साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 74 , शुक्रवार , 23 जुलाई 2021 ,
अंक - 74
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
साहित्य एक नज़र अंक - 74 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें -
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मात्र - 15 रुपये
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अंक - 74
23 जुलाई 2021
शुक्रवार
आषाढ़ शुक्ल 14
संवत 2078
पृष्ठ - 1
प्रमाण - पत्र - 5
कुल पृष्ठ - 6
सहयोगी रचनाकार व साहित्य समाचार -
1. आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2. आ. महाकाल काव्य वृष्टि ( संपादिका - ज्योति सिन्हा जी )
3. आ. योगशाला ने प्रतिभागियों को किया सम्मानित - आ. राजेश पुरोहित जी ,भवानीमंडी
4. आ. केशरीसिंह रघुवंशी हंस जी
अशोकनगर , मध्यप्रदेश
5. आ. आ. भारतेन्द्र सिंह जी
6. आ. रोशन कुमार झा
7.आ. RJ Anand Prajapati
From Azamgarh Uttar Pradesh
🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
136. आ. भारतेन्द्र सिंह" , अंक - 74 , शुक्रवार , 23/07/2021
अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
के लिए रचनाएं व अन्य कलाओं सादर आमंत्रित -
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 74
Sahitya Ek Nazar
23 July , 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
सम्मान पत्र - 1 - 80
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अंक - 54 से 58 -
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्व साहित्य संस्थान वाणी
आ. ज्योति झा जी
संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका
आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम " जी
संपादिका
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई
कविता :- 20(57)
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अंक - 66
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कविता :- 20(58)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2058-15072021-66.html
अंक - 67
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/67-16072021.html
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कविता :- 20(59)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2059-16072021-67.html
अंक - 68
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/68-17072021.html
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कविता :- 20(60)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2060-68-17072021.html
अंक - 69
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/69-18072021.html
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कविता :- 20(61)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2061-18072021-69.html
कविता :- 20(62)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2062-20072021-71.html
अंक - 70
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/70-19072021.html
https://online.fliphtml5.com/axiwx/lqem/
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cfmn/
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कविता :- 20(63)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2063-20072021-71.html
अंक - 71
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/71-20072021.html
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अंक - 72
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कविता :- 20(64)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2064-21072021-72.html
कविता :- 20(65)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2065-22072021-73.html
अंक - 73
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कविता :- 20(66)
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अंक - 74
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/74-23-2021.html
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कविता :- 20(67)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2067-24072021-75.html
अंक - 75
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/75-24072021.html
कविता :- 20(68)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/07/2068-25072021-76.html
अंक - 76
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/76-25072021.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
http://vishnews2.blogspot.com/2021/07/4-03072021-54-2046.html
सम्मान पत्र
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/079.html
विश्व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
Thanks you
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जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350
सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
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सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।
आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )
अंक - 62 से 67
