साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 73 , गुरुवार , 22 जुलाई 2021 , आ. दीप्ति प्रिया जी की जन्मोत्सव संकलन

साहित्य एक नज़र


अंक - 73
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 73 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -

जन्मोत्सव संकलन - दीप्ति प्रिया ( ज्योति सिन्हा  ) साहित्य एक नज़र की  प्रस्तुति
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अंक - 73
22 जुलाई  2021
गुरुवार
आषाढ़ शुक्ल 13
संवत 2078
पृष्ठ -   1
प्रमाण - पत्र -  5
कुल पृष्ठ -  6

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ.  महाकाल काव्य वृष्टि ( संपादिका - ज्योति सिन्हा जी )
3. आ.  ओटीटी (ओवर-द-टॉप):- एंटरटेनमेंट का नया प्लेटफॉर्म ✍️ सलिल सरोज जी
4. आ. लघुकथा - आशंका ✍️ डॉ आदर्श  जी ,
5. आ. अकील अहमद 'अनस' जी
6. आ. केशरीसिंह रघुवंशी 'हंस जी
'अशोकनगर मध्य प्रदेश
7.आ. काव्यमंजरी रचनाएं आमंत्रित ( अगस्त माह )
8. आ. रोशन कुमार झा
9. आ. काली दास ताम्रकार 
काली जबलपुरी जी

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
135. डॉ आदर्श  जी ,

अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 73
Sahitya Ek Nazar
22 July ,  2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी


सम्मान पत्र - 1 - 80
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अंक - 54 से 58 -
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फेसबुक - 2

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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई





कविता :- 20(57)
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अंक - 66
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कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html

अंक - 67
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कविता :- 20(59)
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अंक - 68
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अंक - 69
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कविता :- 20(61)

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कविता :- 20(62)
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अंक - 70
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अंक - 71
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अंक - 73

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कविता :- 20(66)
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अंक - 74
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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सम्मान पत्र
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
Thanks you
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जय माँ सरस्वती
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दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350

सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
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आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
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आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
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खुशखबरी ! खुशखबरी ! खुशखबरी

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  महाकाल काव्य वृष्टि
संपादिका - ज्योति सिन्हा
महाकाल काव्य वृष्टि संग्रह में आपकी रचनाएं सादर आमंत्रित है ।

भोलेनाथ पर लिखी हुई आप अपनी दो रचनाएं एक फोटो भेजें ।

पद्य 16 - 20 पंक्ति व गद्य विधा ( 250 - 300 शब्दों में होनी चाहिए )

इस काव्य संग्रह में सम्मिलित होने के लिए 55 रुपये का सहयोग करना होगा ।

सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद
  94721 46101 पर भेजें ।

JYOTI SINHA ,       
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महाकाल काव्य वृष्टि संग्रह में सम्मिलित सभी सम्मानित साहित्यकारों को " काव्य नीलकण्ठ सम्मान " से सम्मानित किया जाएगा ।

रचना भेजने का अंतिम तिथि - 29 जुलाई 2021
प्रकाशित होने की दिनांक - 2 अगस्त 2021 , सोमवार

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अंक - 1
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अजय नाथ शास्त्री
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बिहार
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लघुकथा - आशंका ✍️ डॉ आदर्श 

