साहित्य एक नज़र 🌅 , अंक - 77 , सोमवार , 26/07/2021

साहित्य एक नज़र 🌅


अंक - 77
जय माँ सरस्वती
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
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अंक - 77
26 जुलाई  2021
सोमवार
श्रावण कृष्ण 3
संवत 2078
पृष्ठ -   1
प्रमाण - पत्र -  7
कुल पृष्ठ -  8

सहयोगी रचनाकार  व साहित्य समाचार -

1.  आ. साहित्य एक नज़र 🌅
2.  आ.  महाकाल काव्य वृष्टि ( संपादिका - ज्योति सिन्हा जी )
3. आ. कारगिल विजय दिवस
4. आ.  रोशन कुमार झा
5. आ. साहित्य संगम संस्थान की मध्यप्रदेश इकाई का वार्षिकोत्सव समारोह 26 जुलाई को - आ. राजेश पुरोहित जी
6. आ. साहित्य संगम संस्थान , असम इकाई
7.आ. कवि" सुदामा दुबे जी मध्यप्रदेश
8. आ.  लघुकथा ✍️ भगवती सक्सेना गौड़ जी ( बैंगलोर )
9. आ. रंजना बिनानी" काव्या" जी , गोलाघाट असम
10. आ. पूर्णिमा की रात ( लघुकथा ) ✍️ रीता मिश्रा तिवारी जी
11. आ.  ✍️  पूनम सिंह जी
12. आ. केशरी सिंह रघुवंशी  ' हंस' जी
अशोकनगर मध्य प्रदेश

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
139. आ. पूनम सिंह जी , अंक - 77
26/07/2021



अंक - 62 से 67
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अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई 🙏💐
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716
साहित्य एक नज़र  , मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक पत्रिका ( मासिक ) - मंगलवार
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी - गुरुवार

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 77
Sahitya Ek Nazar
26 July ,  2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी


सम्मान पत्र - 1 - 80
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सम्मान पत्र - 79 -
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फेसबुक - 1

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फेसबुक - 2
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रोशन कुमार झा
मो :- 6290640716
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र  🌅 ,
Sahitya Ek Nazar , Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर / विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी

आ. ज्योति झा जी
     संपादिका
साहित्य एक नज़र 🌅 मधुबनी इकाई
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर
साप्ताहिक - मासिक पत्रिका

आ. डॉ . पल्लवी कुमारी "पाम "  जी
          संपादिका
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका )
साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने
वाली दैनिक पत्रिका का इकाई








अंक - 70
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कविता :- 20(63)
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अंक - 71
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अंक - 72
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कविता :- 20(64)

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कविता :- 20(65)
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अंक - 73

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अंक - 75
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कविता :- 20(68)
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अंक - 76
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अंक - 77
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कविता :- 20(69)
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अंक - 78

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कविता :- 20(70)
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अंक - 79
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कविता :- 20(71)

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 1
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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 2

http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 3

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मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान, भाग - 4
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सम्मान पत्र
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विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी , अंक - 3
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अंक - 59
Thanks you
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जय माँ सरस्वती
अंक - 70 , 71 , 72 , 73 , 74 , 75
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दिनांक :- 19 जुलाई 2021 से 24 जुलाई 2021 तक
सोमवार से शनिवार तक
16 - 20 पंक्ति से अधिक रचनाएं व बिना मतलब के स्पेस ( अंतराल ) वाली रचनाओं को स्वीकृति नहीं किया जायेगा ।
शब्द सीमा - 300 - 350

सूचना - साहित्य एक नज़र 🌅 पत्रिका में प्रकाशित करवाने हेतु सहयोग राशि -
एक रचना 16 - 20 पंक्ति अन्य विधा शब्द सीमा - 300 - 350 - 15 रुपये
एक महीना में दस अंक में दस रचनाएं
प्रकाशित करवाये मात्र - 120 रुपये में
आप किसी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी पत्रिका के माध्यम से दे सकते है ।
State Bank of India
Account Number :- 20357163357
IFSC code : SBIN0000144
Name :- Roshan Kumar Jha
सहयोग राशि जमा कर स्कीन शार्ट व रसीद 6290640716 पर भेजें ।

आपका अपना -
✍️ रोशन कुमार झा
मो - 6290640716
संपादक / संस्थापक
साहित्य एक नज़र 🌅
मधुबनी इकाई - মিথি LITERATURE ,
मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक - मासिक पत्रिका ( मंगलवार ),
विश्‍व साहित्य संस्थान वाणी
( साप्ताहिक पत्रिका - मासिक पत्रिका )

कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है ।

जय हिन्द , जय भारत 🇮🇳 🙏💐 🌅

31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी , फोर्ट विलियम कोलकाता-बी , पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय, पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , हावड़ा
31 st Bengal Bn Ncc Fort William
Kolkata -B , National Cadet Corps Directorate - West Bengal & Sikkim
Coy - 5 ( N.D.College )
Narasinha Dutt College , Howrah
University of Calcutta



नमन 🙏 :- साहित्य एक नज़र 🌅
कविता - महाकाल से ...