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🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
की प्रस्तुति
महाकाल काव्य वृष्टि
संपादिका - ज्योति सिन्हा
महाकाल काव्य वृष्टि संग्रह में आपकी रचनाएं सादर आमंत्रित है ।
भोलेनाथ पर लिखी हुई आप अपनी दो रचनाएं एक फोटो भेजें ।
पद्य 16 - 20 पंक्ति व गद्य विधा ( 250 - 300 शब्दों में होनी चाहिए )
इस काव्य संग्रह में सम्मिलित होने के लिए 55 रुपये का सहयोग करना होगा ।
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JYOTI SINHA ,
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महाकाल काव्य वृष्टि संग्रह में सम्मिलित सभी सम्मानित साहित्यकारों को " काव्य नीलकण्ठ सम्मान " से सम्मानित किया जाएगा ।
रचना भेजने का अंतिम तिथि - 29 जुलाई 2021
प्रकाशित होने की दिनांक - 2 अगस्त 2021 , सोमवार
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अंक - 1
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अजय नाथ शास्त्री
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बिहार
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नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - चलता हूँ ।
थकने के बाद भी चलता हूँ ,
तब जाकर राह को रोशन करता हूँ ।
हार से नहीं डरता हूँ ,
संघर्ष पर से संघर्ष से लड़ता हूँ ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(66)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
23/07/2021 , शुक्रवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 74
Sahitya Ek Nazar
23 July 2021 , Friday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
योगशाला ने प्रतिभागियों को किया सम्मानित -
-राजेश पुरोहित,भवानीमंडी
दिल्ली:- योगशाला में साहित्य संगम संस्थान योगशाला की अधीक्षिका आदरणीय इंदु शर्मा जी ने बताया, कि योगशाला अंतरराष्ट्रीय योगदिवस पर साहित्य संगम संस्थान की योगशाला में योग पर आधारित कार्यक्रम रखा गया, जिसमें प्रतिभागियों से योग करते हुए की वीडियोज मंगवाई गयी। तथा सम्मानित अतिथियों एवम जजेज ने वीडियोज देख कर प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान देकर प्रतिभागियों को सम्मानित किया। सहभागिता प्रमाण पत्र सभी पार्टिसिपेंट को प्रदान किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य संगम संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजवीर सिंह मंत्र जी विशिष्ठ अतिथि पूर्व जिला न्यायाधीश आदरणीय मीना भट्ट जी, साहित्य संगम संस्थान की कोषाध्यक्ष आदरणीय छाया सक्सेना जी, योगगुरु आदरणीय जूली अग्रवाल जी , गज़ल गुरू आदरणीय धर्म राज देशराज जी थे। आपने सभी प्रतिभागियों का मनोबल बढाते हुए अपने उद्बोधन दिए। डॉ. भावना दीक्षित ज्ञान श्री ने बताया कि प्रतिभागियों में *प्रथम स्थान*राम अग्रवाल , संगीता जैन द्वितीय स्थान मंजूरी डेका आराध्या शर्मा तृतीय स्थान* अर्चना जायसवाल, शारदा इन्दोरिया जी ने प्राप्त किया। अन्य सभी प्रतिभागियों को भी प्रमाण पत्र सम्मानीय अतिथियों के करकमलो प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। माया हरितवाल जी,कंचन शर्मा जी, लता खरे जी, उमा मिश्रा जी, गुलशन कुमार साहसी जी, राजेश कौरव जी, राजेश शर्मा पुरोहित जी, मंजू जोगाई जी, रंजना बिनानी जी, निशा अतुल्य जी , अलका आनंदित जी, भावना दीक्षित ज्ञानश्री जी, कुमुद श्रीवास्तव जी, नवीन भट्ट जी, मंजूषा किंजावेडकर जी, इन्दु शर्मा शचि जी, कुसुम खरे श्रुति जी, सरिता श्रीवास्तव जी, डाॅ सुशीला सिंह जी, संगीता अग्रवाल जी ने भी कार्यक्रम में पार्टिसिपेंट कर योगदिवस को अविस्मरणीय बना दिया।
गीत -पिपासा
प्यासा पंछी नील गगन में,
इसको ठौर प्रदान करो।।
दीपशिखा तुम जीवन की,
कुछ तो तुम अवदान करो।
अरमानों के पांँख काटता...
. बना हरजाई दरिंदा।
खुले गगन में पेंगें भरता.....
उड़ता है खुला परिंदा।
चल यहाँ से दूर कहीं,.
.ए जीवन है खुला गगन
धड़क रहा है जब तक दिल -ए.
अरमानों का खिले चमन
हिम्मतऔर रवानी से, जीवन
को वरदान करो। दीपशिखा....
तुम ही ताकती राह उसकी
, यूँ ही तुम यौवन खोती।
सूर्य उम्र का कब ढल जाए,
धूप नही फिर से होती।
नैनो के सागर में भरकर,
प्रीत अमर करनामितवा
प्रीत अमरहो तेरी मेरी ,
जीवन सरस बने गितवा
जीवन अपना अपना होता,
पूरे तुम अरमान करो।
दीपशिखा.............
सागर सी गहरी आंखों में,
मुझे डूबा ले तू रानी,
बना परिंदा तेरा आशिक,
थोड़ी धूप दिखा जानी,
जीना मरना साथ हमारा,
सत्य शपथ ले वचन करें,
मन बंजारा भटक रहा है,
तेरे बिन बेचैन रहे,
रंग बिरंगी तितली सी तुम,
दिल में भी कुछ रंग भरो।
दीपशिखा ........।
✍️ केशरीसिंह रघुवंशी हंस
अशोकनगर , मध्यप्रदेश
देशी अग्रेंज
-------
रहते देश में
सोते देश में
खाते देश में ।
चरते देश में
खाते विदेशी सस्कृति सभ्यता
देश के असभ्य लोग
टूटी फूटी अग्रेंजी सीख कर
अग्रेंज हो जाते
अग्रेंजी आदर्श हो जाता
हिन्दी विलीन हो जाता
मातृ-हद्धय रो जाता
पाश्चात्य सभ्यता
में खो जाता
जन्मदायिनी माॅ
तडप उठती, विफर उठती
कहर उठती।
मेरा जन्म सृजित
फल विदेशी कैसे
आदर्श माॅ को भूल गया
खाते गया सारा कर्ज
पी गया अग्रेंजी शराब
इसी देश में देशी अग्रेंज ।
✍️ भारतेन्द्र सिंह"
याद है न तुझे .