अंक - 73
लघुकथा - आशंका ✍️ डॉ आदर्श

“ मैंने कितना समझाया था श्रिया , लेकिन तुमने मेरी एक न सुनी । पूरे सात साल जब तुम दोनों को लिव -इन में रहते हो गए तब जाकर मेरी आशंका मिट गई । सोचा चलो निभा ले जाओगे , तुम रिश्ते को । लेकिन अब .....?” मालती ने अपना माथा ठोंकते बेटी से कहा । श्रिया परेशान तो पिछले 7माह से चल रही थी , लेकिन उसने अपनी चिंता में माँ को भागीदार नहीं बनाया था । क्योंकि दोनों अलग फ़्लैट में रहते थे , इस लिए दक्ष की लगातार अनुपस्थिति का उसने माँ को पता ही चलने दिया । ऐसा नहीं कि वह आता ही नहीं था , लेकिन 1-2 दिन साथ रह कर फिर निकल जाता । बहुत पूछा उसने लेकिन वह कोविड के कारण व्यापार को सम्भालने की बात ही कहता ।
लेकिन अब उसका शक , विश्वास में बदलने लगा था कि दक्ष किसी और लड़की के चक्कर में है । जब वह आशंकाओं और अकेलेपन से पूरी तरह विचलित ही हो गई , तब वह अपना फ़्लैट लॉक कर माँ के पास चली आई , और उसे सब कुछ बता कर अपने मन का ग़ुब्बार निकाल लिया । दुनिया में वह माँ -बेटी हीं थीं , पिता उसके बचपन में ही चल बसे थे । दिन तो उसका ऑफिस में जैसे -तैसे बीत जाता , लेकिन रात आशंकाओं से ही घिरी रहती । अभी एक बात तो मम्मी से छुपा गई वह । दक्ष ने उससे कई बार पैसे लिए थे ।श्रिया ने अपने और दक्ष में मेरी -तेरी न रखी थी , लेकिन दक्ष के परिवर्तित  रुख़ से जब उसने अपनी बैंक पासबुक चेक की तो पाया कि दक्ष उससे 4-5 लाख रुपए ले चुका था । जितना वह मानव मन को समझना जान चुकी है , उसे अब भी यह विश्वास हो कर नहीं दे पा रहा कि दक्ष जैसा इंसान धोखेबाज़ हो सकता है । लेकिन यथार्थ सामने खड़े रह उसके भरोसे को ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था । कितनी बार वह दक्ष के साथ  बैठ कर गहराई से उसकी आँखों में झांकती रह सच तलाश करती रही है , लेकिन हर बार उसके हाथ ख़ाली के ख़ाली रहे हैं । “ माँ ! एक मोबाइल नम्बर मिला है , किसी डॉ अल्पना मिश्रा का । कल कई कॉल करने के बाद , दक्ष आज मेरे ऑफिस के नीचे वाले रेस्त्रॉ में मिलने को तैयार हुआ । दक्ष जब बाथरूम के लिए गया तो उसका मोबाइल वहीं मेज़ पर रह गया । इस नम्बर पर कई कॉल्स हैं , मैंने उसका फ़ोन चैक कर के नोट किया ।कहीं यही तो वह नई लड़की तो नहीं जिसके साथ दक्ष का चक्कर चल रहा हो ? मेरी तो हिम्मत नहीं पड़ी अकेले उसे फ़ोन करने की । अब आपके सामने मिलाती हूँ यह नम्बर । “
“ हैलो ! डॉ अल्पना जी से बात हो रही है ? “
“ जी हाँ ? मैं नैफ्रोलॉजिस्ट डॉ अल्पना ही बोल रही हूँ । कहिए ? “  आप किन्ही दक्ष प्रकाश जी को जानती हैं ? “ पूछते -पूछते उसका दिल बाहर को आ रहा था ।
“ जी हाँ । वह हमारे पेशैंट हैं , पिछले 1 साल  से ।उनकी दोनों किडनी ख़राब हैं । वह हमारे ही अंडर ट्रीटमेंट हैं । “  जी थैंक्यू । “ फ़ोन रखते -रखते उसे ठंडे पसीने आने लगे । सर घूमने लगा । वह कितना ग़लत सोचे जा रही थी दक्ष के  बारे में । फिर उसकी रुलाई ऐसी फूटी कि थमने का नाम ही न ले । तो दक्ष उससे अपनी बीमारी छिपा रहा था , कि मुझे दु:ख न हो ..

