कहीं अन्यत्र नहीं भेजा गया है. मैं प्रकाशक/संपादन मंडल को रचना में एडिटिंग करने का पूर्ण अधिकार देता हूँ और एडिट की हुई रचना मुझे पूर्ण रूप से मान्य होगी. इसके प्रकाशन से यदि किसी प्रकार के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो उससे सम्बंधित विषयों के लिए मैं पूर्ण रूप से उत्तरदायी हूँ l 
कवि एवं साहित्यकार
राम चन्दर अज़ाद
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश
पिन-224230

फोटो नहीं

# नमन मंच
#विषय --जहां नफरत है वहां प्यार के पुल  बनायें
#विधा-- कविता
                   💐कविता💐

जहां नफरत है वहां प्यार
के पुल बनायें ( कविता )

नफरत से कभी किसी को
जीता नहीं जा सकता ,
क्योंकि प्यार ही है वह कुंजी,
जो नफरत को मिटा सकती है
नफरत को छोड़ प्यार के
पुल बनाए जा सकते हैं।।.
आपस में बढ़ते भेदभाव को
दिल से दूर भगाएं
प्रेम के जल से सींच कर
जहां नफरत है वहां
प्यार के पुल बनाए।....
मानव ही मानवता का आधार है
नफरत को भूलकर ही
नफरत को प्यार से गले लगाना ही
हमारी संस्कृति का संस्कार है।
आओ हम सब मानव मिलकर
प्यार के गीत गुनगुनाए
वैमनस्यता को भूल कर
सभी को प्यार से गले लगाएं ।।
जी हां मानव जीवन मिला
बड़े भाग्य से तो क्यों ना "
जहां नफरत है वहां
प्यार के पुल बनाए"..!

✍️ सुनीता बाहेती
जोरहाट

फोटो नहीं

शीर्षक- शब्दों का जादूगर
दिनांक - 15/06/2021

शब्दों का जादूगर

शब्दों के जादूगर हैं आप
कभी सुना है
हर शब्द आपसे कुछ
कहना चाहता है,
आपकी लेखनी ने ,
न जाने कितने शब्दों ने
किसी की चाहत में
एक-दूसरे को मिलाया है,
किसी की याद में
दूरियाँ मिटायी हैं,
किसी की व्यथा में
ग़मों को मिटाया है,
किसी के प्रेम में खूबसूरत
एहसास दिलाया है,
किसी के अकेलेपन में गले
लगकर साथ निभाया है,
किसी की तारीफ़ में
ख़ुशियाँ दिलाई हैं,
किसी की आलोचना में
नए विचार दिए हैं,
कभी फुर्सत में सुनना उन
शब्दों के एहसास को
जिन शब्दों ने तुम्हें बनाया
है शब्दों का जादूगर ।।

✍️ देश दीपक
ईश्वरपुर साई हरदोई
उत्तर प्रदेश
ddesh619@gmail.
com

नमन:-    🙏 साहित्य एक नजर
विषय:-  ‌कविता
विधा:-‌   रोमेंटिक डेट

       रोमेंटिक डेट

पहले डेट की बात थी,
वो रोमेंटिक सी रात थी।
वो आषाढ़ के वो दिन थे ,
हम भी कुछ ना कम थे ।
बिजली कड़की थी
बादल भी गरजे थे,
बारिश की रात थी,
वो अकेले पास थी।
दिल धड़क रहा था,
मेघ बरस रहा था
सुरमई हवा चली तन
को भिगो रही।
सांस तेज हो गए,
हम भी कहा खो गए।
यादव चाचा के चाय
के दुकान पे,
उनके संग हम हो गए।
दांत कट-कटा रही
,वो भी घबरा रही ।
बारिश की रात में हम
भी चाय पे खो गए।
सनसनाती हवा चली
तन को भीगो रही,
चाय के बहाने मैं उनके
हाथ को छू रही।
चाय तो बहाना था,उनसे
मिलने जो आना था
चाय की सिप-सिप आवाज
मन के बहका रही,
यादव चाचा की खिस-
खिसाहट मन को सुलगा गई,
इस रोमेंटिक रात में,चाय
पे चाय खाली हो रही।
पहले चाय के डेट पे
,बारिश खूब हो रही।
बरसती हुई बारिश मन
को भींगो रही,
उनकी हाथ की छुअन से
,मैं आज मगन हो रही।
चाय के बहाने, मैं भी
उनको छू रही।
बात पे बात हो रहे, चाय
क्यूं ख़त्म हो रहे ?
चाय कम पड़ रही,
बात खत्म न हो रही।
बिजली कड़कने लगी
,पावर कैसे कट हुई?