जीत होती हार से ,
परिचय होते संस्कार से ।
प्रेरित करूँ अपने नव विचार से ,
मेरी दिन की शुरूआती और अंत
भी होते महाकाल से ।।
ऊँ नमः शिवाय
जपता हूँ  बड़े प्यार से ,
आज कल से नहीं
कई साल से ।
कोई खाली हाथ आते न
बाबा शिव शंकर , शंभू के दरबार से ,
जन्म मरण के निर्माता है वे ..
शुरू और अंत सब होते है महाकाल से ।।
जन्म मरण बंधन है कोई रोक
नहीं सकता किसी तरह के उपचार से  ,
लोग डर रहे है कोरोना की हाहाकार से ।।
लोग जानते है लोगों के व्यवहार से ,
कुछ नव निर्माण करूँ
यही आग निकलते रहे हमेशा
हम शिवभक्त रोशन कुमार से ,
कुछ भी करूँ , शुरुआती
करूँ मैं देवों के देव
महाकाल से ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :- 6290640716, कविता :- 20(69)
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
26/07/2021 ,  सोमवार
, Roshan Kumar Jha ,
রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 77
Sahitya Ek Nazar
26 July 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর
विश्‍व साहित्य संस्थान / साहित्य एक नज़र 🌅
মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर

शुभ जन्मदिन , Happy Birthday , শুভ জন্মদিন

🎁🎈🍰🎂🎉🎁 🌹🙏💐🎈

रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी ( आर. के कॉलेज ) छात्र संघ पूर्व उपाध्यक्ष आदरणीय मणिशंकर यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सह बधाई . 🙏💐

निवेदक - मिंटू यादव
आर. के कॉलेज , मधुबनी
पूर्व छात्र नेता

गरजे  गगन में  मेघ  देखो  सावन  आ  गया
रिमझिम लिए  फुँहार  देखो सावन आ गया !!
रातें हुई   नशीली   अपनी    ही   मस्ती   में
दिन  लूटते   करार  देखो  सावन  आ   गया !!
सरिता    चली   किनारे   का   चूमने  बदन
लहरें  हुई  दीवानी  देखो   सावन  आ  गया !!
वसुधा  निहारती    है  बार   बार  आसमान
कहती बुझादों प्यास देखो  सावन आ  गया !!
झूले पे  झूलने लगी कमसिन  सी तितलियॉ
मचा  रही   धमाल   देखो  सावन  आ  गया !!
कलियों ने  छेड़ दी है  देखो  अपनी  रागिनी
भँवरे बजाते  साज देखो  सावन   आ  गया !!
गौरी  के गाल  हो   गए   है   लाल   गुलाबी
गदराई  उसकी  देह  देखो  सावन आ गया !!

✍️ " कवि" सुदामा दुबे
        मुकाम  बाबरी
पोस्ट  डिमावर तहसील नसरूलागंज
  जिला सीहोर , मध्यप्रदेश

#साहित्यसंगमसंस्थान #असमइकाई
#दिनांक-२५/७/२०११
#विषय--

"आया सावन झूम के"
तर्ज-सावन का महीना, पवन करे शोर....

सावन का महीना, मन उठत हिलोर..
बदरा घिर घिर आये, नाचे मनवा का मोर।
सावन का महीना ,वर्षा की पड़ी फुहार,
सावन आया झूम के, मन में छाई बहार।
सावन में पेड़ों पे, झूले पड़े हैं...,
तीज की देखो ,धूम मची है...,
आजा सजनवा, राह निहारु...,
नैना तरसे,  मन नहीं लागे....,
रहा न जाए मोसे ,तू कहां छिपा चितचोर..,
बदरा घिर घिर आए, नाचे मनवा का मोर।
सावन का महीना.. मन उठत हिलोर .
कान्हा संग राधा, रास रचाए....,
कोयल भी मीठी, राग सुनाएं....,
अमुवा की डाली पे, झूला पड़ा है,
कान्हा संग राधा, पैंग बढ़ाएं....।
तीज त्यौहार की देखो, छाई है बहार।
कजरी गावे सखियां, झूलें अमआ की डार..।
सावन का महीना ,मन उठत हिलोर....
बदरा घिर घिर आए,नाचे मनवा का मोर..