✍️ डॉ आदर्श
/ उधमपुर

ओटीटी (ओवर-द-टॉप):- एंटरटेनमेंट का नया प्लेटफॉर्म ✍️ सलिल सरोज

ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया सेवा ऑनलाइन सामग्री प्रदाता है जो स्ट्रीमिंग मीडिया को एक स्टैंडअलोन उत्पाद के रूप में पेश करती है। यह शब्द आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म पर लागू होता है, लेकिन यह ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेजिंग सेवाओं या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग समाधानों को भी संदर्भित करता है। ओटीटी सेवाएं दूरसंचार नेटवर्क या केबल टेलीविजन प्रदाताओं जैसे पारंपरिक मीडिया वितरण चैनलों को दरकिनार करती हैं। जब तक आपके पास इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंच है - या तो स्थानीय रूप से या मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से - आप इस सेवा तक आसानी से पहुंच सकते हैं। साथ ही यह उपभोक्ताओं को सामग्री के मामले में विकल्प प्रदान करता है - मूल और साथ ही विविध शैलियों, उचित कीमत पर और कई उपकरणों (स्मार्टफोन, टैबलेट, गेमिंग कंसोल या स्मार्ट टीवी) की संगतता के साथ इसे लोकप्रिय बनाते हैं। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ओटीटी 2008 से भारत में अस्तित्व में है, जब रिलायंस एंटरटेनमेंट ने पहला ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था। 2010 में लॉन्च किया गया, मीडिया मैट्रिक्स वर्ल्डवाइड के एक समूह, डिजीविव द्वारा नेक्सजीटीवी ने सभी उपकरणों जैसे मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप आदि में उपयोगकर्ताओं को मनोरंजन की पेशकश की। ज़ी डिजिटल कन्वर्जेंस लिमिटेड ने 2012 में लॉन्च किया, डिट्टो टीवी ने लाइव और कैच अप टीवी की पेशकश की। 2018 में इसे ज़ी 5  के साथ एकीकृत किया गया था। आज, भारत 30 से अधिक ओटीटी प्रदाताओं से सेवाओं का आनंद लेता है, जिसमें नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम, डिज़नी + हॉटस्टार, ज़ी5 और इरोस आदि जैसे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी शामिल हैं। प्राइस वाटरहाउस कूपर्स ग्लोबल एंटरटेनमेंट और मीडिया आउटलुक 2019-23 के अनुसार, ओवर द टॉप (ओटीटी) ) 2018 में 4,464 करोड़ रु. 2023 में 11,976 करोड़ रुपये से 21.8% सीएजीआर की दर से विकास के लिए बाजार में आंकी गई। ओटीटी का केवल ऑडियो बाजार इस बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है। ओटीटी मैसेजिंग, ओटीटी वॉयस कॉलिंग, वीडियो कॉलिंग और ओटीटी टीवी सहित कई अन्य प्रकार की ओटीटी सेवाएं भी हैं। कोविड-19 ने ओटीटी सामग्री की खपत में वृद्धि का कारण बना, जिससे सभी प्लेटफार्मों पर ओटीटी सामग्री की मांग बढ़ गई, जो लाइव सामग्री में अंतराल को भरने के लिए टू डी  और थ्री डी  एनिमेटेड सामग्री में बदल गई। इस साल अमेज़न प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स जैसी वैश्विक कंपनियों ने भारत में विभिन्न स्टूडियो के साथ विशेष सामग्री लाइसेंसिंग सौदों पर हस्ताक्षर किए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वीएफएक्स स्टूडियो को ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए उच्च गुणवत्ता वाली टेलीविजन गुणवत्ता सामग्री में वृद्धि से लाभ हुआ है। महामारी कोविड 19 के कारण देश में मनोरंजन-फिल्म उद्योग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म फिल्म उद्योग के बचाव में आए। इस दौरान कुछ फिल्मों का प्रीमियर थिएटर के बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हुआ। उद्योग और इंटरनेट खोज डेटा दिखाते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शकों की संख्या वास्तव में पिछले साल बढ़ी है, खासकर छोटे शहरों और शहरों में। शुरुआती प्रभाव सभी प्लेटफार्मों के लिए समान रूप से कायम नहीं रहा है, लेकिन पूर्व-महामारी के महीनों की तुलना में शुद्ध दर्शकों की संख्या बहुत अधिक है। छोटे पर्दे पर कम बजट की फिल्मों का आनंद लिया गया, जिससे उनकी डायरेक्ट-टू-डिजिटल रिलीज़ बढ़ गई और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए अधिक किफायती होने के कारण, प्रोडक्शन हाउस के लिए राजस्व