अंधेरा छाने लगी मैं
भी डरने लगी,
सन्नाहाटो के बीच जैसे
कुछ छुअन हुई,
तभी उनके चुम्बन से
होंठ की चुभन हुई।
मैं भी सरमा गई जाने क्यों
घबरा गई,
उनकी मजबूत पकड़ से
ना जाने क्यू बहक गई।
चाय के छुअन से फिर
हल्की सी जलन हुई।
होठ कपकपा गए हम
दोनों भी शरमा गए।
यादव चाचा सामने से
बत्तीसी दिखा गए।
जल्दी से फिर वो चाय लेके
फिर से ‌जल्दी आ गए।
चाय के हसीन वो पल आज
फिर से छा गए ।

✍️ राजेश सिंह
वाराणसी उत्तर प्रदेश *
**बनारसी बाबू*
8081488312

✍️ रोशन कुमार झा
कैडेट रोशन कुमार झा
पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , 
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी
फोर्ट विलियम कोलकाता-बी ,
पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
शनिवार , 19/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(32)
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha
, রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 40
Sahitya Ek Nazar
19 June 2021 ,    Saturday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय
, दरभंगा , बिहार
विषय - अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के
अवसर पर योग के महत्व
विधा - निबंध

नमन=मां शारदा साहित्य एक नजर कोलकात्ता से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ।
नाम= बीरेंद्र डोबरियाल प्रवक्ता
राजकीय इंटर कॉलेज सोली
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
मेरी रचना======
कविता
शीर्षक====
कविता -
प्रियतम आए हैं -

उठ जागसुसुप्तावस्ता से,
प्रियतम आए हैं।
आ निकल बिलों से बाहर,
प्रियतम आए हैं।
कही महीनों से प्रियतम की,
प्रतीक्षा में।
ध्यानमग्न योगी जैसा है, तंद्रा में।
उनकी यादें संजो धीर, गर्भ धरणी के।
संपुट नासा छिद्रों की, स्वाशोच्वास से।
बिरह अग्नि से जीवन,
मरण करने की इच्छा।
मुक्त अरे आ बाहर, प्रियतम आए हैं।
अपने मधुर वाद्यो की, मधुर ध्वनियो से।
सुर तेरे भी मिलवाने , आग्रह करते हैं।
नाद टर्र टर्र से,कंपित होती धरती।
तू  प्रियतम से मिल,अपनी संतति बढ़ा।
दादुर मोर चकोर , पपीहा, क्यों लड़ते हो।
अरे सभी के ही तो , प्रियतम आए हैं।
प्रियतम भी तो प्रेमाश्रु , से तरपर हैं।
तू अश्रु पौंछ प्रियतम के,चक्षु से चक्षु मिला।
अपनी पीडा को इंगित कर,भाव भंग से।
अरे पीड़ा नाशक है,। तेरे निकट खड़ा।
आ आ सुषुप्तावस्था छोड़ ,। प्रियतम आएं हैं।

✍️ बीरेंद्र डोबरियाल
प्रवक्ता राजकीय इंटर कॉलेज सोली
पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

आदरणीय डॉ . अनिल जी
आपको जन्मदिन की
हार्दिक शुभकामनाएं
कितने साहित्यकारों को
आपने राह दिखाएं ।।
साहित्य जगत में
आप बड़ा काम आएं ,
हमेशा आपके जीवन
खुशियां की सवेरा ही
कभी न आपके जीवन शाम आएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा

आदरणीय डॉ . अनिल जी
आपको जन्मदिन की
हार्दिक शुभकामनाएं
कितने साहित्यकारों को
आपने राह दिखाएं ।।
साहित्य जगत में
आप बड़ा काम आएं ,
हमेशा आपके जीवन (में )
खुशियां की सवेरा ही
कभी न आपके जीवन (में ) शाम आएं ।।

✍️ रोशन कुमार झा

फेसबुक - 1

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फेसबुक - 2
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अंक - 41 - 44

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 41 से 44 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 20/06/2021 से 23/06/2021 के लिए
दिवस :- रविवार से बुधवार
इसी पोस्ट में कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें । एक से अधिक रचना भेजने वाले रचनाकार की एक भी रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी ।।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 41 तो कुछ रचनाएं को अंक 42 , कुछ रचनाएं को अंक - 43 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 44 में प्रकाशित किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

अंक - 41 से 44 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 31 से 34
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/305570424539074/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र ( 1 - 80 )
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र ( 79 -

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

_____________________

अंक - 41
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/41-20062021.html

कविता - 20(33)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2033-20062021-41.html

अंक - 42
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/42-21062021.html

कविता - 20(34)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2034-21062021-42.html

अंक - 43
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/43-22062021.html

कविता - 20(35)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-22062021-43.html
अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-23062021-43.html

अंक - 37
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/37-16062021.html

कविता :- 20(29)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2029-15062021-37.html

अंक - 38
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/38-17062021.html

कविता :- 20(30)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2030-17062021-38.html

अंक - 39
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/39-18062021.html

कविता :- 20(31)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2031-18062021-39.html
अंक - 40
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/40-19062021.html

कविता :- 20(32)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2032-19062021-40.html





अंक - 36

http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/36-15062021.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2028-15062021-36.html



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