✍️ रंजना बिनानी" काव्या"
गोलाघाट असम

नमन मंच_साहित्य एक नज़र
अंक_ 75
विधा_लघुकथा
दिवस_शनिवार
दिनांक_२४.७.२०२१
शीर्षक_पूर्णिमा की रात

पूर्णिमा की रात ( लघुकथा ) ✍️ रीता मिश्रा तिवारी

नीना मैं तुमसे कुछ जरुरी बात बताने के लिए तुम्हें यहां बुलाया हूं ।हां नरेंद्र ! बोलो ना , बात क्या है?
मैं नेक्स्ट विक ऑफिस के काम से एक साल के लिए अमेरिका जा रहा हूं । तुम्हें वहां से कुछ चाहिए तो बता दो ।आज बता रहे हो ? इतनी भी क्या जल्दी थी बताने की । जाने के एक दिन पहले बताते।
अरे यार मुझे भी आज ही बताया गया है। अगले महिने हमारी शादी है, उसका क्या ? मैं नहीं रह सकती तुम्हारे बिना। ऐसा करते हैं बाबा से अनुमति ले कर हम मंदिर में शादी कर लेते हैं और हम साथ अमेरिका चलते हैं। एक साल की ही तो बात है देखते देखते ही बीत जायेंगे। जाने के लिए वीजा पासपोर्ट चाहिए ।
हां तो बनवा लो न। उसमें टाइम लगता है इतनी जल्दी नहीं होगा। तुम चिंता नहीं करो ।हम कॉल पर बात भी तो करेंगे। फिर ये चांद भी तो है हमारे साथ हमारे प्यार का साथी। तुम चांद देख कर मुझे याद करना मैं हाजिर हो जाऊंगा चांद के रुप में। फिर मेरी तस्वीर तो है ही, और सबसे बड़ी बात की मैं तो हमेशा से तुम्हारे साथ हूं तुम्हारे दिल में तुम्हारी धड़कन बनकर नीना के माथे को चूमा और गले लगा लिया। सात साल बीत गए इंतजार करते हुए ना उसका कॉल आया ना ही वो । शादी तो कर ली पर ज्यादा दिन चल न सकी एक एक्सिडेंट में पति की मृत्यु हो गई एक साल का बेटा है जिसका नाम नरेंद्र रखा है। दिल से अभी भी उसी की छवि बसी हुई है। आज पूर्णिमा की रात आंगन में लकड़ी के पाट पर बैठी चांद को निहारती खुद से सवाल करने लगी..उस देश में भी तो चांद निकला होगा । इतने बरस बीत गए...क्या नरेंद्र चांद में मुझे देखता होगा? याद करता होगा? मैं याद भी हूं या नहीं , शायद कोई और चांद मिल गया हो ।

✍️ रीता मिश्रा तिवारी
२०.७.२०२१

नमन मंच
अंक 75
लघुकथा ✍️ भगवती सक्सेना गौड़ ( बैंगलोर )

दिल्ली के जाम में सुनीता फंसी थी, फ्लाइट का समय हो रहा था, बहुत परेशान हो रही थी। किसी तरह एयरपोर्ट पहुँच कर सब औपचारिकता पूरी की, फिर प्लेन में अपनी सीट पर बैठ गयी। अचानक उसे चक्कर आने लगे, एयर होस्टेस को बुलाया, उसने पानी दिया। कुछ ठीक लगा। सुनीता के बगल वाली सीट पर एक सज्जन थे, कुछ देर बाद बोले, "राजेश मेरा नाम है, आपको कही देखा है, ऐसा लग रहा है, क्या नाम जान सकता हूँ?" और सुनीता, राजेश एक दूसरे को पहचान गए, 40 साल पहले दोनो पड़ोसी थे, दोनो के परिवारों में अपनापन था। एक बार सावन की तीज के दिन बरसते पानी मे दोनो का मन और तन दोनो भीगा था और दोनो ये गाना गा रहे थे.......बरसात में तुमसे मिले, हम सनम बरसात में उसके बाद जैसे ही राजेश के फौजी पापा को अंदेशा हुआ, उन्होंने दूसरे शहर में ट्रांसफर लिया और फिर दोनो कभी नही मिले।
सुनीता हाई ब्लड प्रेशर की मरीज थी, किसी तरह यात्रा पूरी की, अब राजेश से बोली, "मुझे बस में बिठा दो, बस्ती जाना है।" राजेश ने कहा,"तुम्हारी तबियत ठीक नही, आज मेरे साथ होटल में चलो, दो रूम बुक कर लेंगे, कल सुबह चले जाना।" और होटल में मजबूरीवश उन्हें एक ही होटल में रुकना पड़ा, फिर आज सावन की तीज का दिन था, दोनो को याद आया, तेज़ बारिश हो रही थी, और दोनो उस गाने को याद करके हंस रहे थे और सावन की फुहारों में खो गए थे। नैनो ने दोनो से कहा,"बड़े मुश्किलों से आज फिर मिले है, थोड़ी देर के लिए दिमाग लॉक करो और दिल खोलो, फिर कल सुबह इसी कमरे में यादों को दफन करके अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे।"