हे! सुनो न ।
सुन तो रही हो न।
पहली बार जब मुझे ।
मुस्कुराया था देखकर ।
याद है न ।
वो बाते करना फोन से ।
छत पर खड़े होकर ।
वीडियो कॉलिंग जैसे देखकर ।
कितना प्यार बढता था न ।
मेरा जूठा खाकर ।
याद है न ।
हे! बोलो याद तो है न ।
वो सर्दी का मौसम ।
जब पढाते थे हम ।
तेरा शॉल ओढ़कर ।
बङा खुश हुई थी ।
न तुम उस दिन ।
पहली बार मुझे गले से लगाकर।
याद है न ।
मालूम है मैं क्यो जीता हूँ ।
क्योंकि कोई जीता है मुझे देखकर ।
मेरा अयांश मेरी आरोही ।
सपना है मेरे वही ।
बङी खुशी होती है ।
बस यही सोचकर ।
मम्मी -पापा तो कहेगा कोई ।
कितना मरती हो मुझपर ।
रूठ जाऊं तो लगता है जैसे।
मर जाओगी रो-रोकर ।
वो मेले में काला काजल लगाकर।
झूले पर साथ मे बैठना ।
याद हैं न ।
भूली तो नही न।
जब तुम मेरे ।
कपड़े प्रेस करती थी ।
तो मॉसी कैसे घूरती थी ।
लगता था ऐसे-जैसे ।
प्रेस से ज्यादा वही जलती थी ।
जब दी मुझे कपड़े प्रेसकर ।
लिखा था जब मे जो लिखकर।
मै कैसे देखने लगा था ।
मॉसी के सामने ही खोलकर ।
याद है न ।
कभी -कभी बेहद ।
हो जाता हूं मायूस ।
तङपने लगता हूं यह सोचकर ।
कही तुम चली तो नही न जाओगी ।
मुझे अकेला छोड़कर ।
मेरी सुबह,मेरी रात्रि ।
मेरी मस्ती, मेरी कश्ती ।
मेरी सम्पति, मेरी बत्ती ।
मेरी अदरक,मेरी चायपत्ती ।
आई लव लाट्स माई दीप्ति ।
बर्थ डे में किया था ।
हमने गिफ्ट जो घङी ।
हर रोज जाती हो न।
स्कूल पहनकर ।
तुमको मालूम है ।
कैसे जी रहा हूँ ।
मैं इतना दूर रहकर ।
हर रोज सोता हूं ।
तेरी डायरी का एक पेज पढकर।
वो हाथ से खिलाना ।
मुंह का बिचकाना ।
प्यार को निभाना ।
दिखाना नस काटकर ।
याद है न ।
वो नानी का घर ।
बाइक से अपनी ।
आया था जब मैं ।
शाम के पहर ।
वो मम्मी का चाटा ।
सबका लात-घूंसा ।
हो गई थी जब तुम बेहोश।
मौसा ने मेरे हाथ को काटा ।
चाभी खो गई बाइक की वही ।
वो कॉल लगाकर कहना कॉन्फ्रेंस पर।
रहूंगी तो बस आपकी बनकर ।
नही तो फिर करूंगी ही क्या जीकर ।
आपके लिए ही तो
आई हो सबको छोड़कर ।
वो गलती दोबारा मत करना ।
जिसके लिए मैं भङका था ।
क्योकि ये भरोसा अब टूटा तो ।
तो फिर मै टूट जाऊंगा ।
मेरी आंखो में देखना ।
कितना प्यार है तुम्हारे लिए ।
तुम कॉल करो या न ।
बिना याद किए ।
ये दिन कभी निकलता -ढलता ही नही।
वो मांग में आकर सिंदूर भरना ।
अपनी दुनिया के बारे मे सोचना ।
याद है न ।
✍️ RJ Anand Prajapati
From Azamgarh Uttar Pradesh