का एक समानांतर स्रोत बन सकता है। न्यायालयों ने यह विचार किया है कि यद्यपि भारत में ओटीटी प्लेटफार्मों का कोई विशिष्ट विनियमन नहीं है, यदि ओटीटी प्लेटफार्मों में कोई सूचना या सामग्री है जो कानून के तहत अनुमत नहीं है, तो उनके खिलाफ आईटी अधिनियम के प्रावधान निवारक कार्रवाई के लिए लागू होंगे। न्यायालयों ने यह भी विचार किया है कि ओटीटी प्लेटफार्मों पर ऑनलाइन सामग्री सिनेमैटोग्राफी अधिनियम, 1952 के दायरे में नहीं आएगी और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं की सेंसरशिप की मांग करने वाली व्यापक याचिकाओं को अक्सर खारिज कर दिया है। नवंबर 2020 में, केंद्र सरकार ने डिजिटल / ऑनलाइन मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने के लिए भारत सरकार (व्यवसाय का आवंटन) नियम, 1961 में संशोधन किया। 9 नवंबर 2020। अधिसूचना के तहत, डिजिटल / ऑनलाइन मीडिया में (ए) ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई फिल्में और ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम शामिल हैं; और (बी) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री। इस अधिसूचना के अनुसरण में ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं को अब एमआईबी के अधिकार क्षेत्र में लाया गया है जो इस स्थान को विनियमित करेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 87 के तहत अधिसूचित, नियमों का भाग III डिजिटल समाचार मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए आचार संहिता और प्रक्रिया से संबंधित है। मध्यस्थ नियम समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री (ओटीटी प्लेटफॉर्म सहित) के सभी प्रकाशकों पर तब तक लागू किए गए हैं, जब तक कि उनकी भारत में भौतिक उपस्थिति है या भारत में अपनी सामग्री उपलब्ध कराकर एक व्यवस्थित व्यावसायिक गतिविधि का संचालन करते हैं। मध्यस्थ नियम समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री (ओटीटी प्लेटफार्मों सहित) के सभी प्रकाशकों के लिए आचार संहिता के लिए भी निर्धारित करते हैं जो एमआईबी द्वारा प्रशासित किया जाएगा। ओटीटी का भविष्य वादों से भरा हुआ प्रतीत होता है क्योंकि लोगों ने कोरोना द्वारा लगाए गए खतरों में लिप्त होने के बजाय घर पर ही आनंद लेने के नए सामान्य को स्वीकार कर लिया है। यह बजट के अनुकूल प्लेटफॉर्म भी है और इसने चीजों को अपनी सुविधानुसार देखने के विकल्प भी प्रदान किए हैं। यह उम्मीद की जाती है कि मूल सामग्री की मांग 2023 तक 2019 के स्तर से दोगुनी होकर प्रति वर्ष 3,000 घंटे से अधिक हो जाएगी। क्यूरेट किए गए लघु वीडियो प्लेटफार्म को 2023 तक ऑनलाइन वीडियो देखने पर खर्च किए गए कुल समय का 25% प्राप्त करना है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर क्षेत्रीय भाषा की खपत का हिस्सा 2025 तक खर्च किए गए कुल समय के 50% को पार करना है, जो कि पिछली हिंदी को 45% तक कम कर देता है। सब्सक्रिप्शन आय बढ़ाने में खेल तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और इससे डिजिटल मीडिया अधिकारों के मूल्यांकन में वृद्धि हो सकती है। प्रस्तावित सामग्री कोड के लिए सामग्री निर्धारण, जांच और निगरानी नियंत्रण के लिए प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी। सामग्री लागत में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि समग्र गुणवत्ता बेंचमार्क अधिक जागरूक दर्शकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बढ़ता है, खासकर क्षेत्रीय बाजारों में। ओटीटी प्लेटफॉर्म और अन्य सोशल मीडिया बिचौलियों का विनियमन भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म को अनियमित कर दिया गया है, आईटी अधिनियम के प्रावधानों को छोड़कर कोई विशिष्ट नियामक ढांचा नहीं है, जिसके वे अधीन हैं। हाल के दिनों में तैयार किए गए कई केस कानूनों और परामर्श पत्रों और स्व-विनियमन कोड के माध्यम से, डिजिटल सामग्री को विनियमित करने की आवश्यकता और विधि को समझने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। ओटीटी द्वारा स्व-नियमन की अधिक पारदर्शी प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया गया।