✍️ भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर

26 जुलाई2021

सावन

रिमझिम पड़े फुवार, माह ये सावन आया।
करती मोर किलोल, पपीहा के मन भाया।
चातुर्दिक घनघोर, घटा काली नभ छाई।
होता शीतल गात ,पवन चलती, पुरवाई।
रिमझिम पड़े फुवार, याद सजनी की आती।
मन्मथ करे प्रपंच, प्रिया की याद सताती।
काट रहा है रात, विदुर ले -लेकर करवट।
रहे बहुत बेचैन, पड़ी बिस्तर पे सलवट।
गरज रहे नभ मेघ, दामिनी  घन में दमके।
साजन आओ पास, नहीं रहता दिल थमके।
मौसम का अभिसार, सुहानी लगती पुरवा।
ज्यों -वेदी की आग,चाहती धृत का सुरवा।

✍️ केशरी सिंह रघुवंशी  ' हंस'
अशोकनगर मध्य प्रदेश

गीत - बदरा सावन की

बदरा आई फिर सावन की,
वो बादल घनेरे,वो हवाओं का शोर,
वो बारिश की झम- झम,
लगे तेरी पायल की छम- छम ,
वो फुहारों का, तेरे चेहरे पर गिरना,
वो तेरे, भीगे आंचल का निचोड़ना,
फिर बिजली का, अचानक चमकना,
फिर डर कर मेरे पास, तेरा आ जाना,
नहीं भूल सकता, तेरी यादों का मेला,
नहीं भूल सकता, तेरी यादों का मेला,
बादल से कह दो, न गरजे बार-बार,
रुक जाती है, धड़कन और सासें,
आ जाती है,वही यादों का मंजर,
वो कोयल की कूक, जो लगा रही तान,
जैसे लगी हो, उसे भी पी की लगन,
वो मोर भी मस्ती में, नाच रहा छम-छम,
जैसे पा लिया हो, वो अपनी पूरी मंजिल,
प्यासा पपीहा भी, बुझा रहा अपनी प्यास,
कब आओगे तुम, कब बुझेगी मेरे मन की प्यास.......।।

    ✍️  पूनम सिंह

साहित्य संगम संस्थान की मध्यप्रदेश इकाई का वार्षिकोत्सव समारोह 26 जुलाई को -

- राजेश पुरोहित,भवानीमंडी
दिल्ली:-साहित्य संगम संस्थान मध्यप्रदेश इकाई का वार्षिकोत्सव समारोह सोमवार को आयोजित किया जा रहा है,  जिसमें मुख्य अतिथि आचार्य संजीव कुमार वर्मा सलिल जबलपुर विशिष्ठ अतिथि बंसत शर्मा जबलपुर कार्यक्रम की अध्यक्षता छाया त्रिवेदी वरिष्ठ लेखिका जबलपुर रहेगी। सरस्वती वंदना प्रेमलता उपाध्याय स्नेह करेंगी।अतिथियों का स्वागत छाया सक्सैना प्रभु आर्शीवचन राजवीर  सिंह मंत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य संगम संस्थान के द्वारा  दिए जाएगे।  मध्यप्रदेश इकाई की अध्यक्षा भावना दीक्षित ज्ञान श्री ने बताया कि यह मध्यप्रदेश इकाई का प्रथम वार्षिकोत्सव समारोह  है।मध्यप्रदेश इकाई ने इस एक साल में काफी प्रगति की है।  इसकी कार्यकारिणी कार्यक्रम का निर्धारण कर नियमित सृजन कार्य संयोजित करती है और श्रेष्ठ रचनाओ का चुनाव कर उन्हे मध्यांचल ई पत्रिका में संग्रहित करती है।  मध्यप्रदेश इकाई के द्वारा अपने श्रेष्ठ रचनाकारो को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ रचनाओ को सम्मानित भी किया जाता है।  अभी तक इकाई द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में  लगभग 1500 सम्मान पत्र वितरित किये गए है।




साहित्य एक नज़र


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