✍️ सलिल सरोज

ग़ज़ल

अंधेरे नफरतो के अब मिटाना भी ज़रुरी है।
मुहब्बत के चरागो को जलाना भी ज़रुरी है।।
सड़क पर आज कूड़ा बीनते बच्चो के हाथों में। किताबे पेन कापी अब दिलाना भी ज़रुरी है।।
हमारे लाडलो पर पश्चिमी कल्चर का साया है।
हमे भारत के कल्चर को  सिखाना भी जरूरी है।
वफा की बू हमेशा जिन गुलो से आए गुलशन मे ।
घरो को ऐसे फूलो से सजाना भो जरूरी है।।
हमारे देश भारत पर  कभो जब आच आए तो।
तो वतन पर जान की बाजी लगाना भी जरूरी है।

✍️ अकील अहमद '
'अनस'
ex editor paigame aman
sherkot bijnor up
mob 7017429798
wn 8791746547

कविता :- 20(65)
नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - चल दिए कर्मभूमि

🙏💐 🚉🚆🚅🚂🛤️🚄

चल दिए जन्मभूमि झोंझी
ग्राम मिथिला ,
मधुबनी बिहार से
कर्मभूमि कोलकाता  ,
हे पवित्र जन्मभूमि
तुम्हारी याद हमें
हमेशा आता ।।
जब आते तुम्हारी पास
खुशियां छा जाता ,
पर जब जाते तुम्हें छोड़कर
तब बड़ा मन घबड़ाता ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(65)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
22/07/2021 ,  गुरुवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 73
Sahitya Ek Nazar
22 July 2021 ,  Thursday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

गीत-रंजोगम

रंजोगम में रात बीत गई,
फिर भी बेला महक रही।
वृक्षों  के पत्ते गिरने पर,
बैठी कोयल  कुहक रही।।
सुख  दुख  आता जाता रहता,
सुबह शाम   जैसे परिवर्तन,
बर्तन है तो खटकन होगी,
सोन चिरैया चहक रही।
रंजोगम......
कब तक मातम मना सके हम,
आने जाने वालो का,
कौन अमर है इस दुनिया में
चिता की अग्नि दहक रही।
रंजोगम....................
जिसने सुख को  मित्र बनाया,
दूर   हो  गये  सारे  गम,
उम्र ढली है  साथी छूटे,
फिर भी  पुरवा बहक रही।
रंजोगम में रात बीत गई,
फिर भी बेला महक रही।।

✍️ केशरीसिंह रघुवंशी 'हंस
'अशोकनगर मध्य प्रदेश

ओ बैरी सजना
चुनरी लईदे मोरी
ठंडी ठंडी छाँव में
मैं खनकाऊँ कँगना-ओ बैरी सजना।।
रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे
भींग रही है जमना-ओ बैरी सजना।।
अंग अंग मोरा थिरकन लागो
चलन लगे रे झरना-ओ बैरी सजना।।
तिलमिल करती नदियां तोरी
सजना सुनले बात ये मोरी
तूझको मैं जानूँ
अपना-ओ बैरी सजना।।
तेरे रंग की ओढूँ चुनरिया
तुझपें जीवन वाँरू सावरिया
साथ न छूटे तेरा मेरा यही है सपना।।
जन्म जन्म ये अपना-ओ बैरी सजना
मोहे छोड के दहरी बाहर
,पैर कभी न रखना
हमरे घूँघट में तुम अपना,
सब कुछ छिपाके रखना।।
ओ बैरी सजना चुनरी लइदे,
मोरी ठंडी ठंडी छांव में
मै खनकाऊँ कंगना-ओ बैरी सजना।।

✍️ काली दास ताम्रकार 
काली जबलपुरी
मगसम
2709/2016/9826795236



साहित्य एक नज़र 🌅

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